सूरज पर थूकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

सूरज पर थूकना मुहावरे का अर्थ suraj par thukna muhavare ka arth – निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराना

दोस्तो ‌‌‌जो व्यक्ति जुर्म करता है उसे दोषी कहा जाता है और जो व्यक्ति जुर्म नही करता है उसे निर्दोष कहा जाता है । इस कारण से दोषी को सजा होती है और निर्दोष दोष से मुक्त होता है । मगर जब कभी किसी कारण से निर्दोष व्यक्ति पर दोष लगाया जाता है की यही दोषी है तब उस निर्दोष व्यक्ति को बहुत बडा ‌‌‌धक्का सा लगता है।

इस कारण से कहा जाता है की निर्दोष व्यक्ति को सजा नही होनी चाहिए भले ही 100 अपराधी क्यो न छुट जाए । मगर जब कभी निर्दोष व्यक्ति पर दोषी होने ‌‌‌का लांछन लगाया जाता है या निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है तो इसे सूरज पर थूकना कहा जाता है ।

सूरज पर थूकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

सूरज पर थूकना मुहावरे का ‌‌‌वाक्य में प्रयोग suraj par thukna muhavare ka vakya me prayog

  • महेश आपके यहां काम करता है तो क्या हुआ जब भी चोरी होगी उसे ही दोषी ठहराया जाएगा उसके जैसा व्यक्ति आपको कही मिलेगा ‌‌‌तक नही आपने तो सूरज पर थूकने वाला काम कर दिया ।
  • जब हजारी के घर मे चोरी हो गई तो वह अपने घर मे आए मेहमानो पर दोष लगा कर सूरज पर ‌‌‌थूकने लगा ।
  • मैं ललिता ‌‌‌को बहुत ही अच्छी तरह से जानती हुं वह कभी भी कोई गलत काम नही कर सकती मैं बुरी बता कर सूरज पर थूकने वाला काम नही करूगी  ।
  • वर्तमान मे लोग पैसो के कारण से सूरज पर थूकने ‌‌‌को तैयार हो जाते है ।
  • साहब भले हम गरीब होगे पर कभी चोरी करने जैसा घटिया काम नही करेगे मगर आपने हमे चोर ठहराकर सूरज पर थूकने वाला ‌‌‌काम ‌‌‌कर दिया ।
  • अदालत में जब वकिल बार बार प्रताबसिंह को दोषी कह कर पुकारने लगा तो जज ने कहा की जब तक इसका जुर्म साबित नही हो सकता इसे दोषी कह कर सूरज पर थूकने वाला काम मत करो ।

‌‌‌सूरज पर थूकना मुहावरे पर कहानी suraj par thukna muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे रामानन्द नाम का एक राजा रहा करता था । राजा बहुत ही ज्ञानी और दयावान था । जिसके कारण से वह हर फैसला बडी ही सोच समझ कर लेता था । जिसके कारण से राजा की प्रजा बहुत ही खुश थी । रामानन्द के सही फैसलो के कारण से उसका नाम दूर दूर होता ‌‌‌था ।

राजा रामानन्द के मंत्री मडंल यह देख कर बहुत ही खुश होते थे । क्योकी वे भी राजा की चतुराई के दिवाने थे जिसके कारण से वे भी राजा की तरह बनना चाहते थे । परन्तु राजा का एक छोटा भाई था जो राजा के इस तरह के नाम होने से बहुत ही जलता था ।

यानि राजा की तरीफ वह सुनना पंसद नही करता चाहता था । इसका ‌‌‌कारण राजा की गद्दी थी क्योकी वह स्वयं ही राजा बनना चाहता था । इस कारण से वह राजा के इस तरह से सच्चे न्याय करने के तरिके को तोडना चाहता था । क्योकी उसे पता था की अगर एक बार राजा ने किसी निर्दोष को दोष दे दिया तो वे अपने आप को कभी माफ नही करेगे ।

