होनहार बिरवान के होत चिकने पात का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

होनहार बिरवान के होत चिकने पात मुहावरे का अर्थ honhar birvan ke hot chikne paat muhavare ka arth – जो होनहार होते है उनकी प्रतिभा बचपन मे ही दिखाई देना।

दोस्तो कहा जाता है की जो भी कोई मनुष्य अपने बचपन मे होता है उस ‌‌‌समय अगर किसी के चिकने पैर होते है तो कहा जाता है की यह बहुत ही होशियार होगा । और इसी कारण से उसके महान होने और महान कार्य करने के बारे मे अनुमान लगाया जाता है ।

अब अगर वह व्यक्ति या बालक बडा हो जाता है तब वह महान कार्य करता है तो उसके लिए कहा जाता है की इसके होनहार होने की प्रतिभा तो बचपन ‌‌‌मे ही दिखाई देती थी । इस तरह से ‌‌‌होनहार के लक्षण बचपन मे दिखाई देने को होनहार बिरवान के होते चिकने पात कहा जाता है ।

होनहार बिरवान के होत चिकने पात का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌होनहार बिरवान के होते चिकने पात का वाक्य मे प्रयोग honhar birvan ke hot chikne pat ka vakya me prayog

  • हनुमान जी ने बचपन मे सुर्य को फल समझ कर उसे खाने के लिए चले गए ‌‌‌और बडे हुए तो वे महान कार्य करने लगे इसे कहते है होनहार बिरवान के होते चिकने पात ।
  • ‌‌‌कृष्णजी के बचपन मे चमतकारो को देख कर लोगो ने कह दिया की यह जरूर कोई महान व्यक्ति है और जब बडे हुए तो उन्होने इस बात को सच कर कर बता दिया की होनहार बिरवान के चिकने पात ।
  • बेटे के सरल स्वभाव को देख कर मैं कह सकता हूं की यह जरूर कोई महान होगा क्योकी होनहार बिरवान के चिकने पात होते है ।
  • चंद्रगुप्त को देख कर चाणक्य ने कहा की यही लोगो का कष्ट हरने वाला और बलशाली होगा ‌‌‌क्योकी होनहार बिरवान के होते चिकने पात ।

होनहार बिरवान के होते चिकने पात पर कहानी honhar birvan ke hot chikne paat par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा ‌‌‌रहा करता था । राजा बहुत ही बलशाली था और अपने बल के कारण से लोगो को कष्ट देता रहता था । उनसे काम कराता और अपनी तिजोरी भरता रहता था ।

साथ ही जो भी कोई उससे युद्ध करता तो लोगो को ही अपनी सेना मे ले जाकर युद्ध करवाता । इस तरह से राजा लोगो को सुख से नहीं रहने देता और जब उन्हें पता चल जाता की कोई व्यक्ति उनके राज्य मे होकर खुशी मना रहा है तो वह उनसी खुशी मे विघन डालने के लिए अपने सेनीको को भेज कर उन्हे सजा देता था ।

इस तरह से कह सकते है की राजा बहुत ही पापी था और लोगो को हर समय कष्ट देता था । इस तरह का राजा होने के कारण से उस नगर की प्रजा भी काफी दुखी थी और अपने दुख के कारण से हर ‌‌‌दम आंखो मे आसु रखा करती थी ।

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पर वे अपने राजा के सामने कुछ नही कर सकते थे क्योकी अरग कोई राजा ‌‌‌के खिलाफ अवाज उठाता और ‌‌‌जब राजा को इस बारे मे पता चल जाता तो राजा उसे लोगो के सामने कष्ट दे देकर या तडपा तडपा कर मारता था ।

जिसके कारण से लोगो मे राजा का काफी अधिक खोफ छाया था । वहा की ‌‌‌प्रजा बस इसी आस मे रहती थी की कोई आएगा और वह हमे बचा लेगा । इस तरह से उस राज्य मे एक निर्धन ब्राह्मण रहा करता था ।

