जैसी करनी वैसी भरनी का अर्थ और वाक्य में प्रयोग और कहानी

जैसी करनी वैसी भरनी मुहावरे का अर्थ jaisi karni waisi bharni muhavare ka arth – जो व्यक्ति जैसा कार्य करगा उसे फल भी वैसा ही प्राप्त होता है

दोस्तो जो व्यक्ति बुरा होता है वह बुरे ही कार्य करता है और अपने कार्य पर खुश होता रहता है । परन्तु समय के साथ उस व्यक्ति के साथ ‌‌‌भी बुरा होने लगता है । ‌‌‌इसी तरह से जो व्यक्ति अच्छा होता है वह अच्छे कार्य करता है और समय के साथ उनके साथ अच्छा ही होता रहता है । ऐसा आप लोगो ने अवश्य कही न कही देखा होगा ।

इस कारण से यह कह सकते है की जो व्यक्ति जैसा करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है । अगर कोई अच्छा करता है तो उसे अच्छा फल प्राप्त होता है अगर कोई बुरा करता है तो उसे बुरा फल प्राप्त होता है । इस तरह से जब किसी व्यक्ति ‌‌‌के साथ होता है तब इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए कहा जाता है की जैसी करनी वैसी भरनी ।

जैसी करनी वैसी भरनी का अर्थ और वाक्य में प्रयोग और कहानी

जैसी करनी वैसी भरनी मुहावरे का वाक्य में प्रयोग jaisi karni waisi bharni muhavare ka vakya me prayog

  • रवीन्द्र ने कई दिनो तक चोरियां की परन्तु एक दिन मोके पर पुलिस ने उसे पकड लिया और जम कर पिटाई हुई और फिर कई साल की सजा भी हो गई सच कहा जैसी करनी वैसी ‌‌‌भरनी ।
  • भरे बाजार मे रामूलाल ने खुन कर दिया जिसके कारण से उसे उम्र केद की सजा हो गई इसे कहते है जैसी करनी वैसी भरनी ।
  • सुखलाल ने अपने माता पिता के साथ बदतमीज़ी करी तो उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया यही है जैसी करनी वैसी भरनी ।
  • एक पुलिस वाला होने के बाद भी सुरेश लोगो से रिस्वत लेता था ‌‌‌और एक दिन पकडा गया जिसके कारण से उसकी नोकरी गई सो गई कई हजारो का जुर्माना भी लगा सच कहा जैसी करनी वैसी भरनी ।
  • कई वर्षो से राजूमल गाव के लोगो के साथ अन्याय कर रहा था और अंत मे राजूमल की मृत्यु किडों की कुडं मे पड जाने से हो गई सच कहा जैसी करनी वैसी भरनी ।
  • ‌‌‌संजना ने पहले तो पढाई नही की और जब परिक्षा मे फैल हो गई तो अपने कर्मो पर रोने लगी यही है जैसी करनी वैसी भरनी ।
  • अगर तुम दुसरो के साथ अच्छा करोगो तो भगवान तुम्हारा भी भला करेगा क्योकी जैसी करनी वैसी भरनी ।

‌‌‌जैसी करनी वैसी भरनी मुहावरे पर कहानी jaisi karni waisi bharni muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहा करता था । राजा बहुत ही ज्ञानी और दयालू था । राजा के घर मे उसकी दो बेटिया रहा करती थी इसके अलावा राजा की पत्नी और राजा का पिता भी उनके साथ रहा करते थे । राजा का पिता बहुत ही ज्ञानी था वह हर समय ज्ञान की ‌‌‌किताबे पढने मे ‌‌‌लगा रहता था ।

इस कारण से उन्होने अपने स्थान पर अपने बेटे को बिठा कर स्वयं राजा की जीमेदारियो से मुक्त हो गया था । अब राजा के पिता को किसी से कुछ लेना देना नही था बल्की वे तो दिन और रात अपने कमरे मे बंद रहते और ध्यान मे लिन रहा करते थे ।

