जल में रहकर मगर से बैर मुहावरे का मतलब और वाक्य में प्रयोग

जल में रहकर मगर से बैर मुहावरे का अर्थ jal me rahkar magar se bair muhavare ka arth – शरण देनेवाले से ही शत्रुता करना ।

दोस्तो आपको पता है की मगर एक जल और स्थल पर रहने वाला जीव है जिसके शरीर पर काटो के समान त्वचा देखनो को मिलती है । यह जहां पानी होता है उसके आस पास ही पाया जाता ‌‌‌है । इस कारण से जो भी जानवर पानी मे रहते है वे कभी भी मगर के पास नही जाते बल्की ‌‌‌उससे दूर ही रहते है क्योकी पास जाने पर मगर उन्हे मार कर खा जाता है ।

इस कारण से अगर कोई जानवर मगर से शत्रुता मोल लेता है तो उसका विनास वही पर होता है । इसी तरह से जब कोई व्यक्ति ‌‌‌अपने शरण दाता यानि मददगार के पास ‌‌‌रहकर उसी से बैर लेता है तो उसका विनाश निश्चित है । जब कोई व्यक्ति ऐसा करता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

जल में रहकर मगर से बैर मुहावरे का मतलब और वाक्य में प्रयोग

जल मे रहकर मगर से बैर मुहावरे का वाक्य में प्रयोग jal me rahkar magar se bair muhavare ka vakya me prayog

  • खिचडचंद अपने मालिक के पास रहकर उन्ही को कष्ट देने का प्रयास कर रहा है उसे पता नही जल मे
    रहकर मगर से बैर नही की ‌‌‌जाती ।
  • किसनराम को मैंने तो पहले ही समझा दिया की जल मे रहकर मगर से बैर करोगे तो तुम्हारा ही नुकसान होगा ।
  • जब तुम मुसीबत मे थे तो सेठ ने ही तुम्हारा हाथ थामा था और आज ‌‌‌उन्ही को नुसान पहुंचा रहे हो यह तो वही बात हुई जल ‌‌‌मे रहकर मगर से बैर ।
  • रामू ने बिन मां बाप के बेटो को पाला और आज वही रामू से शत्रुता ले रहे है यह तो वही बात हो गई जल मे रहकर मगर से बैर ।
  • हरलालमल ने अपने ही मालिक से सत्रुता कर ली और मारा गया क्योकी जल मे रहकर मगर से बैर नही की जाती है ।
  • ‌‌‌सेठ ने तुमको जरा सा डाट क्या दिया तुमने तो उनसे शत्रुता बना ली अरे तुम्हे पता नही जल मे रहकर मगर से बैर नही की जाती ।
  • जब सावरमल मुसीबत मे था तो हजारी ने ही उसकी जान बचाई थी और आज वह उन्ही को मारने के बारे मे सोच रहा है यह तो वही बात हो गई जल मे रहकर मगर से बैर  ।

‌‌‌जल मे रहकर मगर से बैर मुहावरे पर कहानी jal me rahkar magar se bair muhavare par kahani

‌‌‌प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहा करता था । राजा नामका ही राजा नही था ‌‌‌बल्की उसके पास धन की कोई कमी नही थी और वह दयालू से भरा हुआ था । जब भी वह किसी को मुसीबत मे देखता तो उसकी स्वयं ही मदद करता था । इस तरह का राजा होने के कारण से प्रजा भी उससे बहुत खुश थी ।

राजा को एक ही बात सबसे ज्यादा ‌‌‌बुरी लगती थी की अगर कोई उसे धोका दे । यनि कोई व्यक्ति कुछ ऐसा करे जिसकी उसे उमीद न हो । इस तरह से फिर राजा उसके बारे मे जरा भी नही सोचता था पर उसे एक मोका जरूर देता अपनी सफाई देने के लिए ।

इस तरह से एक बार की बात है राजा रास्ते से दूसरे राज्य से आ रहा था । तब उसके साथ उसकी बहुत बडी सेना ‌‌‌थी । राजा अपने मनोरंजन के साथ अपने नगर मे पहुंचा ही था की उस पर किसी ने तिरो से हमला कर दिया ।

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जिसके कारण से राजा के अनेक सेनिक मारे गए थे और उन्ही तिरो मे से कुछ दिर एक आदमी को लग गए थे जो रास्ते से लकडिया लेकर अपने नगर को जा रहा था । वह आदमी राजा के ही नगर था ।

जब राजा को इस ‌‌‌बारे मे पता चला तो राजा को बहुत दुख हुआ । तब राजा उस आदमी के घर गया तब उसे पता चला की इसके घर मे इसकी पत्नी और एक बेटा है जो अभी काफी छोटा है । यह देख कर राजा की आंखो मे आसू आ गया ।

तब राजा ने मन ही मन सोचा और उस ‌‌‌औरत की मदद करने के लिए कुछ स्वर्ण मुद्रा देते हुए कहा की मैं तुम्हारे पति को तो ‌‌‌वापस नही ला सकता पर तुम्हारे बेटे को मैं अपनी सेना मे भर्ती करूगा और तुम्हारी मदद के लिए मैं हर माह कुछ स्वर्ण मुद्रा देता रहूगा ।

इस तरह से राजा ने कई बार कुछ लोगो के साथ किया था । इसी तरह से फिर राजा ने उस आदमी के बेटे को अपने साथ लेकर गया और उसे ज्ञान देने के लिए एक गुरूकुल मे भेज दिया । ‌‌‌उस लडके का नाम सावरमल था ।

जब वह लडका बडा हुआ तो उसे ज्ञान के साथ साथ युद्ध कला भी आने लगी थी । इस कारण से फिर उसे एक दिन पता चला की उसके पिता की मृत्यु राजा के कारण से हुई थी । यह जान कर सावरमल को क्रोध आने लगा था ।

