दो पाटों के बीच आना मुहावरे का अर्थ do patte ke beech aana muhavare ka arth – बुरी तरह से फंस जाना ।
दोस्तो आपने आटा चाक्की को देखा होगा की उसके अंदर दो अलग अलग तरह के पत्थर होते है और उन्हे पाट कहा जाता है । इन पाटो के बिच में जब अनाज आता है तो वह बुरी तरह से फंस जाता है । जिसके कारण से उसका सही सलामत निकलना मुश्किल होता है और निकलता है तो उसका कचुम्बर बन जाता है । और इसी तरह से जब मनुष्य दो पाटो के बिच में आ जाता है तो उसका भी निकलना मुश्किल होता है ।
क्योकी वह बुरी तरह से फंस होता है । इसी कारण से दो पाटो के बिच आना मुहावरे का अर्थ बुरी तरह से फंस जाना होता है और इस मुहावरे का वही वाक्य में प्रयोग किया जाता है जहां पर बुरी तरह से फंसने की बात होती है ।
दोपाटोकेबिचआनामुहावरेकेअन्यरूप
दो पाटो के बिच फसना – बुरी तरह से फंसना ।
दो पाटो के बिच होना – बुरी तरह से फंसे होना ।
दोस्तो इन मुहावरो को अन्य रूप मे जाना जाता है मगर इनका अर्थ एक ही होता है और इस मुहावरे का सही रूप दो पाटो के बिच आना होता है ।
class="wp-block-heading">दोपाटोकेबिचआनामुहावरेकावाक्यमेंप्रयोग use in sentence
महेश फायरमेन का काम करता था मगर एक दिन उसके गाव मे ही आग लग गई और महेश को आग भुजाने के लिए मना किया हुआ था महेश तो दो पाटो के बिच में फस गया ।
किशोर का जब से विवाह हुआ है तब से वह न तो अपनी मां का साथ दे पाता है और न ही वह अपनी पत्नी का साथ दे पाता है वह दो पाटो के बिच में फस कर रह गया ।
कंचन अपनी स्कुटी पर जंगल के रास्ते से जा रही थी की अचानक उस पर शेर ने हमला कर दिया जिससे बच कर वह भागने लगी तो एक खाई के पास चली गई अब खाई मे कुदे तो मर और शेर की तरफ जाए तो मरे इसे कहते है दो पाटो के बिच आना ।
जब राहुल को खुन के जुर्म मे पुलिस ने पकड लिया तो मानो राहुल दो पाटो के बिच में आ गया हो ।
पार्वती ने पहले तो पढाई की नही और जब उसका पेपर आया तो उसे लगा की वह दो पाटो के बिच आ गई हो ।
राघवी को 10 कक्षा पास करने मे चार वर्ष हो गए मगर अभी तक उससे 10 वी कक्षा पास नही हुई मानो वह दो पाटो के बिच आ गई हो ।
महावीर ने अपने दोस्त के 11 वी कलाश मे साईस लेने पर उसने भी साईस ले ली मगर फिर उसे पता चला की वह तो दो पाटो के बिच मे आ गया है ।
दोपाटोकेबिचमेआनामुहावरेपरएकआटा चक्की वाले कीकहानी
दोस्तो आज हम एक प्राचीन समय के व्यक्ति की बात करते है जो अपने ही नगर मे आटा चक्की पर काम करता था और अपने लोगो को आटा पिस कर देता था । वह व्यक्ति बडा ही चालाक और बुद्धिवान था जिसके कारण से हर कोई उसे ठग तक नही सकता था ।
वरना उस गाव में ठगाखोर की कोई कमी नही थी जो आटा तो ले लेते थे मगर पैसे नही देते थे । उस व्यक्ति नाम चक्कवीर सिंह था । उसका यह नाम उसके पिता ने ही रखा था क्योकी उसका पिता भी चक्की चलाने का काम करता था ।
एकदिनकीबातहैचक्कवीरसिंहकेपासएकगावकासबसेअधिकपढालिखालडकाआयाजिसकानामराहुलथा।तब चक्कवीर सिंह ने कहा की क्या चाहिए राहुल तो राहुल ने कहा की मैं तुम्हे रोजाना 30 किलो अनाज देता हुं । मगर तुम हर बार मुझे 25 किलो ही आटा देते हो । जिसके अनुसार साल में 60 किलो आटा ऐसे ही नष्ट होता है जो मुझे नही मिलता बल्की तुम उसे रख लेते हो ।
