अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता मुहावरे का अर्थ akela chana bhad nahi phod sakta muhavare ka arth – केवल एक व्यक्ति किसी महान या विशाल कार्य को नही कर सकता

दोस्तो आपने सुना होगा की जब बहुत सारे चनो को पहाड ‌‌‌मे बनी दरार मे डालने के बाद मे जब उन पर कई दिनो तक पानी पडता है तब वे चने फुलने लगते है जिसके कारण से पहाड के कुछ टुकडे टुट जाते है ।

जब इस तरह से पहाड को फोडने के लिए किसी एक चने का उपयोग किया जाए तो उस अकेले चने से कुछ नही होता क्योकी पहाड उसके अकेले से नही फुटता है क्योकी पहाड बहुत विशाल यानि बडा है ।

इसी तरह से मनुष्य के जीवन मे ऐसे अनेक कार्य होते ‌‌‌जो बडे या विशाला होते है जो किसी अकेले व्यक्ति से नही होता है । उसे करने के लिए ज्यादा व्यक्तियो की जरूरत पडती है । इस कारण से जब कभी कोई व्यक्ति ऐसे बडे कार्यो को अकेला करता है तब उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए कहा जाता है की अकेला चना भाड़नही फोड सकता यानि वह इस बडे ‌‌‌कार्य को अकेला नही कर सकता ।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">अकेला चना भाड़ नही फोड सकता का वाक्य मे प्रयोग akela chana bhad nahi phod sakta ka vakya prayog
  • पहाड को फोडने का काम मैं अकेला नही कर सकता इसके लिए कुछ लोगो की और जरूरत पडेगी क्योकी अकेला चना भाड़ नही फोड सकता ।
  • रवीप्रकाश पत्रकार अकेला भष्टाचार मिटाने का प्रयास कर रहा है इसे क्या पता नही अकेला चना भाड़ नही फोड सकता ।
  • गुरूकुल मे रहने वाले सभी गुरूओ का कर्तव्य होता है की वह अपने गुरूकुल को अच्छी तरह से बनाए ‌‌‌रखे क्योकी अकेला चना भाड़ नही फोड सकता ।
  • अकेला प्रधानाध्यापक भी विधालय नही चला कसता इसके लिए बाकी शिक्षको की भी जरूरत है क्योकी अकेला चना भाड़ नही फोड सकता ।
  • अकेला चना भाड़ नही फोड सकता फिर मैं इस भष्टाचार को मिटाने का प्रयास करता रहुगा ।
  • ‌‌‌इस कलयुग मे लोगो को धर्म की बात बताने से वे सुधर नही जाएगे और तुम उन्हे ज्ञान देने लगे हो अरे अकेला चना भाड नही फोड सकता ।

अकेला चना भाड़ नही फोड सकता मुहावरे पर कहानी akela chana bhad nahi phod sakta muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे अनेक लोग रहा करते थे । उस नगर मे लोगो के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी । उस नगर के ज्यादातर लोग धनवान थे इस कारण से सभी अपना अपना काम करते थे कोई भी दुसरो के बारे मे नही सोचते थे ।

इसी तरह से अमीर होने के कारण से वे लोग ‌‌‌अपने गाव की स्वच्छता के बारे मे भी नही सोचते थे । इस कारण से जो लोग गरीब थे उन्हे बहुत तकलीफ होती थी क्योकी उनके पास अच्छे मकान नही थे और गंदगी उनके घरो के बाहर मडराती रहती थी ।

अमीर लोग तो अपने घरो को उच्चा कर लेते और नालिया बना कर अपने घर की हिफाज करते थे वे बाकी लोगो से कोई लेना देना ‌‌‌नही रखते थे । इसी तरह से धिरे धिरे उस गाव मे गंदगी बढने लगी थी । पर गाव का कोई भी इस तरफ ध्यान नही देता था ।

उस गाव मे तिल्लाराम नाम का एक आदमी रहता था । वह भी गरीब नही था पर इतना अधिक अमीर भी नही था । यानि कह सकते है की वह बिच की स्थिती का था । तिल्लाराम बहुत ही सरल स्वभाव का ‌‌‌आदमी था । साथ ही उसने शिक्षा भी ग्रहण कर रखी थी ।

