खाली दिमाग शैतान का घर का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

खाली दिमाग शैतान का घर मुहावरे का अर्थ khali dimag shaitan ka ghar muhavare ka arthखली बैठने से अनेक तरह की ख़ुराफ़ात सुझती है

दोस्तो अगर कोई व्यक्ति पूरे दिन खली बैठता है कोई काम नही करता है तो उसके दिमाग मे अनेक तरह की बाते चलने लगती है । जिसके कारण से वह कभी कभी दुसरो के साथ लडाई ‌‌‌झगडा या शरारत करने लगता है। इसी तरह से जब किसी व्यक्ति को खली बैठने से अनेक तरह की ख़ुराफ़ात (लडाई ‌‌‌झगडा या शरारत)सुझती है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

खाली दिमाग शैतान का घर का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

खाली दिमाग शैतान का घर मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग khali dimag shaitan ka ghar muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌जब से किसनलाल को नोकरी से निकाला गया है तब से वह अपने घर मे लडाई झगडा करता रहता है यह तो वही हुआ खाली दिमाग शैतान का घर ।
  • हरलाल के बेटे ने जैसे ही बाहरवी कक्षा पास कर ली तो उसे अपनी कंपनी मे काम दिला दिया क्योकी उन्हे पता था खली दिमाग शैतान का घर होता है ।
  • ‌‌‌सरला ‌‌‌का बेटा 10 वर्ष के होने को आ ‌‌‌गया पर अभी तक घर मे ‌‌‌पडा है पढाई करने के लिए नही जा ‌‌‌रहा है उसे क्या पता नही की खाली दिमाग शैतान
    का घर होता है ।
  • महेश को किसी न किसी काम मे उलझाकर रखोगे तो तुम्हारे लिए ही अच्छा होगा क्योकी खली दिमाग शैतान का घर होता है ।
  • पिता के पास इतना पैसा होने के बाद भी रामू कभी खाली नही बैठता कुछ न कुछ काम तो करता ही रहता है क्योकी खाली दिमाग शैतान का घर ।
  • भले ही मैं कितना भी धनवान क्यो न बना जाउ कभी ‌‌‌खाली नही बैठुगा कुछ न कुछ करता ही रहुगा क्योकी खाली दिमाग शैतान का घर ।

‌‌‌खाली दिमाग शैतान का घर मुहावरे पर कहानी khali dimag shaitan ka ghar muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान सेठ रहा करता था । सेठ ‌‌‌के नाम मे भी धन था यानि सेठ का नाम धनसेठ था । जिसके कारण से हर कोई कहता की तुम्हारा नाम ही धनसेठ है इसी कारण से तुम्हारे पास इतना पैसा है। पर धनसेठ ऐसा नही मानता था वह अपनी मेहन्त ‌‌‌के बल पर धनवान बना है ऐसा मानता था ।

धनसेठ के घर मे उसकी एक सुंदर पत्नी और दो छोटी लडकी रहा करती थी । धन सेठ के एक भी बेटा नही थी । इस बात के कारण से धनसेठ हमेशा ही दुखी रहा करता था । क्योकी धनसेठ के बेटा नही था इस कारण से वह अपनी बेटियो पर ही ‌‌‌अपना ‌‌‌अपना खर्च करता और उनका पालन-पोषण बडी अच्छी तरह ‌‌‌से करता था ।

इस तरह से धनसेठ अपनी दोनो बेटियो ‌‌‌से बहुत प्रेम करता था । धनसेठ ने अपनी बेटियो को शिक्षा भी दी थी और शिक्षा देकर उन्हे बडी किया था । जब धनसेठ की दोनो बेटिया बडी हो गई तो धनसेठ उनके विवाह के लिए चिंतित होने गला था ।

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क्योकी धनसेठ के पास धन की कोई कमी नही थी जिसके कारण से उसे ‌‌‌अपनी बेटियो के लिए रिश्ता बहुत ही जल्दी मिल गया था । रिश्ता मिल जाने के कारण से धनसेठ ने अपनी दोनो बेटियो का विवाह करने के लिए तैयार हो गया था और विवाह की तैयारी करने लगा था ।

समय आने पर धनसेठ ने अपनी बेटियो का विवाह बडी धुम धाम से किया । विवाह हो ‌‌‌जाने के बाद मे धनसेठ की दोनो ‌‌‌बेटिया अपने ससुराल चली गई और ‌‌‌इधर धनसेठ अपनी पत्नी के साथ रहता और सोचने लगा था की अब उसने अपना फर्ज पूरा कर दिया है ।

अब उसे काम करनी की कोई जरूरत नही है । इस तरह से सोच कर धनसेठ अपने काम मे कम रूची दिखाने लगा था । धिरे धिरे समय के साथ धनसेठ जो काम करता था वह उसने बंद कर दिया और आराम से ‌‌‌अपने घर मे रहने लगा था ।

