एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा का मतलब और वाक्य व निबंध

एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा मुहावरे का अर्थ ek to karela dooja neem chadha muhavare ka arth – बुरे व्यक्ति ‌‌‌का बुरी संगति मे पडने से और ‌‌‌बुरा बनना

दोस्तो आपको पता है की करेला बहुत ही कडवा होता है । जिसके कारण से उसे हर कोई पंसद नही करता है । इसी तरह से नीम भी एक ऐसा पेड है जो कडवा होता है ‌‌‌। अगर कभी करेला नीम के साथ रहने लगे तो वह और अधिक कडवा बन जाता है । इसी तरह से जब कोई बुरा व्यक्ति बुरे लोगो के साथ रहने लग जाता है तो वह और अधिक बुरा बन जाता है । इस कारण से बुरे व्यक्ति ‌‌‌का बुरी संगति मे पडने से और बुरे बनने को ही एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा कहा जाता है ।

एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ‌‌‌मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग ek to karela duje neem chadha muhavare ka vakya me prayog

  • रामू ‌‌‌के जैसा बुरा आदमी इस गाव मे कोई नही है और अब वह गुंडो के साथ रहने लगा है यह तो वही हुआ एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ।
  • महेश हर समय मारपिट करता रहत है और अब उसके साथ कुछ लोग और मारपिट करने लगे है एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ।
  • किशोर को पहले तो क्रोध ही आता था ‌‌‌पर जब से उसके साथ महावीर हुआ है वह लोगो के साथ बदतमीजी करने लगा है यह तो वही बात हुई एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ।
  • जब से लालूयादव के साथ राहुल रहने लगा है तब से लालू दिन रात जुआ खेलने लगा है एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ।
  • पहले तो कालू चोरिया ही करता था पर जब से वह जेल मे रहकर आया है लोगो के साथ ‌‌‌मारपीट भी करने लगा है यह तो वही बात हुई एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा ।

‌‌‌एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा मुहावरे पर कहानी ek to karela dooja neem chadha muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक सेठ रहा करता था । सेठ बहुत ही लालची था । वह लोगो को ठगने का एक भी मोका नही गवाता था । सेठ के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी जिसके कारण से उसके अनेक तरह के कार्य चलते थे । जिनमे से सेठ लोगो को पैसे ब्याज पर ‌‌‌देने का काम भी करता था ।

इसी तरह से सेठ की कई प्रकार की दुकाने भी चलती थी । जिनको सेठ के बेटे देखा करते थे । सेठ के चार बेटे थे जो सेठ के हर काम मे उनकी मदद करते थे । जिसके कारण से सेठ को हर तरह का काम आसानी से करने को मिल जाता था। सेठ के बेटे भी सेठ की तरह ठगाखोर और लालची थे ।

उन्हे भी जब ‌‌‌भी मोका मिलता तो वे लोगो को ठगने लगते थे । इस तरह से उन्हे लोगो को ठगते हुए कई वर्ष बित गए थे । पर गाव मे कोई भी पढा लिखा नही था जिसके कारण से उन्हे हिसाब किताब का कुछ पता नही ‌‌‌चलता था । जिससे किसी को भी सेठ और उसके बेटो के बारे मे पता नही चला था।

सेठ की अपने गाव के अलावा आस पास के ‌‌‌शहरो मे भी कई प्रकार के काम चलते थे । जिसके कारण से ज्यादातर लोग सेठ से ही अपने उपयोग की वस्तु खरीदते थे । इसी तरह से एक बार सेठ ने अपने बडे बेटे को पास के शहर मे एक सुनार की दुकान खोल कर दी थी ।

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जिसमे सेठ का बडा बेटा तरह तरह के जेवरात रखता था । जिसके कारण से अनेक तरह के लोग सेठ के बेटे के ‌‌‌पास से जेवरात खरीदने के लिए आने लगे थे । इसी तरह से एक बार की बात है ज्ञानप्रकाश नाम का एक आदमी सेठ के बेटे के पास कुछ जेवरात खरीदने के लिए आया था । क्योकी ज्ञानप्रकाश की बेटी का विवाह था ।

जिसके कारण से उन्हे बहुत से जेवरात चाहिए थे । तब सेठ के बेटे ने कहा की ठिक है हम आपको जेवरात दे देगे ‌‌‌। ज्ञानप्रकाश भी धनवान था जिसके कारण से वह पैसे उसी समय देने को तैयार हो गया था पर सेठ के बेटे ने कहा की आप अभी अपनी बेटी का विवाह कर दिजिए फिर पैसे दे देना ।

इस तरह से जब सेठ के बेटे ने दो तिन बार कहा तो ज्ञानप्रकाश भी सोचने लगा की ठिक है इन्हे पैसे बादमे दे देगे अभी पैसे बेटी के विवाह मे ‌‌‌काम आ जाएगे । तब ज्ञानप्रकाश ने उन सभी जेवरातो के पैसो का बिल्ल बना लिया था ।

इसी तरह से जब ज्ञानप्रकाश की बेटी का विवाह हो गया और इस बात को दो महिने हुए तो एक दिन सेठ का बेटा उसके पास पैसे लेने के लिए गया । तब ज्ञानप्रकाश भी उसे पैसे देने लगा था । परन्तु अब सेठ का बेटा उसे ठगने के इरादे ‌‌‌से और अधिक पैसे मागने लगा था ।

तब ज्ञानप्रकाश ने उसे बहुत समझाया की उस दिन तो आपने इतने ही रूपय बताए थे । पर अब सेठ का बेटा मानने को तैयार ही नही था की उसने ज्ञानप्रकाश को इतने ही रूपयो मे समान बेचा था बल्की वह तो ज्यादा बताने लगा था ।

