ताँता लगना (लगाना) मुहावरे का अर्थ और वाक्य

ताँता लगना (लगाना) मुहावरे का अर्थ tata lagana muhavare ka arth – निरंतर आते रहना या लगातार चलते रहना ।

दोस्तो आज इस संसार में बहुत से ऐसे कार्य होते है जो की कभी रूकते नही है यानि निरंतर चलते रहते है । जिस तरह से विशेष दिन मंदिर में भग्तो का निरंतर आते रहना । और ताँता शब्द का अर्थ ‌‌‌भी यही होता है की किसी कार्य का निरंतर चलते रहना । इस तरह से जो कार्य निरंतर चलते है वाहं पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । जिसके कारण से यह समझा जा सकता है की इस मुहावरे का अर्थ निरंतर चलते रहना होता है ।

ताँता लगना (लगाना) मुहावरे का अर्थ और वाक्य

ताँता लगना या लगाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग // tata lagana idioms in sentences in hindi

  • ‌‌‌फ्रि का नाम सुनते ही लोगो का ताँता लग गया ।
  • भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनने के लिए दूर दूर से लोगो का ताँता लगा रहा ।
  • सुबह के समय शहरो में लोगो का घूमने का ताँता लगा रहता है  ।
  • सुबह होने के बाद में शाम तक वाहनो का ताँता लगा रहता है।
  • सतगुरु के प्रवचनो को चुनने के लिए लोगो का ताँता लगा रहा ।
  • मतदान देने के लिए आज लोगो का ताँता लगने वाला है ।
  • ‌‌‌महान साधू बाबा का दर्शन करने के लिए आज सुबह से ताँता लगा है ।

‌‌ताँता लगना या लगाना मुहावरे पर कहानी (story on idiom in Hindi)

दोस्तो प्राचीन समय की बात है किसी नगर ‌‌‌में एक वृद्ध व्यक्ति रहा करता था जो की ईश्वर की पूजा करता और उनकी कथा के बारे में लोगो को सुनाता रहता था । वह शिव का बडा भग्त था जिसके कारण से शिव की कथा अपने पास रहने वालो को बताता रहता था । उसके जीतना गाव में कोई भी वृद्ध नही था और उसके गाव में एक बहुत ही बडा मंदिर हुआ करता था ।

जो की ‌‌‌बहुत ही प्रसिद्ध था और माना जाता था की वहां पर स्वयं शिव ने दर्शन दिए थे और उसके बाद में ही वह मंदिर शिव का मंदिर बना और लोग उस मंदिर में अधिक से अंधिक पूरा करने लगे थे । इसी बात को पूरी तरह से जानने के लिए एक बार ‌‌‌शहर से एक लडका कुछ लोगो के साथ आया था ।

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क्योकी वह प्राचीन मंदिरो ‌‌‌पर अपनी एक किताब लिख रहा था जो गावा गाव जाकर वहां के मंदिरो के बारे में पूरी चर्चा सुना करता था । और इसी तरह से वह उस वृद्ध के पास आया था । उस ‌‌‌लडके vका नाम मुकेश था । 

मुकेश ने उस वृद्ध व्यक्ति के पास जाकर प्रणाम किया और उनसे कहा की दादाजी आप सभी को शिव की कथा सुनाते रहते हो तो आज मैं ‌‌‌आपसे कथा सुनने के लिए आया हूं क्या आप मुझे सुनाओगे। वृद्ध व्यक्ति ने यह सुना तो वह खुश हुआ क्योकी कोई दूर से चल कर उसके पास उसकी कथा सुनने के लिए आया था । तब उस वृद्ध व्यक्ति ने एक कथा की शुरूआत कर दी ।

मगर तभी मुकेश बोल पडा की दादाजी मैं केवल आपके गाव में बने इस विशाल व प्रसिद्ध ‌‌‌मंदिर के बारे में जानना चाहता हूं । यह सुन कर उस वृद्ध ने कहा की मंदिर के बारे में तुम क्या जानना चाहते हो । तब मुकेश ने कहा की दादाजी यह मंदिर इतना अधिक प्रसिद्ध कैसे बना लोगो की इतनी अधिक भीड कैसे हो गई की आज यहां पर लोगो की लाईन लगी रहती है ।

