खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे मुहावरे का अर्थ khisiyani billi khamba noche muhavare ka arth – अपनी किसी बात का क्रोध दुसरो पर निकालना

दोस्तो आज के समय मे सभी अपने अपने कार्यो मे सफल होने के प्रयाश करते रहते है । पर जब वे लोग अपने कार्य मे सफल न हो सके यानि असफल हो जाते है तब ‌‌‌वे लोग अपनी असफलता के कारण से क्रोधित मे होते है । और अपने इस क्रोध को किसी दुसरो पर निकालते है ऐसा करने के कारण से उनके क्रोध मे कुछ शांति आ जाती है । इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी कारण से अपनी किसी बात का क्रोध दुसरो पर निकालते है तब वहा इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे का वाक्य मे प्रयोग khisiyani billi khamba noche ka vakya me prayog

  • ‌‌‌जब प्रकाश पिताजी से बदतमीजी करने लगा तो उसे बहुत मार पडी जिसके कारण से प्रकाश बहुत क्रोधित हो गया अपने दोस्तो के पास जार गुस्सा निकलने लगा यह तो वही बात हुई खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ।
  • जब महेश बिना वजह से लोगो के साथ झगडा करने ‌‌‌लगा तो लोग समझ गए की आज जरूर इसे ऑफिस मे डाट ‌‌‌पडी है तभी यह यहा खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ‌‌‌कर रहा है ।
  • यहा आकर क्रोध क्यो कर रहे हो जब तुम्हे सेठ ने पिटा था तब तो कुछ नही ‌‌‌बोल सके इसे कहते है खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ।
  • जब राम अपने भाई को अनाप सनाप कहने लगा तो उसके भाई ने सोचा की जरूर इसे किसी ने कुछ कहा था तभी यह खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे कर रहा है ।
  • अर्जुन की बाते सून कर उसकी मा को पता चल गया की आज इसके पिता ने इसे बहुत सुनाया है क्योकी अर्जुन खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ‌‌‌जैसी बात कर ‌‌‌रहा था ।
  • ‌‌‌जब रमेश नोकरी नही लग ‌‌‌सका तो ‌‌‌वह अपने घुस्से को अपनी पत्नी पर निकालने लगा यही है खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ।
  • जब लोगो को कामयाबी नही मिलती है तो वे दूसरो को दोष देने लगते है यह तो वही बात हुई खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ।

‌‌‌खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे पर कहानी khisiyani billi khamba noche par story

एक समय की बात है किसी नगर मे चालुराम नाम का एक आदमी रहा करता था । चालुराम के पास धन की ‌‌‌कोई कमी ‌‌‌नही थी उसके पास इतना धन आरम से मिल ‌‌‌जाया करता था की वह अपने और अपने परिवार को आराम से सभी सुख सुविधा दे सके । इस तरह से चालुराम के घर मे चालुराम की पत्नी और उनका एक बेटा ‌‌‌रहा करता था ।

चालुराम के घर मे हर दिन शांती रहा करती थी । क्योकी उसका परिवार बहुत ही सिधा साधा था । वह किसी के साथ भी झगडा नही करता था इसके अलावा वे आपस मे भी किसी बात को लेकर झगडा नही करते थे ।

जब चालुराम का बेटा बडा होने लगा तो चालुराम उसे शिक्षा लेने के लिए विधालय मे भेजने के बारे ‌‌‌में सोचा । जिस गाव मे चालुराम रहा करता था उस गाव मे कोई भी विधालय नही थी ।

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इस कारण से गाव के ज्यादातर लडके इसी तरह से फिरते रहते थे पर जो लोग अपने बेटो व बेटियो को पढाने के बारे मे सोचते तो वे उन्हे प्राइवेट स्कुल मे भेजते थे । क्योकी उस गाव मे एक प्राइवेट स्कुल की बस आती थी ।

