जानिए सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ sau sunaar kee ek luhaar kee muhaavare ka arth – निर्बल लोगो की अनेक चोट की अपेक्षा बलवान की एक चोट काफी है ।

‌‌‌दोस्तो जिस तरह से सौ कौरवों ने पाडवो पर हमला बोल दिया था तो भीम ने अपने एक ही वार से अनेक कौरवों को मार गिराया था इसे ही कहते है सौ सुनार की एक लुहार की । ऐसे बलवानो की एक चोट काफी होती है ।

जिस तरह से एक कार्य को अनेक लोग भी मिलकर नही कर सकते है उसी कार्य को कोई एक ही कर देता है तो यही कहा ‌‌‌जाता है की निर्बल लोग के अनेक वार से जो काम नही हो रहा था उसे बलवान ने एक ही वार मे पुरा कर ढाला था । ऐसे कार्यो को करने वालो के लिए ही इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है ।

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग
‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ (Meaning in Hindi)
सौ सुनार की एक लुहार कीनिर्बल लोगो की अनेक चोट की अपेक्षा बलवान की एक चोट काफी है ।

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का वाक्य प्रयोग || sau sunar ki ek lohar ke ki sentence in hindi

  • कौरवों ने मिलकर पाडवो पर हमला बोल दिया था पर जब पाडवो ने अपने शस्त्र उठाए तो कौरवों को मार गिराया इसे ही करहे है की सौ सुनार की एक लुहार की ‌‌‌।
  • एक लडके को मिलकर अनेक लडके मार रहे थे और जब वह लडका उन्हे मारने लगा तो सभी को धुल चटा दी इसे ही करते है की सौ सुनार की एक लुहार की ।
  • राधा ‌‌‌अपनी बहनो के साथ मिलकर एक लडकी को खुब धोया और जब वह लडकी राधा व उसकी बहन को मारने लगी तो सभी दुर भाग गई ‌‌‌सच कहा है की सौ सुनार की एक लुहार की ।

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे पर कहानी || sau sunar ki ek lohar ki story in Hindi

एक गाव मे मोहन नाम का आदमी रहा करता था । उसके घर मे गरीब घाटा था इस कारण उसे जो भी काम मिल जाता उसे करने लग जाता था । इस तरह से वह अपना जीवन काट रहा था । कभी वह खेतो मे हल जोतता तो कभी और काम करने के लिए चला जाता । 

‌‌‌वह चहाता था की उसे कोई अच्छी सी जगह काम मिल जाए गाव के लोगो को मोहन बहुत पसंद आता था। ‌‌‌ मोहन बहुत गरीब था अगर एक भी दिन काम करने के लिए नही जाता तो उसे भुखा ही रहना पडता था । इस तरह से मोहन रोजाना काम करने के लिए जाता था । कुछ दिनो तक तो उसे रोजाना काम मिलता रहा पर बादमे उसे एक माह तक कोई भी काम नही मिल सका ।

‌‌‌इस कारण उसने अपने घर को गिरवी रख दिया । जिससे उसे कुछ पैसे मिले जिनसे वह कुछ दिनो तक तो गुजारा कर सका था । जो पैसे मिले थे उन्हे वापस देने का समय आ गया तो सेठ ने उसे बुलाकर कहा की अगर तुम दो दिन मे पैसे वापस नही ला सके तो तुम्हे मेरे पास काम करना होगा  ।

जब पैसे नही चुका सका ‌‌‌तो सेठ ने उसे बुलाकर अपना नोकर बना लिया । मोहन बहुत कार्य करता था और खाने के अलावा उसे कुछ भी नही मिलता था । ‌‌‌जिस दिन काम नही करता तो मोहन को खाना नही मिलता ‌‌‌और सेठ उसे अनेक लोगो से ‌‌‌पिटाने भी लगता । मोहन कुछ नही करता और मार खाता रहा ।

