आगे नाथ न पीछे पगहा का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

आगे नाथ पीछे पगहा मुहावरे का अर्थ aage nath na piche pagaha muhavare ka arth – किसी प्रकार की जिम्मेदारी होना

दोस्तो जब कोई व्यक्ति अपने घर मे अकेला होता है तो वह अपने अनुसार काम करता है और अपने अनुसार जीवन गुजारता है । अगर वह किसी समय काम भी नही करता है तो उसे ‌‌‌किसी प्रकार की हानी नही ‌‌‌होती ‌‌‌है ।

इस तरह के अकेले व्यक्तियों पर किसी चिज की जिम्मेदारी नही होती है की उन्हे वह काम करना है । ऐसे लोग तो अपने अनुसार काम करते है । इस तरह से जब किसी व्यक्ति पर किसी चिज की जिम्मेदारी नही होती है यानि वह पूर्णतया बंधनरहित होता है तो ऐसे लोगो के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग किया ‌‌‌जाता है ।

आगे नाथ न पीछे पगहा का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग aage nath na piche pagha muhavare ka vakya me prayog

  • प्रणवीर आगे नाथ न पीछे पगहा है उसे भला दिन रात काम करने की क्या जरूरत है ।
  • खिचड़दास का पिता धनवान होने के कारण से खिचड़दास आगे नाथ न पीछे पगहा बना फिरता है ।
  • लुणकचंद के पास धन ‌‌‌कोई कमी है तभी वह दिन रात गलियो मे ‌‌‌फिरता रहता है ‌‌‌यह तो वही बात हुई आगे नाथ न पिछे पगहा ।
  • पिता के मर जाने के बाद रवींद्र की हालत आगे नाथ न पिछे पगहा वाली हो गई ।
  • रामू के बेटे बेटी तो है नही तभी वह आगे नाथ न पीछे पगहा बना फिरता है ।
  • हरजारीलाल को उसके पिता ने कितना समझाया की काम कर लो पर वह हमेशा आगे नाथ न पीछे पगहा की तरह रहना चाहता है ।
  • ‌‌‌जितने दिनो तक पिता था उतने दिनो तक तो रामलाल ने आगे नाथ न पीछे पगहा की तरह जीवन गुजारा पर पिता के मरते ही घर का सारा बोझ उस पर आ गिरा जिससे रामलाल दिन रात काम करने लगा है ।

‌‌‌आगे नाथ पीछे पगहा मुहावरे पर कहानी aage nath na piche pagaha muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी राज्य मे एक राजा रहा करता था । जिसका नाम खड़कदास था । राजा बहुत ही शांत स्वभाव का और दयालू था । इस कारण से वह अपने राज्य की प्रजा को कभी भी कष्ट नही होने देता था । उसके घर मे उसकी दो पत्नी व तिन लडकी व दो बेटे थे ।

राजा की ‌‌‌सभी संताने बडी होने लगी थी तो राजा ने देखा की मेरे दोनो बेटो मे से छोटा बेटा बडा नालायक है वह किसी चिज की कोई फिकर ही नही करता है और जब उसे कोई काम दिया जाता है तो वह उस काम को भी नही करता है ।

इस तरह से देख कर राजा मन ही मन सोचने लगा की यह मेरा बेटा है इस कारण से इसे युद्ध और राज्य की ‌‌‌जिमेदारीयो का पता होना चाहिए । इस तरह से सोच कर राजा ने अपने दोनो बेटो को अलग अलग दो गुरूकुल मे भेजा जहा पर युद्ध और ज्ञान का अभयास कराया जाता था ।

वे गुरूकुल बडे लडको के लिए ही थे जो छोटी उम्र मे नही पढ पाए और जब वे बडे होने लगे तो उन्हे जिम्मेदारी कैसे संभालनी है इस तरह के ज्ञान के लिए ‌‌‌बनाए गए थे । उन दोनो गुरूकुलो को अनेक राजा अपना कृत्वय समझ कर चलाते थे ।

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साथ ही उस गुरूकुल मे एक बडा ज्ञानी और युद्ध को अच्छी तरह से जानने वाले गुरू को रखा था । इस तरह से राजा खड़कदास के दो बेटे अलग अलग युद्ध कला सिखने लगे थे ।

क्योकी उनकी उम्र बहुत अधिक हो गई थी इस कारण से उन्हे युद्ध ‌‌‌सिखने मे अनेक परेशानी आई जिनसे हार मान कर राजा खड़कदास का छोटा बेटा गुरूकुल से भाग कर अपने राज्य मे आ गया और पिता के पास आकर कहने लगा की मैं कभी भी वहा नही जाउगा ।

इस तरह से देख कर पिता ने उसे बहुत सुनाया पर जब राजा की ‌‌‌पत्नियों ने यह देखा तो उन्हे दया आने लगी इस कारण से अपने बेटे से कहा तो ‌‌‌तुम यही रहना । इस तरह से फिर खडकदास का बेटा महल मे रहने लगा था और कभी भी वह अपने राज्य मे ऐसे ही फिरने के लिए चला जाता था ।

