हाथ धोकर पीछे पड़ना का अर्थ ‌‌‌और वाक्य और एक प्रसिद्ध कहानी

हाथ धोकर पीछे पड़ना मुहावरे का अर्थ hath dhokar piche padna muhavare ka arth – किसी कार्य में जी जान से लगना ।

दोस्तो आज के समय में जो लोग उधार धन लेते है उनके साथ कुछ ऐसा ही होता है । मान लो की एक व्यक्ति है जो किसी सेठ से उधार ले लेता है । मगर सेठ को वह बार बार कहने पर भी पैसे समय पर वापस नही ‌‌‌दे रहा है तो ऐसी स्थिति के अंदर फिर जब भी वह व्यक्ति सेठ को देखता है तो उसने छूपने लग जाता है उनसे दूर भागने लग जाता है । और सेठ को कुछ समझ में नही आता है ।

 और अंत में सेठ थक हार कर उस व्यक्ति से पैसे निकालने के लिए उसके पिछे पड़ जाता है । और जब तक पीछा नही छोड़ता है जब तक की सारा ‌‌‌उधार वापस न मिल जाए । तो ऐसी स्थिति के अंदर सेठ के लिए कहा जा सकता है की वह उधार वापस लेने के लिए जी जान से लग जाता है ।

तो इस तरह से अध्ययन में भी होता है । आज के समय जब बच्चे नोकरी की तैयारी करते है तो कई वर्षों तक इसी तरह से दिन रात करते हुए तैयारी करते है । आपने देखा होगा की बहुत से ‌‌‌लोग ऐसे होते है जो की जब तक नोकरी हासिल नही हो जाती है नोकरी हासिल करने के लिए जी जान से लगे रहते है । तो इसी तरह से किसी भी कार्य में जी जान से लगने को हाथ धो कर पीछे पड़ना कहा जाता है ।

class="wp-block-image size-large">हाथ धोकर पीछे पड़ना का अर्थ ‌‌‌और वाक्य और एक प्रसिद्ध कहानी

‌‌‌हाथ धो कर पीछे पड़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • सेठजी पहले तो आप लोगो को उधार दे देते हो और जब समय पर वापस नही मिलता है तो हाथ धो कर पीछे पड़ जाते हो ।
  • अगर सेठजी का उधार सही समय पर वापस नही दिया तो सेठजी तुम्हारे हाथ धो कर पीछे पड़ जाएगे ।
  • ‌‌‌अपराधी बेवजह ही किसन का अंत करने के लिए हाथ धो कर पीछे पड़ा है ।
  • घनश्याम जी कलेक्टर साहब से अपना काम करवाने के लिए हाथ धो कर पीछे पड़ गए है ।
  • रामू नोकरी हासिल करने के लिए दिन रात अध्ययन करता है जिसे देख कर मानो की वह तो नोकरी के हाथ धो कर पीछे पड़ गया हो ।
  • जब तक नोकरी नही मिल जाती ‌‌‌है हाथ धो कर पीछे पड़ा रहुंगा ।
  • लूटेरो का साथ देने के कारण से रामलाल को पकड़े के लिए पुलिस हाथ धो कर पीछे पड़ी है  ।
  • सरकार का आदेश आया है की गुंडे लोगो का जब तक अंत नही हो जाता है तब तक उनके हाथ धो कर पीछे पड़े रहो ।

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हाथ धो कर पीछे पड़ना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌कुछ वर्षों पहले की बात है घनश्याम नाम का एक व्यक्ति हुआ करता था जो की कारोबार से धन लेने और देने का काम करता था । घनश्याम को लोग सेठ के नाम से बुलाया करते थे । क्योकी वह एक तरह से सेठ ही था जो की अपने कार्य को करते हुए आराम से बेठा रहता था ।

कहने का अर्थ है की उसके पास अनेक तरह के काम होते ‌‌‌थे । जिनको करने वाले भी बहुत होते थे क्योकी सेठ ने अनेक लोगो को मजदूरी पर रख रखा था । तो उन सभी लोगो से सेठ काम करवाता और स्वयं हिसाब किताब का काम कर लिया करता था । इस तरह से सेठ का जीवन बड़ी मोज में चल रहा था ।

मगर वह उधार लेने देने का जब से काम शुरू कर चुका था उसके जीवन में शांति नही ‌‌‌थी। क्योकी कोई भी उसे समय पर पैसे नही देता था । अब सेठ बड़ा दयालु आदमी रहा था तो वह किसी को भी मना नही कर पाता था । और इस बात का नतिजा यह होता था की लोग फायदा उठा कर सेठ से धन ले लेते थे । और सेठ इस बात को समझ नही पाता था । और अंत में यही होता की सेठ के पास समय पर पैसे नही आते थे ।