इस तरह से वह बहुत दुर्खी हो गया और अपने आप पर रोने ‌‌‌लगता था । मगर एक दिन मोहन को सेठ मार रहा था तो मोहन ने कहा की इतना जुलम तो कोई भी नही करता है । ‌‌‌आप लोगो की मार मै इसी कारण से सह रहा हूं क्योकी आपने मुझे पैसे दिए थे ।

यह सुकनर सेठ ने मोहन को खुब मारा और दो दिनो तक खाना नही दिया था। मोहन बहुत बलवान था जो काम अनेक लोग मिलकर भी नही कर सकते थे वह मोहन अकेला ही कर देता था । जिसके कारण ही सेठ ने उसे अपने पास रख रखा था । सेठ चाहता था की गाव ‌‌‌के लोगो की सभी जमिन उसकी हो जाए ।

उसके सामने बोलने वाला कोई नही था । वह अपने चारो ओर अनेक लोगो को रखता था । धीरे धीरे गाव के सभी लोग उसके गुलाम होने लगे । तब सेठ सभी से बहुत काम कराता और कहता की अगर काम नही किया तो खाना भी नही मिलेगा । अगर कोई उससे लडने लग जाता तो सेठ उसे ‌‌‌बहुत पिटाता और 5-6 दिनो तक खाना नही देता ।

‌‌‌एक बार सेठ ने गाव के लोगो को कहा की हमारे गाव मे जो पहाड है उसपर से आप लोगो से बेल लानी होगी वराना आप लोगो के साथ बहुत बुरा होगा । यह सुनकर गाव के लोग उस पहाड के पास गए और जैसे ही अपर चढते वापस पड जाया करते थे ।

इस तरह से सभी लोगो ने कोसिस कर ली जब किसी से नही चढा गया तो मोहन को गाव के लोगो ने ‌‌‌चढने के लिए कहा अपने गाव के लागो की बात मानकर मोहन उस कार्य को करने लगा और बेल लाकर गाव के लोगो को दे दी ।

इसी तरह से एक बार मोहन ने ठान लिया की वह इस सेठ के आंतक से इन गाव के लोगो को बचाएगा । यही ‌‌‌सोच कर मोहन काम करना बंद कर दिया जिससे सेठ उसके पास आकर मरने लगा ।

मोहन चहाता था की सेठ उसके पास आए तब मोहन ने सेठ पर जैसे ही ‌‌‌वार किया तो सेठ जमिन पर जा गिरा । यह देख कर सेठ के लोग मोहन को माने के लिए जैसे ही आगे बडे तो मोहन ने उन्हे भी धुल चटा दी यह देखकर सेठ ने उसे अपनी जमिन के कागजात देने को कहा ।

सेठ की बात सुनकर मोहन ने कहा की इन सभी गाव के लोगो को तुम्हे वापस भेजना होगा और जो भी इनसे लिया है उसे वापस देना होगा। ‌‌‌मोहन की हिम्मत देखकर सेठ घबरा गया और उसने सारे गाव को अपनी आपनी जमिन के कागजात देकर जाने दिया । इस तरह से मोहन ने अपने गाव के लोगो के जीवन की रक्षा की थी ।

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे पर कहानी

जो काम सभी गाव के लोग मिलकर नही कर सके उसे मोहन ने अकेले ही कर दिया । जाते समय गाव के लोगो ने सेठ को कहा की सौ सुनार की और एक लुहार की ‌‌‌यानी जो हम सब मिलकर नही कर सके उसे मोहन ने अकेले ही कर दिया और तुम लोगो को धुल चटा दी । इस कहानी से आप समझ गए होगे की ‌‌‌सौ सुनार की एक लुहार मुहावरे का अर्थ क्या है ।

‌‌‌सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे पर निबंध || sau sunar ki ek lohar ki essay on idioms in Hindi

दोस्तो आज के समय मे उसी को माना जाता है जो बलवान है जो अनेक कार्य पुरा करने का होसला रखता हो । जिन कार्यो को करने के लिए अनेक लोगो की जरुरत होती है । उसे वह अकेला ही कर देता है । ऐसे लोग इस संसार मे बहुत कम देखने को मिलते है ।

