खून का घूंट पीना मुहावरे का अर्थ

खून का घूंट पीना मुहावरे का अर्थ khoon ka ghunt pina muhavare ka arth – अपमान सहना ।

दोस्तो आज के समय में हमारे आस पास ऐसे लोग रहते है जिन्हे हम पसंद नही आते है । जिसके कारण से हम जो कुछ भी करते है उन्हे अच्छा नही लगता है । और वे ऐसे मोके की तलाश में रहते है की वे लोग हमे बुरा भल कह सके यानि हमारी ‌‌‌बेईज्जती कर सके । और ऐसा होता है उनको कभी कभार मोका मिल ही जाता है और वे उस मोके का फायदा उठा कर हमे भला बुरा कहते है ।

हमारी बेईज्जती करते है। मगर जब किसी व्यक्ति के साथ बार बार ऐसा होने लग जाता है यानि उसकी बार बार बेईज्जती या तिरस्कार होता है मगर वह व्यक्ति कुछ नही बोलता है । ‌‌‌यानि उसकी लोग बेईज्जती या तिरस्कार करते है मगर वह सुनता रहता है तो ‌‌‌इसका मतलब है की ‌‌‌वह अपमान सहते रहते है । और जब ‌‌‌वह अपमान सहते रहते है तो इसे ही खुन के घूट पीना कहा जाता है ।

खुन के घूंट पीना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • सुनिता को सांस हमेशा भला बुरा कहती है मगर वह खुन के घूंट पीती रहती है ।
  • काफी दिन हो गए मुझे खुन के घूट पिते हुए मगर अब बस बहुत हुआ ।
  • ‌‌‌किशनलाल ने रामू को काफी भला बुरा कहा मगर वह खुन के घूंट पीता रहा ।
  • महेशराव हमेशा अपनी पत्नी को भला बुरा कहता है मगर महेशराव की पत्नी खुन के घूंट पीती रहती है ।
  • ‌‌‌किशन को गाव के लोगो ने काफी भला बुरा कहा मगर किसन खुन के घूंट पीता रहा ।
  • पार्वती को उसकी पड़ोसन ने काफी अपमान जनक बाते कही मगर वह खुन के घूंट पीती रही ।

‌‌‌खुन के घूंट पीना मुहावरे पर कहानी

प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक बुडिया रहा करती थी । वह बुडिया अकेली थी उसके घर में कोई और नही था एक पोता था वह भी काम करने के लिए घर से बाहर रहता था । ज्यादातर विदेश में कमाने के लिए जाता रहता था । जिसके कारण से बुड़िया को अकेला ही घर में रहना ‌‌‌होता था । बुड़िया काफी सरल स्वभाव की स्त्री थी जिसके कारण से वह लोगो की दो बाते सुन लेती मगर किसी को कुछ भला बुरा कह कर उनका दिल नही दुखाती थी ।

मगर समाज ऐसा नही है समजा में जो लोग ज्यादा सरल होते है उन्हे लोग उतना ही परेशान करते है । इस बात को आप बुड़िया की इस कहानी से समझ सकते हो । ‌‌‌क्योकी एक बार बुड़िया के साथ ऐसा ही हुआ था । जब बुड़िया घर में अकेली थी तो उसकी पड़ोसन उसके घर आ गई और झगड़ा करने लगी थी। जिसके कारण से बुड़िया ने सोचा की अगर इसका सामना किया तो बात बढेगी ।

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इस कारण से बुड़िया ने उसे कुछ नही कहा । मगर इसका नतिजा यह हुआ की उस पड़ोसन को यह मालूम चल गया था की ‌‌‌बुड़िया उसका कुछ नही बिगाड़ सकती है । इस कारण से फिर जब भी मोका मिलता वह बुड़िया के साथ झगड़ा करने लग जाती थी। यह दो बार ही हुआ था की बुड़िया का पोता घर आ गया था ।

जैसे ही बुड़िया का पोता घर आया तो पड़ोसन उनके साथ अच्छे से रहने लगी थी । क्योकी उसे मालूम था की अगर पोते को पता चला तो उसकी ‌‌‌खेर नही है । भले ही बुड़िया उसे कुछ नही कहती है मरग उसका पोता उसके जैसा नही है अगर वह झगड़ा करने लगा तो पूरे के पूरे गाव के लोगो को पता चल जाएगा । इसी कारण से पड़ोसन उनके साथ अच्छे से रहने लग जाती है । और यह देखर कर बुड़िया को लगता की यह सुधर गई है ओर अपनी पड़ोसन के बारे में अपने पोते को नही ‌‌‌बता पाती है ।

