मान न मान मैं तेरा मेहमान का अर्थ और वाक्य व निबंध

मान मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे का अर्थ man na man me tera mehaman muhavare ka arth – जबरदस्ती गले पड़ जाना

दोस्तो ‌‌‌जब ‌‌‌कोई व्यक्ति किसी को आकर कहता है की मैं तुम्हारा मेहमान ‌‌‌हूं इस कारण से मैं तुम्हारे साथ कुछ दिनो तक रहूगा । पर वह उस व्यक्ति को जानता भी नही है इस कारण से वह कहता है की मैं तुम्हे जानता भी नही ‌‌‌हूं फिर तुम मेरे मेहमान कैसे हो सकते हो । फिर भी वह व्यक्ति कहता है की नही मैं ‌‌‌तुम्हारा मेहमान ही हूं ।

इस तरह से वह व्यक्ति जबरदस्ती उसका मेहमान बनने लगता है । इसी तरह से जब कोई किसी कारण से जबरदस्ती कर कर अपना रिश्ता बनाता है या किसी कारण से उसके पिछे पड जाता है । तब इसे जबरदस्ती गले पडना कहा जाता है और इसी को मान न मान मैं तेरा मेहमान कहा जाता है।

मान न मान मैं तेरा मेहमान का अर्थ और वाक्य व निबंध

‌‌‌मान मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग man na man me tera mehman muhavare ka vakya me pryog

  • जब किसन अचानक रामू का जबरदस्ती मेहमान बनने लगा तब रामू ने कहा की भाई मैं तुम्हे ठिक से जानता भी नही हूं और तुम मेरे मेहमान बन गए यह तो वही बात हूंई मान न मान मैं तेरा मेहमान ।
  • अचानक एक भिखारी लखन के पिछे लग गया तब लखन ने उसे पैसे ‌‌‌देकर पिछा छुटाने की कोशिश की तब भी वह भिखारी लखन का पिछा नही छोडा तो लखन ने कहा की मान न मान मैं तेरा मेहमान ।
  • हरिराम के पिता को पता नही क्या हो गया वह हर किसी के घर मे जाकर रिश्ता बनाने लगता है ‌‌‌यह तो वही बात हूई मान न मान मैं तेरा मेहमान ।
  • ‌‌‌मैं आपको जानता भी नही और इतनी रात को आप मेरे घर पर आकर कह रहे हो की मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूं यह तो वही बात हुई की मान न मा मैं तेरा मेहमान ।
  • कई दिनो से रामलाल के घर मे एक आदमी आकर रह रहा है जिसे रामलाल जानता भी नही है और पूछने पर कहता है की मैं तुम्हारा दोस्त हूं यह तो वही बात हो गई ‌‌‌मान न मान मैं तेरा महमान ।
  • अचानक लोगो के बिच मे हरजारीराम के पिछे एक बालक पड गया और कहने लगा की मैं आपका बेटा हूं तब हजारीराम ने कहा मान न मान मेरा मेहमान ।

‌‌‌मान मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे पर कहानी man na man me tera mehman muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान सेठ रहा करता था । सेठ धनवान होन के अलावा ‌‌‌बहुत ही दयालू था । सेठ के घर मे उसकी पत्नी के अलावा उसके दो बेटे रहा करते थे । इस तरह से सेठ के घर मे कुल तिन सदस्य और थे ।

इस तरह से सेठ का परिवार ‌‌‌बहुत ही छोटा ‌‌‌‌‌‌था । सेठ जिस गाव मे रहा करता था वहा के लोग भी ‌‌‌बहुत ही अच्छे थे वे किसी से कोई बेर नही रखते थे । इस कारण सेठ भी उन लोगो के साथ घुलमिल कर रहा करता था ।

जिसके कारण से कभी सेठ गाव के लोगो के काम आता तो कभी गाव के लोग सेठ के लिए काम आ जाते थे । सेठ के दोनो बेटे पढे लिखे थे । क्योकी उसके पिता के पास पैसो की कोई कमी नही थी ।

इस कारण से उसके पिता ने उसे पढाने के लिए शहर मे भेज दिया था । दोनो बेटे एक साथ पढाई करते थे इसके बिच मे वे अनेक प्रकार के लोगो से मिलते थे । इस तरह से जब उन्होने पढाई कर ली तो एक दिन की बात है सेठ के दोनो बेटे अपने घर पर आराम कर रहे थे ।

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तभी उसके पास ‌‌‌एक आदमी आया । उस आदमी को देख कर सेठ ने कहा की भाई आप ‌‌‌कोन हो और आप यहां पर किस कारण से आए हो । इस तरह से पूछने पर उस आदमी ने कहा की मैं तुम्हारे बेटे के दोस्त का पिता हूं । इस तरह से आदमी सेठ के बेटो से रिश्ता बनाने लगा था ।

तब सेठ ने अपने बेटो को बुलाया और कहा की तुम्हारे दोस्त का पिता आया ‌‌‌यह सुन कर सेठ के दोनो बेटे उस आदमी के पास आ गए और फिर उससे पूछने लगे की आप किसके पिता हो । तब उसने कहा की मैं तुम्हारे दोस्त का पिता हूं।

यह सुन कर सेठ के बेटो ने कहा की हमारे ‌‌‌बहुत से दोस्त रहे थे तब उन्होने ऐसे ही नाम लेते हूंए कहा की आप सलिम के पिता हो या महेश के । इस तरह से कहने पर उस ‌‌‌आदमी ने ऐसे ही नाम ले दिया की मैं सलिम का पिता हूं ।

