अपनी करनी पार उतरनी का मतलब और वाक्य में प्रयोग

अपनी करनी पार उतरनी मुहावरे का अर्थ apani karni par utarni muhavare ka arth – अपने कर्म ‌‌‌के अनुसार फल प्राप्त होना

दोस्तो आपने सुना होगा की तुम जैसा करोगे तुम्हे वैसा ही फल प्राप्त होगा । यानि तुम जो कार्य कर रहे हो वह कर्म होता है और कर्म अगर ‌‌‌अच्छा है तो उसका फल भी अच्छा ही प्राप्त होता है मगर जब कर्म बुरे होते है तो उसका फल भी बुरा प्राप्त होता है । इस तरह से जब कभी किसी व्यक्ति को कर्म के अनुसार फल प्राप्त होता है तब इसे अपनी करनी पार उतरनी कहा जाता है ।

अपनी करनी पार उतरनी का मतलब और वाक्य में प्रयोग

‌‌‌अपनी करनी पार उतरनी मुहावरे का वाक्य में प्रयोग apani karni par utarni muhavare ka vakya mein prayog

  • रामू ने बुरे कर्म किए थे तभी आज वह फकीर की तरह भीख माग कर अपना पेट भरता है ‌‌‌यही है अपनी करनी पार उतरनी ।
  • जरूर तुमने कुछ भला काम किया था तभी आज ऐसो आराम की जिन्दगी जी रहे हो सच कहा अपनी करनी पार उतरनी । ‌‌‌
  • किसन आज तक किसी की मदद करने के लिए पीछे नहीं हटां तभी जब किसन बिमार हुआ तो ‌‌‌उसकी सेवा करने के लिए हर कोई ‌‌‌तैयार था सच ‌‌‌है अपनी मरनी पार उतरनी ।
  • समय पर अगर तुम पढ लिख कर नोकरी लग जाते तो आज मजदुरो की तरह अपना शरीर नही तोडना पडता सच है अपनी करनी पार उतरनी ।
  • जब चोर चोरी करता हुआ पकडा गया तो पुलिस ने चोरी करने पर चोर को बहुत पीटा तब चोर को समझ मे आ गया अपनी करनी ‌‌‌पार उतरनी ।

अपनी करनी पार उतरनी मुहावरे पर कहानी apani karni paar utarni muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक ब्राह्मण रहा करता था । ब्राह्मण के घर मे उसकी पत्नी और दो बेटे ‌‌‌रहा करते थे । दोनो बेटे अभी छोटे थे इस कारण से उन दोनो को शिक्षा देने के लिए ब्राह्मण रोजाना अपने पास बैठाता था । परन्तु छोटा बेटा बडा नालायक था जब भी ब्राह्मण पढाई कराने के लिए उसे बुलाता तो वह अपने घर मे नही रहता था ।

यानि गाव मे खेलने के लिए चला जाता था । बडा बेटा समझदार होने के कारण से ‌‌‌अपने पिता की हर बात मानता था । जिससे वह पढाई करने के लिए भी अपने पिता के पास चला जाता था । इस तरह से ब्राह्मण अपने बडे बेटे को ही शिक्षा दे पाता था ।

तब वह ब्राह्मण ‌‌‌ने अपनी पत्नी से कहता की छोटे बेटे को कुछ समझा दो वरना वह आगे जाकर अपने आप के किए पर पछताने लगेगे । यह सुन कर ब्राह्मण की पत्नी कहा ‌‌‌की अभी वह छोटा है इस कारण से ऐसा कर रहा है, जब बडा हो जाएगा तो वह अपने आप पढाई करने लगेगा ।

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इस तरह से जब ब्राह्मण की पत्नी कहती तो ब्राह्मण भी अपनी पत्नी की बात मानता और बडे बेटे को ही पढाता रहता था । इस तरह से जब कई वर्ष बित गए तो एक दिन ब्राह्मण ने अपने बडे बेटे को कहा की छोटे बेटे को पकड कर ‌‌‌उसे मेरे पास लेकर आओ ।

