न ऊधो का लेना न माधो का देना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

ऊधो का लेना माधो का देना मुहावरे का अर्थ na udho ka lena na madho ka dena muhavare ka arth – किसी से ‌‌‌भी किसी प्रकार का संबंध न रखना

दोस्तो आज के समय मे पैसा बलवान होता जा रहा है जिसके पास पैसा है वह अपना जीवन ऐशोआराम के साथ बिताता है और जिसके पास पैसे नही है ‌‌‌उसे दो समय का खाना भी नशिब नही होता है । इस कारण से कभी कभी लोग अपनी मुसीबत को दूर करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से ऋण लेते है और अपना काम चला लेते है ।

इसी तरह से फिर ‌‌‌उस व्यक्ति को वह ऋण वापस भी चुकाया जाता है । मगर जब कोई व्यक्ति ऐसा हो जो किसी को कुछ भी न दे और न ही किसी के कुछ लेता हो‌‌‌ यानि किसी से किसी प्रकार का संबंध नही रखता है तब उस व्यक्ति के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

न ऊधो का लेना न माधो का देना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग na udho ka lena na madho ka dena muhavare ka vaaky me prayog

  • विजय कुमार तो बडा नेक आदमी है न किसी से कुछ लेता है और न ही किसी को कुछ देता है । मतलब न ऊधो को देना और न माधो को देना ।
  • महेश के घर के पास आग लग गई तो सभी आसपास के लोग आग बुझाने के लिए चले गए पर महेश को इससे कोई फर्क नही पडा ‌‌‌इसे कहते है न ऊधो का लेना न माधो का देना ।
  • ‌‌‌रमेश न उधो का लेता है न माधो का लेता है तुम उससे मदद की उमीद करना छोड दो ।
  • ‌‌‌जो व्यक्ति अपने जीवन मे न ऊधो का लेना न माधो का देना नियम अपना लेता है उसके जीवन मे हर समय खुशिया ही रहती है ।
  • पिताजी ने कहा था की न ऊधो का लेना, न माधो का देना पर मैंने उनकी बात पर गोर नही किया और बनवारी को ऋण दे दिया और अब वापस लेने के लिए उसके आगे पिछे चक्कर काट रहा हूं ।

‌‌‌ ऊधो का लेना माधो का देना मुहावरे पर कहानी na udho ka lena na madho ka dena muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक साधु रहा करता था । साधु बहुत ही ज्ञानी था । जिसके कारण से वह लोगो की समस्या को दूर करने के लिए अलग अलग गावो मे जाता था । तब उसे तरह तरह के लोग मिलते ‌‌‌जिनमे से कोई उसे अच्छा कहता तो कोई उसे बुरा कहता था ।

पर साधू इन ‌‌‌बातो पर गोर नही करता था और जग को सही रास्ते पर चलाने के लिए लोगो को ज्ञान देता और उनकी पीडा दूर करता था । इसी तरह से साधू को लोगो की समस्या सुलझाते हुए और लोगो को सही रास्ते पर चलने के लिए ज्ञान देते हुए बहुत ही समय बित गया था।

इसी तरह से एक दिन साधू रामपूरी नाम के गाव मे गया था । ‌‌‌उस समय किसी के पास कोई भी साधन नही था । इस कारण से सभी अपने दो पैरो को ही वाहन बनाकर चलते थे । यानि कही पर भी जाना होता तो वे अपने पैरो के सहारे ही जाते थे ।

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इसी तरह से साधू गाव की सीमा मे पहुंचकर गाव की तरफ पैदल यात्रा करने लगा था । रामपूरी गाव काफी अधिक बडा ‌‌‌था । इसी तरह से साधू रामपूरी मे आराम से ‌‌‌जा रहा था । तब उसे रास्ते मे एक कुत्ता मिला जो साधू को देख कर उसकी तरफ भोक रहा था ।

तब साधू भी आराम से उसे देखने लगा और फिर उससे बात करने लगा था । इस तरह से साधू ने कुछ ही समय मे उस कुत्ते को सांत कर दिया था । यह सब गाव का एक ‌‌‌आदमी देख रहा था । ‌‌‌जो अपने खेत मे काम कर रहा था ।

जब उस ‌‌‌आदमी ने देखा की साधू ने कुत्ते को पल भर मे चुप कर दिया ‌‌‌यह देखकर वह आदमी सोचने लगा की साधू बडा ज्ञानी और शक्तिशाली है । इस कारण से वह फिर साधू की तरफ चलने लगा । धिरे धिरे चल कर वह आदमी साधू के पास पहुंच गया और फिर कहा ……………. हें साधू बाबा आप ‌‌‌कहा से आ हो ।

यह सुन कर साधू ने कहा …………… मैं बडी दूर से इस गाव मे पहली बार आया हूं और गाव के लोगो के कष्टो का निवार करने के लिए आया हूं । यह सुन कर उस आदमी ने कहा की बाबा मेरे खेत मे फसल बहुत कम होती है तब बाबा ने कहा ……….. तुम कल से अपने खेत मे खाद डालना और अपनी फसल को ही अपना ‌‌‌मानकर उसमे ही लगे रहना ।

इस तरह से फिर उस आदमी ने कहा की ठिक है बाबा मैं कल से अपनी फसल को ही अपना जीवन मानूगा । इस तरह से फिर उस आदमी ने कहा………… साधू बाबा मैं आपको इस गाव में धुमाने के लिए लेकर चलता हूं ।

इस तरह से फिर वह आदमी साधू को घूमाने लगा ‌‌‌साथ ही अपनी हर समस्या साधू को बतता जिसके कारण से साधू उसकी समस्या दूर करता था । इसी तरह से जब साधू को कुछ लोग मिलते ‌‌‌तो ‌‌‌वे अपने बारे मे कुछ पूछ लेते और साधू उनकी समस्या दूर कर देता था । इसी तरह से कुछ लोग साधू के पास आते और कहते की साधू बाबा मैं ‌‌‌अपने जीवन से बहुत परेशान हो गया ‌‌‌हूं ।