तब उसने मन ही मन सोचा की वह राजा की सेना मे भर्ती होकर उसे ही मार देगा । इस ‌‌‌तरह से सावरमल राजा के पास काम करने लगा था । तब उसके मन मे बहुत बुरे बुरे ख्याल आते थे और हर पल राजा को नष्ट करने के बारे मे सोचता रहता था ।

इस तरह से एक वर्ष बित गया तब उसने यह बात अपनी मां से कही । तब उसकी मां ने कहा की तुम्हारे पिता के मर जोने के बादमे राजा ने ही हमारी मदद की है और तुम्हे ‌‌‌एक योद्धा भी उन्होने बनाया है ।

तुम राजा को मारने के बारे सोच भी कैसे सकत हो । यह सुन कर सावरमल ने अपने पिता के मरने का कारण ही राजा को बताया और कहा की यह मेरे पिता का कातिल है इस कारण से मै इसे नही छोड सकता । फिर सावरमल की मां ने कहा की तुम जल मे रहकर मगर से बैर करने की कोशिश कर ‌‌‌रहे हो जिसमे तुम्हारा ही घाटा है ।

इस तरह से जब वह नही माना तो मां बहुत चिंचत होने लगी । इसी तरह से दो तिन दिन बिते थे की राजा सावरमल के साथ अकेला ही ‌‌‌जंगल की तरहफ किसी काम ‌‌‌से जा रहा था । जब राजा और सावरमल ‌‌‌जंगल के आधे रास्ते ‌‌‌में पहुंचे तो सावरमल ने राजा पर हमला किया ।

यह देख कर राजा चोक ‌‌‌उठा और किसी तरह से उसके वार से बच गया । फिर भी सावरमल नही माना वह वार करता ही जा रहा था । तब राजा ने उसे बहुत समझाया पर जब वह नही माना तो उसके ही वार से उसे ही बंदी बना लिया और अपनी प्रजा के सामने लाकर उसके बारे मे प्रजा को बताया ।

जब राजा ने सावरमल से ‌‌‌पूछा की तुमने मुझे मारने की कोशिश ‌‌‌क्यो की है । तब सावरमल ने कहा की तुम्हारे कारण ही मेरे पिता की मोत हुई है । यह सुन कर राजा ने कहा की उस दिन मैं तो रास्ते से नगर आ रहा था तब किसी ने तिरो से हमला किया जिससे तुम्हारे पिता की मोत हुई थी ।

‌‌‌जल मे रहकर मगर से बैर मुहावरे पर कहानी jal me rahkar magar se bair muhavare par kahani

तब ही सावरमल मान नही रहा था और राजा को मारने की ‌‌‌धमकी दे रहा था । इतने मे सावरमल ‌‌‌की मां आ गई और उसने राजा से माफी मागी । तब राजा ने सावरमल को आजाद कर दिया ।

जिसके बादमे राजा की प्रजा ने सावरमल को बहुत समझाया फिर भी वह नही हमाना । इसी तरह से एक दिन फिर सावरमल ने राजा को मारने का प्रयास किया तो राजा की सेना ने उसे पकड कर जंजीरो मे जकड दिया । जिसके बाद मे राजा ने उसे बंदीगृह मे डाल दिया ।

 इस तरह से फिर राजा को सावरमल की पत्नी ने कहा की जब तक वह सही तरह से नही मान जाता की उसके पिता की मृत्यु एक दुर्घटना थी तब तक उसे छोडना नही । इस तरह से कई वर्ष बित जाने के बाद मे सावरमल ने माना की राजा ने तो मेरे पिता को मार नही था और उन्होने तो मेरी कितनी मदद की ‌‌‌थी ।

तभी वह सोचने लगा की मैं राजा की प्रजा के बिच मे रहकर उन्हे मारने को चला था अगर वे चाहते तो मुझे कब का नष्ट कर सकते थे । तब ‌‌‌उसे पता चल गया की जल मे रहकर मगर से बैर नही की जा सकती ।

इसके बादमे सावरमल ने राजा से माफी मागी तब जाकर राजा ने उसे छोडा । इस तरह से फिर सावरमल अपने घर पर ही रहता और ‌‌‌राजा के सामने तक नही जाता था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आया होगा की इस मुहावरे का अर्थ शरण देनेवाले से ही शत्रुता करना होता है ।

जल में रहकर मगर से बैर मुहावरे पर निबंध || jal me rahkar magar se bair essay on idioms in Hindi

दोस्तो आपको बता दे की मगर मगरमच्छ को कहा जाता है ओर यह जल के अंदर रहता है। कहा जाता है की मगरमच्छ जल का राजा है और इससे कोई जल में दुश्मनी मोल लेना नही चाहेगा । क्योकी यह अपने दुश्मनो को मार देता है और उन्हे खा जाता है ।

अगर ऐसे में मान ले की आप जल में रहते है तो दोस्तो आपको बता दे की आप कभी भी जल में रह कर इस मगरमच्छ से दुश्मनी नही लेना चाहेगे । क्योकी आपको पता है की दुश्मनी ली गई तो फिर मोत पक्की है । और आप अगर जल में रह रहे है तो इसका मतलब है की मगरमच्छ ने आपको शरण दे रखी है और अगर आप इसी मगरमच्छ से दुश्मनी लेगे तो यह तो वही बात हुई शरण देनेवाले से ही शत्रुता करना और इसी बात से आप समझ ले की jal me rahkar magar se bair muhavare ka arth – शरण देने वाले से ही शत्रुता करना ही इसका सही अर्थ है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।