वाह वाह करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

वाह वाह करना मुहावरे का अर्थ vah vah karna muhavare ka arth – प्रशंसा करना या बड़ाई करना

दोस्तो आपने सुना होगा की जब कोई गायक कुछ गाता है या किसी प्रकार का शेर सुनाता है तो उसकी गायक या शेर को सुन कर वाह वाह नाम लिया जाता है । जिसके कारण से सुनाने वाला ओर जोश मे आ जाता है ‌‌‌क्योकी उसकी प्रसंसा की जा रही है ।

इस तरह से प्रसंसा करने को वाह वाह कहा गया है। ठिक इसी तरह से अगर कभी किसी अन्य कार्य में किया जाता है यानि अन्य कार्य मे प्रशंसा की जाती है या बढाई की जाती है तो उसे भी वाह वाह कह कर बढाई की जाती है । इस कारण से इस मुहावरे का अर्थ प्रशंसा करना या बड़ाई करना  होता है । इसके साथ ही इस ‌‌‌मुहावरे का वही प्रयोग होता है जहां पर प्रशंसा करना या बड़ाई करने की बात होती है ।

वाह वाह करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

वाह वाह करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग use in sentence

  • महफिल में Rahat Indori के शेरो शायरी शुन कर सभी लोगो ने उनकी खुब वाह वाह की ।
  • जब पार्वती ने स्कूल में सबके सामने एक अच्छी सी गजल सुनाई तो सभी वाह वाह करने लगे ।
  • ‌‌‌जब गाव कें विकाश के लिए सरपंच साहब ने गाव में भाषण दिया तो सभी गोर से सुनने लगे और अंत मे सरपंच साहब की खुब वाह वाह हुई ।
  • महफिल में राजवीर ने ऐसा करतब दिखाया की सभी के रोगटे खडे हो गए जिसके कारण से हर किसी ने उनकी वाह वाह की ।
  • ‌‌‌महफिल में बैठे 200 लोगो के समाने एक जादूगर ने 2 फुट लंबी तलवार अपने गले मे उतार दी जिसे देख कर सभी वाह वाह करने लगे ।
  • जब रवीना 12 वी में अपने राज्य की टॉपर बनी तो उसकी पूरे राज्य में वाह वाह होने लगी।
  • कंचन के नोकरी लग जाने पर उसकी खुब वाह वाह हुई ।

‌‌‌वाह वाह होना मुहावरे पर story

एक समय की बात है किसी नगर में बहुत से लोग रहा करते थे उन लोगो का मानना था की हमारे जैसा ज्ञानी और कोई हो ही नही सकता है । जिसके कारण से हर कोई अपने आप को ही बडा मानता और अपने आप ही बढाई करने लग जाता था । उस गाव में से कुछ लोगो को जादू बडा ही अच्छा आता था ‌‌‌और कुछ लोग ऐसे थे जो शेरो शायरी करना जानते थे ।

इसके अलावा भी कुछ लोग कुस्ती लडने में बडे ही माहिर थे । इस तरह से गाव के लोगो में हर किसी कार्य मे कोई न कोई खास था ही । मगर गाव के लोग उन व्यक्यिो की कदर नही किया करते थे बल्की वे सभी अपने ही गुणगान गाने मे लगे रहते थे ।

‌‌‌उस गाव में एक बडा ही शायर था जिसका नाम ‌‌‌गुलजार था । इसके ‌‌‌जितना बडा शायर उस गाव में कोई नही था । इसके साथ ही जादूगरी में सबसे बडा हंसराज था । मगर गाव के लोगो मे इनकी भी कोई कदर नही थी । मगर एक दिन अपने जीले में एक ‌‌‌बडे सम्मेलन का आयोजन हुआ था ।

जिसमें बडे बडे लोग आने वाले थे और ऐसे ऐसे कलाकार ‌‌‌आने वाले थे की हंसराज और ‌‌‌गुलजार के गाव के लोग ‌‌‌उनके सामने फिके पड सकते थे । जब इस बारे में आस पास के गाव में परचार होने लगा और समय के साथ हंसराज के गाव में भी यह खबर लगी तो सभी को लगा की हमारे गाव में ‌‌‌तो हम ही टॉप रहेगे और इनाम जीत कर आएगे ।

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कोई यह नही सोच रहा था की गाव का नाम कर कर आएगे । मगर ‌‌‌गुलजार ने हंस‌‌‌राज से बात की और बताया की अब हमारी गाव में कोई भी इज्जत नही है क्योकी कोई भी हमारे कार्य को अच्छी तरह से जान नही सका है । अगर हम इस सम्मेलन मे विजेता रह जाते है तो गाव ही नही बल्की पूरे जीले मे हमारा ही नाम होगा ।

यह सुन कर हंसराज ने कहा भाई तो हम गाव के लोगो को बताए बिना ही नाम लिखा देते ‌‌‌है क्या पता की गाव के लोग अपना नाम लिखवाने के चक्कर मे हमे पिछे धकेल दे । यह सुन कर गुलजार ने कहा की मेरा एक दोस्त इसी काम मे लगा है जो सम्मेलन मे कार्य करता है मैं उससे बात कर कर सबसे पहले नाम लिखवा देता हूं ।

