डर से अधमरा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

डर से अधमरा होना मुहावरे का अर्थ dar se adhmara hona muhavare ka arth – बहुत अधिक डर जाना ।

दोस्तो मानव के जीवन में ऐसी अनेक तरह की स्थितिया होती है जिसके कारण से उसे डर का अहसास हो जाता है । खासकर लोग अपनी मृत्यु को नजदिक कर डर जाते है । जैसे की जब कोई व्यक्ति किसी अजगर ‌‌‌को अपने सामने देखेगा तो वह सबसे पहले यही सोचेगा की अजगर उसे जींदा निगल जाएगा और ऐसा होने पर मेरी मोत हो जाएगी । और फिर वह व्यक्ति डर कर अपने प्राण बचाने का प्रयास करता है । और इस तरह की स्थिति में मानव काफी अधिक डर जाता है और उसे पता तक नही होता है की वह क्या कर रहा है ।

और जब कोई ‌‌‌व्यक्ति इस तरह से बहुत अधिक डर जाता है तो उसके लिए एक मुहावरे का प्रयोग होता है और वह डर से अधमरा होना होता है ।

डर से अधमरा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

डर से अधमरा होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • अपने सामने विशाल अजगर को देख कर राहुल डर से अधमरा हो गया ।
  • इस हवेली में अलग अलग तरह के जानवरो को देख कर मैं तो डर से अधमरा हो रहा ‌‌‌हूं ।
  • बैल को अपनी और आते देख कर बलवत सिंह डर से अधमरा हो गया ।
  • शर्कस का जब शेर शर्कस से भाग कर गाव में पहुंच गया तो गाव के सभी लोग डर से अधमरा हो गए और अपने घरो को बंद कर कर छिप गए ।
  • ‌‌‌अक्सर महिलाए एक छोटे से चूहे को देख कर डर से अधमरी हो जाती है ।
  • यह तो एक छोटा सा चूहा है और तुम इसे देख कर डर से अधमरी हो रही हो ।

डर से अधमरा होना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक बहुत बड़ा नगर हुआ करता था । जिसके चारो और कुल 5 छोटे गाव और बसे हुए थे । वह नगर इतना ‌‌‌अधिक बड़ा था की जब भी उन पांच गाव के लोगो को किसी वस्तु की जरूरत होती तो उसी नगर में आना पड़ता था ।

दोस्तो इस तरह के अक्सर बड़े नगर में बहुत से प्रोग्राम होते रहते है । जहां पर आस पास के गाव के लोग आते है और अपनी अपनी कलाकरी दिखा कर सभी  का मनोरंजन करते है । ऐसा पहले हमारे गाव में भी हुआ ‌‌‌था । मगर अभी कुछ वर्षा से यह बंद हो गया था ।

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दरसल उस नगर में इसी तरह से अनेक खेल हुआ करते थे । जिनमें से कुस्ती, कबड्डी और भी बहुत खेल । मगर इनमे से एक खेल सभी का पसंदिदा था और वह बैल का खेल हुआ करता था । यानि नगर के कुछ लोग अपने घरो में इस तरह के बेल पालते थे ।

फिर उन बैलो का उपयोग इस तरह के ‌‌‌खेल में हुआ करता था । यानि लोग जो बेल पालते थे । उनका उपयोग खेल में कुछ इस तरह से होता था की बेल को खुला छोड़ देते थे और फिर उस बैल को जो भी व्यक्ति अपने काबू में कर पाता था वह विजय हो जाता था । ‌‌‌

मगर यह जो बेल होता था वह कोई साधारण बेल नही होता था बल्की इसे 6 से 7 लोग एक साथ मिलकर भी नही पकड़ पाते थे । और ऐसे बेल को जब खुला छोड़ दिया जाता था तो वह सामने जो भी होता उसपर काफी जोर से हमला करता है जिसके कारण से उस व्यक्ति की मोत तक हो सकती है ।

इस तरह के खेल को मोत का खेल कहा जा सकता ‌‌‌है । और इसी तरह के एक बार के खेल के बारे मे आपको बताएगे । क्योकी इस खेल में कुछ ऐसा हुआ जो की पूरे के पूरे गाव के लोगो को डराने मे सक्षम हो गया था ।

