जितने मुँह उतनी बातें मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जितने मुँह उतनी बातें मुहावरे का अर्थ jitne munh utni baten muhavare ka arth – अनेक प्रकार के कथन होना

दोस्तो हर कोई व्यक्ति ‌‌‌एक जैसा नही होता है । अगल अलग व्यक्ति अपने विचारो को अलग रखते है और अलग अलग तहर से कार्य करते है । इस बिच मे जो भी कोई व्यक्ति कुछ‌‌‌ कहता है तो उनके वाक्य कैसे मिल ‌‌‌सकते है । क्योंकि सोच अलग अलग होने के कारण से वाक्य या कथन भी अलग अलग ‌‌‌होते है । इस तरह से जब भी किसी व्यक्ति को किसी बात पर अनेक कथन मिलते है तो जितने मुंह उतनी बाते कहा जाता है और इसी समय इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

जितने मुँह उतनी बातें मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌जितने मुंह उतनी बाते मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग jitne munh utni baten muhavare ka vakya me prayog

  • फिल्म के अनेक डायरेक्टर होने के कारण से हिरो को सभी अपनी तरह से एक्टिंग करने को कहने ‌‌‌लगे तब हिरो ने कहा की मैं किसका कहना मानु जितने मुंह उतनी बाते ।
  • एक छोटी सी बात पर सेठ ने गाव के लोगो की राय क्या माग ली सभी अलग अलग बाते बोलने लगे ‌‌‌जिसे सुन कर सेठ को पता चल गया की जितने मुंह उतनी बाते ।
  • महेश तुम जो करना चाहते हो वही काम करो लोगो की बात नही ‌‌‌सुनने से कोई फायदा नही क्योंकि जितने मुंह उतनी बाते ।
  • लोगो की बात सुन कर हरलाल ‌‌‌उलझन मे पड गाया की मैं किसकी बात मानू क्योंकि जितने मुंह उतनी बाते ।
  • सुसिला को जैसे ही टायफाइड हो गई तो उसके पडोसियो के सुझाव सुन कर सुसिला ‌‌‌सोचने लगी की मैं किसकी बात मानु क्योकी यहां की जितने मुंह उतनी बाते ‌‌‌हो रही है ।
  • लडाई मे रामू के जरा सी चोट क्या लग गई सारे परिवार के लोग अपनी अपनी बाते बोलने लगे तब मैंने रामू से कहा की तुम इनकी बात पर ध्यान मत देना यहा जितनी मुंह उतनी बाते है ।
  • नटवरलाल के दोस्त ने उससे कहा की तुम इनसे मदद मागने के लिए आए हो यहा तो जितने मुंह उतनी बाते होती है ।

‌‌‌जितने मुंह उतनी बाते मुहावरे पर कहानी jitne munh utni baten muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे सेठ धनाराम नाम का एक आदमी अपने गाव मे रहा करता था । उसके घर मे उसके चार बेटे और उसकी तिन बेटिया थी । इस तरह से सेठ धनाराम का परिवार काफी बडा था । सेठ धनाराम के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी जिसके कारण से सेठ के बेटो ‌‌‌व ‌‌बेटियो ने शहर रहकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर ली थी ।

सेठ धनाराम की गाव मे काफी इज्जत थी जिसके कारण से गाव के लोग अपनी हर समस्या उन्ही के पास सुलझाने के लिए जाते थे । साथ ही जब भी किसी कार्य को लोग शुरू करते तो वे सेठ से जरूर राय लेते थे । सेठ धनाराम लोगो की मदद करने के लिए उनके साथ उचित ‌‌‌न्याय करता था ।

जिसके कारण से हर कोई उनके न्याय से खुश रहता था । इसी तरह से कई वर्ष बितते गए परन्तु अब सेठ धनाराम की उम्र हो गई थी जिसके कारण से वे बिमार होने लगे थे । अब सेठ लोगो की मदद करने के काबिल नही ‌‌‌रहे क्योंकि वे ज्यादातर बिमार ही ‌‌‌रहने लगे थे।

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इस कारण से फिर गाव के लोग ‌‌‌सेठ के चारो बेटो से किसी कार्य के लिए राय मागने जाते थे । साथ ही अपनी समस्या का भी सुझाव मागते थे । क्योंकि सेठ के चार बेटे थे इस कारण से जब भी किसी बात के लिए न्याय होता तो चारो की बात अलग अलग होती थी । जिसके कारण से लोगो को समझ मे नही आता की आखिर किसकी बात मानी जाए ।

इसी तरह से एक ‌‌‌दिन की बात है सेठ धनाराम की हालत बहुत ही नाजुक चल रही थी । जिसके कारण से गाव के लोग भी बहुत उदास थे । तभी गाव में तिन भाईयों मे खेत की जमीन को लेकर झगडा हो गया था । जिसके कारण से तिनो मे से किसी एक का सिर भी फुट गया था ।

सिर फुट जाने के कारण से बात बहुत अधिक बढने लगी । जिसके कारण से ‌‌‌ऐन मोके पर गाव के लोगो ने उन तिनो को पकड लिया और पकड कर सेठ धनाराम के बेटो के पास ‌‌‌ले गए । वहा जाकर सेठ के बेटो को अपनी समस्या बताई तो वे सभी सोचने लगे की आखिर इसमे गलती है किसकी ।