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वह एक पर्यावरण प्रेमी था वह ज्यादातर अपना जीवन अपने गाव से बाहर ही बिताता था । वह कभी कही तो कभी कही पर पर्यावरण की हरियाली और सुन्द्रता व सुगधित खुशबु लेता ‌‌‌रहता था । यानि वह घुमने के लिए जाया करता था ।

साथ ही जब वह अलग अलग जहो पर घुमने ‌‌‌जाता तो वह कभी इस तरह के गाव मे जाता जहा चारो तरफ गंदगी होती तब उसे उस गाव के बारे मे पता चला की इस गाव मे बहुत बिमारी फैल रही है ।

जब इस बारे मे तिल्लाराम ने पता लगाया तो उसे पता चला की इस गाव का कोई भी आदमी सही ‌‌‌तरह से नही रहता है वह अपने गाव मे गंदगी फैलाता जा रहा है जिसके कारण से गाव ‌‌‌मे चारो तरफ गंदगी फैल गई है और उनमे पनपने वाले बेक्टीरीया जो आखो से दिखाई नही देते परन्तु मनुष्य मे किसी तरह से पवेश कर कर उसे संक्रमित कर देते है जिसके कारण से मनुष्य बिमार हो जाता है ।

यह बात जान कर उसे पता चला की हम जहा भी रहते है वहा गंदगी नही रहनी चाहिए । इसी तरह से एक बार वह अपने ‌‌‌गाव गया । क्योकी वह अपने गाव मे काफी समय बाद गया था तो उसने देखा की उसके गाव मे भी चारो तरफ गंदगी हो रही है ।

यह देख कर उसे अपना गाव बहुत ही बुरा लगने लगा था तभी उसे गंदगी के कारण से रोग होने वाली बात याद आ गई । इस कारण से उसने फैसला लिया की वह किसी तरह से अपने गाव के लोगो को समझाएगा की अगर वे ‌‌‌इसी तरह से गंदगी फैलाते रहेगे तो उनके लिए बहुत ही बडा खतरा है ।

क्योकी गंदगी के कारण से बिमारी होती है । जब यह बात उसने गाव के लोगो के सामने रखी तो गाव के लोगो ने कहा की तुमने बहुत अधिक पढाई कर ली है इस कारण से तुम ऐसा कह रहे हो । इसी तरह से कोई कुछ कहता तो कोई कुछ कहता ।

जब गाव के लोग उसकी ‌‌‌बात ‌‌‌सुनने को तैयार नही थे तो उसने फैसला लिया की वह अकेला ही इस गाव की साफ सफाई कर कर गाव मे बिमारी फैलने से रोकेगा ।

जब इसी तरह से उसने गंदगी हटानी सुरू कर दि तो लोग उसका मजाक उडाने लगे और कई लोग तो तिल्लाराम के गंदगी उठाते ही वही पर वापस गंदगी कर देते थे ।

तब तिल्लाराम उन्हे बहुत समझता पर वे ‌‌‌लोग नही समझते थे । तब कुछ लोग तो उसे यह भी कह देते थे की तुम्हारे अकेले से गंदगी उठाने के कारण यह गाव स्वच्छ थोडे होगा ।

इस तरह से फिर तिल्लाराम कहता की मुझे पता है की अकेला चना भाड़ नही फोड सकता फिर भी मैं इस कार्य मे अपना योगदान दुगा ।

इस तरह से तिल्लाराम ‌‌‌अपने गाव को स्वच्छ ‌‌‌बनाने के लिए पांच वर्षो तक लगा रहा पर फिर वह बिमार होकर मर गया था । जिसके कारण अब उसके गाव के कोई भी स्वच्छता ‌‌‌की ध्यान नही रखता था जिसके कारण से कुछ ही महिनो मे उस गाव मे बिमारी फैलने लगी थी । जिसके कारण से लोग मरने लगे थे ।

 जब लोगा को पता चला की इस गंदगी के कारण ही हमारे गाव के लोग मर ‌‌‌रहे है तो उन्हे तिल्लाराम की बात याद आ गई और फिर ‌‌‌गाव के लोग उसी की तरह अपने गाव मे न तो स्वयं गंदगी करते और न ही किसी को गंदगी करने देते थे ।

साथ ही जो गंदगी थी उसका भी सफाया कर कर अपने गाव को साफ सुथरा कर लिया । यानि अपने गाव को पूरी तरह से स्वच्छ बना लिया । पर इस कार्य मे गाव के सभी लोगो ने ‌‌‌अपना योगदान दिया । तब जाकर यह काम हो सका ।