कभी कभी तो राजा के पिता ‌‌‌को ध्यान करते हुए रात भी बित जाती थी । इस तरह से राजा का पिता बहुत ही ज्ञानी था । राजा दयालु होने के कारण से हर समय लोगो की मदद करने मे लगा रहता था । उसे अपने परिवार मे समय बिताने का समय भी नही मिल पाता था ।

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जिसके कारण से राजा की पत्नी बहुत ही नाराज रहा करती थी। इसी ‌‌‌तरह से काफी समय बित गया था । तब एक दिन राजा बिमार हो गया । जिसके कारण से राजा के राज्य मे गलत कार्य होने लगे थे ।

तब राजा को याद आया की अगर आज उसके कोई बेटा होता तो वह मेरी कमी को पूरा कर कर राजा के स्थान पर बैठ कर प्रजा की सारी समस्या का निवारण करता । परन्तु जब राजा इसी तरह से कई वर्षों ‌‌‌ ‌‌‌तक बिमार ‌‌‌रहा तो राजा का मंत्री उस राज्य को चलाने लगा था । और लोगो को साथ ‌‌‌सही तरह का न्याय न कर कर उनके साथ अन्याय करता था ।

तब एक दिन राजा ने उसे समझाया की अगर वह इसी तरह से काम करता रहा तो एक दिन उसके साथ बहुत बुरा होगा । यह सुन कर मंत्री हसने लगा था । क्योकी राजा बिमार था इस कारण से वह ‌‌‌कुछ नही कर सकता था यह सोच सोच कर मंत्री बुरे कार्य करता रहा ।

इसी तरह से दो वर्ष बित गए पर अब राजा धिरे धिर ठिक होने लगा था । परन्तु इस बारे मे राजा ने अपने मंत्री को पता नही चलने दिया । इसी तरह से जब राजा पूरी तरह से ठिक हो गया तो वह अपने पिता से मिलने के लिए गया ।

तब राजा के पिता ‌‌‌ने कहा की तुम इस बारे मे कोई फिकर मत करो एक दिन ऐसा आएगा की इसके कर्मो का फल इसे मिल जाएगा । इस तरह से राजा का पिता राजा को चुप रहने को कह दिया था ।

इसी तरह से एक वर्ष और बित गया तब राज्य की प्रजा राजा के मंत्री का खात्मा करने के बारे मे सोचने लगी थी। इसी तरह से एक दिन की बात है ‌‌‌मंत्री ‌‌‌राज्य ‌‌‌के कुछ मजदुरो के साथ अन्याय कर रहा था जिसे पूरी प्रजा देख रही थी । इस कारण से प्रजा ने मोका पाते ही मंत्री पर पत्थरो से वर्षो की ।

यह देख कर मंत्री हेरान हो गया और अपनी जान बचाकर महल की तरफ भागने लगा था । परन्तु इस समय मंत्री काफी अधिक घायल हो गया था । जिसके कारण से उससे सही तरह ‌‌‌से चला भी नही जा रहा था । जैसे ही मंत्री महल मे पहुंचा तो प्रजा भी उसके पिछे पिछे थी ।

अब सेनिको से प्रजा रूक नही रही थी । तभी वहा पर राजा आ गया और उसने अपनी सेना को रोक कर प्रजा को रोक लिया । तब मंत्री ‌‌‌खुश होने लगा परन्तु तभी राजा ने मंत्री को ऐसी सजा सुनाई जिसे सुन कर सभी के रोगटे खडे हो ‌‌‌गए ।

वह सजा मगरमच्छो की कुंड मे जिन्दा लोगो को लटकाने की थी । यह सुन कर मंत्री राजा और प्रजा से माफी मागने लगा परन्तु प्रजा ने मंत्री को माफ नही किया जिसके कारण से उसे यह सजा मिली ‌‌‌और ‌‌‌जीवित होने के बाद भी मंत्री को मगरमच्छो का सिकार बनाना पडा ।

