आगे कुआँ पीछे खाई का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

आगे कुआँ पीछे खाई मुहावरे का अर्थ aage kua piche khai muhavare ka arth – दोनों या सब ओर से विपत्ति में फँस जाना

दोस्तो जब कभी मनुष्य ऐसी ‌‌‌स्थिती मे फंस जाता है की उसे समझ मे नही आता की मैं क्या करू । जैसे अगर किसी व्यक्तिे ‌‌‌को जंगल से जाते समय शेर मिल गया तो वह उस शेर से जान ‌‌‌बचाकर ‌‌‌भागना चाहता है और फिर वह किसी तरह से वहा से भाग जाता है पर कुछ दूरी पर जाते पर उसे कुछ लूटेरे मिल जाते है जो धन लेने के लिए उसे मारने के लिए आगे बढते है ।

इस तरह से फिर वह व्यक्ति सोचता है की मैं न तो लूटेरो की ओर जा सकता हूं और न ही शेर की तरफ । इस तरह से वह व्यक्ति दोनो ओर से या सब और से मुसीबत मे फंस जाता है । इसी तरह से जब कोई मनुष्य ऐसी ‌‌‌स्थिती मे फंस जाता है की उसका उससे बच कर निकलना ‌‌‌मुश्किल हो ‌‌‌जाए ।

तब उसे आगे कुआँ पिछे खाई कहते है । क्योकी अगर वह कुवे की तरफ जाएगा तो मरेगा और खाई की तरफ जाएगा तो ‌‌‌भी मरेगा । इस तरह से वह दोनो और से या हर तरफ से मुसीबत मे फस जाता ‌‌‌है ।

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">आगे कुआँ पिछे खाई का वाक्य मे प्रयोग aage kua piche khai ka vakya me prayog
  • जंगल से जा रहे मनीष को शेर और अजगर दोनो मिल गए तब मनीष को समझ मे नही आ रहा था की वह किस और जाए ताकी उसकी जान बच सके । यही है आगे कुआँ पिछे खाई ।
  • परदीप के पिता ने परदीप कहा अगर तुम्हे घर मे रहना है तो काम करो वरना घर छोडो यह सुन कर परदीप सोचने लगा ‌‌‌की आज तो अच्छी मुसीबत आई है आगे कुआँ पिछे खाई है ।
  • अजय और किसन मे लडाई हो जाने के कारण से मां की हालत आगे कुआँ पिछे खाई वाली हो गई वह दोनो मे से किसी के भी पक्ष मे ‌‌‌भी नही बोल सकती थी ।
  • जब महेश को डाकू और पुलिस दोनो ढूंढने लगे तो उसने सोचा की आज तो अच्छी मुसीबत मोल पडी है आगे कुआँ तो पिछे खाई है ।

‌‌‌आगे कुआँ पिछे खाई पर कहानी aage kua piche khai par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे रामानन्द नाम का एक साहुकार रहा करता था । साहुकार बहुत ही सरल स्वभाव का था और न ही किसी से कोई बेर रखता था । वह अपने काम से काम रखने वाला था । यहा तक की अगर उसे कोई काम न हो तो वह लोगो से बात तक नही करता था ।

साहुकार के घर मे उसकी पत्नी और एक छोटा बेटा रहा करता था । साहुकार अपने काम को करने के लिए कई महिनो तक अपने गाव से अलग दुसरो गावो मे जाता था । इस तरह से साहुकार अपने घर में भी कई महिनो से आया करता था ।

इसी तरह से एक बार की बात है साहुकार अपने काम के लिए अपने ‌‌‌गाव से काफी दूर चला गया था । तब उसने अपने गाव मे पूरे एक वर्ष तक कदम नही रखा । यानि वह अपना काम एक वर्ष तक जारी रखा और फिर अपने गाव मे जाने लगा था । उसका गाव एक शहर के ‌‌‌पास पडता था ।

