घर की मुर्गी दाल बराबर का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे का अर्थ ghar ki murgi daal barabar muhavare ka arth – घर में जो वस्तु है उसका महत्व नही होना

दोस्तो आपने देखा होगा की जब भी कोई व्यक्ति खाने के लिए किसी सब्जी को ‌‌‌शहर से लाता है तो उसे बडे चाव के साथ खाता है और उसे जरा भी फिजूल नही जाने ‌‌‌देता है । क्योकी उस सब्जी को लाने मे बहुत पैसे खर्च हुए थे इस कारण से उस सब्जी का बहुत ही महत्व होता है ।

पर इसी के विपरीत घर मे मिलने वाली साधारण सी दाल को भी मानव जरा भी महत्व नही देता है । उसे फिजूल भी जाने देता है । क्योकी उस दाल को लाने मे उसके पैसे जो नही लगे ।

इसी तरह से ‌‌‌मास खाने वाले लोग दुकानो से मुर्गी लाकर खाते है और जिसके कारण से उसका बहुत ही महत्व होता है । मगर वही मुर्गी अगर घर मे हो तो मानव उसका महत्व न कर कर अनाप सनाम खाता है और फिजूल भी कर देता है । इस तरह से घर मे दाल और मुर्गी समान हो जाती है । इसी कारण से कहा गया है की घर की मुर्गी दाल बराबर ।

घर की मुर्गी दाल बराबर का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">‌‌‌घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग ghar ki murgi daal barabar muhavare ka vakya me prayog
  • महेश ज्ञानी होने के कारण से उसने विधालय मे कई ट्रॉफी जीती जिसके कारण उसका नाम पुरे विधालय मे छाया हुआ है पर महेश के घर के लोग उसे मुर्ख ही कहते है सच कहा घर की मुर्गी दाल बराबर ।
  • जब से रामवतार अपने घर मे सब्जी उगाकर खाने लगा तो उसके घर के ‌‌‌लोग सब्जी को बहुत वेस्ट करने लगे मगर जब शहर से कुछ सब्जी लाते तो उसे भी बचा बचा कर खाते थे तब रामवतार को समझ मे आ गया की घर की मुर्गी दाल बराबर होती है ।
  • पैसे देकर लाई हुई चिज की सभी इज्जत करते है पर अगर वही घर में ऐसे ही मिल जाती है तो कोई उसकी कदर नही करते इसे कहते है घर की मुर्गी दाल बराबर‌‌‌।
  • सरला का अचार तो पूरे गाव मे पसिद्ध है पर घर मे उसका आचार किसी को अच्छा नही लगता इसे कहते है घर की मुर्गी दाल बराबर ।
  • बहार से लाई गई पानी जैसे दाल सभी को अच्छी लगती है पर घर मे बनी असली दाल किसी को अच्छी नही लगती इसे कहते है घर की मुर्गी दाल बराबर ।
  • किसन जब होटल जाकर खाना खाकर आया तो उसने ‌‌‌खाने की बहुत ज्यादा तारीफ की मगर घर मे बने छोले बटूरो की सब्जी खाने पर भी उसे बिल्कुल अच्छी नही लगी सच कहा है घर की मुर्गी दाल बराबर ।

‌‌‌घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे पर कहानी ghar ki murgi daal barabar muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी गनर मे एक धनवान परीवार रहा करता था । जिस घर मे मुखिया का नाम सलिम था । सलिम बहुत ही सरल स्वभाव का था और अपने आप को कभी उच्चा नही बताता था । वह गरीबो की तरह ही रहता था ।

इस तरह से उसके घर मे दो बेटे थे । इसके अलावा ‌‌‌सलिम के घर मे उकसी पत्नी और रहा करती थी । इस तरह से सलिम का परिवार ज्यादा बडा नही था । सलिम के पास पैसो की कोई कमी नही थी इस कारण से वह कभी कभी अपने घर मे मुर्गी खाने के लिए लेकर आ जाता था ।