यह सुन कर वृद्ध व्यक्ति ने कहा की ‌‌‌कई वर्षों पहले की बात है जब मैं 9 वर्ष का था तब हमारे गाव में किसी तरह का कोई मंदिर नही था बल्की यहां पर एक छोटा सा मंदिर था और गाव का एक ब्राह्मण इस मंदिर ‌‌‌में रोज पूजा किया करता था । मगर यह सब देख कर गाव के लोग कहते की इससे बडा मंदिर तो हमारे घर में है ।

क्योकी यह मंदिर केवल दो इंटो से बना ‌‌‌था । मगर वह ब्राह्मण ईश्वर प्रेम में भरोषा रखता था और मंदिर में जाता और रोज शुबह श्याम पूजा किया करता था । इस तरह से उसे पूजा करते हुए उसकी उम्र बित गई । मगर मंदिर अभी भी बडा नही बना ‌‌‌बल्की उतना ही बडा था । और लोग भी उससे पहले की तरह बार बार कहते रहते थे ‌‌‌की तुम्हारे मंदिर से बडा तो हमारे घरो में है ।

मगर तब वह ब्राह्मण उन सभी को जबाब देता की मंदिर बडा होने से कुछ नही होता वहां भगवान का निवास होना बहुत जरूरी है । तब लोग उसकी इस बात का मजाक बनाते और कहते की तुम्हारे इस छोटे से मंदिर में भगवान होगे पर हमारे घर में नही, ‌‌‌क्यो मजाक कर रहे हो ।

बस ब्राह्मण लोगो की इसी ‌‌‌बात से थक गया था । और शिव से एक ही प्राथना करता था की यह मंदिर दूर दूर तक प्रसिद्ध होना चाहिए । इसी प्राथना के चलते हुए उनका देंहात भी हुआ था ।

ब्राह्मण के देहांत को एक महिना बित गया मगर अब उस मंदिर में कोई भी पूजा नही करता था । तभी वहां पर एक साधू आया था जिसने अपने गले में सर्प को डाल ‌‌‌रखा था और वह स्वयं आकर उसी मंदिर में पूजा करने लगा था । और यह सब गाव के लोग देख रहे थे । मगर लोगो को कुछ समझ में नही आया ।

अगले दिन फिर से लोगो ने साधू से मंदिर में पूजा करते देखा मगर लोगो को कुछ समझ में नही आया था । एक दिन अचानक लोग सुबह उठे तो सभी ने देखा की वहां पर एक विशाल मंदिर है । ‌‌‌यह देख कर सभी मंदिर के पास गए और सोचने लगे की रातो रात मंदिर कहा से आ गया ।

‌‌ताँता लगना या लगाना मुहावरे पर कहानी (story on idiom in Hindi)

तभी लोगो ने साधू की एक झलक देखी और फिर साधू उन्हे नजर नही आया था । इस बात की सुचना पल भर में लोगो के पास पहुंच गई । जिसके कारण से गाव के लोग उस मंदिर को देखने के लिए लगातार आ रहे थे की मानो मंदिर को देखने वालो का ‌‌ताँता लग गया हो ।

मगर तभी गाव के लोगो ने आपस में बात की की ‌‌‌उस साधू बाबा ने अपने गले में सर्प को डाल रखा था । यह सुन कर एक शहरी बोल पडा की सर्प तो शिव के गले में रहता है । क्योकी गाव के लोगो को शिव के गले में सांप होता है इस बारे में पता नही था क्योकी उस समय किसी प्रकार की पहचान नही थी यानि ‌‌‌मुर्ती नही थी।

जिसके कारण से शहरी आदमी की बात सुन कर लोगो ने कहा की तो फिर वे जरूर शिव स्वयं ही थे । जब सभी लोग मंदिर कें अंदर गए तो उन्हे वहां पर एक मुर्ती दिखी जिसके गले में भी सांप था । यह देख कर सभी को पता चल गया की वह साधू कोई और नही बल्की शिव था ।