यह देख कर राजा की प्रजा कहने लगी की जैसी करनी वैसी भरनी ‌‌‌। इसी तरह से जब इस बारे मे राजा के पिता को पता चला तो उसने भी राजा को अपने पास बुलाकर कहा की जो जैसा कार्य करता है उसे फल वैसा ही प्राप्त होता है ।

‌‌‌जैसी करनी वैसी भरनी मुहावरे पर कहानी jaisi karni waisi bharni muhavare par kahani

क्योकी मंत्री ने लोगो के साथ अन्याय किया था जिसके कारण से उसे इस तरह की सजा मिली । इस तरह से अंत मे राजा के पिता ने कहा जैसी करनी वैसी भरनी । ‌‌‌इस तरह से फिर राजा अपने राज्य को संभालने लगा था और अपनी गेर मोजुदगी मे अपनी बेटियो को राज्य चलाने को देता था ।

इस तर हसे फिर प्रजा को किसी तरह की मुसीबत नही हुई । इसी तरह से राजा की जिवन बहुत अच्छी तरह से गुजरा । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या ‌‌‌है ।

जैसी करनी वैसी भरनी मुहावरे पर निबंध jaisi karni waisi bharni muhavare par nibandh

साथियो भले ही कोई कितना भी शक्तिशाली क्यो न हो जो वह कार्य करता है उसके हिसाब से ही उसे फल मिलता है । जिस तरह से रावण बहुत ही बलवान और ज्ञानी था । परन्तु उसने सीता को हर लिया और अपनी शक्तियो पर घमंड हो गया था ।

जिसके कारण से रावण का अंत ‌‌‌हुआ । परन्तु रावण भी बहुत अच्छा व्यक्ति था उसने कभी भी सीता की आज्ञा के बगेर उसके पास नही गया था । साथ ही रावण जैसा शिव का कोई भग्त नही था । परन्तु उसकी गलती के कारण से उसे सजा मिली ।

इस तरह से कह सकते है की रावण जैसे ज्ञानी और महान पुरूष के एक गलत कार्य के कारण से उसका फल भी उसे इसी ‌‌‌तरह का प्राप्त हुआ तो एक साधारण मनुष्य को भी अपने कर्मो के अनुसार फल प्राप्त होगा ।

इस तरह से अंत मे कह सकते है की जो व्यक्ति जैसा कार्य करगा उसे फल भी वैसा ही प्राप्त होता है तब ही इसे जैसी करनी वैसी भरनी कहा जाता है । इस तरह से आप इस मुहावरे के बारे मे समझ गए होगे ।

जैसी करनी वैसी भरनी मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of jaisi karni waisi bharni in Hindi

दोस्तो महान ज्ञानी लोगो के द्वारा आज ही नही बल्की काफी समय पहले से ही कहा जा रहा है की आप जो इस संसार में बुरा कर रहे हो उसका फल आपको एक दिन मिलेगा और वह बुरा ही होगा । कहने का मतलब है की जो व्यक्ति जैसा कार्य करगा उसे फल भी वैसा ही प्राप्त होता है ।

अगर कोई दुसरो के साथ बुरा करता है तो उसके साथ भी बुरा होगा, और अगर कोई किसी के साथ भला करता है या अच्छा कार्य करता है तो उसका भी अच्छा होगा । और ऐसा आज भी कहा जाता है ।

और वैसे मुहावरा भी यही कह रहा है यानि जैसी करनी यानि आप जैसे करोगे और वैसी भरनी यानि आप वैसा ही भरोगे । इस तरह से मुहावरे का मतलब हुआ की आप जैसा करोगे वैसा ही भरोगे और इस बात से आप समझ सकते है की jaisi karni waisi bharni muhavare ka arth – जो व्यक्ति जैसा कार्य करगा उसे फल भी वैसा ही प्राप्त होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।