गाव स्वच्छ हो जाने से धिरे धिरे वह गाव बीमारियों से मुक्त होने लगा और एक समय के बाद उस गाव मे किसी तरह की बिमारी नही थी ।

तब लोग आपस मे बैठे तिल्लाराम को याद कर कर कहते की तिल्लाराम तो कब का गंदगी के बारे मे जान कर ‌‌‌गाव से गंदगी हटाने लगा था पर हम ही ‌‌‌थे जो उसे नही समझ सके और उसका इस काम मे साथ न दे सके ।

तब दुसरे लोग बोलते की वह तो बिचारा अपना कर्तव्य समझ कर हमारे लिए गंदगी साफ कर रहा था पर अकेला चना भाड़ नही फोड सकता । इस कारण से उससे कुछ नही हुआ ।

अकेला चना भाड़ नही फोड सकता मुहावरे पर कहानी akela chana bhad nahi phod sakta muhavare par kahani

इसी तरह से फिर लोगो ने तिल्लाराम को याद करना नही छोडा और इसी तरह से ‌‌‌वह गाव फिर स्वच्छ ‌‌‌रहने लगा । इस तरह से इस कहानी से पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अकेला चना भाड़ नही फोड सकता मुहावरे पर निबंध  akela chana bhad nahi phod sakta muhaavare par nibandh

साथियो आज के समय मे सभी लोग अपने बारे मे सोचते है कोई भी दुसरो के बारे मे नही सोचते और फिर जब कोई एक व्यक्ति लोगो के फायदे के लिए काम करता है तो वह काम बहुत बडा ‌‌‌होता है ।

पर लोगो की ना समझ के कारण से वे लोग उस एक व्यक्ति की मदद नही करते और उसी को वह काम न करने के लिए कहते है । और अकेला होने के कारण से बडा काम वह लोगो के लिए नही कर पाता है ।

जिस तरह से तिल्लाराम के साथ हुआ उसी तरह से क्योकी लोग अच्छे काम मे किसी का साथ नही देते चाहे फिर ‌‌‌वह कार्य उनके फायदे के लिए हो । जिस तरह से तिल्लाराम अकेला गंदगी दुर करने मे लगा और उससे नही हो सकती उसी तरह से अन्य ऐसे कार्य है जो अकेला व्यक्ति नही कर सकता है ।

उन कार्यो मे दुसरो की जरूरत पडती है । पर अगर कोई ऐसे कार्य को अकेला करने लगता है तब उसके लिए कहा जाता है की ‌‌‌अकेला चना भाड़ नही फोड सकता । इस तरह से इसके अर्थ के बारे मे पता चलता है की केवल एक व्यक्ति किसी महान या विशाल कार्य को नही कर सकता । इस तरह से आपको इस मुहावरे के बारे मे अच्छी तरह से पता चल गया होगा ।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of akela chana bhad nahi phod sakta in Hindi

दोस्तो एक अकेला विशाल पत्थर भी एक अकेला व्यक्ति नही उठा सकता है और यह आपको पता है ।उसी तरह से मुहावरा भी कह रहा है की पहाड़ को फोड़ने के लिए केवल एक चने की जरूर नही है बल्की बहुत सारे चने जब एक साथ होगे तभी पहाड़ फूट सकता है।

क्योकी आपको पता है की पहाड़ एक विशाल होता है जिसके कारण से यह विशाल कार्यों को दर्शाता है ओर इस पहाड़ को अकेला चना मतलब एक अकेला व्यक्ति नही फोड़ सकता है और यह मुहावरे के अनुसार कहना होता है।

मगर दोस्तो आपको बता दे की एक ऐसी कहानी है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति ने सारे पहाड़ को फोड़ कर रास्ता बनाया था और शायद आप भी इस बारे में जानते है ।

तो इसका मतलब यह होता है की दोस्तो कुछ कार्य होते है जो की विशाल होने के बाद भी अकेला व्यक्ति उन्हे पूरा कर देता है मगर मुहावरा पूरा न होने की बात कर रहा है और इस बात का मतलब हुआ की मुहावरे का अर्थ केवल एक व्यक्ति किसी महान या विशाल कार्य को नही कर सकता है होता है ।

‌‌‌ऐसे मुहावरों की लिस्ट की लींक निचे दी जा रही है जो बहुत बार अनेक स्थानो पर प्रयोग मे बाती है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।