मुँह मोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह मोड़ना मुहावरे का अर्थ muh modna muhavare ka arth – तिरस्कार करना

दोस्तो जब कोई पिता अपने बेटे को बुरे रास्ते पर जाते देख कर अपने बेटे का साथ छोड देता है यानि उसका तिरस्कार कर देता है । ‌‌‌उसी तरह से किसी भी कारण से जब किसी का साथ छोड दिया जाता है या तिरस्कार कर ‌‌‌दिया जाता है तब ऐसा कहा जाता है की उसने तो उससे मुंह मोड लिया है । इस तरह से तिरस्कार करना इस मुहावरे का अर्थ होता है ।

मुँह मोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह मोड़ना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌जैसे ही पिता को पता चला की रमेश शराबी बन गया तो उसी समय पिताजी ने रमेश से मुंह मोड लिया ।
  • राहुल के पिता ने तो इसके कारनामे देख कर कब का मुंह मोड लिया ।
  • जब से पिता बिमार हुआ है तब से राम मोजमस्ती से मुंह मोड कर उनकी सेवा करने लगा है ।
  • अगर तुम इसकी बात मे आकर मुझझे मुंह मोडोगे तो एक दिन ‌‌‌तुम बहुत पच्छताओगे ।
  • श्यामलाल लोगो की बातो पर विश्वास कर कर अपने प्रिय मित्र से मुंह मोड कर बैठा है ।
  • वह राम जैसा सच्चा मित्र है उससे कभी मुंह मोडने के बारे मे सोचना भी नही ।
  • अपने पिता के समझाने के कारण से राम गलत कार्यो से मुंह मोड चुका है ।

मुँह मोड़ना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे नटवरलाल नाम का एक आदमी रहा करता था । उसके घर मे उसकी पत्नी और उसके पिता रहा करते थे । नटवरलाल एक अमीर घर से था इस कारण से अगर वह कभी काम करने के लिए भी ही जाता तो भी उसे कुछ फर्क नही पडता था ।

पर इसके बिल्कुल उलटा नटवरलाल ‌‌‌का दोस्त था जिसका नाम राम था । राम नाम के अनुसार भगवान राम की तरह ही था । कहने का अर्थ है की वह बहुत ही सरल आदमी था । उसे पैसो का मोह नही था वह अपना जीवन अकेले मे गुजारना ज्यादा पंसद किया करता था ।

राम के घर मे उसके माता पिता थे । राम की अभी तक शादी नही हुई थी । ‌‌‌राम के पिता विकलांग थे इस कारण से उनसे काम नही होता था । इसी कारण से राम ही अपने माता पिता का पेट भरने के लिए काम करने के लिए जाया करता था ।

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राम के घर की हालत नटवरलाल के बिल्कुल उलटी थी । यानि राम बहुत गरीब था इस कारण से अगर वह एक दिन भी काम करने के लिए नही जाता तो उसके घर के लोग उस दिन ‌‌‌भोजन नही ‌‌‌कर सकते थे ।

नटवरलाल और राम की दोस्ती बहुत ही पक्की थी । इस कारण से वह दोनो एक साथ रहा करते थे । इसी तरह से एक दिन की बात है उस दिन राम और नटवरलाल काम कर कर अपने गाव मे आए थे ।

तब राम किसी कारण से नटवरलाल के पास ही सोने को रह गया था । उस दिन राम ‌‌‌अपने कमाए हुए पैसे लेकर आया था । और रात्री के चार बजे थे तब राम नटवरलाल को बिना बताए ही अपने घर जाने लगा था ।

तब तक उस गाव के लोग जाग जाया करते थे । तब कुछ लोगो ने देखा की राम के पास एक बैंग है जिसमे पैसे हो सकते है। धिरे धिरे जब पूरा दिन हो गया तब जाकर नटवरलाल को जाग आई ।

तब उसने देखा की ‌‌‌उसके घर मे कोई आया ‌‌‌था । जब उसने ठिक तरह से देखा तो उसे पता चला की उसके घर मे जो पैसे थे वह चोरी हो गए है । तभी उसने देखा की राम भी उसके घर मे नही है ।

तब कुछ समय बाद नटवरलाल ने लोगो को बताया की उसके घर मे चोरी हो गई है । तब लोगो ने कहा की रात को तुम्हारे घर पर कोई आया था क्या । तब नटवरलाल ने राम ‌‌‌नाम ले लिया ।

यह सुन कर वे दो आदमी बोल उठे जिन्होने राम को जाते हुए देखा था । उन दोनो आदमियों ने कहा की हमने देखा की राम कुछ लेकर तुम्हारे घर से जा रहा था । तब नटवरलाल ने कहा की वह चोरी नही कर सकता ।

इस तरह से उस दिन यह कह कर नटवरलाल ने राम पर भरोषा कर लिया । पर लोगो का क्या था वह तो ‌‌‌बाते बना कर राम को ही चोर कहने ‌‌‌लगे । साथ ही उसके बारे मे गलत भी कहने लगे थे । जिसके कारण से नटवरलाल भी लोगो की बातो मे आ गया ।

इस तरह से एक दिन की बात है उस दिन कुछ लोग राम के बारे मे नटवरलाल को गलत कह रहे थे । तब नटवरलाल भी उन लोगो पर विश्वास करने लगा था ।