तब ब्राह्मण का बडा बेटा अपने भाई को अपने पिता के पास लेकर आया । तब ब्राह्मण ने दोनो को ‌‌‌समझाया की अगर वे इस उम्र मे ज्ञान हासिल नही कर सकेगे तो आगे उन्हे बहुत मुसीबत झेलनी पड सकती है । इस तरह से सुन कर ब्राह्मण का छोटा ‌‌‌बेटा हंसने लगा था ।

यह देख कर ब्राह्मण सोच मे पड गया की मैं इसे ज्ञान दे रहा हूं और ये मुर्ख मेरी बात पर हंस रहा है । तब ब्राह्मण ने अपने दोनो बेटे को खाना खाने के लिए भेज दिया । और कहा की खाना खाने के बाद मे दोनो को पढाई करने के लिए मेरे पास आना है ।

इस तरह से खाना खाते ही ब्राह्मण का छोटा बेटा ‌‌‌खेलने के लिए चला गया और बडा बेटा अपने पिता से ज्ञान लेने लगा । इसी तरह से अपना जीवन बिताते हुए ब्राह्मण के दोनो बेटे बडे हो गए । अब ब्राह्मण भी कुछ वृद्ध होने लगा था ।

जिससे उससे ज्यादा जोर से बोला नही जाता था साथ ही सही तरह से चला भी नही जाता था । तब ब्राह्मण का बडा बेटा ही उसकी सेवा करता था और ‌‌‌छोटा बेटा पहले की तरह गाव मे खेलता रहता था । पर अब वह लोगो के साथ झगडा भी करने लगा था । जिसके बारे मे ब्राह्मण के कुछ पता नही था ।

परन्तु एक बार की बात है उस राज्य का राजा ब्राह्मण के नगर से होकर जा रहा था । तब ब्राह्मण का छोटा बेटा राजा के सेनिको के साथ किसी बात के लिए लडने लगा । जब राजा ने  ‌‌‌यह देखा तो वह उसी नगर मे सभी लोगो को इकट्ठा करने के लिए अपनी सेनिको को आदेश दिया और ब्राह्मण के छोटे बेटे को बंदी बना लिया ।

जब सेनिको ने नगर के सभी लोगो को बुलाया तब ब्राह्मण भी वहां पर आ गया । राजा ब्राह्मण को जानता था जिसके कारण से जैसे ही ब्राह्मण को देखा उसका हालचला पूछने लगा । तब ब्राह्मण ‌‌‌को पता चला की उसके बेटे ने राजा के सेनिको के साथ झगडा ‌‌‌किया था ।

यह जान कर ब्राह्मण ने राजा ‌‌‌से अपने बेटे के लिए क्षमा मागी और कहा की वह मेरा बेटा है । यह सुन कर राजा चोकपडा और कहने लगा की तुम जैसे ज्ञानी ब्राह्मण का इतना मुर्ख लड़का । तभी ब्राह्मण का बडा बेटा भी वहा पर आ गया । जब राजा ने ‌‌‌उससे बात की तो उसे पता चला की यह तो बिल्कुल ब्राह्मण की तरह ज्ञानी है ।

यह जान कर राजा ने सोचा की इसे मैं अपने महल मे लेकर चला जाता हूं । ताकी यह मेरी किसी काम मे मदद कर सकेगा । इस तरह से फिर राजा ने ब्राह्मण के छोटे बेटे को तो छोड दिया और बडे बेटे को नोकरी दे दी ।

तब ब्राह्मण ने अपने छोटे बेटे ‌‌‌से कहा की इसने बचपन से आज तक ज्ञान हासिल किया था जिसके कारण से इसे नोकरी मिल गई । और तुमने लडाई झगडे किए थे जिसके कारण से तुम्हे आज सजा मिलने वाली थी क्योकी अपनी करनी पार उतरनी