‌‌‌बलवान लोगो को देखकर ही कहा जा सकता है की यह इस कार्य को अकेला ही कर ‌‌‌सकता है । आज का समय ही ऐसा है की लोग निर्बल से काम कराने की बजाए किसी बलवान से कराते है । जिस तरह से अनेक लोग मिलकर पत्थर को नही तोड सकते है उसे ‌‌‌भीम के जैसे ‌‌‌बलवान व्यक्ति एक ही वार मे तोड डालते है

तो उनके लिए यह कहा जाता है की सौ ‌‌‌सुनार की एक लुहार की यानी एक सुनार को हार बनाने के लिए उस पर सौ  बार देनी पडती है और लुहार किसी चिज को बनाने के लिए एक ही वार मे पुरा कर देता है । ‌‌‌इस तरह से आप समझ गए होगे की सौ  सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ क्या है ।

सौ सुनार की एक लुहार की का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of sau sunar ki ek lohar ki in HIndi


दोस्तो अगर आपको नही मालूम है तो बता दे की सुनार वह होता है जो की सोने चांदी की वस्तु बनाता है । जैसे की सोने का हार, सोने की बींटी, सोने की पायल आदी । और वही पर इसके विपरीत लुहार होता है । जो की लोहे की वस्तु बनाता है । जैसे की कुल्हाड़ी, लोहे

‌‌‌की चैन । तो इस तरह से लुहार और सुनार दोनो एक दूसरे के विपरित होते है । मगर जब दोनो में ताक्तवर कौन है यह पूछा जाता है तो लुहार की बात आती है ।
अब आप सुनार को लुहार का काम दे तो सुनार उस काम को नही कर सकता है । क्योकी वह काफी धिरे धिरे मारता है । वही पर लुहार उसी वस्तु को जल्दी बना देता है ‌‌‌क्योकी वह एक बार मारता है तो काफी तेज लगती है और वस्तु पीचक जाती है ।


वैसे ही अगर आपको सुनार मारता है तो आपको ज्यादा चोट नही लगती है । मगर वही पर लुहार आपको मारता है तो आपको काफी चोट आ सकती है । तभी कहा जाता है की सो सुनार के बारबार एक लुहार होता है । यानि सौ सुनार की और एक लुहार की ।

‌‌‌जिसका मलतब हुआ की सुनार एक निर्बल व्यक्ति है । और उसकी कई चोट मारने पर असर करती है । वही पर अगर बलवान एक मार देता है तो काफी भयानक चोट होती है । अत निर्बल लोगो की अनेक चोट की अपेक्षा बलवान की एक चोट काफी है । और यही इस मुहावरे का तात्पर्य होता है ।

किसके लिए 100 सुनार की एक लौहार की मुहावरे का प्रयोग करे

दोस्तो यह एक मुहावरा है जो की पीछले कुछ समय से काफी अधिक पोपुलर बना हुआ है और इसका उपयोग न केवल मानव जीवन में होता है बल्की कई बार परिक्षाओं में भी इसे पूछा जाता है ।

वैसे आपको बात दे की इसका अर्थ होता है निर्बल लोगो की अनेक चोट की अपेक्षा बलवान की एक चोट काफी है । और इसी के आधार पर आप यह समझ सकते है की इसका वाक्य में प्रयोग किसके लिए होगा ।

मतलब किसी ऐसे व्यक्ति की कल्पना करे जो की देखने में दुबला पतला हो और दूसरा व्यक्ति आप स्वयं हो जो की देखने में किसी पहलवान से कम नही हो, अगर नही है तो यह कल्पना कर ले ।

अब ऐसे समय में कमजोर व्यक्ति अगर आपको 100 मारता है तो आपको जरा सा असर होता है वही पर आप उस कमजोर के केवल एक मारते हो तो वह जीमन पर जा गिरता है और ऐसा असल में होता है ।

तो अब दोनो के वार के लिए कहा जा सकता है की सौ सुनार की एक लोहार की ।

तो इस तरह से इसका वाक्य में प्रयोग होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।