अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का अर्थ ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet muhavare ka arth – समय बित जाने पर पछताना बेकार (व्यर्थ) है

दोस्तो जब खेत मे बिज बोते है तो चिडिया अपना पेट भरने के लिए उन बिज को खाने लगती है । तब अपने खेत मे फसल ‌‌‌को बचाने के लिए उन चिडियों को वहां से उडान पडता है । परन्तु उस समय अगर कोई व्यक्ति चिडिया नही उडाता है तो उसकी फसल अच्छी नही बनती ।

तब जाकर वह व्यक्ति उस समय चिडिया न उडाने पर पछताता है और सोचता है की ‌‌‌मैंने अगर उस समय अपने खेत से चिडिया उडा ‌‌‌दी होती तो आज मेरे खेत मे फसल अच्छी होती । ‌‌‌मगर अब पछताने से थोडे फसल अच्छी हो जाएगी । अब पछताना तो व्यर्थ ही हुआ । इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी कारण से समय बित जाने के बाद पछताता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet muhavare ka vaaky me prayog

  • साथियो के चक्कर मे पढाई कुछ की नही और जब राम पेपर देने के लिए गया तो पछताने लगा ‌‌‌सच है अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत ।
  • एक गलती से रामू का सारा धन चोरी हो गया और जब रामू को इस बारे मे पता चला तो वह बैठ कर रोने लगा तब मैंने कहा भाई अब पछातए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत ।
  • धनसेठ ने जिस कंपनी पर अपने रूपय लगाए थे वह कंपनी ‌‌‌डूब गई तो धनसेठ उदास होकर अपने किए पर ‌‌‌पछताने गला तब उसके भाई ने उसे समझाया की अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत ।
  • किसन की मदद करने के लिए हरीदेव ने बिना सोचे समझ रूपय उधार दे दिए परन्तु जब हरीदेव के पैसे वापस नही मिले तो हरीदेव अपने किए पर पछताने लगा परन्तु अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत ।
  • अगर तुमने पहले ही ‌‌‌ध्यान रखा होता तो तुम्हे कोरोना कभी नही होता अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत ।
  • ‌‌‌जब राजेश को शराब की लत ने बर्बाद कर दिया तो राजेश अपने किए पर पछताने लगा तब उसकी पत्नी ने कहा अब पछताए होत क्या जब चिडियां चुग गई खेत ।

अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत मुहावरे पर ‌‌‌कहानी ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक किसान रहा करता था । उस किसान का नाम गुलचंद था । गुलचंद बहुत ही अच्छा किसान होने के कारण से उसके खेत मे बहुत ही अच्छी फसल हुआ करती थी । जिसे देख कर आस पास के लोग गुलचंद से जला करते थे ।

परन्तु जब गुलचंद ने अपने खेत मे बिज ‌‌‌बोने के बाद से वह अपने ‌‌‌खेत की हिफाजत करने के लिए वही पर रहता था । जिससे चिडिया भी उसके खेत से दाने नही चुग पाती थी। परन्तु उसके आस पास के खेत के लोग खेत मे बिज बोने के बाद दिखाई ही नही ‌‌‌देते थें ।

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जिसके कारण से खेत मे जो बिज बोए थे वे चिडिया चुगती रहती थी । यही कारण आस पास के लोगो के खेतो मे फसल ‌‌‌कम होने का था । इस बारे मे किसी को पता नही था । यह तो एक गुलचंद ही जानता था । परन्तु एक बार उसने अपने पडोस के खेत वाले को काफी दुखी देखा तो वह उसके पास चला गया ।

उसके पास जाकर गुलचंद ने पूछा की भाई क्या हुआ तुम इतने दुखी ‌‌‌क्यो हो । तब उस आदमी ने कहा की क्या करू मैं हर बार अपने खेत मे फसल बोता ‌‌‌हूं और मेरी फसल अच्छी नही होती है । तब गुलचंद ने उसे समझाया की भाई जब तुमने अपने खेत मे फसल बोई थी उसी समय से अपने खेती की हिफाजत करना ‌‌‌शुरू कर देते ।

क्योकी चिडिया आज के समय मे बहुत अधिक है वह तेरे द्वारा बोए गए बिजो को खा जाती है । यह सुन कर वह आदमी अपने आप के किए पर पछताने लगा । तब यह देख कर गुलचंद ने ‌‌‌कहा अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत । यह सुन कर वह आदमी समझ गया और उसने अगले वर्ष जैसे ही अपने खेत मे बिज बोए तो उसकी हिफाजत शुरू कर दी ।

जिसके कारण से उसके खेत से चिडिया बिजो को नही खा सकी । और समय आने पर उसके खेत मे भी बहुत अच्छी फसल पैदा हो गई । इतनी अच्छी फसल होने के कारण से उस ‌‌‌आदमी ने गुलंचद का बहुत बहुत धन्यवाद किया । इस तरह से फिर वह आदमी अपने खेत की हिफाजत मे लग जाता था ।

इसी तरह से एक बार की बात और है गुलचंद बिमार पड गया था । जिसके कारण से उसका बेटा ही अपने खेत का ध्यान रखने वाला था। तब उसके बेटे ने ही अपने खेत मे बिज बोए । परन्तु बिज बोने के बाद मे ‌‌‌वह अपने पिता से कहकर चला जाता की मैं खेत मे जा रहा हूं । और वह बाहर जाकर लडको के साथ मोज मस्ती किया करता था ।