ब्राह्मण होने के कारण से राजा उसे इतना ज्यादा कष्ट नही देता था । इसी तरह से उस ब्राह्मण के घर मे जब एक बालक का ‌‌‌जन्म हुआ ‌‌‌तब आस पास के लोग सोच रहे थे की यह और इस राज्य के कष्टो को झेलने के लिए आया है ।

तब ब्राह्मण के देखने पर उसे लगा की यह जरूर कोई महान कार्य करने वाला है । क्योकी ब्राह्मण ने उसके चेहरे और पैरो पर एक अलग ही चमक देखी थी । पर उसने इस बारे मे अपनी पत्नी के ‌‌‌अलावा किसी और से बात नही की थी। ‌‌‌

तब ब्राह्मण की पत्नी ने कहा की अगर आप कह रहे है वैसा ही होगा तो इसे होनहार बिरवान के होते चिकने पात कहेगे । धिरे धिरे जब वह बालक बडा हो गया और अपने आस पास के लडको के साथ खेलता तो वह कई लडको को ‌‌‌अकेला ही हरा देता था ।

इस तरह से अनेक लडके एक साथ होते और वह अकेला एक साथ होता फिर भी अनेक लडके उसे नही हरा सकते थे । तब यह देख कर लोगो को लगने लगा की यह जरूर कोई बलशाली है ‌‌‌जिसने ब्राह्मण के घर मे जन्म लिया है । जब धिरे धिरे वह बालक और बडा हो गया तो लोगो उसके बल को देख कर आस लगाने लगे की यह जरूर हमारे कष्टो को कम करेगा ।

जब राजा को इस बारे मे पता चला की उसके नगर मे एक बलशाली लडका रहता है जो अनेक लडको को अकेला ही हरा सकता है तो उसने सोचा की उसे अपनी सेना मे ‌‌‌शामिल करूगा तो मेरी सेना भी बलवान हो जाएगी और वह मेरे बहुत काम आएगा ।

ऐसा सोच कर राजा ने उसे अपनी सेना मे सामिल कर लिया । उसके बाद मे राजा के पास वह बालक युद्ध का अभ्यास करने लगा था । इसी तरह से युद्ध का अभयास करते हुए वह बालक काफी बडा हो गया और अब उसे लोगो के दुखो को देख कर दुख होता और राजा ‌‌‌के द्वारा लोगो को दिए गए कष्टो को देख कर वह अपने आप को भी दोषी मानता था ।

पर वह राजा का अब सामना नही कर सकता था और न ही वह इस बारे मे सोच रहा था । इस करण से वह युद्ध करने की कलाओ को सिखता गया । धिरे धिरे वह बालक बहुत ही बलशाली बन गया था और अब राजा की आधी सेना भी उसे नही हरा सकती थी ।

यह देख ‌‌‌कर राजा ने उसे अपनी सेना का सेनापति बना दिया । सेनापति बन जाने के कारण से उस ब्राह्मण को तो राजा कोई कष्ट नही देता था पर लोगो को देता था । बालक बहुत ही सरल स्वभाव और किसी के दुख को देख कर दुखी हो जाने वाला था इस कारण से वह भी लोगो की पिडा देख कर दुखी हो जाया करता था ।

तब एक दिन उसने ‌‌‌लोगो के कष्टो के बारे मे अपने पिता से जाना तो उन्होने कहा की राजा कई वर्षो से हमे दुख देता आ रहा है पर हम क्या कर सकते है ।

इसी तरह से फिर उस बालक यानि सेनापति ने लोगो से दुखो के बारे मे जाना तो वे कहते की तुमने और तुम्हारे राजा ने ही हमे कई वर्षो से आराम से सोने भी नही दिया था और तुम दुख ‌‌‌की बात कर रहे हो ।

इस तरह से फिर ब्राह्मण के बालक यानि सेनापति को पता चल गया की राजा को इस दुनिया मे रहने का कोई भी हक नही है । राजा वही होता है जो अपनी प्रजा की रक्षा करे न की उन्हे कष्ट दे ।