तब हंसराज ने कहा की नही भाई हमे नाम पहले लिखवाना है पर बारी सबसे अंत मे लानी ‌‌‌ताकी हम अपना कलाकारी लोगो के सामने अच्छी तरह से रख सके । यह सुन कर गुलजार ने कहा तो ठिक है मैं कल ही उससे बात करने के लिए चला जाता हू। अगले ही दिन गुलजार जाकर अपना और अपने मित्र हंसराज का नाम लिखवा आया ।

मगर अभी गाव के लोगो को इस बारे मे पता नही चला । मगर अगले ही दिन इस बारे में गाव के लोगो ‌‌‌को पता चल गया तो वे भी सम्मेलन मे भाग लेने के लिए नाम लिखाने के लिए चले गए । इस तरह से उस गाव मे से कुल 90 लोगो ने अपना नाम उस सम्मेलन मे लिखवा दिया ।

इसके अलावा अन्य गाव के बहुत से लोगो ने सम्मेलन मे भाग लेने के लिए नाम लिखवाया था । अब सम्मेलन 5 दिन के बाद आयोजित होने वाला था तो ‌‌‌सभी लोग अपनी तैयारी कर रहे थे । जिसे देख कर हंसराज और उसके मित्र गुलजार भी तैयारी मे जुड गए ।

जब पांचवा दिन आया तो गाव के सभी लोग सम्मेलन मे चले गए और वहां जाने के बाद में सभी को पता चला की यहां पर बहुत ज्यादा भिड जमा हो गई है । भिड इतनी अधिक थी की अगर किसी गाव के व्यक्ति को ढूंढना ‌‌‌था तो उसका मिलना मुश्किल हो जाता है ।

यह देख कर हंसराज और गुलजार ने पहले ही बात कर ली की जब आधे लोगो की बारी आ जाए तो हम उस जगह पर मिलेगे । इस तरह से कुछ ही देर मे कार्य शुरू हो गया । और इसी ‌‌‌बिच गुलजार और हंसराज पता नही कैसे एक दूसरे से दूर हो गए । जिसके कारण से गुलजार और हंसराज न जाने कहा ‌‌‌बैठे कार्यक्रम देख रहे थे ।

तब दोनो ने देखा की सबसे पहले जादूगरी का कार्य क्रम चल रहा था जिसमें बडे बडे माहिर जादूगर आ गए । जिसे देख कर हंसराज भी एक बार ढिला पड गया और उसे लगा की वह उन्हे नही हरा सकता है । मगर जब 20 जादूगर चले गए तो हंसराज को लाग की आधे लोग आ गए है इस कारण से वह तुरन्त ‌‌‌गुलजार के बताए स्थान पर चला गया ।

मगर गुलजार समय पर नही आया । तब हंसराज अकेला ही अंदर जाकर तैयार होने लगा । तभी वहां पर गुलजार आया और कहा की भाई देर हो गई । तब दोनो ने बात की और बताया की कुछ ऐसा दिखाना जो उन लोगो ने तो दिखाया था मगर गलत था और तुम उसे बढिया जादू दिखा सकते हो ।

हंसराज को गुलजार की बात समझ में आ गई और उसने कहा की मैं एक लकडी के उपर खडा होने का जादू दिखाउगा जो किसी ने नही दिखाया और एक तलवार का जिसमें तलवार को गले मे उतार देते है मगर मैंरी यह तलवार बहुत लंबी होगी जिसे गले से उतार कर निचे से निकालूगा ।

 इस तरह से उसने बहुत से जादूगरी के ‌‌‌नाम गुलजार को बताने लगा था । इतने में एक आदमी उसे बुलाने के लिए आया और कहा की भाई आपका नाम अगला है तो आ जाओ । इस तरह से उस आदमी के कहने पर हंसराज स्टेज पर चला गया । जब वह मंच पर गया तो उसकी और किसी ने गोर नही किया ।

मगर उसने अपने पहले ही खेल से सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित कर लिया । क्योकी ‌‌‌उसने सबसे पहले बहुत ही लंबी तलवार निकाली जो देखने में बडी नुकीली थी । मगर हंसराज ने बिना चम्पलो के उस पर चढ गया यह देख कर कुछ लोग तो हक्का बक्का हो गए । क्योकी उसके पैरो से खुन की बुंद ‌‌‌तक नही पडी थी ।

इसके बाद में हंसराज ने उसी तलवार को अपने गले में उतार दिया । यह देख कर सभी चोक गए की एक ‌‌‌मजबुत तलवार गले कें अंदर कैसे चली गई मगर किसी को भी कुछ समझ में नही आया ‌‌‌और कुछ ही समय मे उस तलवार को अपने निचे से वापस निकाल लिया ।

अगले खेल में हंसराज ने एक लकडी ली जो देखने में बहुत ही नाजुक थी ‌‌‌जिसपर कुछ ही वस्तुओ को रखा तो वह ‌‌‌डिगमिगाने लगी थी । मगर जब वह स्वयं उसके उपर चढा तो वह लकडी जारा भी नही हिल पा रही थी और वह टूट भी ‌‌‌नही पाई । मगर यह देख कर लोगो को जरा भी अच्छा नही लगा ।

