घर का भेदी लंका ढाए का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे का अर्थ ghar ka bhedi lanka dhaye muhavare ka arth – आपसी फूट से भेद खुलना

दोस्तो आपको पता होगा की जब श्री राम रावण से युद्ध कर रहे थे तो रावण पर राम ने अनेक प्रहार किए फिर भी रावण की मृत्यु नही हुई थी । क्योकी रावण की मृत्यु कैसे होगी यह एक भेद या ‌‌‌राज था । जिसके बारे मे ‌‌‌विभीषण जो रावण का भाई था उसे पता था की रावण की मृत्यु कैसे होगी ।

साथ ही रावण और ‌‌‌विभीषण मे झगडा था जिसके कारण से ‌‌‌विभीषण ने अपने भाई यानि रावन की मृत्यु का ‌‌‌भेद राम को बताया जिसके कारण से रावन की मृत्यु हो गई । इस तरह से दोनो भाईयो मे आपसी फूट होने के कारण ही रावण का ‌‌‌भेद खुल गया था ।

इस तरह से यह समझा जा सकता है की जब दो लोगो मे आपसी फूट होती है तो उनके कारण किसी तिसरे का फायदा हो जाता है । इसी तरह से जब कोई ‌‌‌विभीषण की तरह आपसी फूट से भेद खोलता है तब इसे घर का भेदी लंका ढाए कहते है ।

घर का भेदी लंका ढाए का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

घर
का भेदी लंका ढाए मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग ghar ka bhedi lanka dhaye muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌शराबी पर कभी भी भरोषा नही करना चाहिए क्योकी वे घर का भेदी लंका ढा देते है ।
  • पैसो की लालच मे नोकर ने राम के बारे मे सब उसके दुश्मन को ‌‌‌बता दिया । जिसके कारण से राम की सारी धन दोलत नष्ट हो गई इसे कहते है घर का भेदी लंका ढाए ।
  • जब रमेश और सुरेश मे झगडा हो ‌‌‌जाने पर सुरेश ने रमेश के सारे काले कारनामो के बारे मे गाव के लोगो को बता दिया । तब गाव के लोगो ने कहा की घर का भेदि लंका ढाए ।
  • कबड्डी की टिम से सुरेश को निकाल देने के कारण सुरेश विपक्ष की टिम के साथ ‌‌‌मिल गया और अपनी पहले वाली टिम को बुरी तरह से हार दिया । इसे कहते है घर का भेदी लंका ढाए ।

घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे पर कहानी ghar ka bhedi lanka dhaye muhavare par kahani

एक बार की बात है किसी नगर मे एक साधू राह करता था । उस साधू की सेवा करने के पास एक सेवक रहता था । साधू बहुत ही ज्ञानी था इस कारण से उसने योजना बनाई की अगर वे आस पास के गावो मे कुछ दिनो के लिए चले गए तो उन्हे बहुत पैसे मिल जाएगे ।

इस तरह से योजना के अनुसार वे ‌‌‌दोनो एक साथ जाने लगे थे । जब दोनो साधू पहले गाव मे गए तो वहा पर उनको देख कर लोग उन्हे अपने घरो मे बुलाने लगे थे । और जब वे लोगो के पास जाते तो वहा के लोग उनसे अपने जीवन के बारे मे पूछते थे ।

‌‌‌साधू समझदार था इस कारण से उनके प्रशन करने पर ही वह समझ जाता की इन्हे क्या कहना है । जिसके कारण से ‌‌‌साधू वहा ‌‌‌के लोगो को उनकी पीडा को दूर करने के लिए तरह तरह के उपाय बताने ‌‌‌लगता था । ‌‌‌जिससे लोगो को लगता की हां ये साधू बहुत ही अच्छे है ।

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‌‌‌जिससे लोग उन्हे धन देते थे । अगर कोई साधू को अपने घर से खाली हाथ जाने को कहता तो साधू का सेवक बोलता की ये बाबा बहुत ही पहुंचे ‌‌‌हुए है इस कारण से अगर इन्हे ‌‌‌खाली हाथ अपने घर से निकाला तो आपके घर मे अनेक कष्ट आ पडेगे ।

उस सेवक की ऐसी बाते सून कर गाव के तोग डर जाते और साधू को पैसे देते थे । इस तरह से अपने कष्टो को दूर कराने के लिए वह सेवक लोगो से कहता की अगर आपको अपने घर के कष्ट दूर करने है तो साधू से मंत्र जाप करा लो । इस कारण से लोग उनसे मंत्र ‌‌‌जाप भी करवा लेता था ।

जिसके कारण से साधू का ‌‌‌सेवक लोगो से बहुत धन दान करने को कहता । इस तरह से उस दिन साधू और उसके सेवक ने लोगो से बहुत धन इखट्ठा कर लिया था । धन बहुत अधिक होने के कारण से साधू और उसके सेवक ने अपने निवाश स्थान पर वापस जाने की सोची और वे फिर अपने स्थान पर वापस चले गए थे ।

‌‌‌इस तरह से कुछ दिनो के बाद फिर दोनो साधू और सेवक दूसरे गाव मे गए । साधू और उसके सेवक ने उस गाव मे भी बहुत धन इखट्ठा कर लिया था जिसके बाद मे वे अपने स्थान पर आ गए थे । इस तरह से फिर साधू का जीवन चमकने लगा था क्योकी वह धनवान बनने लगा था ।

जिसके कारण से साधू को अपने आप पर घमण्ड होने लगा । एक ‌‌‌दिन की बात है उस दिन जब साधू ने उन रूपयो को गिना तो वे कम थे । जिसके कारण से साधू को लगा की सेवक ने बिना बताए रूपय ले लिए है । जब साधू ने सेवक से पूछा की तुमने रूपय लिए है क्या तो सेवक ने कहा की नही मैंने तो नही लिए ।