जिसके कारण से पिछे से चिडिया गुलचंद के बेटे के द्वारा बोए गए बिजो को चुगती रही । जिसके कारण से अब गुलचंद के बेटे के खेत मे फसल बहुत ही खराब दिखाई दे रही थी । जब फसल पूरी तरह से पक ‌‌‌गई तब भी गुलचंद ‌‌‌के बेटे ने उसे समय पर नही ‌‌‌निकाला और अनाज निकालने के बाद भी दो तिन दिनो तक वही रही ।

जिसके कारण से चिडियो ने उसका बहुत नुकसान ‌‌‌कर दिया । जब गुलचंद के बेटे ने देखा की उसकी फसल तो बहुत ही बेकार हुई है तभी उसकी नजर उस आदमी पर पडी । जिसे गुलचंद ने बताया था की खेती करते समय पूरा ध्यान रखना चाहिए । ‌‌‌उस आदमी की फसल बहुत ही अच्छी थी ।

अब गुलचंद भी ठिक होने लगा था । जिसके कारण से वह भी अपनी फसल देखने के लिए गया । तब उसे पता चला की बेटे की गलतियो की वजह से अबकी बार उसका बहुत बडा नुकसान हो गया । यानि उसकी फसल अच्छी नही हुई । तभी उसकी नजर अपने बेटे पर पडी ।

वह एक पेड के निचे बैठ कर रो रहा ‌‌‌था । यह देख कर वह उसके पास चला गया । पास जागर ‌‌‌गुलचंद ने अपने बेटे से पूछा की तुम किस कारण से रो रहे हो । तब उसने कहा की पिताजी मेरी फसल अच्छी नही हुई है । तब गुलचंद ने कहा की कोई बात नही अगर फसल अच्छी नही हुई है तो अब पचछाए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत

इस तरह से फिर गुलचंद ने अपने बेटे ‌‌‌को संभाला और अगली बार अपने साथ खेती कराने लगा । तब गुलचंद के बेटे को लगने लगा की पिताजी तो बेवजह ही मेहन्त करा रहे है । परन्तु जब फसल अच्छी हुई तो उसे भी लगा की ‌‌‌सच मे मैने जो मेहन्त की है यह उसी का नतिजा है।

अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत मुहावरे पर ‌‌‌कहानी ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet muhavare par kahani

इस तरह से फिर गुलचंद के बेटे को पता चल गया की उसने मोज मस्ती कर कर अपनी फसल को ‌‌‌चिडियो को चुगा दी । इस तरह से फिर जब भी गुलचंद का बेटा खेती करता तो वह अपने पिता की तरह मेहन्त करने लगा ‌‌‌। जिसके कारण से गुलचंद के बेटे के खेत मे अच्छी फसल पैदा होने लगी ।

इस तरह से फिर गुलचंद और उसके बेटा का जीवन अच्छी तरह से चलने लगा था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अब पछताए होत क्या जब ‌‌‌चिडियां चुग गई खेत मुहावरे पर निबंध ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet muhavare par nibandh

साथियो आपने उपर कहानी मे ‌‌‌पढा था की गुलचंद के बेटे ने समय पर तो अपनी फसल का ख्याल रखा नही और जब फसल अच्छी नही हुई तो पछताने लगा था । इसी तरह से अनेक ऐसे लोग है जो किसी कारण से समय निकल जाने के बाद पछताने लगते है । इसे ही अब पछताए होत क्या जब चिडिया ‌‌‌चुग गई खेत कहा जाता है।

क्योकी मनुष्य अपने जीवन मे पहले तो कुछ करता नही है परन्तु समय निकल जाने के बाद मे सोचने लगता है की मैने अगर उस समय ऐसा कर लिया होता तो आज मै क्या से क्या बन जाता है ।

इस तरह से वह फिर अपने किए पर पछताता है । परन्तु उन्हे समय निकलने पर ही इस बात का ज्ञान हो ‌‌‌पाता है । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet in Hindi

दोस्तो एक किसान के सामने सबसे बड़ी परेशानी की बात करे तो वह चिड़िया नही होगी बल्की ​बड़ी परेशानी पानी की कमी होना होगा ।

मगर वही पर किसान के जीवन की बात करे तो उसका जीवन खेत में बीज बोने से शुरू होती है ओर जब खेत में बीज बोया जाता है तो उस बीज का खेत में रहना जरूरी होता है क्योकी अगर बीज ही नही रहेगा तो कितना भी पानी खेत मे डाल क्यों न दिया जाए फसल तैयार नही होगी ।

मगर वही पर खेत में बीज बोने के बाद में चिड़िया उसे चुगने के लिए आ जाती है इस कारण से उसे किसान को अपने खेत से उड़ाकर बाहर निकालना होता है । मगर जो किसान ऐसा नही करता है उसकी पूरी फसल को चिड़िया नष्ट कर देती है मतलब बीज को चुग जाती हे ओर फसल नही उग पाती है ।

तो जो चिड़िया को नही उड़ाता है वह समय आने पर बहुत ही अधिक पछताने लग जाता है ओर उस समय कहा जाता है की अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत और इसी बात से आप यह समझ ले की ab pachtaye hot kya jab chidiya chug gayi khet muhavare ka arth – समय बित जाने पर पछताना बेकार (व्यर्थ) है होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।