तब हंसराज ने एक बक्सा मगवाया और उसे अपने सिर पर रख लिया और पैरो से लकडी को उठा उठाकर उछलने लगा था । मगर लकडी टुटने का नाम ही नही ले रही थी । यह कुछ अनोखा था जिसके कारण से मंच पर बैठे लोगो ने भी हंसराज की वाह वाह करनी शुरू कर दी और इसी ‌‌‌तरह से लोग उसकी वहा वाह करने लगे थे ।

‌‌‌वाह वाह होना मुहावरे पर story

इसके बाद में अनेक जादूगर भी आए ‌‌‌और हंसराज के गाव के भी कुछ जादूगर आए मगर कुछ हारने के डर से मंच पर आए ही नही थे । मगर हंसराज के जैसा खेल नही दिखा पाए जिसके कारण से जादूगरी में हंसराज विजेता बन गया और उसे एक इनाम दिया गया जिसमे लिखा था की जीले का सबसे बडा जादूगर

इसके बाद में गजल और शेरो शायरी का प्रोग्राम शुरू हुआ तो अनेक लोगो ने ‌‌‌भाग लिया और लोग उनके शेरो को सुन सुन कर बडे मजे ले रहे थे । मगर जब गुलजार की बात आई तो उसने पूरी की पूरी जंता को ही आनन्दित कर दिया जिसके कारण से उसकी वाह वाह होनी शुरू हो गई ।

अब सभी बडे मजे के साथ गुलजार के ‌‌‌के शेर सुन रहे थे और मजे ले रहे थे । लोगो के इस तरह के आचरण को देख कर मंच वाले लोगो को भी लगा की गुलजार कुछ खास है इस कारण से शेरो शायरी में गुलजार विजेता बन गया । और उसे भी इनाम दिया गया जिसमे लिखा था की जिले का सबसे बडा शायर । ‌‌‌

बाकी इनके गाव में एक व्यक्ति और जीता था जो नाटक करने का काम करता था । मगर इसके अलावा गाव में कोई भी नही जीत पाया था ‌‌‌क्योकी कुछ लोगो ने तो हारने के डर से भाग तक नही लिया । जिसके कारण से गाव में भी हंसराज और गुलजार की वाह वाह कई महिनो तक होती रही और जब भी कोई प्रोग्राम होता तो उनकी प्रशन्सा करते हुए उन्हे जरूर बुलाया जाने लगा और लोग उनके दिवाने ‌‌‌होते चले गए ।

इस तरह से गुलजार और हंसराज को पूरा का पूरा जीला तक बुलाने लगा था । इस तरह से गुलजान का जीवन और हंसराज का जीवन पूरी तरह से बदल गया था । इस तरह से आप इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।

‌‌‌वाह वाह करना मुहावरे पर निबंध  muhavare par nibandh

साथियो जब कुछ अच्छा लगता है तो उसकी प्रशंसा की जाती है और इसी प्रशंसा में वाह वाह का नाम निकलता है । जिस तरह से अगर कोई महान शायर अपने कुछ शेर सुनाता है तो उसके दो शब्द बालते ही वहा वहा की आवाज सुनाई देने लग जाती है इसका अर्थ होता है की शेर सुन कर प्रसन्न हो ‌‌‌रहे है । और जिस व्यक्ति से प्रसन्न होते है उसकी प्रशंसा जरूर करते है और इसी प्रशंसा के रूप में वाह वाह किया जाता है ।

इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ प्रशंसा करना होता है । जिस तरह से हंसराज और गुलजार के कारनामो को देख कर उनकी प्रशंसा पूरे के पूरे जीले मे होने लगी थी। ‌‌‌ठिक इसी तरह से प्रशंसा करने के समय इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है ।

क्योकी जब किसी की प्रशंसा करने की बात होती है तो उसे वाह वाह कर कर बता दिया जाता है और सामने वाला समझ जाता है की वह मेरे से प्रसन्न हो रहा है जिसके कारण वह और ‌‌‌भी जोस के साथ काम करता है ।

वाह वाह करना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of vah vah karna in Hindi

दोस्तो मुहावरो की दुनिया में आपको एक से बढ कर एक मुहावरा देखने को मिल जाता है । और आपको बता दे की vah vah karna भी एक प्रसिद्ध मुहावरा है जो की आपको काफी समय से याद रखना चाहिए क्योकी यह कई बार एग्जामों में पूछा जाता है ।

अगर इसके अर्थ की बात करते है तो इसके बारे में हमने आपको पहले ही समझा दिया है । मगर फिर से बता दे की vah vah karna muhavare ka arth – प्रशंसा करना या बड़ाई करना होता है । और इसका मतलब है की जहां पर प्रशंसा करने की बात होती है वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

जैसे की कोई व्यक्ति आपकी प्रशंसा कर रहा है तो इसका मतलब है की वह आपकी वाह वाह कर रहा है और इसी से आप इस मुहावरे के अर्थ को समझ सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।