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जिसके बिच मे एक घना व काफी लंबा जंगल भी आता था । साहुकार ने एक वर्ष तक कार्य कर कर काफी अधिक धन इकट्ठा कर ‌‌‌जिसे वह एक पोटली मे बाध कर अपने गाव की तरफ जाने लगा । साहुकार काफी दूरी तय कर कर शहर आया था, इस कारण से उसे शहर मे पहुंचे पर काफी समय हो गया और जिसके कारण रात होने को थी ।

तब साहुकार ने नही सोचा की बिच मे जंगल है और उसमे तरह तरह के जानवर व लूटेरे हो सकते है । बल्की ‌‌‌वह बिना सोचे समझे जगले को ‌‌‌पार करने लगा । जब साहुकार ‌‌‌ने आधे जंगल को पार कर लिया तो उसे किसी शेर की दाहडने की आवाज सुनाई दी । यह सुन कर साहुकार बहुत ही घबरा गया ।

जिसके कारण से साहुकार डर के मारे एक पेड पर चढ गया । जब काफी समय बित गया तो साहुकार पेड से निचे उतरा और अपने गाव की तरफ जाने लगा था । इस बार साहुकार को वह शेर ‌‌‌दहाडता हुआ दिखाई दिया । जिसके कारण से साहुकार डर के मारे जल्दी जल्दी कदम रख कर अपने गाव की तरफ चलने लगा ।

उस दिन शेर को पता नही चला की उसके पास कोई है इस कारण से साहुकार शेर से दूर चला गया । पर तभी उसे जंगल मे कुछ लूटेरे मिल गए । जो आपस मे बैठे बात कर रहे थे । साहुकार के कदमो की आवाज सुन ‌‌‌कर उन लूटेरो को पता चल गया की उनके पास कोई आया है ।

जब उन्होने अपने आस पास देखा तो ‌‌‌उन्हें साहुकार मिल गया । इस कारण से लूटेरो ने अपनी बंदुके उठाई और साहुकार के पास गए और कहा की तुम कोन हो । तब साहुकार ने डर के मारे कहा की मैं साहुकार हू और एक वर्ष से अपने घर जा रहा हूं । यह सुन कर लूटेरो को पता ‌‌‌गया की इसके पास जो पोटली है उसमे ही इसके एक वर्ष की कमाई है ।

इस कारण से लूटेरो ने कहा की ठिक है हम तुम्हे जाने देगे पर तुम यह पोटली हमे दे दो । यह सुन कर साहुकार सोचने लगा की अगर मैंने इन्हे यह पोटली दे दी तो मेरी एक वर्ष की मेहन्त बेकार हो जाएगी । इस कारण से साहुकार ने पोटली देने से मना कर ‌‌‌दिया । यह सुन कर लूटेरो ने कहा तो फिर तुम मरने के लिए तैयार हो जाओ ।

यह सुनते ही साहुकार वहा से वापस शेर की तरफ भागने लगा । जिसके पिछे पिछे वे लूटेरे भी भागने लगे । कुछ दूरी तय करने के बाद मे साहुकार को वापस वह शेर झाडियो के बिच मे बैठा हुआ दिखाई दिया ।

यह देख कर साहुकार मन ही मन सोचने ‌‌‌लगा की आज तो अच्छी मुसीबत मिली है आगे कुआं तो पिछे खाई है । अगर आगे गया तो मारा जाउगा और पिछे गया तो मेरा पूरा धन चला जाएगा ।

तभी साहुकार को एक तरकीब सुझी और उसने अपनी पोटली को धिरे से शेर के पास फेंक दी । जिसके कारण से शेर पिछे मुडकर देखने लगा पर उसे कोई नही दिखा क्योकी साहुकार छिप गया ‌‌‌। तभी लुटेरे वहा पर आ गए । जब उन्होने आस पास देखा तो ‌‌‌उन्हें साहुकार दिखाई नही दे रहा था पर इतने मे ‌‌‌उन्हें वह पोटली दिखाई दी ।

