गांठ बांधना का मतलब और वाक्य व कहानी

गांठ बांधना मुहावरे का अर्थ ganth bandhna muhavare ka arth – किसी बात को याद रखना ।

दोस्तो जिस तरह से एक बार गांठ बाध लेने ‌‌‌लेने पर वह गांठ खोले बिना नही खुलती है। उसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी बात को इस तरह से याद रख लेता है की वह उसे कभी भी न भुल पाए तो उसके लिए कहा जाता है की इसने तो बात की गांठ बाध ली । इस तरह से जहां पर किसी बात को इस तरह से याद रख लिया जाता है वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग करते है ।

गांठ बांधना का मतलब और वाक्य व कहानी

‌‌‌गांठ बाधना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग

  • मैंने तो तुम्हारे साथ मजाक किया था पर तुमने तो उस बात की गांठ बाध ली ।
  • अगर तुमने मेरी बात की गांठ बाध ली तो सफल हो जाओगे ।‌‌‌
  • डॉक्टर ने कहा की अगर तुम्हे स्वस्थ रहना है तो मेरी बात की गाठ बांध कर रोजाना हरी सब्जी ‌‌‌खाया करो ।
  • अगर तुमने डॉक्टर की बात गांठ बांध ली तो तुम जल्दी ‌‌‌ठीक हो जाओगे ।
  • पिताजी ने कहा इस बार पेपर की मेरीट बहुत उच्ची जाएगी तुम मेरी बात गाठ बाध लो और कठिन परिश्रम करो ।
  • मैंने तो पहले ही कहा था की ‌‌‌मेरी बात को गाठ बाध लो वह एक दिन तुम्हे नुकसान पहुंचाएगा ।
  • आज कल अपने भी धोखा दे जाते है और तुम एक पराये पर भरोषा कर रहे हो मेरी बात को गाठ बाध लो एक दिन यही तुम्हारे विनास का कारण बनेगा ।
  • अगर उस समय ‌‌‌मैंने तुम्हारी बात की गांठ बाध ली होती तो आज मेरे साथ ऐसा नही होता ।

‌‌‌गांठ बाधना मुहावरे पर कहानी

प्राचिन समय की बात है दुर्गाराम नाम का एक आदमी था । ‌‌‌जिसके घर मे उसके माता पिता के अलावा और कोई भी नही रहा करता था ।‌‌‌दुर्गाराम के पास पैसो की कोई कमी नही थी । इसका कारण यह था की वह छोटी सी ‌‌‌उमर मे ही नोकरी लग गया था ।

जिसके कारण से उसे पैसे ‌‌‌की कमी कभी महसुस नही होती थी । इतना पैसा होने के कारण से हर कोई उसके पास रहने लगे थे । उनमे से ही एक रामू नाम का आदमी था । वह दुर्गाराम के पास हमेशा ही रहता था ।

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जब ‌‌‌भी दुर्गाराम कही पर जाता तो रामू उसके साथ साथ जाता था और जब भी वह कोई बात कहता तो रामू भी उसकी बात के लिए उसकी हां मे हां मिला दिया करता था । जिसके कारण से दुर्गाराम को लगता की यह तो मेरा बहुत ही अच्छा मित्र है मेरी हर बात यह मानता है कभी भी मुझे गलत नही कहता है ।‌‌‌

इस तरह से सोच कर दुर्गाराम रामू को अपना अच्छा मित्र मानने लगा था । रामू को पता था की अगर वह दुर्गाराम की हां मे हा मिलाएगा तो समय आने पर वह ‌‌‌मेरी मदद कर देगा ।  साथ ही रामू ने सोच रखा था की किसी तरह से इससे बहुत रूपय लूट लिया जाए ।

दुर्गाराम के पिता को इस संसार मे रहते हुए बहुत उमर हो गई ‌‌‌थी और उन्होने दुर्गाराम को बहुत ठोकरे खा खा कर कर पढाया था । जिसके कारण उन्हे पता था की आज के समय मे जो ‌‌‌लोग ‌‌‌खुशामद करते है उनका कोई भी पता नही की वे कब क्या कर दे।