इस तरह से वह अपने बेटो को भी मुर्गी खिलाता । जिसके कारण से सलिम के बेटे बडे होने के साथ साथ उनकी ‌‌‌मुर्गी खाने की इच्छा बढने लगी थी । तब सलिम भी अपने बेटो की ख्वाहिश पूरी करने के लिए मुर्गी अब और भी ज्यादा लाने लगा था ।

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पर मुर्गी उस समय आस पास कोई रखता नही था जिसके कारण से उसे लाने के लिए शहर जाना पडता था । और शहर जाने के लिए भी साधन बहुत ही कम थे जो बहुत रूपय लेते थे । इसी तरह से ‌‌‌मुर्गी देने वाला भी मुर्गी का काफी अधिक रूपय देता था ।

जिसके कारण से समिल को लगने लगा की अगर इसी तरह से मैं मुर्गी लाता रहूगा तो मेरे पास पैसे नही बचेगे । इस तरह से फिर सलिम अपने बेटो की बात नही मानता और दो सप्ताह मे एक बार मुर्गी लाने लगा ।

जब सलिम के बेटे बडे हो गए तब भी वह इसी तरह ‌‌‌से मुर्गी लाता था । इस कारण से एक दिन उसके बेटो ने कहा की आप मुर्गी रोजाना लेकर आ जाया करो । यह सुन कर सलिम ने कहा की बेटो अगर मैं मुर्गी रोजाना लेकर आ जाउगा तो हम और कुछ भी नही कर सकेगे ।

इस तरह से कहने पर सलिम के बेटो को उसकी बात समझ मे नही आई । इस कारण से एक दिन फिर जब सलिम को उसके बेटो ने ‌‌‌कहा की आप मुर्गी रोजान लेकर आ जाया करो ।

तब सलिम ने अपने बेटो कहा की बेटो तुम एक काम करो की एक दिन मेरे काम पर चले जाओ और अगले ही दिन उन पैसो की मुर्गी लेकर आ जाना । इस तरह से कहने पर बेटे मुर्गी के लालच मे काम पर चले गए ।

वहा पर सलिम जो काम करात था उसके दोनो बेटे मिलकर करने लगे थे । इस तरह ‌‌‌उन्हे काम करने ‌‌‌के करण बहुत कष्टों का सामना करना पडा । पर जब रात्री होते ही पैसे दिखे तो उनकी थकावट दूर हो गई ।

इस कारण से फिर पैसे लेकर दोनो भाई अगले ही दिन शहर जाकर मुर्गी लाने की बात करने लगे थे । तब दोनो आपस मे बात कर रहे थे की इतने पैसो की तो तिन चार मुर्गी आ जाएगी । इसी तरह से जब अगले ‌‌‌दिन दोनो भाई मुर्गी लाने के लिए शहर गए तो उनके आधे पैसे तो किराय मे ही लग गए थे ।

और बाकी आधे रूपयो से केवल एक छोटी मुर्गी ही मिल सकी । इस कारण से जब वे दोनो भाई मुर्गी लेकर घर आ गए तो उन्हे पता चला की आखिर मुर्गी लाना कितना कठिन होता है । एक दिन की कमाई तो एक छोटी सी मुर्गी मे ही चली ‌‌‌जाती है ।

इस तरह से फिर दोनो भाईयो ने अपने मां से मुर्गी बनवाई और थोडा थोडा खाकर अपना पेट भरने लगे और साथ ही अपने माता पिता से कहते की इसे वेस्ट मत करना कल और खा लेगे । इस तरह से फिर वे उसी मुर्गी को महत्व देने लगे और उसे बचा बचा कर खाने लगे थे ।

इस तरह से फिर दोनो भाईयो ने योजना बनाई की ‌‌‌अगर वे दोनो मुर्गी की दुकान खोल लेगे तो उन्हे कितना लाभ होगा । इसी सोच के साथ उन दोनो ने अपने पिता से पेसे लेकर मुर्गी बेचने का काम शुरू कर दिया था । जिसके कारण से उन्हे बहुत ही पैसे मिलते थे ।