दरसल एक बार की बात है बलवंत नामक एक पहलवान था जो की इस तरह के खेल के लिए अपने पास एक बेल का पालन कर रहा था । और यह बेल इतना अधिक ताक्तवर था की ‌‌‌इसे बलवंत के अलावा कोई भी शांत नही कर पाता था । मगर इस खेल में इस बेल को भाग लेना था । और जैसे ही इस खेल का समय आया तो नगर के लोग नही नही बल्की आस पास से आने वाले लोगो की संख्या भी बहुत अधिक बढ जा रही थी ।

जिसके कारण से सभी के बैठने के लिए उचित व्यवस्था की जा रही थी । इसके अलावा जो मैंदान ‌‌‌था । जहां पर इस खेल को खेलना था । उसे भी अच्छी तरह से तैयार किया जाना था । यह पूरी तरह से कच्चा होता है ताकी जो भी व्यक्ति बैल को शांत करने के लिए इस मैदान में जाए तो उसे ज्यादा चोट न लेगे ।

इसके अलावा लोगो से इस बैल को चबाने के लिए चारो और बांस के बड़े बड़े लकडियो से चारो और एक मजबूत ‌‌‌दिवार बनाई जाने लगी थी । इस तरह से कुल 4 दिनो के अंदर यह सब तैयार हुआ था । और अगले ही दिन इस खेल का समय था । इस कारण से पहले ही दिन बहुत से लोग इस नगर में आ गए थे ।

गाव के लोग सभी लोगो के लिए नगर में रहने के लिए उचित व्यवस्था करने लगे थे । उनके खाने के लिए और बैठने साथ ही रात को सोने ‌‌‌की उचित व्यवस्था की गई थी । इस तरह से अगले ही दिन इस खेल को शुरू किया गया था । सबसे पहले एक व्यक्ति मैदान में अपना बैल लेकर आता है और उस बैल को शांत करने केलिए लोगो को चुनौती देता है ।

मगर उस बैल को लोगो ने बड़ी सरलता  से पकड़ लिया था । इस तरह से सभी अपने अपने बैल लेकर आने लगे थे । और ‌‌‌4 बैल को हराने के बाद में बलवंत के बैल की बारी और फिर बलवंत के बैल के आने का समय आ गया तो बलवंत ने भी अपने नोकरो को बुलाया और कहा की हमारा बैल लेकर आओ   ।

डर से अधमरा होना मुहावरे पर कहानी

बलवंत का बैल जब मैदान में आया तो सभी डर गए क्योकी कुल दस लोग उस बैल को पकड़े हुए थे । फिर भी बैल शांत नही हो रहा था । ‌‌‌और जैसे ही बैल को छोड़ा गया तो बैल तुरन्त सामने आने वाले लोगो पर हमला करने लगा था । जिसके कारण से ‌‌‌मैदान में उपस्थित सभी लोग डर से अधमरे होने लगे थे ।

तभी लोगो ने देखा की बैल ने एक व्यक्ति को बहुत बुरी तरह से मारा । यह देख कर सभी लोग डर गए । मगर लोगो के देखते ही देखते बैल और अधिक क्रोधित होता जा रहा था और उसने बांस से बनी दिवार को तोड़ दिया और फिर लोगो की और आनेलगा । जिसके कारण से ‌‌‌लोग डर से अधमरे हो गए और अपने प्राण बचा कर वहां से भागने की कोशिश करने लगे थे ।

तभी बलवंत आगे बढा और अपने बैल को रोकने की कोशिश करने लगा था । मगर बैल इतना अधिक क्रोधित ओर ताक्तवर था की उसने बलवंत की भी नही सुनी और उस पर भी हमला कर दिया । मगर फिर भी बलवंत ने हार नही मानी और और इस बार बैल ‌‌‌के सिंगो को पकड़ लिया ।

मगर तभी बैल ने फिर से बलवंत को बुरी तरह से दूर फैंक दिया । यह सब देख कर लोग डर से अधमरे हो रहे थे और वहां से भागने की कोशिश कर रहे थे । काफी समय बित जाने के बाद में बलवंत ने अपने बैल को रोक लिया और उसे पकड कर अपने घर लेकर चला गया । यह घटना हो जाने के बाद में वहां से ‌‌‌लोग जाने लगे थे । और जब वहां से लोग ही चले गए थे तो इस खेल को रोकना पड़ा था ।