जिसमे ही ‌‌‌गाव के पढने वाले लडके जाते थे । इस कारण से चालुराम ने भी अपने बेटे को उसी प्राइवेट स्कुल मे भेज दिया था । अब चालुराम का बेटा रोजाना स्कुल जाता और वापस आ जाता था । क्योकी वह बस मे जाता था इस कारण से वह बस सभी को अपने अपने ‌‌‌घरो के बाहर छोडती थी।

जिसके कारण से किसी को भी अपने बेटो की फिकर नही रहा ‌‌‌करती थी । इस तरह से चालुराम का बेटा पढ लिख कर बडा हो गया था । और बादमे वह नोकरी लगने के लिए तैयारी करने लगा था । जिसके लिए वह कई दिनो तक तो बडे शहर मे चला गया ताकी वहा पर वह कोचिग कर कर तैयारी कर सके ।

इस तरह से फिर उसने एक वर्ष तक कोचिग की पर उसका कोई फायदा नही हुआ क्योकी उसका ‌‌‌नोकरी मे नम्बर नही आया था । फिर भी उसने सोचा की अगली बार नम्बर आ जाएगा ।

इस तरह से अगली बार भी जब उसका नम्बर नही आया तो वह अपनी असफलता के कारण क्रोधित हो गया और पहली बार उसने अपनी मां को बेवजह सुना दिया । तब मां को पता था की बेटे की नोकरी नही लगी है इस कारण से यह क्रोधित हो गया है ।

इस ‌‌‌कारण से उसने अपने बेटो को कुछ भी नही कहा था । इसी तरह से चोथी बार जब उसने पेपर दिया तब जाकर उसका नोकरी मे नम्बर आया था । जिसके कारण से वह बहुत ही खुश हो गया था । जब उसने अपनी मां को इस बारे में बताया तो मां ने भी कहा की यह तो बहुत ही खुशी की बात है ।

इसी तरह से फिर मां ने अपने बेटे से कहा की बेटा ‌‌‌कभी भी अपनी असफलता के कारण से क्रोधित नही होना चाहिए । इतना कहते ही बेटे को उस दिन की बात याद आ गई । इस कारण से उसने अपनी मां से क्षमा मागी और कहा की मां मैं आगे से ध्यान रखूगा ।

इस तरह से अब धिरे धिरे चालुराम का बेटा नोकरी करने के लिए जाने लगा था । ‌‌‌इसी तरह से काम करते हुए दो तिन महिने बित गए पर अब चालुराम का बेटा अपने काम मे ढिल करने लगा । जब इसी तरह से काम ढिला चलता रहा तो एक दिन उसके बॉस ने पूरे स्टाप के सामने ‌‌‌उसे भला बुरा कहा ।

अपने बॉस की बात सुन कर वह आस पास देखने लगा तो उसे लगा की मेरे बॉस ने पूरे स्टाप के सामाने मुझे डाट कर अच्छा ‌‌‌नही किया । इस कारण से वह क्राधित हो गया फिर भी वह अपने बॉस की बात सुनता रहा क्योकी अगर अपने बॉस के सामने कुछ कहता तो उसकी नोकरी चली जाती ।

इस कारण से फिर जब वह अपने घर जाने लगा तो रासते मे उसके कुछ मित्र मिल गए । जब उन्होने कहा की आज कल तो नोकरी लगी है इस कारण से खुब मोज कर रह हो । ‌‌‌अपने मित्रो की यह बात सुन कर वह अपने बॉस का क्रोध उन पर निकालने लगा था ।

तब उसके मित्रो ने कहा की ‌‌‌हमने क्या किया जो तुम ऐसे वेसे हमसे बात कर रहे हो। तभी उसके पास खडा दुसरा लडका बोला जरूर इसके बॉस ने ही इसे कुछ कह दिया होगा इसी कारण से यह खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे कर रहा है।