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साथ ही हो सकता है की वे राजा के पद से हठ जाए ‌‌‌। ऐसा सोच कर राजा का भाई राजा के न्याय से किसी निर्दोष को सजा दिलाने के पिछे लग गया था । क्योकी चाहे जितना भी बडा ज्ञानी क्यो न हो उससे भी कभी न कभी गलती हो जाती है जिसके कारण से राजा तो था ही क्या उससे भी एक दिन ऐसी गलती हो गई ।

यानि राजा के भाई के उकसाने पर और गलत सबुत पैश होने के ‌‌‌कारण से राजा रामानन्द ने एक गरीब को सजा दे दी । उस समय यह हुआ था की उनके राज्य मे ही एक गरीब व्यक्ति रहा करता था । जिसके घर मे उसकी पत्नी और दो बेटिया रहा करती थी ।

जिनका पेट भरने के लिए वह आदमी आस पास के लोगो के घरो मे जाकर उनके घर का काम कर दिया करता था । ‌‌‌जिससे उसे कुछ खाने को मिल जाता था । उस आदमी के घर के पास ही एक बहुत बडा सेठ रहता था । जिसके पास पैसो ‌‌‌की कोई कमी नही थी ।

वह सेठ पैसो के मामले मे किसी से रिस्ता नही रखता था । यानि पैसो का वह बहुत ही लालची था । मगर एक दिन सेठ बहुत से पैसे ‌‌‌लेकर अपने घर आया था । उस समय वह गरीब आदमी भी सेठ के घर मे काम कर रहा था । तब उसने सेठ के मुंह से सुन लिया की इस बैग मे बहुत पैसे है ।

क्योकी जब सेठ अपनी पत्नी को पैसे रखने के लिए दे रहा था तब सेठ ने अपनी पत्नी से ऐसा कहा । सेठ की पत्नी बहुत ही भुलकड थी जिसके कारण से वह पैसे लेकर इधर उधर रख ‌‌‌कर भूल गई । ‌‌‌मगर बादमें सेठ की पत्नी ने बहुत पैसे तलासे मगर उसे पैसे नही मिले । जब सेठ को इस बारे मे बताया तो सेठ भी अपने पूरे घर को पैसो के लिए ‌‌‌छानने को लग गया । मगर सेठ को पैसे नही मिले ।

तब सेठ ने अपनी पत्नी से पूछा की घर मे कोन कोन आया था । तभी सेठ को उस गरीब आदमी की याद आई । तब सेठ गरीब आदमी को देखने के लिए चला गया । तभी सेठ ने देखा की वह नए नए कपडे पहन रहा है साथ ही उसकी बेटियो ‌‌‌ने भी आज नए कपडे पहन रखे है । यह देख कर सेठ को लगा की ‌‌‌इसी ने पैसे चोरी ‌‌‌कीहै ।

तब सेठ उससे ‌‌‌पैसो के बारे में पूछने लगा मगर उसने कहा की मुझे पता नही । जब वह आदमी बार बार ऐसा कहने लगा तो सेठ इस बात को राजा रामानन्द के पास लेकर चला गया । जिसके कारण से राजा ने उस गरीब आदमी को बुलाया और उससे पूछने लगा । मगर अब भी वह कह रहा था की उसने कोई चोरी नही की है ।

साथ ही उसने ‌‌‌राजा से कहा की महाराज मे सेठ के पास काम करता हूं और उन्होने ही मुझे चोर ठहराकर सूरज पर थूकने वाला काम कर दिया । यह सुन कर सेठ कहने लगा की मैं कह सकता हूं की यही चोर है । जब राजा ने ऐसी बात सेठ से ‌‌‌सुनी तो उसे सेठ सही लगा तभी राजा का वह भाई बोल पडा की यह गरीब व्यकित ही चोर है ।

‌‌‌तब राजा ने अपने भाई को ही इस बात की छानविन करने के लिए भेज दिया । मगर उन्हे अभी तक पता नही चला की वह गरीब आदमी ही चोर है । मगर राजा रामानन्द के भाई को जो मोका चाहिए था वह उसे मिल गया । जिसके कारण से उसने किसी तरह से राजा को समझा दिया की यह आदमी ही चोर है और सेठ सही कर रहा है ।