मगर बुड़िया के बेटे को इस तरह से घर में रहने हुए 3 महिने ‌‌‌बित गए थे तब बुड़िया का बेटा फिर से एक वर्ष के लिए विदेश जाने की तैयारी करने लगा था । हालाकी बुड़िया काफी उम्र ले रही थी जिसके कारण से उसने अपने पोते से कहा भी था की यहां काम कर ले मगर वह नही माना कहने लगा की यहां पर ‌‌‌अच्छा धन नही मिलता है । और इसी कारण से वह वापस काम करने के लिए विदेश जाने लगा । अब जो पड़ोसन थी उसकी झगड़ा करने की आदद थी जिसके कारण से जैसे ही बुड़िया का बेटा विदेश गया वह खुश हो गई और बुड़िया से बात बात पर झगड़ा करने लगी थी ।

एक दिन की बात है श्यामलाल नामक एक व्यक्ति ‌‌‌बुड़िया के घर आता है तो वह देखता है की बुड़िया के साथ उसकी पड़ोसन झगड़ा कर रही है । मगर श्यामलाल ने यह देखा तो वह पड़ोसन के साथ झगड़ा करने के लिए तैयार हो गया और कहने लगा की इसका बेटा अभी घर पर नही है तो आप इससे झगड़ा करने लगे हो । अगर उसे पता चला तो आपकी खेर नही है । मैं जानता हूं की वह कैसा ‌‌‌है वह अपने दुश्मनो को धुल चटा देता है ।

इस तरह से कहने पर पड़ोसन शांत होकर वहां से चली गई थी । क्योकी उसे पता था की बुड़िया का जो बेटा है उसी का मित्र श्यामलाल है । और हो सकता है की श्यामलाल अपने मित्र को बता दे ।

जब पड़ोसन बुड़िया के घर से चली गई तो श्यामलाल ने बुड़िया से कहा की ‌‌‌आप अपनी पड़ोसन को कुछ नही कहते हो जो वह कहती है उसके कारण से आप खुन के घूट पीते रहते हो अगर इसी तरह से चलता रहा तो आपकी पड़ोसन आपको हमेशा परेशान करती रहेगी । अगर आपने उसका एक बार भी सामना कर लिया तो वह फिर आपका अपमान नही करेगी ।

‌‌‌खुन के घूंट पीना मुहावरे पर कहानी

इतना कहने के बाद में श्यामलाल अपने काम की बात करने लगा और फिर ‌‌‌वहां से चला गया था ।

अब इस बात को कुल तीन दिन बित गए मगर बुड़िया ने अपनी पड़ोसन को नही देखा । बुड़िया ठहरी नेक दिल की तो उसे लगा की पड़ोसन कुछ बीमार होगी । जिसके कारण से वह मिलने के लिए उसके घर चली जाती है । मगर वहां पर कुछ लोग भी बैठे थे और जब वह पड़ोसन से बाते करने लग जाती है तो पड़ोसन ‌‌‌को अच्छा मोका मिल जाता है और वह बुड़िया को काफी भला बुरा कहती है ।

मगर बुड़िया अपमान सहती हरती है और अंत में वहा से चली जाती है । इस घटना के बाद में बुड़िया को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था क्योकी उसके साथ पड़ोसन हमेशा ऐसा ही करती थी । मगर वह क्या कर सकती थी क्योकी एक तो उसकी उम्र ‌‌‌हो चुकी थी जिसके कारण से वह सामना भी नही कर सकती थी और दुसरा वह घर में अकेली रहती थी जिसके कारण से उसे डर भी लगता था । उसे लगता था की कही उसकी पड़ोसन उसके साथ कुछ बुरा न करे । मगर उसे पता नही था की अभी जो अपमान कर रही है उससे बुरा और क्या होगा ।