इस कारण से लूटेरो ने शेर की ओर ध्यान न देते हुए उस पोटली को उठाने लगे । तब शेर ने लूटेरो के पैरो की आवाज सुन कर उन पर ‌‌‌टूट पडा । इस तरह से फिर पल भर मे शेर ने उन लूटरो को मार ‌‌‌दिया । जिसके कारण से शेर का पेट काफी अधिक भर गया था ।

जिससे शेर भी वहा से चला गया और काफी दूर जाकर वह भी आराम करने लगा । तब पिछे से साहुकार अपनी पोटली को लेकर अपने गाव और अपने घर चला गया ।

‌‌‌आगे कुआँ पिछे खाई पर कहानी aage kua piche khai par kahani

घर जाकर उसने अपनी पत्नी को कहा की आज तो बाल बाल बचा हूं आगे कुआँ था पिछे काई और बिच मे मैं फस ‌‌‌गया । यह सुन कर उसकी पत्नी ने कहा की क्या हुआ । तब साहुकार ने यह घटना अपनी पत्नी ‌‌‌को बताई तो उसकी पत्नी ने कहा की फिर कभी भी रात को गाव मत आना ।

तब साहुकार ने भी कहा की आज के बाद मे मैं तो रात को अकेला कही पर भी नही जाउगा । इस तरह से फिर साहुकार कभी भी रात को कही अकेला नही जाता था । इस तरह से ‌‌‌आपको इस कहानी से पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

आगे कुआँ पिछे खाई पर निबंध aage kuan piche khai par nibandh

साथियो मान लो की आप किसी ऐसे स्थान पर पहुंच गए हो जहा पर आगे जाने पर कुवे मे गिरते हो और पिछे जाने पर खाई मे । इस तरह से आपको बच कर निकलने का रास्ता दिखाई नही देता है । तब ऐसी स्थती मे आप ‌‌‌दोनो तरफ से मुसीबत मे फस जाते हो ।

इसी तरह से जब कभी कोई व्यक्ति किसी भी कार्य मे दोनो या चारो तरफ से मुसीबत मे फस जाता है और उसे उस मुसीबत से निकलने का समाधान दिखाई न दे तो इसे आगे कुआँ पिछे खाई कहते है । यानि इस मुहावरे का अर्थ दोनो या चारो ओर से मुसीबत मे फस जाना होता है ।

आगे कुआँ पीछे खाई मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of aage kua piche khai  in Hindi

दोस्तो अगर आप रास्ते से जा रहे है और आपको एक चील पकड़ कर ले जाए तो यह काफी डरवाना होगा । मगर वही पर आपको किसी ऐसे स्थान पर लेजाकर छोड़ दे ​जहां से आप न तो पीछे जा सकते है और न ही आगे बढ सकते है । क्योकी अगे जाने पर आपको कुआं मिलता है

जिसे पार करना कठिन है वही पर पीछे जाने पर खाई मिल जाती है जिसे पार करना भी कठिन है मतलब आप आगे बढते है तो मरते है और पीछे बढते है तो मरते है। तो ऐसे में आप दोनों या सब ओर से विपत्ति में फँस जाते है और यह आपको समझ में आ रहा है तो आप इसी बात से यह भी समझ ले की aage kua piche khai muhavare ka arth – दोनों या सब ओर से विपत्ति में फँस जाना ही होता है ।

अब अगर दोस्तो भगवान न करे किसी के साथ ऐसा हो और आपके साथ भी ऐसा न हो मगर जब कुछ ऐसा हेा जाता हे जिसके कारण से आगे भी मुसीबत है और पीछे भी मुसीबत है या फिर चारो ओर वि​पत्ति है तो यही पर इस मुहावरे का प्रयोग हो सकता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।