तब चक्कवीर सिंह ने कहा की नही राहुल जो तुम अनाज देते हो उसे पिसने के बदले मैं केवल 5 किलो आटा ही काटता हूं । जो की काट का कट जाता है तो भला मैं तुम्हे 30 किलो कहा से दूगा । क्योकी तुम्हारे घर से अभी तक एक फुटी कोडी भी नही मिली है तो ऐसा करना ही पडता है । तब राहुल ने कहा की नही चक्कवीर ऐसा नही चलेगा भला तुम तो हमे लूटने लगे हो ।
इसके अलावा राहुल ने कहा की पिछली बार ही तो मैंने पैसे दिए थे और तुम कह रहे हो पैसे नही दिए । यह अच्छी बात नही है भला तुम गाव के लोगो को कई दिनो से लूट रहे हो और किसी को पता तक नही ।
तब चक्कवीर सिंह को पता चल गया की यह जरूर मुझे ठगने की कोशिश कर रहा है । तब चक्कवीर सिंह ने अपनी चालाकी दिखाते हुए कहा ठिक है अगर तुम्हारी बात सच है तो गाव के पांच अच्छे लोगो के सामने कह दो मैं तुम्हे कुल 60 किलो आटा नही बल्की 100 किलो आटा दे दूगा ।
ऐसा कहने पर राहुल को लगा की चक्कवीर मेरी बात में फस रहा है जिसके कारण से उसने गाव के पांच लोगो को लेकर आ गया । ये पांच लोग ऐसे थे जो हमेशा ही सच का साथ देने का काम करते थे संक्षिप्त मे कहे तो ये गाव के मुखिया के निचे काम करते थे ।
जब राहुल ने उन लोगो के सामने चक्कवीर से अपना आटा मागा तो चक्कवीर ने उन्ही लोगो से कहा की ताउजी अगर मुझे आटा पिसने के लिए पैसे नही मिलेगे तो मैं आटा काट कर उसे आटा दे देता हू । अगर ऐसा नही करना है तो पैसे तो मिलने ही चाहिए ।
तब राहुल ने कहा की जरा तुम्हारा हिसाब किताब दिखाना मैंने पिछली बार ही पैसे दिए थे। तब राहुल ने चक्कवीर सिंह की हिसाब किताब मे अपना हिसाब दिखा दिया जिसमे साफ लिखा था की राहुल ने पिछली बार पैसे दिए थे । यह देख कर वे पांच लोग बोलने लगे की चक्कवीर तुम तो राहुल को ठगने लगे हो ।
भला यह तुम कब से कर रहे हो न जाने गाव के कितने लोगो को और भी ठग रह हो की नही । यह सुर कर चक्कवीर को बुरा लगा तब उसने अपनी चालाकी दिखाई और उन ही लोगो के सामने हिसाब किताब की गुथ्थी खोल कर रख दी तो उन लोगो और राहुल को पता चला की पिछले 10 वर्षा से इसे एक भी रूपया नही मिला है और इसने पिछले 8 वर्षा तक कोई भी आटा नही काटा है ।
यह देख कर राहुल हैरान हो गया और साथ ही उन पांच लोगो को हकिकत का मालूम पडा । तब चक्कवीर सिंह बोला की आप न्याय करते हो तो मेरे पैसे इससे दिलाओ । तब राहुल कुछ भी बोलने के लायक नही रहा था । बल्की वे पांच लोगो ने राहुल को पैसे देने को कहा ।
तब राहुल ने कहा की मेरे पास इतने रूप नही मिलेगे । तब चक्कवीर सिंह बोल पडा की जब तक यह पैसे नही दे देता मेरे पास ही आटा पिसने का काम करेगा । यह बात उन पांच लोगो को अच्छी लगी और राहुल से कहा की यह ठिक है जब तक पैसे नही उतर जाते तुम इसी के पास काम कर लेना ।
क्योकी राहुल को उनकी बात माननी थी अगर नही मानता तो उसे गाव के लोगो के सामने ले जाकर खडा कर दिया जाता जिससे उसके परिवार की और इज्जत चली जाती । इसी कारण से वह उसके पास ही काम करने लगा था । मगर एक 2 महिने बित गए मगर पैसे नही उतरे और अब राहुल बहुत थक भी गया था । वह इस काम से परेशान होने लगा था ।