इतना कहने पर भी छोटे बेटे को कुछ समझ मे नही आया और वह पहले की तरह ही लडाई झगडा करता रहा । और एक दिन फिर किसी ‌‌‌कारण से राजा ने उसे पकड लिया । परन्तु अबकी बारा ब्राह्मण ने भी उसे नही बचाया जिसके कारण से उसे कुछ महिनो की सजा हो गई ।

अब ब्राह्मण का बेटा सजा काटने लगा था । तब उसे हर दिन कोडे पडते थे साथ ही खाना भी सही तरह से नही मिलता था । तब उसे अपने कर्म याद आ गए । क्योकी उसने भी कभी न कभी किसी न ‌‌‌किसी को तंग किया था । तब उसे अच्छी तरह से समझ मे आ गया की उसने लोगो को तंग किया था जिसके कारण से ही आज उसके साथ ऐसा हो रहा है, यानि अपनी करनी पार उतरनी ।  

इस तरह से फिर ब्राह्मण के दोनो बेटो को अपने कर्म के अनुसार फल मिला । एक ने अच्छा कार्य किया था जिसके कारण से उसे नोकरी मिली तो दूसरे ‌‌‌ने ‌‌‌बुरे कार्य किए थे जिसके कारण से उसे सजा मिली ।

अपनी करनी पार उतरनी मुहावरे पर कहानी apani karni paar utarni muhavare par kahani

इस तरह से जब अपनी सजा पूरी कर कर ब्राह्मण का छोटा बेटा अपने पिता के पास पहुंचा तो उसने कहा की पिताजी मुझे माफी दे दो । मैंने उस दिन आपकी बात नही मानी तभी आज मुझे कारावास रहना पडा।

इस तरह से वह फिर अपने पिता की बात मान कर अच्छे अच्छे ‌‌‌कर्म करने लगा था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अपनी करनी पार उतरनी मुहावरे पर निबंध apani karni paar utarni muhavare par nibandh

साथियो जैसा कर्म कारोगे वैसा ही फल प्राप्त होगा ऐसा तो आपने सुना होगा । यानि यह मुहावरा कर्म पर निर्भर है । जैसा कर्म वैसा ही फल जब किसी व्यक्ति को प्राप्त ‌‌‌होता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इस तरह से इस संसार मे अच्छे और बुरे कर्म दोनो ही करने वाले है ।

इस तरह से जब कोई व्यक्ति अच्छा कर्म करता है और उसे किसी कार्य मे लाभ प्राप्त होता है तब वह कहता की अच्छे कर्म करते जाइए फल आपको अपने आप ही मिल जाएगा । इस तरह से एक संदेश दिया ‌‌‌जाता है की अगर कर्म अच्छा होगा तो फल भी अच्छा ही मिलेगा । मगर इसके विपरीत कर्म बुरे होने पर फल भी बुरे प्राप्त होगे । इस तरह से सरल भाषा मे इस मुहावरे का अर्थ अपने कर्म ‌‌‌के अनुसार फल प्राप्त होना होता है ।

अपनी करनी पार उतरनी मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of apani karni par utarni in Hindi

दोस्तो हमारे माता पिता और परिवार हमारे अध्ययन में भी काफी महत्वपूर्ण भुमिका निभा सकते है और इस बारे में आपको पता होना जरूरी है।

दरसल आपको पता होगा की दादाजी या फिर बड़ीउम्र के लोग जो होते है उनके द्वारा एक ही बात कही जाती है की बेटा तुम जैसा करोगे तुम्हे वैसा ही फल प्राप्त होगा और शायद आप इस बारे मे जानते है ।

तो अपने जीवन में जैसा हम करते है यानि जो हम कर्म करते है अच्छे या फिर बुरे कर्म तो उन्हे करनी कहा जाता है और करनी के अनुसार ही फल मिलता है अगर अच्छी करनी की जाती है तो फल अच्छा होगा और वही गलत करनी की जाती है तो फल भी बुरा होगा और इसी बात से आप समझ सकते है की apani karni par utarni muhavare ka arth – अपने कर्म ‌‌‌के अनुसार फल प्राप्त होना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।