यह सुन कर साधू ने कहा की कल से तुम ऐसा करना की न तो किसी से कुछ लेना और न ही किसी को कुछ देना यानि किसी से कोई मतलब नही रखना और ‌‌‌तुम्हारे पास जो भी हो उसी से अपना काम चलाना । इसी तरह से उसे गाव मे फिरते हुए बहुत समय बित गया था ।

तब उस गाव के सेठ को पता चला की उसके गाव मे एक बहुत ही ज्ञानी साधू बाबा आ रहा है । वह सेठ बहुत ही परेशान था वह लोगो को ऋण देता तो लोग उसे वापस नही देते थे । साथ ही घर मे भी बहुत झगडे होते रहते ‌‌‌थे । ‌‌‌इसके अलावा सेठ का काम भी डुबता जा रहा था ।

इस तरह से वह सेठ बहुत परेशान था । इस कारण से उसने साधू को अपने घर बुलाया और उसे आराम से भोजन करा कर पूछा की बाबा आप सब की समस्या दूर करते हो तो आप मेरी भी समस्या दूर करो ।

तब साधू बाबा ने कहा ……… तुम्हारी क्या समस्या है तुम्हारे पास तो किसी चिज की कोई कमी नही है। यह सुन कर सेठ ने ‌‌‌कहा ……… महाराज यही मेरी समस्या है मे लोगो की मदद करने के लिए उन्हे धन देता हूं । पर वापस कोई भी धन ‌‌‌मुझे देता नही है ।

यह सुन कर साधू ने कहा की तुम्हे लोगो की मदद करनी है तो उन्हे धन देते रहो पर अगर तुम्हे अपने जीवन मे खुश रहना है तो तुम न ऊधो का लेना न माधो का देना नियम अपना लो । इतना सुनते ही ‌‌‌सेठ को समझ मे आ गया इस कारण से उसने कहा की साधू बाबा मैं आगे से ऐसा ही करूगा ।

इस तरह से ‌‌‌ साधू बाबा उस गाव से चला गया था । पर जिस सेठ को साधू ने ज्ञान दिया था वह फिर कभी भी किसी की कोई मदद नही करता था और न ही किसी से मदद लेता था । इस तरह से फिर सेठ अपने मे खुश रहता था ।

इस तरह से सेठ ‌‌‌का जीवन बितते हुए एक वर्ष बित गया । तब सेठ साधू को याद करने लगा की साधू बाबा ने कहा ‌‌‌था मैंने वैसा ही किया है इस कारण से अब मुझे किसी बात की टेंसन नही होती और मेरा जीवन आराम से चल रहा है ।

इस तरह से फिर साधू बाबा की बात हर कोई अपनाने लगा था । अब रही बात साधू की तो वह लोगो को ज्ञान देता था और अपने आप मे ही खुश रहता था ।

‌‌‌न ऊधो का लेना न माधो का देना मुहावरे पर कहानी na udho ka lena na madho ka dena muhavare par kahani

साधू ज्ञान देने के लिए किसी से कुछ नही मागता था । ‌‌‌और अगर कोई उसे कुछ कह देता तो भी साधू उसकी बात का बूरा नही मानता था । ‌‌‌इस तरह से आपको पता चल गया होगा की न ऊधो का लेना न माधो का देना मुहावरे का अर्थ किसी से कोई संबध न रखना होता है ।

न ऊधो का लेना न माधो का देना मुहावरे पर निबंध na udho ka lena na madho ka dena muhavare par nibandh

साथियो दुनिया मे ऐसे लोग कम ही देखने को मिलते है जो किसी से कोई संबंध नही रखते है । उनके पास अगर खाने के लिए रोटी भी नही होती ‌‌‌है तो भी वह किसी से मागता नही है बल्की अपनी मेहनत से कमाता है और फिर पेट भरता है ।

इसी तरह से कुछ ऐसे लोग भी है जिसके पास पैसे भी बहुत है पर फिर भी वह किसी की मदद नही करते है और न ही किसी से मदद लेते है । यानि वे किसी से किसी प्रकार का संबंध नही रखते है । इस तरह से इस मुहावरे का प्रयोग ‌‌‌होता है जहां कोई किसी से किसी प्रकार का सबंध न रखता हो ।

न ऊधो का लेना न माधो का देना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of na udho ka lena na madho ka dena in Hindi

दोस्तो मुहावरे को जब ध्यान से पढा जाता है तो उसक अर्थ को समझा जा सकता है जैसे की न उधो का लेना और न माधो का देना मुहावरा है तो इससे समझा जा सकता है की यह न तो लेने की बात कर रहा है और न ही देने की बात कर रहा है ।

और जब आप किसी से कुछ लेते भी नही है और किसी को कुछ देते भी नही है तो इसका मतलब यही हुआ की आप किसी से कोई संबंध नही रखते है क्योकी लेने देने से संबंध में बढोतरी होती है ओर यह आपको पता है ।

तो इसी बात से आप समझ सकते है की मुहावरे का सही अर्थ किसी से ‌‌‌भी किसी प्रकार का संबंध न रखना होता है । तो इसका मतलब यह होगा की जहां पर किसी से ‌‌‌भी किसी प्रकार का संबंध न रखने की बात होती हे वही पर इसका वाक्य में प्रयोग किया जाएगा ।

‌‌‌ऐसे मुहावरों की लिस्ट की लींक निचे दी जा रही है जो बहुत बार अनेक स्थानो पर प्रयोग मे बाती है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।