तभी उसे दिखा की राम उसकी तरफ आ रहा है ‌‌‌जैसे ही राम नटवरलाल के पास आया तो वह उससे बात करने लगा । तब नटवरलाल ने राम से बात नही की । तब राम ने नटवरलाल से कहा तुम बात क्यो नही कर रहे हो ।

तब नटवरलाल ने कहा की तुम जैसे गदारो से क्या बात करे । साथ ही कहा की तुम अपने आप को मेरा दोस्त बताते हो और मेरे ही घर मे चोरी करते हो । इस तरह से फिर ‌‌‌नटवरलाल को गलत कहने लगा था ।

जिसके कारण से राम को लगा की आज इससे बात करना अच्छा नही है इससे फिर कभी बात करूगा । ऐसा सोच कर वह वहां से चला गया था । फिर एक दिन राम नटवरलाल के घर गया । तब नटवरलाल ने राम को ऐसा वैसा कह कर उसे अपने घर से निकाल दिया था ।

तब राम को लगा की जरूर यह लोगो की बातो मे ‌‌‌आकर मेरे से मुंह मोड रहा है । तभी राम को नटवरलाल के पिता मिले । तब राम ने उनसे बाते की तो पता चला की लोगो ने कहा था की राम ने उस दिन तुम्हारे घर पर चोरी की है इस कारण से वह लोगो की बात मे आ गया और उसने तुमसे मुंह मोड लिया ।

तब राम ने उनसे कहा की आप नटवर से कह दो की मैंने तो चोरी नही की थी ‌‌‌मेरे पास जो पैसे थे वह लेकर मैं उस दिन जल्दी अपने घर चला गया था । तब उसके पिता ने कहा की वह मेरी भी बात नही सुन रहा है मैंने उसे बहुत बार समझाया । इतना कह कर नटवरलाल के पिता चले गए थे ।

इस बात को दो दिन हुए थे की राम ने गाव के लोगो के सामने नटवरलाल से माफी मागी और उसे पैसे दे दिए थे जितने ‌‌‌नटवरलाल के घर से चोरी हुए थे । पैसे देने के बादमे राम गाव के दो लोगो के साथ उसी दिन शहर चला गया था ।

जब रात हुई तो उस दिन फिर वह चोर नटवरलाल के घर गया और पैसो को चुरा कर ले गया । जब नटवरलाल की सुबह आंखे खुली तो उसे पता चला की उसके सारे पैसे चोरी हो गए है । तब नटवरलाल को लगा की राम ने ही पैसे ‌‌‌चुरा लिए है ‌‌‌।

इस कारण से वह फिर से राम पर ‌‌‌इल्जाम लगाने लगा था । तब उसके पिता ने कहा की वह तो कल से गाव मे भी नही है वह चोरी कैसे कर सकता है ।

साथ ही उसके पिता ने कहा की उस दिन भी उसने चोरी नही की थी । बल्की उसने गाव के सेठ से पैसे उधार लेकर तुम्हे दिए थे । जब इस बात की सचाई जानने के लिए नटवरलाल सेठ ‌‌‌के पास गया तो नटवरलाल को पता चला की उस दिन राम सेठ के पास से पैसे उधारी लेकर मुझे दिया था ।

यह जान कर नटवरलाल को बहुत दुख हुआ की उसने लोगो की बातो पर विश्वास कर कर अपने प्रिय दोस्त राम से मुंह मोड लिया । तब नटवरलाल को लगा की अगर वह राम से माफी मागेगा तो अच्छा रहेगा ।

मुँह मोड़ना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

इस कारण से ‌‌‌जैसे ही राम गाव मे आया तो वह उससे माफी मागने लगा । तब राम ने कहा की मित्र तुमने मेरी बात का विश्वास नही किया और जो मित्र मित्र ‌‌‌पर विश्वास नही कर सकता वह सच्चा मित्र नही हो सकता है ।

इस तरह से कह कर राम ‌‌‌ने फिर कभी भी नटवरलाल से दोस्ती नही रखी । जिसके कारण से फिर नटवरलाल दुखी होकर अपना जीवन ‌‌‌गुजारने लगा और फिर जब भी नटवरलाल राम के सामने जाता और बात करने की कोशिश करता तो राम उससे बाते नही करता था ।

जिसके कारण से नटवरलाल को पता चल गया की इसने मेरे से मुंह मोड लिया है । फिर नटवरलाल कभी भी राम को वापस अपना दोस्त नही बना सका था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस कहानी का अर्थ ‌‌‌क्या है ।

मुँह मोड़ना मुहावरे पर निबंध || muh modna  essay on idioms in Hindi

कहते है की दोस्तो अगर मानव किसी वस्तु का तिरस्कार करता है तो ऐसे में वह उस वस्तु की और फिर से देखता तक नही है ओर यह बहुत बार होता है ।

यह कई बार देखा गया है की अगर किसी ने अपना धन या अपना कुछ दान में दे दिया है तो दिए हुए दान को वापस प्राप्त करने की इच्छा नही रखता है और उसकी और देखता नही है मतलब उससे मुंह मोड़ लेता है ।

दरसल आपको यह पता चल चुका है की muh modna muhavare ka arth – तिरस्कार करना है और यह आप उपर अच्छी तरह से समझ सकते है ।

तो अब जहां पर भी तिरस्कार करने की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग हो सकता है क्योकी मुहावरो का प्रयोग वही पर किया जाता है जहां पर उसका अर्थ मेल खाता है ।

वैसे दोस्तो अब कमेंट में बताना की क्या आपको मुहावरा समझ में आया नही ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।