साथ ही वे सभी रोजाना आराम से मूर्गी खाते थे फिर भी उन्हे पैसो के कम होने की फिकर नही थी। इसी ‌‌‌तरह से जो भी कोई ‌‌‌मेहमान उनके घर आता तो वे उसे भी मुर्खी खिलाते थे । इस तरह से एक बार सलिम के घर मे छोटा सा फकसन था ।

जिसके कारण से उसके परिवार के सभी ‌‌‌मेहमान उसके घर मे आए थे । तब सलिम उन सभी को मुर्गी खिलाने लगा था । यह देख कर कुछ लोग आपस मे बात करने लगे की यह इतने बडे परिवार को मुर्गी खिलाता ‌‌‌है।

इसे क्या मुर्गी की किमत के बारे मे पता नही है क्या । अगर यह इसी तरह से मुर्गी खिलाएगा तो यह कगाल हो जाएगा । पर अगले दिन ‌‌‌फिर जब उन सभी को मुर्गी मिली तो वे फिर ‌‌‌से ऐसी ही बात करने लगे थे ।

तब उन्होने गाव के किसी आदमी से इस बारे मे बात की तो उन्होने कहा की इनकी मुर्गी की दुकान है । यह सुनते ‌‌‌ही मेहमानो को समझ मे आ गया की इनके लिए तो मुर्गी को खिलाना घर की मुर्गी दाल बराबर है ।

क्योकी इनके पास तो मुर्गी की दुकान है जिसके कारण से इन्हे ज्यादा नुकसान नही होता । इस तरह से फिर सलिम के मेहमानो को पता चल गया की जिस किसी के घर मे कोई वस्तु होती है तो वह उसके महत्व के बारे मे नही ‌‌‌सोचता है । इसी तरह से आपको भी पता चल गया होगो की घर की मुर्गी दाल बराबर का अर्थ क्या होता है ।

घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे पर निबंध ghar ki murgi daal barabar muhavare par nibandh

साथियो कहा जाता है की जो भी वस्तु घर मे होती है उसके महत्व के बारे मे कोई नही सोचता और उसे अनउपयोगी की तरह स्तेमाल की जाती है या ‌‌‌वेस्ट की जाती ‌‌‌है । चाहे फिर उस वस्तु की किमत भी ‌‌‌अधिक क्यो न हो ।

इस तरह से घर मे जो वस्तु होती है उसका महत्व नही होने को ही घर की मुर्गी दाल बराबर कहा जाता है । इस तरह से आपको इस मुहावरे के बारे मे अच्छी तरह से पता चल गया होगा ।

घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ghar ki murgi daal barabar in Hindi

दाल एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में हम भा​रतिय अच्छी तरह से जानते है । क्योकी दाल खाना सभी को पसंद है ओर सभी को पता है की यह एक तरह की सब्जी है जिसे खाया जाता है और साथ ही इसी दाल का उपयोग पकोड़े बनाने के लिए भी किया जाता है ।

दाल कई तरह की होती है और सभी दाल का उपयोग सब्जी बनाकर खाने के लिए होता है हालाकी अन्य रूप में भी होता है जैसे की आपको पता है की चना जो होता है उसी को पीसने पर बेसन बनती है ओर उसी को आधा पीसने पर चने की दाल बनती है और इसी तरह से दाल बनती है ।

अब भारत में गांव में रहने वाले लोगो के पास और​​ जिनके पास खेत है उनके पास इस दाल की कोई कमी नही है । मगर फिर भी दाल उन्हे पसंद नही आती है तो कहते है की अगर घर में दाल है तो वह पसंद नही है और वही दाल अगर दूकान से लेकर खाया जाए तो पसंद आती है ओर ठिक यही मुर्गी के​ लिए कहा जाता है की मुर्गी अगर घर की है तो वह पसंद नही आती है वही पर अगर मुर्गी शहर से लेकर आया जाए तो वह पसंद आती है और इस बात से आप समझ सकते है की ghar ki murgi daal barabar muhavare ka arth – घर में जो वस्तु है उसका महत्व नही होना होता है ।

‌‌‌ऐसे मुहावरों की लिस्ट की लींक निचे दी जा रही है जो बहुत बार अनेक स्थानो पर प्रयोग मे बाती है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।