मगर इसे छोड भी नही सकता था । तब राहुल को समझ मे आ गया की वह तो अब दो पाटो के बिच आ गया है जिसके कारण से वह इस काम को खत्म करेगा तब तक उसका बुरा हाल हो जाएगा । यह सब चक्कवीर सिंह देखता और बडा खुश होता और कहता की मुझे ठगने के लिए आए थे और अब इस तरह से काम करोगे तो पता चल जाएगा ।
इसके साथ ही जब राहुल अपने घर जाता तो उसके मित्र रास्ते में मिल जाते और उसका मजाक उडाते हुए कहते की राहुल तो आज कल दो पाटो के बिच मे फस गया है । इस तरह से सुन कर राहुल को बडा बुरा लगता था मगर वह क्या कर सकता था ।
करीब 2 वर्ष काम करने के बाद मे वह इस काम से दूर जा सका । यानि दो वर्ष मे जाकर चक्कवीर सिंह के पैसे राहुल उतार पाया था । तब राहुल हर किसी को कहता की भाई चक्कवीर सिंह के पैसे समय पर देते हो तो अच्छा रहेगा वरना मेरी जैसी हालत किसी की भी हो सकती है । इस तरह से राहुल 2 वर्ष के बाद मे आटा पिसने का काम छोड सका ।
इस तरह से आपको इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा की ऐसी मुसीबत मे फसना जिससे निकला आसान न हो ।
दोपाटोकेबिचआनामुहावरेपरनिबंध
साथियो आटा चक्की मे जाकर गेहु बडा पिसता और वह रेत के जैसे होकर बहार आता है और देखने से पता तक नही चलता की गेहू के कितने दाने थे । क्योकी गेहू आटा चक्की के दो पाटो के बिच मे फस गया था जहा पर पिसने के अलावा निकलना मुश्किल होता है । और इस तरह से फसने को बूरी तरह से फसना कहा जाता है ।
इसी तरह से मनुष्य भी कभी कभार अपने जीवन मे ऐसी मुसीबत मे फसता है और उस समय उसे भी यह लगता है की उसका निकलना आसान नही है क्योकी वह भी बुरी तरह से फस गया है । बस इसी तरह की स्थिती के समय इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और कहा जाता है की यह तो बुरी तरह से फस गया है यानि दो पाटो के बिच मे आ गया है ।
इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ आपको आसानी से समझ मे आ गया है । अगर फिर भी किसी प्रकार का प्रशन है तो कमेंट बॉक्स मे पूछना न भूले ।
दो पाटों के बीच आना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of do patte ke beech aana in Hindi
दोस्तो इस मुहावरे को समझना काफी आसान होता है । क्योकी आपको पता है की किसी भी चक्की से अगर हम आटा दलते है । या फिर कुछ अन्र प्रकार का अन्न दलते है तो उस चक्कि में दो तरह के पाट होते है और उनके बिच में आने के बाद ही आटा या फिर दाल दली जा सकती है ।
मगर पाट के बिच मे जो अन्न आता है वह असल में उन दोनो पाट के बिच में बुरी तरह से फंस जाता है और इसी बात से आप समझ ले की do patte ke beech aana muhavare ka arth – बुरी तरह से फंस जाना होता है ।
और इसका मलतब यह हुआ की जहां पर बुरी तरह से फंस जाने की बात होती है वहां पर आप इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग कर सकते है ।
मेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।