शिव की यह महिमा दूर दूर तक फैल ‌‌‌गई थी। जिसके कारण से आस पास के गावो के लोग भी मंदिर का दर्शन करने के लिए आते थे और शिव के सामने अपना माथा टेकते और अपनी परेशानियो से मुक्ति की कामना करते थे । धिरे धिरे उन लोगो की परेशानिया भी दूर होती जा रही थी। जिसके कारण से भग्तो ‌‌‌का शिव मंदिर में ताँता लगा रहाता था ।

 इस तरह से उस वृद्ध व्यक्ति ने मुकेश को कहानी सुनाई । तब मुकेश ने कहा की इस मंदिर की महिमा तो बडी तेज है । कहानी को सुन कर मुकेश और उसके साथी वहां से जाने लगे थे । तब उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा की बेटा तुम यहां तक आ गए हो तो कल तक और रह जाओ ।

क्योकी कल शिवरात्री का समय है जिसके ‌‌‌कारण से लोग मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर दूर ‌‌‌से आते है । यह सुन कर मुकेश ने कहा की ‌‌‌क्या कल शिवरात्री है । क्योकी मुकेश को इस बारे में पता नही था। मगर वृद्ध के बताने पर मुकेश ने कहा तो कल की महिमा के दर्शन भी कर लेगे ।

अगले दिन शिवरात्री का समय था और मुकेश ने जैसे ही अपने नेत्र खोले और ‌‌‌मंदिर की तरफ गया तो उसने देखा की मंदिन में तो बहुत से लोग है और लोग जा रहे हे और आ रहे है । यह सब देख कर मुकेश ने अपने साथियो से कहा की आज तो यहां भग्तो का ताँता लगा है ।

इस तरह से फिर मुकेश भी मंदिर में शिव के दर्शन करने के लिए चला गया और फिर मुकेश ने इसी कहानी को अपने अध्ययन में सामिल ‌‌‌किया और एक शिव ‌‌‌कें मंदिर की किताब लिख दी ।

कुछ इसी तरह से शिव की महिमा होती है । जिसके बारे में लोगो के पास जानकारी नही रहती है क्योकी वह समय के साथ छिप जाती है ।

इस तरह से भग्तो का ताँता हर मंदिर में लगा रहता है ।

‌‌ताँता लगना या लगाना मुहावरे पर कहानी (story on idiom in Hindi)

ताँता लगना मुहावरे पर निबंध

साथियो ‌‌‌मनुष्य जीवन कें अंदर दुखो की कोई सिमा नही है । क्योकी आज किसी भी व्यक्ति से क्यो न मिल लिया जाए वह यह जरूर कहता है की आज कल दिन अच्छे नही चल रहे है । यानि उस पर दूख आया है । इन्ही दुखो को कम करने के लिए लोग ईश्वर का सहारा लेते है ।

उनकी पूजा करते है जिसके कारण से दूख कम होते है । ‌‌‌और इस तरह से ईश्वर की पूजा करने वाले लोगो की सख्या में कोई कमी नही होती और रोज मंदिरो में लोगो की संख्या आती जाती रहती है । जैसे हमारे भारत में भी विभिन्न तरह के मंदिर है जहां पर भग्तो की संख्या बहुत होती है कुछ भग्त मंदिर में आते है तो कुछ जाते है ।

इस तरह से यह क्रिया लगातार चलती ‌‌‌रहती है । और इसी तरह से कुछ अन्य कार्य भी होते है जहां पर कुछ ऐसी ही प्रक्रिया होती है जो लगातार चलती रहती है  ।इस तरह से जो क्रिया या काम लगातार ‌‌‌होता रहता है उसे ताँता लगाना कहा जाता है । क्योकी भग्तो की सख्या लगातार मंदिर में आती जाती रह रही थी। जिसें ताँता लगाना कहा गया था । क्योकी ‌‌‌लगातार चल रही थी।

अगर हम इस मुहावरे के अर्थ को दूसरे रूप में समझे तो ताँता जो शब्द होता है उसका भी एक विशेष अर्थ होता है और वह कुछ और नही बल्की लगातार चलती रहने की क्रिया ही होती है । इसी कारण से इस मुहावरे का अर्थ निरंतर आते रहना या लगातार चलते रहना

‌‌‌क्या आपने इस मुहावरे का प्रयोग अपने जीवन में किया है बताना न भूले ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।