यह सुन कर साधू को लगा की यह झुठ बोल रहा है इस कारण से साधू उसके साथ झगडा ‌‌‌करने लगा था । तब झगडा इतना अधिक हो गया था की साधू ने उस सेवक ‌‌‌को अपने से दूर होने को कह दिया था । यानि सेवक को अपने से दूर कर दिया और फिर उसे अपने साथ नही रखता था ।

तब साधू ने सोचा की अगर अब वह मेरे साथ नही है तो सरा धन मेरा ही होगा । जब सेवक को साधू ने इस तरह से अपने से दूर कर दिया तो सेवक ‌‌‌को बहुत बुरा लगा । तब सेवक ने ठान लिया की साधू को इसकी सजा देकर ही रहुगा ।

इस कारण से जैसे ही साधू किसी गाव मे जाने की योजना बनाता तो उसका सेवक पहले ही उस गाव मे जाकर साधू के बारे मे लोगो से कह देता था की एक ऐसा ढोगी साधू आएगा जो आप लोगो को भ्रमित कर कर पैसे ले लेगा ।

इस तरह से करने के कारण से ‌‌‌साधू जब किसी गाव मे जाता तो वहा के लोग उसके पिछे भागते थे । सेवक ने साधू के बारे मे इस तरह से लोगो के मन मे बैठा दिया की वह साधू ढोगी है ।

इस तरह से एक दिन की बात है तब साधू सो रहा था तो रात को साधू के पास कुछ लूटेरे आए और उसने साधू का सारा धन लूट लिया । जिसके कारण से साधू के पास अब कुछ ‌‌‌भी नही बचा था ।

जब साधू सुबह उठ कर अपने पैसे देखने लगा तब उसे पता चला की उसके पैसे तो उसके पास है ही नही। क्योकी उसने अपने पैसे ऐसे स्थान पर रखा था जो आसानी से किसी को पता नही चलता था । जिसके बारे मे साधू और उसके सेवक को ही पता था ।

जिससे साधू को तुरन्त समझ मे आ गया की सेवक ने ही उसके पैसे ‌‌‌चोरी करा दिए है । अब साधू के पास कुछ नही बचा था जिसके कारण से साधू गाव मे जाकर लोगो से खाने के लिए मागने लगा तो जिस गाव मे साधू रहता था वहा के लोग भी उसके पिछे भागने लगे क्योकी लोगो को पता चल गया की यह एक साधू नही है बल्की ढोगी है ।

घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे पर कहानी ghar ka bhedi lanka dhaye muhavare par kahani

जिसके बारे मे साधू के सेवक ने लोगो का बताया था । ‌‌‌जब इस बारे मे साधू को पता चला तो उसे समझ मे आ गया की घर का भेदी लंका डाए । इसी तरह से उस गाव के लोगो को समझ मे आया की साधू और सेवक मे लडाई होने के कारण से ही सेवक ने साधू का भेद हमारे सामने खोला है । इस तरह से फिर साधू को अपना काम छोड कर दूर जाना पडा । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का ‌‌‌अर्थ क्या है ।

घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे पर निबंध  ghar ka bhedi lanka dhaye muhavare par nibandh

‌‌‌साथियों ‌‌‌आजकल आपने देखा होगा की दो भाईयो मे किसी बात के कारण से झगडा हो जाता है जिसके कारण से दोनो भाई एक दुसरे के भेद दुसरो के सामने खोल देते है । जिससे उन्हे नुकसान पहुंचता है । इसी तरह से जब किसी कारण से दो या अधिक व्यक्तियो के बिच फुट पैदा हो जाने ‌‌‌से वे नुकसान के कारण बनते है । ‌‌‌

‌‌‌इस तरह से आज के समय मे अनेक लोगो के साथ ‌‌‌ऐसा ही हो रहा है । इस तरह के लोगो मे सबसे ज्यादा वे ही लोग होते है ‌‌‌जिनके बिच मे काफी नजदिकिया होती है । क्योकी ऐसा ही कोई व्यक्ति अपने साथ वाले के बारे मे पूरा जानता है । इस कारण से झगडा पैदा या फुट पैदा हो जाने के कारण से ऐसे ही लोग नुकसान पहुंचाने ‌‌‌की कोशिश करते है ।

इस कारण से इस मुहावरे का उदहारण देकर ऐसे लोगो के बारे मे बताया जाता है क्योकी विभीषण ने भी ऐसा ही किया था । जिसके बारे मे आपको पता है । इस तरह से जब किसी के साथ ‌‌‌ऐसा होता है तो इसे घर का भेदी लंका ढाए कहते है ।

घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ghar ka bhedi lanka dhaye in Hindi

दोस्तो आपको पता है की लंका का एक ही राजा था जो की रावण था और रावण को जब राम बार बार मारने की कोशिश कर रहे थे तब भी रावण मरने का नाम ही नही ले रहा था ।

मगर फिर उसके ही भाई ने बताया की इसकी नाभी मे मारने पर ही यह मरेगा । और इस तरह से रावण की मृत्यु का भेद खोल दिया गया था ।

मगर भेद खुलने के पीछे का कारण यही था की दोनो में झगड़ा था और यह आपसी फुट ही भेद खालेने का काम कर रही थी और इस तरह से आपसी फूट से भेद खुलना ही असल में इस मुहावरे का सही अर्थ होता है और जहां पर भी आपसी फूट से भेद खुलने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है और यह आपको पता होना जरूरी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।