इसी तरह से एक दिन दुर्गाराम को उसके पिता ने अपने पास बुलाया और कहा की बेटा मेरी एक बात की गांठ बाध लो की जो लोग खुशामद करते रहते ‌‌‌है या यह कह सकते है की जो लोग तुम्हारी हां मे हां मिलाते है उनका साथ छोड दो वरना एक दिन वे लोग ही तुम्हे ‌‌‌डूबो देगे ।

इतना सुन कर दुर्गाराम को पता चल गया था की यह किसके लिए ऐसा कह रहे है । इस कारण से उसने अपने पिता की बातो पर गोर नही किया और वह उसी तरह से रामू के साथ रहने लगा था । समय बितता ‌‌‌गया और एक दिन दुर्गाराम शहर गया हुआ था। ‌‌‌तब शहर मे ही उसे रात हो गई थी ।

इस कारण से उसे अपने गाव मे जाने के लिए कोई साधन नही मिला था । तब उसके साथ रामू भी था । उस समय रामू ने कहा की हमे आज यही पर रहना होगा । इतना सुन कर दुर्गाराम बोलने लगा की हम यहां पर किसके पास रहेगे हमे कोई यहां पर जानता ‌‌‌भी नही है ।

तभी उसे याद आया की उसके गाव ‌‌‌का एक आदमी यहां पर ‌‌‌रहता है । इस कारण से वह रामू के साथ उन लोगो के पास रहने के लिए चला गया था ।

जिस घर मे दुर्गाराम और रामू रहने के लिए गए थे वह शहर के धनवान लोगो मे से एक था । ‌‌‌पर दुर्गाराम उसके गाव का होने के कारण उस आदमी को लगा की इसे यहां पर रख लेना चाहिए और ऐसा सोच कर उसे वहां पर रहने को कह दिया था ।

उस समय उस आदमी के पास बहुत रूपय थे और उन्हे रखते समय रामू ने देख लिया था । इस कारण से जब वह आदमी रात को सो गया तो रामू उठ कर उन रूपयो को चुरा लिया और उन्हे उसके घर से काफी दूरी पर छुपाकर आ गया था ।

साथ ही उन ‌‌‌रूपयो मे से कुछ रूपयो को उसने दुर्गाराम की जेब मे रख दिए थे और उसके पैसे वहां से निकाल लिए थे । जब सुबह हुई तो दुर्गाराम अपने गाव जाते समय उस आदमी के घर के सामने एक दुकान थी उसमे से उसने समान ले लिया और फिर अपने गाव चला गया था ।

उन दोनो के जाने के बाद उस आदमी ने भी उसी दुकान से कुछ खरीदा तो ‌‌‌उसे बाकी के उसके ही रूपय मिले थे । क्योकी उसने उस दुकान दार से तिन चार दिनो से कुछ नही खरीदा इस कारण से उसे पता चल गया की जरूर दाल मे कुछ काला है ।

इस कारण से उस आदमी ने उस दुकानदार से पूछ लिया की यह रूपय तुम्हे किसने दिए । तब उस आदमी ने दुर्गाराम का नाम लिया । इतना सुन कर वह आदमी अपने ‌‌‌घर गया और वहां जाकर उसने देखा की जो रूपय उसने कल रखे थे वह है की नही ।

उसे देखने पर पता चला की वहां पर कुछ भी नही है । इस कारण से उस आदमी को लगा की दुर्गाराम ने उसके पैसे चुराए है । तभी वह अपने गाव के लिए रवाना हो गया और गाव जाकर दुर्गाराम ने उसके पैसे चुराए है इसके लिए पंचायत बिठा दी थी । ‌‌‌