जिसके कारण से धनसेठ का धन कम होने लगा था और बात बात पर धनसेठ अपनी पत्नी के साथ लडाई झगडा करने ‌‌‌लगा था । इस तरह से एक वर्ष बित गया । तब एक दिन धनसेठ की दोनो बेटिया उनके पास आई, उस दिन की बात है धनसेठ आराम से अपने घर मे पडा था तब धनसेठ की पत्नी उसके लिए चाय लेकर ‌‌‌गई थी ।

चाय बडी ही सुवादिष्ठ थी पर धनसेठ को अच्छी नही लगी जिसके कारण से धनसेठ अपनी पत्नी के साथ झगडा करने लगा था । यह देख कर धनसेठ की बेटियो को बडा बुरा लगा । तब उन दोनो ने अपनी मां से पूछा की ये किस कारण से लडाई कर रहे है। तब उसकी मां ने कहा की जब से इन्होने अपना काम बंद किया है तब से हर ‌‌‌दिन झगडे होते रहते है ।

यह जान कर धनसेठ की दोनो बेटियो को बहुत बुरा लगा । तब दोनो ने अपनी मां से कहा की मां इन्हे वापस किसी न किसी काम मे लगा दो । वरना ये इसी तरह से झगडे करते रहेगे क्योकी खाली दिमाग शैतान का घर । इतना सुनते ही धनसेठ की पत्नी समझ गई की जब से ये खाली हुए है तब उसे लडाई ‌‌‌कर रहे है ।

तब धनसेठ की पत्नी ने मन ही मन सोचा की अगर ये किसी कार्य को करने लगे तो ये कार्य मे बिजी हो जाएगे और लडाई झगडा करने का समय नही मिलेगा । इस तरह से फिर धनसेठ की पत्नी और उसकी दोनो बेटिया मिल कर धिरे धिरे धनसेठ को काम करने के लिए भेजने लगी थी ।

इस तरह से जब धनसेठ को काम करते हुए ‌‌‌एक महिना हुआ तब धनसेठ को समझ मे आ गया की जब से वह काम करने लगा है तब से वह अपनी पत्नी के साथ झगडा नही कर रहा है । वरना बात बात पर झगडा करने लग जाता है । तब धनसेठ को अच्छी तरह से समझ मे आ गया की खाली दिमाग शैतान का घर

‌‌‌खाली दिमाग शैतान का घर मुहावरे पर कहानी khali dimag shaitan ka ghar muhavare par kahani

इसके बाद मे वह कभी भी अपने काम को नही छोडता और हर समय कुछ न कुछ करता ही हरता ‌‌‌था । साथ ही जो भी कोई उसे खाली बैठा दिखता तो उसे अपनी गाथा सुनाकर कहता की खाली दिमाग शैतान का घर । इस तरह से फिर धनसेठ का जीवन अच्छी तरह से चलने लगा था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

खाली दिमाग शैतान का घर मुहावरे पर निबंध ‌‌‌ khali dimag shaitan ka ghar muhavare par nibandh

साथियो आपने देखा होगा की जो भी कोई ‌‌‌व्यक्ति अपने घर मे खाली बैठा रहता है उनके घर मे हर दिन झगडे होते रहते है । ऐसा इस कारण से होता है की खाली बैठने के बाद मे उस व्यक्ति का दिमाग भी बिल्कुल आराम मे हो जाता है और वह इधर उधर की बातो मे ध्यान देने लगता है ।

जिसके कारण से दिमाग छोटी मोटी ‌‌‌मोटी बातो को बडी कर कर लडई करा देता है । इस कारण से कहा जाता है की दिमाग को कभी भी खाली नही रखना चाहिए यानि उसे किसी न किसी कार्य मे लगाए रखना चाहिए । इस तरह से जब भी कोई व्यक्ति खाली बैठता है तो उसे अनेक तरह की खुराफाते सुझती है । तब इसे खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है ।

क्योकी ‌‌‌शैतान का दिमाग खाली होने के कारण से वह शैतानी करने लगता है और जब मनुष्य खाली बैठ जाता है तब वह भी शैतानी करता है । इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आपको पता चल गया होगा की इसका अर्थ क्या है ।

खाली दिमाग शैतान का घर मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of khali dimag shaitan ka ghar in Hindi

दोस्तो अगर हम अपने दादाओ और उनके दादाओ के समय की बात करते है तो उनका कहना था की कभी भी जीवन में खाली नही बैठना चाहिए । चाहे कुछ भी करे मगर कुछ न कुछ करता रहना जरूरी है ।

क्योकी उनके द्वारा कहा जता था की अगर कोई अपने घर में या फिर कही और पर खाली बैठा होता है और काम नही करता है तो उसका दिमाग ऐसे कार्यों के बारे में सोचता है जो की सही नही है और इस तरह से कहा जाता है की खली बैठने से अनेक तरह की ख़ुराफ़ात सुझती है ।

और क्योकी खुराफात को गलत रूप में जाना जाता है और शैतान भी गलत होता है तो इस बात से आप समझ ले की khali dimag shaitan ka ghar muhavare ka arth – खली बैठने से अनेक तरह की ख़ुराफ़ात सुझती है होता है । अब अगर कही पर खली बैठने से अनेक तरह की ख़ुराफ़ात सुझती है की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है और यह आपको पता होना जरूरी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।