इसी तरह से कब एक वर्ष बिता यह तो बुड़िया को ही ‌‌‌पता । मगर तभी अचानक उसका पोता घर में आ जाता है और जैसे ही वह घर में आता है बुड़िया खुश हो जाती है क्योकी अब उसे पता चल जाता है की उसे कोई भला बुरा नही कहेगा । पोते को घर आए हुए दो दिन होते है और एक दिन पोता घर से बाहर जाता है तो उसे श्यामलाल मिल जाता है ।

तब श्यामलाल ने उसे बताया की उसकी ‌‌‌बुड़िया को पड़ोसन काफी परेशान करती है । तब श्यामलाल ने यह भी कहा की मैंने तो कहा था की वह खुन के घूंट न पिए मगर उनकी उम्र होने के कारण से उन्हे यही सही लगा ।

तब बुड़िया के पोते ने कहा की श्यामलाल अच्छा किया जो तुमने मुझे यह सब बता दिया । अब ऐसा कभी नही होगा । क्योकी उस पड़ोसन की यह ‌‌‌हिम्मत तक नही होगी की वह मेरी दादी को भला बुरा कह सके ।

अब बुड़िया का पोता समय का इंतजार कर रहा था की कब वह अपनी पड़ोसन को सही रास्ते पर लेकर आए । मगर पड़ोसन ठहरी आदद से लाचार तो वह भला इतना जल्दी सही कैसे हो सकती थी । वह एक दिन लोगो के बिच में बुड़िया को भला बुरा कहने लग जाती है । और ‌‌‌तभी वहां पर बुड़िया का पोता आ जाता है और फिर क्या था बुड़िया का पोता बोलने लगा और पड़ोसन ने खुन के घूंट पीने शुरू कर दिए ।

इस घटना का असर पड़ोसन पर इतना ज्यादा हुआ की वह बुड़िया का अपमान करने की फिर कभी सोचती तक नही थी । क्योकी उसका स्वयं का जो अपमान हो चुका था ।

इसके बाद में बुड़िया ‌‌‌जीवन अच्छा बितने लगा था ।

खुन के घूंट पीना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो जब कोई व्यक्ति खुन को किसी कटोरी में डालकर पानी की तरह से पीता है तो यह खुन के घूंट पीना होता है । मगर वर्तमान में यह एक मुहावरा बना हुआ है । जिसका मतलब यह नही की खुन को निकाल कर पीने लग जाए ।

बल्की इसका अर्थ होता है ‌‌‌अपमान सहना ।

क्योकी जब कोई व्यक्ति किसी का अपमान करता है तो उसका खुन निकालने के समान होता है । जीस व्यक्ति का अपमान हो रहा है उसे लगता है की उसका खुन कोई निकला रहा है और फिर उसे पी रहा है । मगर फिर भी वह चुप रहता है तो यह अपमान को सहते रहना होता है ।

खुन के घूंट पीना मुहावरे पर निबंध

हमारा समाज ऐसा ही है जो लोग अपमान ‌‌‌सहते रहते है उनका खुब अपमान किया जाता है। मगर जब भी वह व्यक्ति अपमान सहना बंद कर देता है तो उसके साथ कोई दूसरा बोल तक नही पाता है । क्योकी सभी को मालूम चल जाता है की यह भी झगड़ा कर सकता है ।

जिस तरह से मित्रो कहानी के रूप में आपने देखा की बुड़िया जब चुप थी तो ‌‌‌उसका अपमान पर अपमान हो रहा था ‌‌‌और बुड़िया सहती जा रही थी । मगर जैसे ही बुड़िया का पोता अपमान करने वाली का समाना करता है तो फिर अपमान होना बंद हो जाता है ।

इसी तरह से समाज में आज हो रहा है । आपके आस पास कुछ लोग ऐसे जरूर मिल जाएगे जो की सरल होते है । मगर सरल होने के कारण से जल्द ही लोग उन्हे भला बुरा कह देते है । मगर जो ‌‌‌लोग झगड़ालू होते है उनका अपमान कोई नही करता है  ।क्योकी सभी को मालूम है की अगर अपमान किया गया तो हमारा खुब अपमान हो जाएगा । हमारे साथ झगड़ा हो जाएगा ।

मगर दोस्तो आज के समय में जो लोग अपमान सहते रहती है उनके लिए एक मुहावरा प्रचलित है जो की खुन के घूंट पीना है ।

तो इस तरह से आपको पता चल गया ‌‌‌की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।