यह सब देख ‌‌‌कर सेठ ने एक तरकीब सोची की अगर जो भी धन लेने के लिए आता है तो धन के बादले में उससे घर की जमीन के कागजात माग लेगे । जिससे वह जब तक धन नही देगा उसकी जमीन हमारे पास रहेगी । और धन न मिलने का डर भीनही रहेगा ।

इस बात को अगले ही दिन से सेठ ने लागू कर दिया । जिसके कारण से जब लोगो को यह पता चला तो ‌‌‌पहले तो कुछ को छोड़ कर सभी ने उधार लेना बंद कर दिया । मगर समय के साथ फिर से लोग उधार लेने लगे थे और बदले में अपने घर के कागजात दे देते थे । इस तरह से सेठ का जीवन कुछ सुधरा था । मगर अब भी पहले वाली समस्या देखने को मिलने लगी थी । की सेठ को समय पर उधार दिया हुआ वापस नही मिलता था ।

जिसके कारण ‌‌‌से सेठ परेशान हो चुका था । कुछ समय इसी तरह से चलता रहा मगर अंत में जो लोग सेठ को पैसे नही देते थे तो उनके घर को अपने पास ले लेता था । ऐसा करने के कारण से लोग सेठ से उधार लेते तो समय पर वापस धन देने लगे थे । यह देख कर सेठ काफी खुश था ।

 मगर दोस्तो आपको मालूम है की गाव में एक दो व्यक्ति तो ऐसे ‌‌‌होते ही है जो की पूरे के पूरे हरामी किसम के होते है । कहने का मतलब है की वे पूरे के पूरे विपरित होते है । और उसी गाव में एक व्यक्ति ऐसा था जिसका नाम बलवंत था । हालाकी नाम जीतना अच्छा लग रहा है वह उतना ही गलत था । लेकीन सेठ ने उसे अच्छा समझ रखा था । मगर एक बार सेठ को भी इस बारे में पता चल ‌‌‌गया था । क्योकी सेठ की नाक  में बंलवत ने दम कर रखा था ।

बात कुछ ऐसी थी की एक बार बलवंत सेठ के पास आता है और सेठ से कहता है की सेठ जी आज 20 हजार रूपय चाहिए । क्योकी जैसा की हमने बताया की सेठ को बलवंत के बारे में पता नही था तो उसने तुरन्त पैसे दे दिए और बलवंत से कहा की भाई तुम अपने विश्वासदार ‌‌‌आदमी हो तो मैं तुमसे बदल में कुछ नही ले रहा हूं ।

बस तुमको समय पर उधार और उसका ब्याज दे देना । दरसल आपको बता दे की बलवंत ने एक वर्ष के लिए सेठ के पास मजदूरी पर काम किया था और इसी कारण से सेठ ने बलवंत को तुरन्त पैसे दे दिए ।

हाथ धो कर पीछे पड़ना मुहावरे पर कहानी

मगर मित्र इस बात का नतिजा यह हुआ की सेठ को काफी परेशानियो का ‌‌‌सामना करना पड़ गया था ।

दरसल जब सेठ को पैसे दिए हुए छ महिने हुए थे तो वह बलवंत को अपने पास बुलाता है और पैसे वापस देने को कहता है । तब बलवंत कहता है की सेठ जी दो महिनो का समय दे दो । इस तरह से फिर सेठ ने दो महिनो का समय दे दिया । मगर अगले दो महिनो के बाद में जब सेठ बलवंत को अपने पास बुलाता ‌‌‌है तो बलवंत सेठ के पास ही नही आता है ।

तब सेठ को कुछ गलत लगता है । और अगले ही दिन स्वयं बलवंत के घर चला जाता है और पैसे की बात करता है । इस पर बलवंत क्रोधित हो जाता है क्योकी वह कहता है की आपके पैसे समय पर मिल जाएगे घर आने की क्या जरूरत थी । यह बात बलवंत को बुरी लगी । और सेठ को भी बुरी लगी ‌‌‌।

मगर सेठ ने 10 दिनो का समय देकर कहा की अगर 10 दिन में पैसे नही मिले तो फिर घर पर क्या तुम जहां पर जाओगे वहां तुम्हारे पीछे आ जाउगा । तब बलवंत ने कहा की कल ही अपने पैसे ले लेना । यह सुन कर सेठ वहां से चला गया । अब कल क्या दस दिन भी बित चुके थे मगर पैसे नही मिले । यानि सेठ ने जो उधार बलवंत ‌‌‌को दिया था वह वापस नही मिला था ।

 जिसके कारण से अंत में एक सेवक ने सेठ से कहा की महाराज आपने जैसा की बलवंत को कहा था की अगर दस दिन में पैसे नही मिले तो तुम जहां पर जाओेगे वही पर तुम्हारे पीछे आउगा तो आपको वही करना होगा । क्योकी अगर आप ऐसा नही करते हो तो वह आपको पैसे नही देगा ।