यह सुन कर सेठ के बेटो ने कहा की आपके पास सलिम नही आया क्या । आदमी ने कहा की वह ‌‌‌बहुत ही बिमार है इस कारण से मैं आपके पास कुछ पैसे लेने के लिए आया हूं ताकी उसका इलाज हो सके ।

‌‌‌यह सुन कर सेठ के बेटो ने कहा की ‌‌‌हम सलिम को अच्छी तरह से जानते है उसे कुछ नही ‌‌‌हुआ वह कल ही तो हमसे बात कर रहा था । तब भी वह आदम बहाने बना कर कहने लगा की वह आज सुबह ही बिमार हो गया था ।

तब सेठ के बेटो ने अपने पिता से कहा की पिताजी यह सलिम का पिता नही है मैं उसके पिता को जानता हूं । यह कोई और ही ढोगी है जो उसका पिता बन कर ‌‌‌आपसे धन लेने के लिए आ गया है । यह सुन कर उस आदमी के चेहरे पर पसिना आने लगा क्योकी वह वाकई सलिम का पिता नही था ।

वह तो एक ढोगी था । फिर भी उसने कहा की हां बेटा मैं उसका पिता नही हूं पर मै उसका मामा हूं । इस तरह से वह फिर से रिश्ता बनाने लगा था । तब सेठ के बेटो ने कहा की उसका कोई मामा ‌‌‌भी नही है ।

तब सेठ को और उसके बेटो को पता चल गया की यह जरूर को ढोगी है जो हमारे साथ बेवजह रिश्ता ‌‌‌बना रहा है । इसी तरह से वह आखिर मे भी नही माना और कहने लगा की मैं आपका मेहमान हूं इस कारण से आपको मेरी मदद करती होगी ।

यह सुन कर सेठ ने कहा की हम तुम्हे जानते भी नही है यह तो वही बात हो गई मान न मान मैं ‌‌‌तेरा मेहमान । तभी सेठ के बेटो ने कहा की अगर तुम अभी यहा से नही गए तो ‌‌‌हम गाव के लोगो को बुलाकर तुम्हे पिटा पिटा कर भेज देगे ।

इस तरह से कहने पर उस आदमी ने कहा की बेटा मैं तुमसे बडा हूं इस कारण से तुम ‌‌‌मुझसे इस तरह से बात मत करो । तब सेठ के बेटो को क्रोध आ गया और ‌‌‌उन्होने धक्के मार कर उसे अपने घर से ‌‌‌निकाल दिया ।

तभी गाव के कुछ लोग सेठ के घर की तरफ आने लगे यह देख कर वह आदमी वहा से फरार हो यगा । जब गाव के लोगो ने सेठ से पूछा की वह आदमी कोन था । तब सेठ ने कहा की न जाने कोन था वह ‌‌‌अपने आपको हमार मेहमान कह रहा था और हम उसे जानते भी नही ।

‌‌‌मान न मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे पर कहानी man na man me tera mehman muhavare par kahani

यह सुन कर गाव के लोगो ने कहा की ऐसे लोग ढोगी होते है जो ‌‌‌किसी रिश्तेदार का नाम लेकर हमे लूट लेते है । तभी सेठ के बेटो ने कहा की वह तो मान न मान मैं तेरा महमान बन रहा था पर हमने उसे धक्के मार कर निकाल दिया ।

तब गाव के लोगो ने कहा की आपने ‌‌‌बहुत ही अच्छा किया और फिर कहा की अगर फिर कभी वह आपके पास आए तो हमारे पास सुचना पहूंचा देना । इस तरह से कहते ‌‌‌हूंए गाव के लोग वहा से चले गए । इस तरह से फिर वह आदमी कभी भी सेठ के घर की तरफ नही आया । इसी तरह से आपको इस काहनी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

मान न मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे पर निबंध man na man me tera mehman muhavare par nibandh

साथियो आपने उपर दी गई कहानी मे पढा था की किस तरह से एक आदमी सेठ के पास आकर अपने आप ‌‌‌को सेठ का मेहमान ‌‌‌बताने लगा था और उससे पैसे लेने लगा था । पर सेठ के बेटे जिन जिन का वह आदमी नाम ले रहा था उसे जानते थे इस कारण से उन्हे आसानी से पता चल गया की यह हमारा कोई मेहमान नही है।

फिर भी वह आदमी जबर्दस्ती उनके गले पड रहा था । इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी कारण से जबर्दस्ती ‌‌‌किसी के पीछे पड जाता है या किसी से रिश्ता बना लेता है तो इसे मान न मान मैं तेरा महमान कहा जाता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ जबर्दस्ती गले पडना होता है । यह आपको पता चल गया होगा ।

मान न मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of man na man me tera mehaman in Hindi

दोस्तो मान न मान मैं तेरा मेहमान तरह की आज के समय में कई तरह की फिल्में बन चुकी है और अगर आपने देखा है तो उस फिल्म में यह देखा जाता है की एक मेहमान घर में आ जाता है ओर वह असल में जिसके घर में आता है उसका असली मेहमान होता ही नही है । मगर फिर भी उसका मेहमान बन जाता है । मतलब वह स्वयं को उनका मेहमान बताता रहता है ।

तो इस तरह से करने का मतलब तो यही हुआ की वह जबरदस्ती गले पड़ कर मेहमान बन रहा है और इसी बात से आप समझ सकते है की मान न मान मैं तेरा मेहमान मुहावरे का सही अर्थ जबरदस्ती गले पड़ जाना होता है ।

अब कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह से जबरदस्ती गले पड़ जाता है तो यही पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और कहा जाता है की मान न मान मैं तेरा मेहमान ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।