हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे का अर्थ hath kagan ko aarsi kya muhavare ka arth – प्रत्यक्ष को साक्ष्य की जरूरत नही पडती

दोस्तो उपर दिए गए शब्द आरसी का अर्थ ‌‌‌दर्पण है । जब कोई स्त्री अपना सिंगार करती है तो वह दर्पण के सामने ‌‌‌बैठ कर अपना सिंगार करती है । यानि उसे दर्पण की जरूरत ‌‌‌पडती है । परन्तु वह सिंगार के बिच मे अपने हाथो मे भी आभुषण पहनती है । उस समय उसे दर्पण (शीशे) की जरूरत नही पडती क्योकी वह अपने हाथो के आभुषण को आनी आखो से सिधे ही देख लेती है ।

इसी तरह से जब ‌‌‌कुछ लोगो के सामने कोई घटना घट जाती है तो उन सभी लोगो को पता होता है की घटना कैसे घटी । मगर इसी बिच मे ‌‌‌कोई व्यक्ति घटना कैसे घटी इसका साक्ष्य देता है । तो उससे कहा जाता है की प्रत्यक्ष को साक्ष्य की जरूरत नही पडती । इसे ही हाथ कंगन को आरसी क्या कहा जाता है क्योकी दोनो बाते एक जैसी है ।

हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग haath kangan ko aarsi kya muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌रामू के सामने ही लूटेरो ने गाव के लोगो को ‌‌‌लूट लिया फिर भी गाव के लोग कहने लगे की हमे किसी ने नही ‌‌‌लूटा यह सुन कर रामू ने कहा हाथ कंगन को आरसी क्या ।
  • हरीदेव की आंखो के सामने उसके पडोसी का घर जल गया और फिर कुछ लोग हरीदेव को बताने लगे की आखिर उसके पडोसी का घर किस तरह से जला यह सुनते ही हरीदेव ‌‌‌ने कहा की यह तो वही बात हो गई हाथ कंगन को आरसी क्या ।
  • मैंने सब देख लिया की तुमने ही चोरी की थी अब साक्ष्य देने की कोशिश मत करो क्योकी हाथ कंगन को आरसी क्या ।
  • लखवीर के देखते ही ‌‌‌देखते उसकी दुकान लूट गई जिससे पास खडा रामू लखवीर ‌‌‌को साक्ष्य ‌‌‌देने लेगा की तुम्हारी दुकान कैसे लूटी तब हरीदेव ने कहा की हाथ कंगन को आरसी क्या ।
  • पुलिस के सामने ही चोर ने चोरी कर ली और पकडे जाने पर चोर कहने लगा की मैंने चोरी नही की तब पुलिस ने कहा की तुम्हे पता नही हाथ कंगन को आरसी क्या ।
  • ‌‌‌राजू को झगडा करते हुए उसके पिता ने देख लिया जिसके कारण से राजू अपने पिता को सफाई देने लगा ‌‌‌यह देख कर राजू के पिता ने कहा हाथ कंगन को आरसी क्या ।

‌‌‌हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे पर कहानी haath kangan ko aarsi kya muhavare par kahani

कुछ समय पहले की ही बात है किसी नगर मे राजू नाम का एक लडका रहा करता था । राजू के पिता के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी । जिसके कारण से वह अपने पिता से तरह तरह के बाहने बना कर पैसे लेता रहता और उन पैसो से जुवा खेलता ।

इस तरह से समय बितता गया ‌‌‌जिसके कारण से राजू को जुवे की लत लग गई । अब वह एक भी दिन जुवा खेले नही रहता था । क्योकी राजू के पिता को इस बारे मे पता नही था, इस कारण से वे उसे पैसे देते रहे ।

राजू के पिता एक बैंक मे काम करते थे जिसके कारण से उन्हे अच्छी तनख्वाह मिल जाती थी । इसी कारण से राजू के पिता अमीर थे । राजू ‌‌‌पढा लिखा था, ‌‌‌इस कारण से वह तैयारी करने के लिए अपने गाव से काफी दूर एक शहर मे रहता था ।

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एक यह भी कारण था की राजू को उसके घर वाले कभी भी पैसो के लिए मना नही करते थे । क्योकी राजू के माता पिता सोचते की अगर बैटा पढाई कर लेगा तो नोकरी लग जाएगा । जिसके कारण ‌‌‌से उसका जीवन बहुत अच्छा हो जाएगा । साथ ही राजू अपने पिता के इकलोता बेटा था ।

जिसके कारण से हर समय राजू के माता पिता उसे अच्छी सेवाए देने को तैयार रहते थे । एक बार की बात है राजू के पिता को उस महिने की तनख्वाह नही मिली । उस महिने राजू के पास पैसे खत्म हो गए थे ।

तब उसने अपने पिता से पैसे ‌‌‌मागे तो ‌‌‌उसके पिता ने उससे कहा की बैटा इस बार पैसे नही मिले है अगली बार मैं भेज दुगा । तुम इस बार किसी तरह से काम चला लो । इस तरह से कहने के बाद मे राजू बहुत ही निराश हो गया था। तब उसने सोचा की वह इस महिने जुवा नही खेलेगा ।

इस बात पर वह एक दिन तो डटा रहा पर अगले ही दिन वापस जुवो खलने के ‌‌‌लिए चला गया । इस तरह से दो तिन दिन तक राजू ने उधार कर कर जुवा खेला । जिसके कारण से उस पर उधार पैसे हो गए थे । जब लोग उससे पैसे मागने लगे तो राजू अपने मकान से बाहर भी नही जाता था ।