इस तरह से फिर ‌‌‌मित्र वहा से चले गए और चालुराम का बेटा अपने घर चला गया । अभी तक उसका क्रोध शांत नही हुआ था इस कारण से घर जाते ही वह अपनी मां व पिता ‌‌‌पर क्रोध करने लगा । यह देख कर पिता से रूका नही गया और उसने अपने बेटे को दो लगाई । जिसके कारण से बेटा कमरे मे चला गया और चुप चाप बैठ गया ।

पिछे से चालुराम को उसकी ‌‌‌‌‌‌पत्नीने समझाया की जरूर इसके बॉस ने इसे कुछ कहा होगा तभी यह खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे कर रहा है । यह सुन कर चालुराम को समझ मे आ गया की यही बात हुई है उसके बेटे के साथ ।

तब उसने अपने बेटे को समझाया की अगर तुम ऑफिस मे काम सही करोगे तो तुम्हारी वाह वाह होगी अगर थोडी भी‌‌‌ काम मे ‌‌‌ढिल दोगे तो तुम्हे उन्हे कहने ‌‌‌का मोका मिल जाएगा । इस कारण से तुम उन्हे कहने का मोका मत दो फिर कभी भी ऐसी बात नही होगी ।

‌‌‌खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे पर कहानी khisiyani billi khamba noche par story

यह सुन कर चालुराम के बेटे को समझ मे आ गया और फिर वह धिरे धिर अपना काम सही करने लगा था । इस तरह से समय के साथ वह अपने कार्य को अच्छी तरह से करने लगा जिसके कारण उसकी ऑफिर में वाह वाह होने लगी । ‌‌‌इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है।

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे पर निबंध khisiyani billi khamba noche par nibandh

साथियो कहा जाता है की क्रोध मनुष्य का शत्रु होता है । अगर वह किसी के साथ होता है तो वह धनवान से रोड पर आ सकता है । यानि जिसे क्रोध आता है वह चाहे कितना भी अच्छा क्यो न हो पल भर मे ‌‌‌मिट्टी मे मिल सकता है ।

इसी तरह से क्रोध आने वालो मे से कुछ लोग अपनी असफलता के कारण से क्रोधित हो जाते है तो कुछ लोग अन्य कारण से । मगर जब किसी कारण से क्रोधित होकर वह क्रोध दुसरो पर निकाला जाए ‌‌‌जिनका इससे कोई लेना देना नही हो तब इसे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे कहते है ।

इस तरह से इस मुहावरे का प्रयोग वही ‌‌‌पर होता है जहा ‌‌‌कोई व्यक्ति अपनी किसी बात का क्रोध दुसरो पर निकालना है । इस तरह से आपको इस मुहावरे के बारे मे अच्छी तरह से पता चल गया होगा ।

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of khisiyani billi khamba noche  in Hindi

दोस्तो बिल्ली के बारे में आपको पता है जो की आज के समय में एक पालतु जानवर भी बन चुकी है । और कहा जाता है की बल्ली को जब गुस्सा आता है तो वह कुछ न कुछ नोचने लग जाती है । मतलब अपने पैरो की सहायात से जो कुछ नजर आता है उसे नोचती है ।

और अगर कभी दिवार या खंभा दिखता है तो उसे ज्यादा नोचती है और बिल्ली को क्रोध खंभा के कारण से थोड़े आया था बल्की क्रोध के आने का कारण दूसरा था मगर क्रोध निकाला दूसरे पर जा रहा है तो इस बात से आप समझ सकते है की मुहावरा उस और सकेंत करता है जब​ अपनी किसी बात का क्रोध दुसरो पर निकालने की बात होती है और इसी बात से यह समझा जा सकता है की khisiyani billi khamba noche muhavare ka arth – अपनी किसी बात का क्रोध दुसरो पर निकालना होता है ।

‌‌‌ऐसे मुहावरों की लिस्ट की लींक निचे दी जा रही है जो बहुत बार अनेक स्थानो पर प्रयोग मे बाती है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।