जिसके बारे मे जान कर राजा को बहुत ही क्रोध आता पर वह अपनी ‌‌‌पत्नियों के लिए उसे कुछ नही कहता था । इसी तरह से समय के साथ राजा का बडा बेटा युद्ध कला सिख कर अपने घर आ गया ‌‌‌था । इस बात को एक ही माह हुआ था की राजा खड़कदास के राज्य पर हमला हो गया जिसके कारण से उनकी मृत्यु हो गई थी ।

राजा की मृत्यु हो जाने के बाद मे उस राज्य को राजा का बडा बेटा संभालने लगा और छोटा बेटा अभी भी जिम्मेदारियों से मुक्त फिर रहा था । इस तरह से कई दिन बित जाने के बादमे एक दिन राजा खड़कदास ‌‌‌के बडे बेटे ने योजना बनाई और किसी तरह से अपने भाई को जिम्मेदारिया संभालने को कही ।

जिम्मेदारिया मिल जाने के कारण से वह उन जिम्मेदारियों को पूरा करने मे लगा रहा था जिसके कारण से उसे इधर उधर फिरने का समय ही नही मिलता था । इस कारण से एक दिन उसने अपने भाई से झगडा कर कर कहा की मैं किसी प्रकार ‌‌‌काम करना नही चाहता हूं आप मुझे किसी प्रकार का काम न दे ।

इस तरह से फिर जब राजा अपने भाई को कोई काम देता तो वह उसे पूरा नही करता था । राजा ने उसे फिर काम देना बंद कर दिया । इस तरह से फिर राजा का भाई आराम से महल मे रहता और सारे दिन आराम करता रहता था ।

‌‌‌यह देख कर एक दिन फिर राजा खड़कदास की ‌‌‌पत्नियों ने अपने बडे बेटे (जो अब राजा बन चुका था) के साथ मिल कर एक योजाना बनाई और कहा की किसी तरह से छोटे बेटे को जिम्मेदारी संभालनी ही होगी वरना यह अपने लिए भी कुछ नही कर सकता है ।

इसके तो आगे नाथ न पिछे पगहा है । इस तरह से फिर सभी एक साथ हो गए तो उसे ‌‌‌छोटे छोटे काम देने लगे । जिसके कारण से वह छोटा सा काम है ऐसा सोच कर उन्हे करने लगा था । धिरे धिर उसे बडे काम मिलने लगे थे । इस तरह से वह फिर उन कार्या को भी करने लगा था।

इस तरह से एक दो वर्षो तक चलता रहा जिसके कारण से फिर वह अब अपने महल की कुछ जिम्मेदारी संभालने लगा था। यह सब महल ‌‌‌में काम करने वाले लोगो ने देखा तो वे चोक गए और सोचने लगे की यह आगे नाथ न पीछे पगहा की तरह अपना जीवन गुजारता था ।

‌‌‌आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे पर कहानी aage nath na piche pagaha muhavare par kahani

पर आज यह महल की जिम्मेदारी कैसे संभालने लगा था । इस तरह से उन लोगो को समझ मे नही आ रहा था की आखिर क्या हुआ था । पर इसके बादमे राजा खड़कदास के बेटे ने इसी तरह से ‌‌‌अपना बाकी की जीवन गुजारा था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे पर निबंध aage nath na piche pagha muhavare par nibandh

साथियो आपने उपर दी गई कहानी मे पढा की किस तरह से राजा खड़कदास के प्रयास करने पर भी उसका छोटा बेटा किसी प्रकार की जीम्मेदारी नही संभालता था । ‌‌‌और उनके मर जाने के बाद मे उसके भाई और उसकी माताओ ने एक साथ होकर उसे जिम्मेदारी संभालने के काबिल कर दिया था ।

पर जब कोई राजा खडकदास के छोटे बेटे की तरह किसी प्रकार की जिम्मेदारी नही संभालता है यानि वह पूरी तरह से जिम्मेदारी से मुक्त होता है तो ऐसे लोगे के लिए ही इस मुहावरे का ‌‌‌प्रयोग करते है । इस तरह से आपको इस मुहावरे के बारे मे पता चल गया होगा ।

आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of na aage nath na piche pagaha in Hindi

दोस्तो यह मुहावरा किसी के न तो अगे होने के बारे में बता रहा है और न ही किसी के पीछे होने के बारे में बता रहा है। और मानव जीवन में जब इस तरह से होता है तो वह अकेला ही होता है । अगर कोई अपने घर में अकेला है तो उसके सिर पर किसी तरह की जिम्मेदारी नही होती है क्योकी वह स्वयं का पेट भर ले उसके लिए यही काफी है और इसे पूरा करना भी काफी आसान है । क्योकी अकेले व्यक्ति का पेट भरने के लिए बहुत सारी​ जिम्मेदारी को पूरा करने की जरूरत नही होती है ।

और इस बात से आपको यह समझना चाहिए की aage nath na piche pagaha muhavare ka arth – किसी प्रकार की जिम्मेदारी न होना होता है और यह आपने उपर समझ ही लिया है । अगर अगर कही पर किसी प्रकार की जिम्मेदारी न होने की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है । और यह आप अच्छी तरह से समझ सकते है ।

आशा है की आप मुहावरे को अच्छी तरह से याद कर चुके है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।