इस तरह से सोच सोच कर उसकी नजरो मे राजा बुरा बन गया था । तब एक दिन उसने सोच लिया की वह अपने राजा ‌‌‌की हत्या कर देगा । इसी सोच के साथ सेनापति अपना जीवन गुजार रहा था ।

तब एक दिन राजा ने किसी कारण से उस बालक यानि सेनापति के पिता को ‌‌‌कारावास मे डलवा दिया और उन्हे पिडा दी । तब उसके इस गुस्से को ‌‌‌बढते देर नही लगी और उसने अपने पिता को छोडने के लिए कहा ।

तब राजा नही माना तो उसने अपनी तलवार ‌‌‌निकाली और राजा को मारने के लिए उसके पास चला गया । तब राजा ने अपने सेनिको से कहा की इसे पकड लो और ‌‌‌इसे भी इसके पिता के पास भेज दो ।

इतना सुन कर राजा की सेना उसे पकडने के लिए आई तो उस सेनापति ने अपनी सेना को रोक लिया क्योकी वह उस सेना का सेनापति था इस कारण से सभी उसकी बात मानते थे ।

होनहार बिरवान के होते चिकने पात पर कहानी honhar birvan ke hot chikne paat par kahani

उसकी ‌‌‌बात मान कर सेना ने उसे नही पडा तो राजा के मंत्रियो ने सेनापित यानी ब्राहमण के बालक पर हमला किया । तब उसने भी अपनी कलाकारी दिखाई और पल भर मे मंत्रीयो को मार दिया । यह देख कर राजा घबरा गया पर उसने हार नही मानी तो सेनापति उसे भी मारने के लिए आगे ‌‌‌बढा ।

तब राजा और सेनापति के बिच मे काफी अधिक ‌‌‌समय तक युद्ध हुआ । पर अंत मे राजा की मुत्यु हो गई । राजा की मृत्यु हो जाने के कारण से सभी मंत्री सेनापति की बात मानने पर विवश हो गए और इसी खबर को सुन कर राजा ‌‌‌की नगर की प्रजा भी खुशीया मनाने लगी ।

तब सेना ने सेनापति के पिता को छोड दिया । जब ब्राह्मण ने देखा की उसके बेटे ने राजा को मार दिया ‌‌‌तो वह भी खुश हो गया । तब ब्राह्मण के आस पास के लोगो ने कहा की हमे तो इसके बचपन मे ही पता चल गया की यह बालक ‌‌‌कोई बडा कार्य करेगा । ‌‌‌यह सुन कर कुछ लोग बोले की यही तो है होनहार बिरवान के होते चिकने पात । ‌‌‌

इस तरह से फिर प्रजा ने उसे ही राजा बनने को कहा और फिर सेनापति यानि ब्राह्मण का बेटा उस राज्य का राजा बन गया और फिर वहा की प्रजा भी आराम से रहने लगी । ‌‌‌इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ आप समझ गए होगे ।

होनहार बिरवान के होत चिकने पात मुहावरे पर निबंध || honhar birvan ke hot chikne paat essay on idioms in Hindi

पुराने समय में जब हमारे दादा और उनके दादाओ का राज हुआ करता था तो कहा जाता था की बच्चे के बचपन को देख कर ही यह बताया जा सकता है की आगे जाकर यह ​कैसे कार्य कर सकता है । और उनके द्वारा जो भविष्यवाणी की जाती थी वह सही होती थी ।

और उसी के कारण से ऐसा माना जाता है की जो बच्चे अपने बचपन में होते है उनके पात को देखकर ही यह बताया जा सकता हे की यह आगे जाकर अच्छे कार्य करेगा या बुरे कार्य करेगा ।

और आपको इस मुहावरे के अर्थ के बारे में पता है की इसका अर्थ जो होनहार होते है उनकी प्रतिभा बचपन मे ही दिखाई देना होता है जो की आपने उपर समझा है।

तो इसका मतलब है की जब भी किसी बच्चे की प्रतिभा उसके बचपन में नजर आती है तो वहां पर कहा जाता है की honhar birvan ke hot chikne paat । इस तरह से इसका प्रयोग होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।