सेवक की बात ‌‌‌सुन कर सेठ को भी वह बात याद आ जाती है और सेठ ने अपना सारा काम छोड़ दिया और बलवंत के पीछे लग गया । अब बलवंत जहां पर भी जा रहा था सेठ उसके पीछे पीछे जाता और कहता की उधार कब दे रहे हो । अब बलवंत चाहे किसी से भी बात कर रहा होता था सेठ को इससे कोई फर्क नही पड़ता और वह उसी व्यक्ति के सामने बलवंत से ‌‌‌उधार वापस देने को कहता था ।

इस तरह से बलवंत जो काम करता था वह भी उसका छूट गया था । कुल 6 दिन ऐसे ही चलता रहा था और इस बारे में पूरे गाव में बात फैल गई । जिसके कारण से सभी कहते की सेठ तो बलवंत से उधार वापस लेने के लिए हाथ धो कर पीछे पड़ा है ।

और जब बलवंत थक हार गया तो वह अपने दोस्तो ‌‌‌के पास जाता है और कहता है की भाई जब तक सेठ का उधार वापस नही दे देता तब तक वह इसी तरह से हाथ धो कर पीछे पड़ा रहेगा ।

तब उसके साथियो ने कहा की जल्द से जल्द उसका धन दे दो । क्योकी इससे तुम्हारी ही इज्जत नष्ट हो रही है । तुम जो भी काम करते हो वह तुमसे छीन लिया जा रहा है । यह सुन कर बलवंत को ‌‌‌को समझ में आ जाता है की उसके अपने काम से निकाल दिया गया है ।

तब बलवंत उसी समय अपने मित्रो को कुछ पैसे देने को कहता है मगर वह नही देते है । तो अंत में वह अपनी पत्नी के पास जाता है ओर पैसे लेकर सेठ के पास चला जाता है । उस समय रात हो रही थी मगर बलवंत अब इतना परेशान हो गया था की सेठ को उसी समय ‌‌‌उधार वापस देने लगा । दरसल ज्यादा रात भी नही थी बल्की सेठ तो अपने कार्य में लगा था और सभी लोग अभी अपने घर आ रहे थे ।

कहने का अर्थ है की रात हो रही थी । तो बलवंत सेठ के पास जाता है और अपना उधार वापस चुका कर सेठ से कहता है की तुम तो बड़े खराब आदमी हो किसी की स्थिति नही देखते हो बल्की उसके हाथ ‌‌‌धो कर पीछे पड़ जाते हो । तब सेठ भी कहता है की यही कारण है की तुमने आज पैसे दे दिए वना कभी पैसे नही देते थे ।

इतना सुन कर बलवंत वहां से चला गया औ सेठ भी अपना काम करने लगा था । इसके बदमें सेठ ने कभी भी बलवंत को पैसे उधार नही दिए थे ।

इसके अलावा सेठ को यह बात मालूम ‌‌‌चला की अगर कोई उधार समय पर नही ‌‌‌देता है तो फिर उसके पीछे हाथ धो कर पड़ जाना चाहिए और यही सही है । इस तरह से फिर सेठ ऐसा ही करता था और इसी कारण से हमेशा फिर सेठ का उधार समय पर वापस आ जाता था ।

हाथ धो कर पीछे पड़ना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो एक व्यक्ति होता है जो की खाना खाने के बाद में हाथ धो लेता है और जो भी दिखता है   ‌‌‌उसका पीछा करने लग जाता है । तो इसका मतलब ऐसा बिल्कुल नही होता है ।

हाथ धो कर पीछे पड़ना मुहावरे पर कहानी

बल्की आपको पता होना चाहिए की यह एक मुहावरा है जो की अपने अंदर एक विशेष अर्थ को छिपाए रखता है । आपको बता दे की हम जब भी किसी तरह का शुभ काम करते है तो सबसे पहले हाथ धोते है और जब तक वह कार्य पूरा नही हो जाता है तब तक उसे ‌‌‌करते रहते है । ऐसा आप भी करते हो ।

ठिक वैसे ही जब कोई व्यक्ति नोकरी हासिल करने के लिए कड़ी मेहन्त करता है तो वह दिन रात इसी तरह से लगा रहता है । तो इसे हाथ धो कर पीछे पड़ना कह सकते है । क्योकी असल में इस मुहावरे का अर्थ होता है की किसी कार्य को पूरा करने के लिए जी जान से लगे रहना । और ‌‌‌अध्ययन में इसी तरह से जी जान से लगा जाता है तब जाकर वह नोकरी हासिल होती है । तो इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ क्या है आप समझ सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।