बात की चूड़ी मर जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

बात की चूड़ी मर जाना मुहावरे का अर्थ baat ki choodi mar jana muhavare ka arth – प्रभावहीन होना ।

दोस्तो कहा जाता है की अपनी किसी भी बात कहने के लिए एक सरल और सहज भाषा का प्रयोग करना चाहिए । ताकी सामने वाले को सब कुछ समझ में आ जाए । अगर बात को सरल तरीके से न कह कर जटिल ‌‌‌रूप में कहा जाता है तो फिर उस बात में जो कहा जाता है उसका सटीक अर्थ नही होता है । जिसके कारण से बात पूरी तरह से प्रभावहिन हो जाती है। अत: मित्रो इसी कारण से इस मुहावरे का अर्थ प्रभावहिन होना होता है । और फिर कही पर भी प्रभावहिन होने की बात होती है तो इसे बात की चुड़ि मरना कहा जाता है ।

बात की चूड़ी मर जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

‌‌‌बात की चुड़ी मर जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || baat ki choodi mar jana nuhavare ka vakya me pryog

  • रामलाल और उसका भाई श्याम इंजन ठिक करने के लिए कभी इधर घुमाते तो कभी उधर घुमाते इस कारण से बात की चुड़ी मर गई ।
  • ‌‌‌किसन कई दिनो से दुकानदार को झुठ बोल कर समान ले रहा था मगर एक दिन दुकानदार को सब कुछ पता चल गया और किसन की बात की चुड़ी मर गई ।
  • कंचन ने पड़ोसी को डराने के लिए स्वयं में भूत होने का नाटक करना शुरू कर दिया मगर एक दिन कंचन के पति ने गलती से सब सच्चाई बता देी और कंचन की बात की चुड़ी मग गई
  • महेश अध्यापक को कहना तो बस इतना चाहता था की आज मैं स्कूल नही आ सकता हूं मगर इसमें उसने बहुत सारी बातो को सामिल कर दिया और जिसका ‌‌‌नतिजा यह हुआ की महेश की बात की चूड़ी मर गई ।
  • ‌‌‌रामलाल अपने बेटा दसवी मैं फैंल हो गया मगर पिता को लगा की बेटा दुखी होगा जिसके कारण से पिता ने कह दिया की तुम पास हो गए हो जिससे रामलाल का बेटा काफी खुश था मगर कुछ सयम के बाद में रिया ने आकर उसे बताया की वह फैल हो गया है और यह जानने के बाद में रामलाल की बात की चुड़ी मर गई ।

‌‌‌बात की चुड़ी मर जाना मुहावरे पर कहानी

प्राचीन समय की बात है किसी नगर में धनानाथ नाम का एक लड़का रहा करता था । जिसके घर में उसके माता पिता के अलावा कोई और नही था । धनानाथ के पिता जो थे वे विदेश में काम किया करते थे । जिसके कारण से घर में जो भी कुछ समान चाहिए होता था वह धनानाथ ही लेकर आता ‌‌‌था ।

 हालाकी दुकानदार को पैसे मिलते थे तो भला दुकानदार समान क्यो नही दे सकता था । मगर हमेशा ऐसा नही हुआ । क्योकी एक समय ऐसा आया जब धनानाथ काफी बड़ा हो गया था और उसके पिता को शरह से बाहर रहते हुए भी काफी समय हो गया था ।

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और इधर धनानाथ गलत लोगो के बिच में रहने लगा । जिसके कारण से दुकानदार से ‌‌‌कभी कुछ लेने के लिए जाता तो कभी कुछ लेने के लिए जाता था । समय बितता गया और एक बार धनानाथ के पास पैसे नही थे तो वह बिना पैसे ही दुकानदार के पास जाकर समान ले लेता है और जब पैसे देने की बात होती है तो वह कहता है की इस बार पिताजी ने कहा की आप खाता शुरू कर ले हम एक साथ पैसे देगे ।

जरा उनके पास ‌‌‌पैसे तो है मगर वे हमे भेज नही सकते है । इस तरह से कहने पर धनानाथ की बात दुकानदार को अच्छी लगी । जब घर में जो कुछ चाहिए होता था वह धनानाथ बिना पैसे ही लेकर आता था । हालाकी उसका जो माता थी वह उसे पैसे देती थी । मगर इस बारे में दुकानदार को पता नही था । बल्की दुकानदार को तो धनानाथ ने यह कह कर ‌‌‌अपनी बात का प्रभाव जमा रखा था की जैसे ही पिताजी आते है तो आपको पैसे उसी समय मिल जाएगा । और धनानाथ के पिता ठहरे अच्छे आदमी तो भला दुकानदार को भी कैसे सक हो सकता था ।