तब उस आदमी ने पंचायत के लोगो को बताया की उसके पैसे ‌‌‌केसे चोरी हो गए थे । जब दुर्गाराम से इस बारे मे पूछा तो उसने मना कर दिया और कहा की मैंने ‌‌‌इसके पैसे नही चुराए ।  तब फिर उन लोगो ने पूछा की अगर तुमने उसके पैसे नही चुराए तो उसका पैसो पर निशान किया गया नोट तुम्हारे पास कैसे आया ।

तब दुर्गाराम ने ‌‌‌यह कह दिया था की यह तो मेरे पास पहले थे और फिर मे उसके घर मे गया था । जब रामू से पूछा की दुर्गाराम ने चोरी की है की नही तभी दुर्गाराम ने भी रामू से कहा की हां तुम भी इन्हे कह कर बता दो की मैंने चोरी नही की ।

तब रामू ने कहा की दुर्गाराम ने ही चोरी की थी और वह भी मेरे सामने और मैंने ‌‌‌इसे यह कहा था की तुम ऐसा मत करो यह गलत है पर यह मेरी बात सुन ही नही रहा था । रामू से ऐसा सुन कर पंचायत ने दुर्गाराम को दोषी ‌‌‌बताते हुए उसके पैसे चुकाने को कहा ।

‌‌‌गांठ बाधना मुहावरे पर कहानी

तभी दुर्गाराम को याद आ गया की उसके पिता ने उससे कहा था की रामू जैसे खुशामद लोगो पर कभी भरोषा नही करना चाहिए । तब दुर्गाराम ने सोचा की अगर ‌‌‌मैंने उस समय ही अपने पिता की बात की गांठ बांध ली होती तो आज यह दिन देखने को नही मिलता था । पर अब हो क्या सकता था ।

दुर्गाराम को किसी तरह से पैसे चुकाने ही पडे पर उसके बाद उसने गांठ बांध ली की वह कभी भी रामू के साथ और उसके जैसे लोगो के साथ नही रहेगा ।

फिर वह किसी पर भरोषा नही करता था और अपना जीवन गुजारने लगा था । इस तरह से दोस्तो आप लोगो को यह पता चल गया होगा की गांठ बांधना मुहावरे का अर्थ किसी बात को याद रखना होता है ।

गांठ बांधना मुहावरे || essay on idioms in Hindi

साथियों इस मुहावरे का प्रयोग वैसे तो आज के समय में भी किया जा रहा है मगर यह काफी पुराना मुहावरा है । दरसल जब भी कोई व्यक्ति किसी बात को सुन कर बुरा मान लेतेा है तो वह इस बात को याद रखता है की किसी ने उसे क्या कहा था और अपने जीवन भर उस बात को भूलता नही है और यही गाठ बाधना होता है ।

जैसे की आपने कहानी में भी पढा था की किस तरह से किसी बात की गाठ बाधी जाती है और फिर उसे लंबे समय तक याद रखा जाता है  । तो इसका मतलब यह होता है की अगर हम आपको कुछ ऐसा कहे जो की आपको पसंद न आए और आप उस बात को याद रखते है और समय आने पर उस बात को हमारे सामने फिर से रखते है तो इसका मतलब है की आपने गाठ बाध रखी है ।

तो इस तरह से आप इस मुहावरे को समझ गए है और यह भी समझ गए है की इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग वही पर होगा जहां पर किसी बात को याद रखने की बात होती है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

हाथ मलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हवा से बातें करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हवाई किले बनाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कागज काला करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चोर की दाढ़ी में तिनका मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

गाल बजाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

गूलर का फूल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

छक्के छुड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

छठी का दूध याद आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कोल्हू का बैल मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

काला अक्षर भैंस बराबर मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कान खड़े होना मुहावरे का अर्थ और वाकय मे प्रयोग

कान काटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

कान का कच्चा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कलम तोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

एक अनार सौ बीमार मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

एक आँख से देखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

उँची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आस्तीन का सांप होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

उँगली उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आग में घी डालना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखों में धूल झोंकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखें बिछाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आकाश पाताल एक करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अगर मगर करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आग लगने पर कुआँ खोदना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

श्री गणेश करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।