हाथ खाली होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

हाथ खाली होना मुहावरे का अर्थ hath khali hona muhavare ka arth – निर्धन होना

दोस्तो आज के समय मे जिसके पास पैसे है वही इस दुनिया मे अपना जीवन ‌‌‌खुशी के साथ बिता पाता है । पर जिन लोगो के पास पैसे नही होते है उन्हे अपना पेट भरने के लिए भी बहुत ठोकरे खानी पडती है । इस तरह से जिन लोगो ‌‌‌का समय पर पेट नही भर पाता है । उन लोगो को गरीब या निर्धन कहा जाता है । इस तरह से जो भी व्यक्ति निर्धन या गरीब होता है उन लोगो के लिए कहा जाता है की इसके तो हाथ खाली है  । यानि इसके पास कुछ नही है यह गरीब है ।

हाथ खाली होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

हाथ खाली होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌प्रताब के पास इतना अधिक धन था की उसकी सात पुस्ते बैंठ कर खा सकती थी पर उनको जुआ की लत ऐसी लगी की उनका हाथ खाली हो गया ।
  • इतिहास गवाह है की जिसने जुआ और दारू का सेवन किया है उनके हाथ खाली हो जाते है ।
  • खडकसिंह ने लोगो को इतना दान दे दिया की उसके हाथ खाली हो गए ।
  • सरला का पति जब से दारू ‌‌‌पीने लगा है तब से उनका हाथ खाली हो गया ।
  • बुरे लोगो से दोस्ती करने के कारण से नटवरप्रसाद के हाथ खाली हो गए ।
  • हाथ खाली हो जाने के कारण से किसनलाल का पेट भी समय पर नही भरता है ।
  • पहले तो तुमने उस चोर के साथ दोस्ती कर ली और जब हाथ खाली हो गए तब अपने आप को कोस रहे हो ।
  • राजसिंह ने अपने नोकर पर ‌‌‌भरोषा कर कर उसे अपने घर मे अकेला छोड कर चला गया और जब राजसिंह वापस अपने घर आया तो उसे पता चला की उसके नोकर ने मेरे हाथ खाली कर दिए ।

‌‌‌हाथ खाली होना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है लखनलाल नाम का एक आदमी था । उसके घर मे उसकी पत्नी और ‌‌‌पिताजी रहा करते थे । लखनलाल की माता बहुत समय पहले ही मर गई थी। इस कारण से लखनलाल को उसके पिता ने ही पाल पोस कर इतना बडा किया साथ ही अपने पास जो भी ‌‌‌ज्ञान था वह सब लखनलाल को दे दिया ।

‌‌‌लखनलाल के पिता बहुत अमीर थे । उनके पास अपने दादा पडदाओ से कामई करते आने के कारण से इतना अधिक धन हो गया था और उन्होने स्वयं भी काम कर कर बहुत अधिक धन कमाया । अब जब लखनलाल बडा हो गया तो उसके पिता ने उसे भी काम कराने के लिए अपने साथ ले जाने लगे थे ।

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जिसके कारण से बाप बेटो ने पूरे दस वर्षो ‌‌‌तक एक साथ काम कर कर बहुत अधिक धन इखट्ठा कर लिया था । पर बादमे उसके पिता बिमारी से झुझ कर मर गए थे । अब लखनलाल अपने घर मे अपनी पत्नी के साथ ही रहता था । उसे कोई भी कहने वाला नही था की यह मत करो यह करो ।

इस कारण से लखनलाल कभी ‌‌‌कभार काम करने के लिए जाने लगा था । तब उसकी पत्नी ने दो तिन ‌‌‌बार ‌‌‌कहा भी था की आप काम करने के लिए क्यो नही जा रहे हो । तब लखन लाल ने अपनी पत्नी से कहता की हमारे पास इतना पैसा है की हमारी सात पूस्ते बैठ कर खा सकती है ।

इस कारण से मैं तो आराम से अपने पैसो पर राज करूगा । इस तरह से कह कर वह अपनी पत्नी की एक भी बात नही सुनता था । एक दिन की बात है उस दिन ‌‌‌लखनलाल किसी काम से शहर जा रहा था इस कारण से उसने अपने साथ बहुत पैसे ले लिए ।

जब वह शहर चला गया तो उसे वहां पर बहुत अधिक समय बित गया । तब उसे एक आदमी मिला जो लखनलाल का बहुत ही अच्छा दोस्त था । तब उसने लखनलाल को अपने साथ ले गया जहां पर वह जुआ खेलता था ।