समय बितता जा रहा था मगर दुकानदार अभी भी धनानाथ की बातो में आया हुआ था और उसे मनचाही वस्तु उधार में दे देता था । ‌‌‌मगर एक बार धनानाथ को दुकानदार ने मना कर दिया और कहा की पैसे बहुत ज्यादा हो रहे है इस कारण से पहले पैसे दे दो ।

मगर धनानाथ अब काफी चालाक था जिसके कारण से उसने एक नया बहाना बना लिया और दुकानदार से कहा की पिताजी के पास पैस खुब है मगर उनके पास ऐसा कोई व्यक्ति रहता नही है जो की हमारे आस पास का ‌‌‌हो और अनजान लोगो को पैसे देकर भेजना भी सही नही है ।

‌‌‌बात की चुड़ी मर जाना मुहावरे पर कहानी

इस कारण से धनानाथ की बात दुकानदार को सही लगी और उसे लगा की धनानाथ को चीजे देती रहती चाहिए । मगर मित्र एक दिन की बात है अचानक धनानाथ के पिता अपने गाव में आ जाता है और जैसे ही दुकानदार को वह दिखता है तो दुकानादर आवाज लगा कर कहता है की धनानाथ ‌‌‌के पिताजी जरा सुनते हो ।

यह कहने पर धनानाथ के पिता ने सोचा कोई काम होगा जिसके कारण से वह दुकानदार के पास चला गया । तब दुकानदार ने कहा  की भाई आज कल क्या काम कर रहे हो की पैसे भेजना ही बंद हो गया है ।

तब धनानाथ के पिता ने कहा की भाई काम तो वही पहले वाला है और रही बात पैसो की तो वह भेजना बड़ा ‌‌‌आराम का काम है । महिने से महिने अपने आप घर पर पहुंच जाते है । काम इतना अच्छा है की दुसरे शहर में होने के बाद भी कभी पैसे भेजने में समस्या नही हुई । यह सुन कर दुकानदार को कुछ समझ में नही आया । तब उसे लगा की धनानाथ जरूर अपने माता पिता को बिना बताए सब कुछ ले जा रहा है ।

जब दुकानदार ने धनानाथ ‌‌‌के पिता को पूरी बाता दी । जिसे धनानाथ का पिता सुन कर कहता है की भाई दुकानदार हो तो इसका मतलब यह तो नही है ना की तुम जो कहो वह मान लू । मेरा बेटा भला क्यो उधार लेकर जाएगा । तब दुकानदार ने कहा की अगर आपको यकिन नही है तो मैं गाव के लोगो से पूछा सकता हूं ।

तभी एक व्यक्ति पास बैठा था उसने कहा ‌‌‌की हां यह सच है धनानाथ कभी कभार उधार लेकर गया था और उसे मैंने देखा था । यह कहने पर धनानाथ के पिता को भी समझ में नही आया तब उसने दुकानदार से कहा की भाई इस बारे में कल बात करते है अभी तो मैं घर में इस बारे में बात कर लेता हूं ।

‌‌‌घर जाने के बाद में धनानाथ के पिता ने अपनी पत्नी से सब कुछ पूछा तो उसने कहा की यह तो पता नही बल्की धनानाथ जो है वह आज कल कुछ न कुछ खाता रहता है और मेरे से पैसे भी नही लेता है । यहां तक की जब मैं कुछ मगवाती हूं तो कभी तो बिना पैसो के ही लाकर दे देता है । तो यह सब जानने के बाद में धनानाथ के पिता ‌‌‌को सब कुछ समझ में आ जाता है ।

हालाकी इस बारे में धनानाथ को कुछ ‌‌‌पता नही था और उसे तो यह भी पता नही था की उसका पिता आज आ चुका है । इस कारण से कुछ समय बितने के बाद में धनानाथ अपने साथियो के साथ दुकानदार के पास आया और उनसे वस्तु मागने लगा । तब दुकानदार समझ चुका था की यह बिना अपने पिता की अनुमति ‌‌‌के सब कुछ लेकर जा रहा है और इस बारे में किसी को कुछ बताता नही है ।

तब दुकानदार ने कहा की धनानाथ इतने दिनो से तुमने मुझे जो कह कर उधार ले रहा था वह अब आगे नही होगा । क्योकी तुम्हारी बात की चुड़ी मर चुकी है ।

इतना कहने के बाद में धनानाथ को कुछ समझ में नही आता है तो वह दुकानदार से कहता है की ‌‌‌आप क्या कह रहे हो मुझे समझ में नही आ रहा है जल्दी से मुझें समान दे दो । इतना कह कर वह अपने साथियो की तरफ देखने लगा था ।

तभी दुकानदार ने चालाकी दिखाई और धनानाथ से कहा की जरा ठहरो मेरा फोन आ रहा है तो मैं जरा बात कर लेता हूं । इतना कहने के बाद में दुकानदार ने धनानाथ के पिता को फोन लगाया और कहा ‌‌‌की आप घर पहुंच गए क्या । इतना कहने के बाद में धनानाथ बोल पड़ता है की हे दुकानदार जरा जल्दी करो ।