इस तरह से उन्हे समझ मे नही आ रहा था । जिसके कारण से फिर उन्होने गाव के लोगो की राय मागी । तब गाव के लोग अलग ‌‌‌अलग बाते बोल कर तिनो की तरफदारी कर रहे थे। यानि कोई किसी एक का साथ देता तो कोई दुसरे का साथ देता था ।

यह सुनने के बाद भी सेठ के बेटो को समझ मे नही आ रहा था की आखिर सही कोन है । तब आखिर मे काफी समय बित जाने पर सेठ के चारो बेटो ने भी यही बात रख दी । उनमे से कोई कहता की जिसका सिर फुटा है वही ‌‌‌सही है तो कोई कुछ और कहने लगा था ।

क्योंकि उनमे से कोई भी सबसे अच्छा न्याय नही करता था और साथ ही सभी एक साथ ही निर्णय लेते थे । जिसके कारण से कोई भी उनके उपर नही था जिससे उन चारो की बाते अलग अलग होने गली थी । यह सुन कर जिस व्यक्ति ‌‌‌का सिर फुटा था उसने कहा की यहां तो जितने मुंह उतनी बाते हो ‌‌‌रही है ।

ये लोग हमारी क्या मदद करेगे इस तरह से वहा पर खुब सोर होने लगा था । जिसे सुन कर सेठ धनाराम किसी तरह से अपने कमरे से बाहर आ ‌‌‌गया और गाव के लोगो की समस्या सुन कर समस्या का समाधान निकला था ।

साथ ही उन्होने अपने बाद मे गाव का मुखिया और न्याय करने वाला एक ही व्यक्ति होना चाहिए ऐसा ‌‌‌गाव लोगो को कहा । यह सुन कर गाव के लोगो ने पुछ लिया की आखिर एक आदमी होगा तो वह सही तरह से न्याय कर सकेगा क्या ।

तब सेठ धनाराम ने कहा की अगर एक व्यक्ति न्याय करने वाला होगा तो वह अपना निर्णय आराम से ले सकता है । वरना अनेक व्यक्ति होने के कारण से सभी का निर्णय अलग अलग ‌‌‌होगे यानि जितने ‌‌‌मुंह उतनी बाते । यह सुनते ही गाव के लोगो को समझ मे आ गया था ।

‌‌‌जितने मुंह उतनी बाते मुहावरे पर कहानी jitne munh utni baten muhavare par kahani

जिसके कारण से फिर गाव के लोगो ने किसी एक को अपना मुखिया बनाने का फैसला किया और सेठ के किसी एक बेटे को अपना मुखिया बना दिया था । जिसके बाद मे सेठ का वह बेटा आच्छी तरह से ‌‌‌न्याय करने लगा था । जिसके कारण से लोगो को भी कोई समस्या ‌‌‌नही होती थी । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

जितने मुंह उतनी बाते मुहावरे पर निबंध jitne munh utni baten muhavare par nibandh

साथियो मनुष्य को मुंह बोलने के लिए मिला है । परन्तु इसका मतलब यह नही की वह अनाप सनाप बक सके । परन्तु फिर भी किसी एक बात के लिए अनेक लोगो की बात मेल नही ‌‌‌खाती है जिसके बारे मे आपको पता है ।

इसी तरह से जब कभी कुछ लोगो से एक बात के लिए कोई राय माग भी ली जाती है तो उस बात के लिए सभी अपनी अपनी अलग अलग राय देते है । इस तरह से उस बात के लिए अलग अलग कथन प्रकट हो जाते है ।

इसी तरह से जब किसी कारण से अलग अलग कथन प्रकट होते है तो ‌‌‌इसे जितने मुंह उतनी ‌‌‌बात कहा जाता है । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ अनेक प्रकार के कथन होना होता है।

जितने मुँह उतनी बातें मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of jitne munh utni baten in Hindi

दोस्तो मुंह के बारे में सभी को पता है की इसका उपयोग बोलने के लिए किया जाता है । तो अगर मान ले की एक कमरा है और उसमें बहुत सारे लोग होगे और सभी से केवल एक ही प्रशन पूछा जाए जो की कुछ भी हो सकता है तो उसका उत्तर सभी अलग अलग देगे । हां हो सकता है की कुछ लोगो के उत्तर मिल जाए और कुछ के न मिले । साथ ही यह भी हो सकता है की आधे लोगो का उत्तर सही​ मिले तो आधे लोगो का उत्तर गलत मिले ।

मगर सभी के द्वारा उतने ही जबाब होगे जितने की मुंह होगे । अगर कमरे में 100 मुंह है तो उत्तर भी 100 होगे और यह आप अच्छी तरह से समझ सकते है ।

और लोगो के द्वारा अपनी अपनी बात कहने को कथन कह सकते है और इस तरह से सभी का जब कथन एक दूसरे से अलग हो या फिर एक समान न हो तो कहा जा सकता है की अनेक प्रकार के कथन है ओर असल में यही इस मुहावरे का सही अर्थ हुआ  । यानि

jitne munh utni baten muhavare ka arth – अनेक प्रकार के कथन होना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।