क्योकी सभी को यह मालूम चल गया था की यह खेल एक जानलेवा खले है जिसमें किसी की भी जान जा सकती है और ऐसे खेल को खेलने का मतलब है अपनी जान को न्यौता देना । ‌‌‌अब लोग इस खेल से इतने अधिक डर गए थे की कोई भी उस खेल को देखना नही चाहते थे । और यही कारण रहा की वहां के लोगो को वह खेल मजबूरन बंद करना पड़ा ।

और इसी तरह से फिर अगले वर्ष इस खेल का आयोजन नही हुआ । क्योकी कोई इस खेल को देखने के लिए भी नही आ रहा था और न ही इस खेल को कोई पसंद कररहा था । ‌‌‌इस खेल की घटना ने लोगो को डर से अधमरा बना दिया था और फिर कोई भी इसे देखना नही चाहता था । और मजबूरन इस खेल को प्रतिवर्ष के लिए बंद कर दिया गया था ।

इस तरह से ऐसे खेलो को केवल खेलने वालो को ही नुकसान नही होता है बल्की जो इस तरह के खेलो को देखते है उनके लिए भी यह खतरा बना रहता है ।

‌‌‌डर से अधमरा होना मुहावरे पर निबंध

साथियो आपको यह बताने की बिल्कुल भी जरूरत नही है की डर क्या होता है । क्योकी डर के बारे में आज हम आसानी से जानते है । इसके पिछे का कारण यह है की एक संतान के जन्म के बाद ही उसे यह बता दिया जाता है की डर क्या होता है ।

इस संसार में ऐसा बहुत कुछ है जो की ‌‌‌मानव के डर का कारण है । आपने देखा होगा की प्राचिन समय में डायनासौर हुआ करते थे । और इसी तरह के अनेक तरह के जानवर होते थे जैसे की बड़ी छिपकली । और इन जानवरो के कारण से हर कोई डरा रहता था ।

‌‌‌क्योकी यह इतने अधिक विशाल और खतरनाक होते थे की मानव को जीवित ही खा जाते थे । और इन ही जानवरो के कारण से आज लोग जानवरो के नाम से डरते है । वर्तमान में जब ऐसे जानवरो के बारे में बात की जाती है तो शेर की बात होती है । क्योकी शेर ऐसे जानवर है जीसे अगर मानव अपने सामने ‌‌‌देखकर लेता है तो वह डरे बिना ‌‌‌नही रह सकता है ।

‌‌‌डर से अधमरा होना मुहावरे पर निबंध

इसका कारण यही है की शेर मांसाहारी है और वह मानव को मार कर खा जाता है । उसी तरह से आज भले ही हमे अजगर देखने को नही मिलते है । मगर इसी प्रजाति के बहुत से जहरिले सर्प आज भी हम देख सकते है । आपने देखा होगा की आज हमारे आस पास ऐसे बहुत से सर्प होते है जो की जहरिले हो सकते है ।

‌‌‌आपको हमारे गाव की एक कहानी बताते है । दोस्तो हमारे गाव में एक सर्प है जो की बहुत ही बड़ा है‌‌‌और इसके शरीर का रंग काला है । हालाकी यह बहुत समय से हमारे सामने नही आया है मगर अभी भी लोगो का कहना है की वह सर्प जीवित है । दोस्ता यह सर्प इतना अधिक बड़ा है की यह 12 फुट के रास्ते पर आसानी से फैल सकता है । और जब यह चलकर कही जाता है तो इसकी आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है ।

‌‌‌जब इस तरह का सर्प हमारे सामने आ जाता है तो यह जाहिर होगा की हम बहुत ही अधिक डर जाते है । और इसी तरह से अनेक ऐसे जानवर है जिनको देख कर हम बहुत ही अधिक डर जाते है । तो इसे डर से अधमरा होना कहा जाता है ।

हालाकी केवल जानवरो के कारण से ही बहुत अधिक डर जाने पर डर से अधमरा होना नही कह सकते है । ‌‌‌बल्की जिस भी परिस्थति के कारण से मानव बहुत अधिक डर जाता है उसी समय हम डर से अधमरा होना कह सकते है ।

यानि जहां पर बहुत अधिक डरने की बात होती है वहां पर डर से अधमरा होना मुहावरे का प्रयोग होता है और यही इस मुहावरे का सही अर्थ है ।

‌‌‌इस तरह से दोस्तो हमने डर से अधमरा होना मुहावरे के अर्थ और इसके वाक्य में प्रयोग के बारे में विस्तार से जाना है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।