तब दुकानदार कहता है की धनानाथ क्यो ऐसा कर रहे हो जरा ठहरो । कितने दिन बित गए पैसे तो अभी तक मिले नही है । तब धनानाथ अपने पिता का नाम लेते हुए कहता है की आपको पैसे पिताजी दे देगे । आप बस समान ‌‌‌देते रहो । तब दुकानदार कहता है की नही अब आपके पिताजी को बुलाकर ले आओ तो वै पैसे दे देगे ।

तब धनानाथ ने अपने पिता के बारे में कहा की अब तो वे इस शहर में है ही नही । तब दुकानदान ने कहा तो फिर ठिक है जब आएगे तब ले लेना । इतने में तो धनानाथ के पिता दुकानादर के पास आ गए थे । क्योकी वे सब कुछ सुन ‌‌‌रहे थे तो उन्हे लगा की दुकानार किसी और बालक से अपने बारे में ऐसा बुलवा रहा है ।

मगर अपने बेटे को दुकान में देख कर धनानाथ का पिता सब कुछ समझ गया । तब दुकानदार ने कहा की बेटा धनानाथ अब तुम्हारी बात की चुड़ी मर गई है । तुम्हे कुछ उधार नही मिलेगा । और जरा पिछे मुड़कर देखो । जब धनानाथ पिछे ‌‌‌देखता है तो उसके पिता सारी बाते सुन रहे थे । तब वहां पर धनानाथ को उसके पिता ने कुछ नही कहा बल्की दुकानदार से कहा की आपके पैसे मैं आपको कल दुगा । इतना कहने के बाद में वे वहां से चले गए ।

इस घटनो के बाद में दुकानदार ने कभी भी धनानाथ को उधार में कुछ भी नही दिया था । यहां तक की वह किसी बच्चे को ‌‌‌अगर उधार देता तो पहले उसके पिता से बात करता था ।

क्योकी धनानाथ की तरह कोई भी हो सकता है । यह दुकानदार को समझ में आ गया था । और यह सब धनानाथ की बात का प्रभाव खत्म होने पर हुआ था । इस तरह से आप इस कहानी से क्या समझे कमेंट में बताना ।

‌‌‌बात की चूड़ी मरना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो चूड़ी वह होती है जो की किसी नट बोल्ट को कसने के लिए बनी होती है । आपने देखा होगा की किसी नट को जिस किल में कसा जाता है उसमें धारिया बनी होती है तो उन धारियो को चूड़ी कहा जाता है  । और जब वह चूड़ी नष्ट हो जाती है यानि वे चूड़ी घिस जाती है ‌‌‌जैसे की वे किसी भाग से दिखाई देनी बंद हो जाती है तो इसे कहा जाता है की चूड़ी मर गई । और एक बार चूड़ी मर जाने के बाद में वह नट बॉल्ट पूरी तरह से महत्वहिन हो जाता है । ‌‌‌तब इसे चुड़ी मरना कहा जाता है ।

‌‌‌बात की चूड़ी मरना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌उसी तरह से जब किसी बात को सरल भाषा में कहा जाता है तो वह आराम से सामने वालो को समझ में आ जाती है । मगर जब उस बात को सरल शब्दो में न कह कर जटिल रूप में कहा जाता है तो उस बात का अर्थ समझ में नही आता है ।

जैसे की आपको कहा जाए की जाओ दुकान से आलू लेकर आओ । मगर आप दुकानदार को जाकर कहते हो potato दे ‌‌‌दो । तो दुकानदार के लिए potato जो शब्द है वह जटिल शब्द होता है । जिसके कारण से उसे समझ में नही आता है तो वह इसे महत्वहिन समझ लेता है । क्योकी उसके लिए आलू महत्वपूर्ण होते है मगर potato महत्वहिन होते है ।

इस कारण से जिस तरह से नट बॉल्ट महत्वहिन हो जाते है तो इस चूड़ी मरना कहा जाता ‌‌‌है । मगर यहां पर बात का अर्थ समझ में नही आता है तो बात महत्वहिन हो जाती है ।और जब इन दोनो शब्दो को मिलाया जाता है तो बात की चूड़ी मर गई कहा जाता है ।

अगर इसका सही अर्थ देखे तो महत्वहिन होता है और इसे समझाने के लिए जो उदहारण दिया जाता है वह हमने जो बताया है वैसा ही होता है ।

दोस्तो हम आसा ‌‌‌करते है की बात की चूड़ी मरना मुहावरा आपको समझ में आया होगा । तो मित्रो कमेंट में बताना आपको किस मुहावरे पर लेख चाहिए ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।