‌‌‌नौ नकद, न तेरह उधार मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नौ नकद, तेरह उधार मुहावरे का अर्थ nau nakad, na terah udhar muhavare ka arth – नकद का काम उधार से काफी अच्छा होता है

दोस्तो आज के समय मे हर कोई ‌‌‌इसी समय पर धनवान बनना चाहता है इस कारण से ‌‌‌जब कोई व्यक्ति अपनी किसी वस्तु को बेचता है तो उसका पैसा उसी समय लेता है । वह उधार ‌‌‌पर अपनी वस्तु नही बेचता है । इसी तरह से एक सुनार अपने सोने चांदी की वस्तुओ को बेचते ही उसी समय पैसा ले लेता है यानि उधार नही करता है ।

मगर कभी कोई व्यक्ति उससे उधार मे वस्तुओ को बेचने के लिए कहता है ‌‌‌तब सुनार उसे वह वस्तु नही देता है । क्योकी उधार वाले लोग वापस अपने आप पैसे नही देते बल्की ‌‌‌उनके पिछे फिरना पडता है और इसी तरह से कई दिनो तक चक्कर काटने के बाद मे उधार के पैसे वापस मिलते है ।

इस कारण से वह अपनी सभी वस्तुओ को नकद मे ही बेचता है । इसी तरह से अन्य लोगो के साथ उधार होने पर होता है । इस कारण से कहा जाता है की उधार की अपेक्षा नकद का काम काफी अधिक अच्छा होता है । इसी ‌‌‌तरह से जब कोई व्यक्ति नकद का ही काम करता है और उधार पर कोई काम नही करता तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

‌‌‌नौ नकद, न तेरह उधार मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नौ नकद न तेरह उधार मुहावरे का वाक्य में प्रयोग nau nakad na terah udhar muhavare ka vakya me prayog

  • देखो भाई मेरा तो साफ साफ मतलब है नौ नकद न तेरह उधार तुम्हे कोई वस्तु खरीदनी हो तो खरीदा वरना कोई बात नही ।
  • रवीप्रकाश ने आज तक ‌‌‌किसी को उधार मे एक फुटी कोडी नही दी क्योकी वह तो अपना सिद्धात बना चुका है नौ नकद न तेरह उधार ।
  • तुम उससे उधार लेने की बात कर रहे हो वह तो अपने पित को भी उधार मे कुछ नही देता क्योकी उसका मानना है नौ नकद न तेरह उधार ।
  • गाव मे आया नाई पहले ही बोर्ड लगाने लगा की नौ नकद न तेरह उधार क्योकी उसे ‌‌‌पता था की आज कल लोग बाल कटाकर चले जाते है आर पैसे उधार रख देते है और फिर पैसे कभी नही देते ।
  • इतना धन होने पर भी एक गरीब को उधार मे कुछ नही दे सकते हो यह कैसा नौ नकद न तेरह उधार है ।
  • नकद देने वालो को ही आजकल अच्छी वस्तु प्राप्त होती ‌‌‌होती है इसी कारण ज्यादातर लोग नकद ही सब कुछ खरीदते है ‌‌‌यही है नौ नकद न तेरह उधार ।

‌‌‌नौ नकद, तेरह उधार मुहावरे पर कहानी nau nakad, na terah udhar muhavare par kahani

‌‌‌खलानगर नाम के एक गाव मे नटवर लाल नाम का एक आदमी रहा करता था । नटवर लाला बहुत ही धनवान और नेक दिल आदमी था । नटवर लाल ‌‌‌के घर मे पत्नी के आलावा और कोई भी नही था ।

‌‌‌नटवर लाल एक नाई था इस कारण से उसने अपने गाव मे एक नाई की दुकान खोली थी । ‌‌‌उस गाव मे एक भी दुकान ऐसी नही थी जिसमे बाल काटे जाते थे यानि एक भी नाई की दुकान नही थी ।

इस कारण से गाव के लोग नटवरलाल के पास अपने सिर के बाल कटवाने के लिए जाते थे । क्योकी नटवरलाल अपने गाव के लोगो के बाल काटता था इस कारण से लोग उससे कहते की पैसे फिर कभी ले लेना हम यही तो है । ‌‌‌इसी तरह से कोई तो कहता की मैं तुम्हारा मित्र हूं तुम मुझसे पैसे लोगे क्या ।

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इसी तरह से नटवरलाल को काम करते हुए एक महिना हो गया था । पर अभी तक उस दुकाने के कारण से नटवरलाल का घर भी सही तरह से नही चल रहा था । यानि नटवरलाल को उस दुकान से जरा भी फायदा नही हो रहा था ।

जब इसी तरह से काम करते हुए ‌‌‌नटवरलाल को छ महिने हो गए तो उसे समझ मे आ गया की उसकी यह दुकान इस गाव में तो नही चलेगी क्योकी गाव का हर कोई उससे उधार कर रहा है उसे समय पर पैसे नही देता है ।

इस कारण से फिर उसने किसी दुसरे गाव मे जाकर दुकान खोलने का फैसला लिया । फिर एक दिन नटवरलाल अपना सारा समान गाव की दुकान से उठा कर पास ‌‌‌के गाव मे जार दुकान खोल ली ।

पर इस बार उसने पहले ही अपनी दुकान के ‌‌‌बाहर एक बोर्ड लगवा दिया की जिस किसी के पास इस समय पैसे है उसी के बाल यहा पर काटे जाएगे । और जिसके पास पैस नही है और उधार मैं बाल कटवाना चाहता है उसका यहा पर कोई फायदा नही होगा ।