जिस दिन लखनलाल उस आदमी के साथ गया उस ‌‌‌दिन वह आदमी बहुत रूपय जीत चुका था । यह देख कर लखनलाल को लालच आने लगा और जब वह घर आ गया तो रात भर यही सोचता रहा की मैं भी जुआ खेलूगा और हार भी कितना सकता हूं मेरे पास पैसो की कोई कमी नही है ।पर जब मैं जीतुगा तो बहुत रूपय हो जाएगे ।

इस तरह से जैसे ही सुबह हुई तो लखनलाल ने अपनी पत्नी से कहा की आज ‌‌‌मैं बहुत पैसे लाउगा और वह भी कमा कर कर । इस तरह से कह कर वह जुआ खेलने के लिए शहर चला गया था ।

वहां पर ‌‌‌उसने दारू भी पी ली और जुआ भी खेला तब लखनलाल उस दिन जुआ में बहुत रूपय जीत कर आया था । इसी तरह से दो तिन दिन तो उसने खूब रूपय जीते पर फिर वह हारने लगा था । अब उसकी ऐसी हालत हो गई थी वह जुआ खेलना ‌‌‌छोड भी नही सकता था ।

जिसके कारण से वह प्रतिदिन जुआ खेलने के लिए शहर चला जाया करता और वहां से फिर हार कर ही आता था । इस तरह से छ महिनो मे ही लखनलाल कगाल हो गया । अब उसके पास एक फुटी कोडी भी नही थी ।

साथ ही उसने जुआ मे अपने घर भी गिरवी रख दिया था जिसके कारण से सेठ ने उन दोनो को घर से ‌‌‌निकाल दिया । जिसके कारण से वे दोनो रोड पर फिरने लगे थे । फिर भी लखनलाल बाज नही आ रहा था वह जुआ खेलने की सोच रहा था ।

तब उसकी पत्नी ने उसका साथ छोड दिया और स्वयं अपने मायके जाकर रहने लगी थी । इस कारण से फिर लखनलाल अकेला ही रह गया था और अपने गाव मे ऐसे ही फिरने लगा था । तब जो भी देखता तो ‌‌‌वह कहता की इसे जुआ की ऐसी लत लगी की इसके हाथ खाली हो गए वरना इसके पास धन की कोई कमी नही थी ।

‌‌‌हाथ खाली होना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

लखनलाल की इस तरह की हालत देख कर गाव के लोग जुआ खेलने की सोच भी नही रहे थे । अब लखनलाल गाव मे भीख माग माग कर खाना खाने लगा था । क्योकी उसने लम्बे समय तब बहुत अधिक शराब का सेवा किया था । जिसके कारण से वह ‌‌‌कमजोर हो गया और उससे मेहन्त का काम नही होता था ।

इस कारण से फिर लखनलाल गलियो मे ऐसे ही रहता था । तब किसी को तरस आ गया और उसने उसे एक छोटी सी कुटिया बनाकर दे दि । जिसके कारण से वह फिर उस कुटिया मे रहने लगा था ।

इस तरह से हाथ खाली हो जाने के कारण से लखनलाल का पेट तक नही भरता था । इस तरह से ‌‌‌इस मुहावरे का अर्थ निर्धन या गरीब होना होता है ‌‌‌जिसके पास एक फुटी कोडी न हो ।

हाथ खाली होना मुहावरे पर निबंध || hath khali hona essay on idioms in Hindi

दोस्तो आज के समय में गरीबी सबसे बड़ी बीमारी होती है क्योकी जो लोग गरीब होते है उनके पास खाने को भी नही मिल पाता है और हमारे अनुसार यह समस्या किसी बीमारी से कम नही है।

दोस्तो आपको बता दे की अगर कोई निर्धन या गरीब है तो उसकी मदद जैसे चाहो वैसे हमे करनी चाहिए । जरूरी नही है की गरीब को पैसे देकर ही मदद की जाए बल्की उसकी मदद सहायता कर कर भी होती है तो किसी न किसी तरह से सहायता अगर गरीब की हो जाए तो यह भी मदद होती है ।

मगर कहते है की गरीब के पास कुछ नही होता है और जिसके पास कुछ होता ही नही है तो उसके हाथो मे आखिर होगा क्या । क्योकी उस समय गरीब के हाथ खाली होगे और इस बात से आपक इस मुहावरे के अर्थ को समझ सकते है की कैसे हाथ खाली होने का अर्थ गरीब से होता है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।