जब सेठ का बेटा नही मान रहा था तो ज्ञानप्रकाश ‌‌‌ने धोखाधडी का कैश बना कर सेठ के बेटे को जेल मे डाल दिया। क्योकी ज्ञानप्रकाश एक पुलिस वाला था । जिसके बारे मे सेठ के बेटे को पता नही था । जब सेठ को इस बारे मे पता चला तो वह अपने बेटे को छुटाने के लिए ज्ञानप्रकाश के पास चला गया ।

जिसके कारण से सेठ का बेटा जेल से छुट गया । मगर इस बिच मे सेठ का ‌‌‌बेटा पूरे तिन दिन जेल मे रहा । जेल मे सेठ का बेटा कुछ लूटेरो से मिल गया और उनसे दोस्ती कर ली । जब वे लूटेरे भी जेल से छुटे तो सेठ का बेटा उनके साथ रहने लगा था और बात बात पर लोगो से झगडा करने लगा था ।

साथ ही सेठ का बेटा लोगो के घरो मे डकेती भी कराने लगा था । जिसके बारे मे किसी को कुछ पता नही ‌‌‌था । इसी तरह से चलते हुए पूरा एक वर्ष हो गया । ‌‌‌अब शहर मे चरो और ‌‌‌दहशत मच गई की लोगो ‌‌‌के घरो मे डकेती हो रही है। तब लोग रात को अपने घरो मे आराम से सो भी नही पा रहे थे ।

इसी केश को लेकर एक दिन ज्ञानप्रकाश भेष बदल कर शहर मे निगरानी रख रहा था । तब उसने डकेती करते हुए कुछ लोगो को पकड लिया था । जब ‌‌‌ज्ञानप्रकाश ने उन डकेतो से सच उगलवाया की वे किसके कहने पर ऐसा कर रहे है तो उन्होने सेठ के बडे बेटे का नाम लिया ।

यह सुनते ही ज्ञानप्रकाश सोचले लगा की पहले तो वह लोगो को ठगता ही था और अब इन लोगो के साथ मिलकर डकेती करा रहा है यह तो वही बात हुई एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा । क्योकी ज्ञानप्रकाश का ‌‌‌काम ही गुनेहगारों को पकडने का था इस कारण से उसने सेठ के बडे बटे को पकड लिया और उसका चेहरा शहर के सभी लोगो के सामने लाया ।

‌‌‌एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा मुहावरे पर कहानी ek to karela dooja neem chadha muhavare par kahani

तब लोगो को यह भी पता चल गया था की पहले यह लोगो को ठगता था और अब लूटेरो के ‌‌‌साथ मिल कर घर मे डकेती कराता है । इस तरह से फिर सभी को पता चल गया की सेठ का बेटा ‌‌‌केसा है । इस तरह से फिर सेठ के बेटे को सजा हो गई और वह अपनी सजा काटने लगा था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा मुहावरे पर निबंध ek to karela dooja neem chadha muhavare par nibandh

साथियो करेला और नीम दोनो ही एक ही प्रकार के होते है । इसी तरह जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे के साथ रहने लग ‌‌‌जाता है जो उससे भी बूरा होता है । तब वह व्यक्ति भी पहले की तुलना मे और अधिक बुरा बन जाता है । और ऐसो व्यक्ति के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा कहा जाता है ।

आज के समाज मे ऐसे अनेक लोग है जो गलत लोगो की संगती मे पड कर बुरे बन रहे है । क्योकी बुराई को बहुत ‌‌‌आसानी से ग्रहण किया जा सकता है परन्तु अच्छाई को ग्रहण करने के लिए बहुत कठिनाई आती है । इस कारण से लोग बुराई की तरफ ज्यादा ‌‌‌बढ जाते है ।

एक विधार्थी के लिए पढाई से बढ कर कुछ भी अच्छा नही है। परन्तु पढाई करने मे उसे अनेक कठिनाई आती है जबकी कुछ अन्य कार्य जैसे टीवी देखना खेलना कुदना ‌‌‌आदी कार्यों मे उसका मन आसानी से लग जाता है ।

इस तरह से एक अच्छे विधार्थी की संगति अच्छी होगी तो वह अवश्य सफल होता है । परन्तु संगती अच्छी न होने पर वही विधार्थी बुरा बनता जाता है । इस कारण से इस मुहावरे मे संगती का असर बताया गया है। ‌‌‌इस तरह से आप इस मुहावरे के अर्थ के बारे मे जान गए होगे ।

एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ek to karela dooja neem chadha in Hindi

दोस्तो करेला के बारे में शायद आप सभी जानते है । आपको पता है की करेला एक तरह की सब्जी होती है जिसे कोई भी खाना पसंद नही करता है । मगर उसमें जो गुण होते है उनके बारे में जो कोई जानता है वह करेले को जरूर खाता है ।

मगर करेले का कड़वा या खारा होना ही यह कारण होता है की करेले को कोई खाना नही चाहेगा । तो यही कारण है की करेले को बुरा माना जाता है । वही पर नीम का पेड भी काफी बुरा होता है क्योकी वह भी खारापन लिए हुए होता हे और करेला जब नीम के पेड़ पर चढ जाता है तो वह और भी अधिक बुरा बन जाता है । मतलब बुरे व्यक्ति ‌‌‌का बुरी संगति मे पडने से और ‌‌‌बुरा बनना ही असल में ek to karela dooja neem chadha होता है । ओर इस बात का मतलब होता है की muhavare ka arth – बुरे व्यक्ति ‌‌‌का बुरी संगति मे पडने से और ‌‌‌बुरा बनना है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।