इसी तरह से जब उस गाव के लोग उसके पास अपने सिर के ‌‌‌बाल कटवाने के लिए आता तो नटवर लाल पहले ही उनसे पैसे लेता और बादमे बाल काटने का काम करता था । इसी तरह से कई लोग उसकी दुकान मैं ऐसे भी आ रहे थे जो कहते की पैसे कल दे देगे ।

तब नटवरलाल उनसे कहता की भाई मैंने सिद्धात बना लिया है की नौ नकद न तेरह उधार । इस तरह से कहने के बाद मे भी उन लोगो ने ‌‌‌कहा की हम क्या गाव से कही चले जाएगे कल ले लेना । तब नटवरलाल कहता तो कल ही कटिग करवा लेना ।

इस तरह से फिर नटवरलाल ने उधार का काम छोड दिया और जिसके पास पैसे होते उसके ही बाल काटता था । इसी तरह से एक दिन नटवरलाल को उसके गाव के लोगो ने कहा की तुमने गाव से अपनी दुकान क्यो उठा ली ।

यह सुन कर ‌‌‌नटवर लाल ने कहा की यहा पर ज्यादातर लोग उधार करते थे इस कारण से मुझे जारा भी फायदा नही हुआ । तब यह सुन कर लोगो ने कहा की तो उस गाव के लोगो उधार नही करते है क्या । तब नटवरलाल ने कहा की मैंने वहा पर नौ नकद, न तेरह उधार का सिद्धांत अपना लिया है ।

इस कारण से उधार वाले लोगो की मैं कटिग नही करता ‌‌‌इस तरह से फिर लोगो ने कहा की तब तुम्हारा काम सही चल रहा है । इस तरह से नटवरलाल ने फिर हमेशा ही उधार का काम छोड दिया था और किसी भी कार्य मे उधार नही करता था और जब भी कोई स्वयं वस्तु लेकर आता था तो उसका भी नकद देता था ।

‌‌‌नौ नकद, न तेरह उधार मुहावरे पर कहानी nau nakad, na terah udhar muhavare par kahani

जिसके कारण से उसे बहुत ही अच्छी वस्तु दी जाती और जो लोग उधार करते ‌‌‌वे वस्तु अच्छी नही देते थे । इस तरह से कह सकते है की नटवरलाल को पूरी तरह से समझ मे आ गया था की उधार करने से अच्छा नकद है । ‌‌‌इस तरह से नटवरलाल की दुकान बहुत ही चलने लगी थी । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

नौ नकद न तेरह उधार मुहावरे पर निबंध  nau nakad na terah udhar muhavare par nibandh

साथियो ‌‌‌आज के समय मे लोगो के पास पैसे न होने पर भी वे अपने ऐशो-आराम के लिए उधार पर अनेक वस्तु खरीद कर ले आते है । और फिर उन पैसो को चुकाने मे लगे रहते है । इसी तरह से कुछ लोग तो ऐसी वस्तुओ को लाते है जिनके बिना भी उनका कामचल सकता है जिसके लिए वे ब्याज पर पैसे उठा लेते है और वस्तुओ को ले आते ‌‌‌है ।

कभी कभी उधार किए गए पैसो को चुकाने के लिए भी ब्याज उठाया जाता है । जिसके कारण से फिर वे लोग ब्याज के झोल मे फंस जाते है । मगर दोस्तो जब कोई व्यक्ति उधार कर ‌‌‌लेता है और फिर अपने पैसे लेने के लिए दुसरो के पिछे पिछे फिरता है तब उसे समझ मे आने लगता है की कभी भी किसी काम मे ‌‌‌उधार नही करना चाहिए ।

इस कारण से फिर वह व्यक्ति किसी भी काम में उधार नही करता है । मगर कुछ लोग उधार करते भी है तो वे उधार पर वस्तु खरीदने वाले लोगो को घटिया किसम की वस्तु देने लगते है तब उन्हे भी समझ मे आने लगता है की जब किसी वस्तु को नकद मे लाया जाता है तो बहुत ही अच्छी मिलती है ।

‌‌‌मगर उधार मे लाने पर वही वस्तु घटिया किस्म की मिलती है । इस तरह से फिर उन्हे पता चलता है की नकद का काम उधार से काफी अच्छा होता है । इस तरह से नकद का काम उधार से काफी अच्छा होने को ही नौ नकद न तेरह उधार कहा जाता है । इस तरह से आप समझ गए होगे ।

नौ नकद, न तेरह उधार मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of nau nakad, na terah udhar in Hindi

दोस्तो आज के समय में सभी उधार पर वस्तुओ को बेचना नही चाहेगे और न ही उधार पर काम करना चाहेगे क्योकी सभी को पता है की अगर उधार पर वस्तु को बेचा गया या काम किया गया तो फिर पैसे कब आएगे यह पता तक नही है और सभी को पैसे समय पर चाहिए होते है ।

और यही बात है की सभी समझ जाता है की नकद का काम उधार से काफी अच्छा होता है और इसी बात को याद रख कर वे इसी तरह के कार्य करते है जिसमें नकद मिलता रहे ।

और सच बताए तो nau nakad, na terah udhar muhavare ka arth – नकद का काम उधार से काफी अच्छा होता है, ही होता है । और इसका मतलब यह हुआ की जब कही पर नकद का काम उधार से काफी अच्छा होता है होने की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और कहा जाता है की नौ नकद , न तेरह उधार ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।