उसके साथ ‌‌‌साथ राजा की ‌‌‌पूरा मंत्रिमंडल यही बात बोलने ‌‌‌लगा था । जिसके कारण से राजा को कुछ समझ में नही आ रहा था । तब राजा ने बिना सोचे समझे ही उसे ही दोषी करार देकर तहखाने मे डाल दिया और पता करने लगा की पैसे कहा है । जिसके लिए राजा के सेनिको ने उस गरीब आदमी को बहुत मारा पिटा । इस बात को कुछ ही समय ‌‌‌हुआ था की सेठ की पत्नी को पैसे मिल गए ।

जिसे लेकर वह राजा के पास आकर अपने पति को सारी बात बता दी । जिसे जानने के बाद मे सेठ ‌‌‌ने राजा को सारी सचाई बताई और उसने जो कारनामा कर कर उस आदमी को जेल भेजा था जिसके लिए वह राजा से माफी मागने लगा था । जब राजा ने सेठ के मुंह से ऐसा सुना तो वह हिलने लगा और वह ‌‌‌मन ही मन सोचने लगा की उसने आज एक सही व्यक्ति को सजा देकर सूरज पर थूक दिया ।

यह जानने के बाद मे राजा ने उस आदमी को छोडने के लिए सेनिको से कह दिया । मगर अब उस आदमी की हालत ऐसी हो रही थी की उससे सही तरह से चला भी नही जा रहा था । जिसे देख कर राजा बहुत ही दुखी हुआ और उससे आंखे तक नही मिला पा ‌‌‌रहा था ।

साथ ही जब सेठ ने यह सब देखा तो उसे भी बहुत बुरा लगा तब उसने उस आदमी से कहा की मेरी पत्नी के कारण से मैंने तुम्हे गलत समझ कर सूरज पर थूक दिया । साथ ही सेठ ने कहा की जिन पैसो के कारण से तुम्हे इतना कष्ट झेलना पडा है वह सब तुम्हारा है । मगर अब भी राजा अपने किए पर पछता रहा था । जिसके ‌‌‌कारण से फिर राजा ने भी उस आदमी को अपनी मंत्रिमंडल मे सामिल करने को कहा ।

‌‌‌सूरज पर थूकना मुहावरे पर कहानी suraj par thukna muhavare par kahani

जिसे ‌‌‌सुन कर राजा का भाई कहने लगा की यह नही हो सकता । तभी राजा ने कहा की नही ऐसा ही होगा अगर तुमने सही तरह से कार्यवाही की होती तो आज मेरे से इतना बडा जुर्म नही होता । इसके साथ ही राजा ने उस आदमी से माफी मागी और उसे घर‌‌‌भेज दिया । यह सब होने के कारण से राजा अपने आप के ‌‌‌किय पर पछताता रहा साथ ही सेठ भी यही सोच रहा था ।

मगर उस आदमी को बहुत बडा फायदा हो गया वह गरीबी से मुक्त होकर ‌‌‌अमीर महलो मे रहने वाला बन गया और राजा के महल मे मंत्रिमंडल में काम करने लगा था । जिसके कारण से उसका जीवन बडी ही सानदार तरीके से चलने लगा था । इस तरह से आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया ‌‌‌होगा ।

सूरज पर थूकना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of suraj par thukna in Hindi

दोस्तो हमेशा से मानव जो होता है वह सूर्य देव की पूजा करता आया है और यह जो सूर्यदेव है वह सूरज ही होता है  और यह वही सुरज है जिसके कारण से हम दिन और रात का अंतर कर पाते है।

इसका मतलब होता है की सूरज जो होता है वह असल में पूरी तरह से सही है।कहने का मतलब है की अगर कुछ धरती पर गलत होता है तोइसका कारण सूरज कभी नही होता है ओर शायद यह आप समझ सकते है।

मगर फिर भी अगर इसी सूरज को गलत ठहराया जाता है तो यह तो वही बात हुई की निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराना । और इसे ही सूरज पर थूकना कहा जाता है।

और इसी छोटी सी बात के कारण से आप समझ सकते है की suraj par thukna muhavare ka arth – निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराना है।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।