तभी एक दिन राजू रात को अपने मकान पर जा रहा था । तो उसने देखा की एक बैक का गार्ड आराम से सो रहा है । उस समय राजू के ‌‌‌साथ एक लडका और था । उन दोनो पर ही जुवे के पैसे उधार थे । इस कारण से बैक को देखते ही उन्हे पैसो की याद आ गई ।

तब राजू के साथ वाले लडके ने बैक को लूटने के बारे मे राजू से कहा । तब राजू ने पहले मना कर दिया और बाद मे मान गया । जिसके कारण से वे दोनो चुपके से बैक के अंदर चले गए । बैंक मे जाकर बैंक से ‌‌‌जब पैसे निकालने लगे तो बैंक मे एक आवाज बजने लगी जिसके कारण से गार्ड को पता चल गया की बैंक को कोई लूट रहा है ।

इसी कारण से उसने तुरन्त पुलिस को इस बारे मे बता दिया । तभी कुछ ही समय बिता की पुलिस भी वहा पर आ गई। जब पुलिस बैंक के पास पहुंची तो दोनो लडके वहा से भागने लगे । भागते समय पुलिस ‌‌‌और गार्ड ने उन दोनो लडको का चेहरा देख लिया । जिसके कारण से पुलिस ने अगले ही दिन दोनो को पकड कर जैल मे डाल दिया ।

जब राजू पकडा गया तो वह कहने लगा की मैंने चोरी नही की है । इस तरह से दो तिन बार कहने पर पुलिस ने उससे कहा की हाथ कंगन को आरसी क्या । इस तरह से कहने पर राजू समझ गया की उसे ‌‌‌पुलिस ने चोरी करते हुए देख लिया है ।

जब राजू के पिता को इस बारे मे पता चला तो वे भी पुलिस थाने मे अपने बेटे के बारे मे जानने को आ गए । और पुलिस के पास आकर कहने लगे की मेरे बेटे ने चोरी नही की है । इस तरह से वह फिर अपने बेटे को बेकसुर साबित करने के लिए साक्ष्य देने लगे ।

तब पुलिस ने ‌‌‌गार्ड ‌‌‌को बुलाया और कहा की इसने और हमने आपके बेटे को चोरी करते हुए देखा था । इस तरह से कहने के बादमें पुलिस ने कहा की हाथ कंगन को आरसी क्या । इतना सुन कर राजू के पिता को पता चल गया की उसके बेटे ने ही चोरी की है । और यही हुआ उसका जुर्म साबित हो गया और उसे कुछ वर्षो की जेल हो गई ।

‌‌‌हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे पर कहानी haath kangan ko aarsi kya muhavare par kahani

बेटे को जेल हो जाने ‌‌‌के बादमे उसके पिता को पता चला की उसका बेटा जुवा खेलता था और उसने उधार पैसे कर लिए थे इसी कारण से उसने चोरी की थी । यह जानकर राजू के पिता को बहुत दुख पहुंचा । इसके बादमे जब तक राजू जेल मे था तब तक राजू का पिता उससे मिलने के लिए नही ‌‌‌गया ।

इस तरह से फिर राजू को अपनी सजा पूरी करने के बाद ‌‌‌मे ही अपने घर जाने को मोका मिला । घर जोने के बाद मे राजू अपने गाव मे ही काम करने लगा था और इसी तरह से गाव मे रहकर अपना जीवन गुजारने लगा । इस तरह से आपको इस कहानी से मुहावरे के बारे मे पता चल गया होगा की इसका अर्थ क्या है ।

हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे पर निबंध haath kangan ko aarsi kya muhavare par nibandh

साथियो प्राचिन काल मे ‌‌‌दर्पण की सख्या बहुत ही कम थी । यानि हर किसी के पास दर्पण नही मिलता था । जिसके करण से ज्यादातर लोग अपना चेहरा पानी मे ही देख पाते थे । पर वह भी लोगो को कम देखने को मिलता था । जिसके कारण से हर कोई ज्यादा सिंगार नही करता और जैसा है वैसा ही रहता था ।

पर समय के साथ साथ दर्पण की सख्या बढने ‌‌‌लगी जिसके कारण से हर स्त्री सिंगार करने के लिए दर्पण का उपयोग करती है । मगर जब कोई वस्तु अपनी आंखो से दिखाई देती है तो उसके लिए दर्पण का उपयोग नही ‌‌‌होता है । यानि अपने हाथो मे कंगन पहनने के लिए दर्पण की कोई जरूरत नही है ।

क्योकी वह बिना दर्पण के ही पहना जाता है । इसी तरह से जब ‌‌‌किसी कार्य के लिए साक्ष्य की जरूरत नही होती है । यानि वह कार्य आखो के समाने ही घट जाता है । तब उस समय हाथ कंगन को आरसी क्या कहा जाता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ है प्रत्यक्ष को साक्ष्य की जरूरत नही पडती है ।

हाथ कंगन को आरसी क्या मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of hath kagan ko aarsi in Hindi

दोस्तो मुहावरा काफी सिंपल है क्योकी इस मुहावरे से समझा जा रहा है की हाथ में कंगन की बात की जा रही है और जब हाथ में कंगन महिलाए या फिर कोई पहनता है तो वह यह सब आइने में कभी नही देखता है बल्की अपनी आंखो से सिधे हाथ को ही देखता है ।

क्योकी आंखो के समने जो होता है उसे प्रत्यक्ष कहा जाता है और आपको पता है की हाथ में कंगन पहनने के लिए आइने को नही देखने की जरूरत है तो इसी बात से आप समझ सकते है की प्रत्यक्ष को साक्ष्य की जरूरत नही पडती है होने की बात यहां पर की जा रही है ।

और असल में यही इस मुहावरे का अर्थ है । अब अगर कही पर भी प्रत्यक्ष को साक्ष्य की जरूरत नही पडती है की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है और यह आप समझ सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।