आओ पढ़ो, अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ apana haath jagannaath muhaavare ka arth – स्वयं का कार्य स्वयं कि द्वारा करना ।

दोस्तो आज का समय ऐसा है की कोई भी अपना काम स्वयं नही करता है । वे दुसरो के भरोसे बेठे होते है । अगर कोई अपना काम स्वयं करता है तो उसे अपना हाथ जगन्नाथ कहा जाएगा । जिसका ‌‌‌सिद्धा से अर्थ होता है की जो काम स्वयं के द्वारा किया जाए ।

ऐसे लोग भी बहुत है जो अपना काम स्वयं ही करते है । वे दुसरो के भरोसे नही बेठे रहते । उनका मानना है की अगर हम किसी और से अपने कार्य को करने की उमीद लगागे तो या तो वह कार्य गलत होगा या फिर कभी भी नही होगा ।

‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ (Meaning in Hindi)
अपना हाथ जगन्नाथस्वयं का कार्य स्वयं कि द्वारा करना ।
अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ का वाक्य मे प्रयोग || apna haath jagannath sentence in hindi

  • एक बार राम ने अपना काम लक्ष्मण को दे दिया तो लक्ष्मण से वह कार्य सही तरह से नही ‌‌‌हूआ। तो राम को समझ मे आ गया की अपना हाथ जगन्नाथ ।
  • राधा ने अपनी बहन से कहा की तुम मेरे कपडो पर भी स्त्री कर देना तो राधा का कपडा जल गया तब उसकी मा ने कहा की ‌‌‌बेटी अपना हाथ जगन्नाथ ।
  • ‌‌‌स्वयं का व्यपार कर कर राघव ने यह सिध कर दिया की अपना हाथ जगन्नाथ होता है ।
  • राम को उसके पिता ने कहा की अगर तुम दुसरो के निचे काम न कर कर अपना ‌‌‌ काम सुरु करोगे तो तुम उस काम मे अवश्य ही सफल हो जावोगे यह ध्यान रखो की अपना हाथ जगन्नाथ होता है ।

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे पर कहानी || apna haath jagannath story on idiom in Hindi

‌‌‌एक गाव मे राजवीर नाम का एक लडका रहा करता था । उसके घर मे उसा बडा भाई व उसका पिता था । दोनो भाईयो की सादी हो गई थी । और उनकी पत्नियां भी उन दोनो के साथ रहा करती थी । बडा भाई तो खेत जाता और काम करता पर छोटा भाई यानी राजवीर घर मे रहा करता था। वह आलशी था कुछ नही करता ।

दिन मे खाना खाकर वापस सो जाया ‌‌‌करता । इस तरह से उन सभी का जीवन गुजर रहा था । कुछ समय बित जाने के बाद मे एक दिन उनके पिता की मृत्यु हो गई थी । इस कारण वे दोनो ही बहुत दुखी थे । और गाव के लोग भी उनके घर आए थे ।

तब उन दोनो ने अपने पिता का अंतिम संसकार कर घर आए । उस दिन किसी ने भी खाना नही खाया । यहा तक की छोटे ‌‌‌भाई राजवीर ने भी कुछ नही खाया था । एक माह के बाद मे बडा भाई तो वापस खेती करने के लिए खेत मे जाने लगा था पर उसका छोटा भाई वापस पहले की तरह ही रहने लगा ।

वह खाना खा लेता था और सो जाया करता था । इस तरह से रहते हुए देखकर कर उसकी भाभी ने अपने पति से कहा की ‌‌‌अब समय आ गया है की तुम दोनो भाईयो को अलग हो जाना चाहिए । क्योकी आप तो सुबह से लेकर ‌‌‌रात्री तक खेतो मे ‌‌‌रिजते हो और आपका छोटा भाई दिन और रात घर मे ही पडा रहाता है ।

यह बात सुनकर उसके पति ने कहा की बात तो तुम्हारी भी सही है अगर हम अलग हो जाएगे तो यह काम करने लगा जाऐगा और इसका जीवन भी अच्छा हो ‌‌‌जाएगा । इसी सोच के साथ उसने अगले ही दिन गाव के कुछ लोगो को बुलकार कहा की हम दोनो भाईयो को अब अलग होना होगा तो आप लोग हमारे घर व खेत का बटवारा कर दिजिए ।

यह सुनकर उसके भाई ने कहा की क्या हुआ भाई तुम मुझसे अलग क्यो हाना चहाते हो । तब उसके बडे भाई ने कहा की तुम तो दिन भर घर मे पडे रहते हो और मै ‌‌‌दिन व रात खेत मे ‌‌‌रिजकर कुछ पैसे कमाता हूं वह भी घर मे खर्च हो जाते है । यह सुनकर राजवीर कुछ नही बोला।

तब सभी गाव के लोगो ने उन दोनो भाईयो को अलग कर दिया और घर का बटवारा कर दिया । बटवारा हो जाने के बाद मे बडा भाई तो बहुत ठाठ बाट से रहने लगा और छोटा भाई पहले की तरह ही रहने लगा था । ‌‌‌उसके खेत मे कुछ भी नही होता था । तो उसकी पत्नी ने खेत ‌‌‌मे किसी और को फसल ‌‌‌बॉने के लिए कहा और कहा की जो भी नाज होगा वह आध आधा कर लेगे ।

 तब से राजवीर ‌‌‌के खेत मे फसल ‌‌‌बॉने वाला आदमी रोजाना ही खेत जाता और घर आ जाया करता था । जब सभी लोग नाज काढ कर घर ला रहे थे तो राजवीर ने अपने खेत मे जाकर देखा तो उसके खेत मे ‌‌‌कुछ भी नही हुआ । इस तरह से चलते हुए वह दिन व रात को घर मे पडा रहता था । दो वर्ष बित गए पर वह घर से बाहर नही जाता ।

उसके घर मे खाने के लिए कुछ भी नही था तो उसकी पत्नी अपने मायके चली गई । तब उसने सोचा की सभी लोगो के खेतो मे नाज होता है और हामारे खेतो मे नही ऐसा क्यो हो रहा है । तो ‌‌‌वह इस समस्या के समाधन के लिए एक साधु के पास गया और अपनी समस्या बता दी ।

तब साधु ने कहा की तुम ऐसा ‌‌‌करना की रोजान सुबह उठकर खेत मे जाकर आ जाना । और हो सके तो तुम दिन मे दो तिन बार चले जाना । अगले ही दिन वह अपने खेत मे गया तो उसे आते देखकर वह आदमी जल्दी से काम करने लग गया था ।

 इस तरह से वह पुरे ‌‌‌वर्ष खेत मे दिन मे दो तिन बार जाने लगा था । और जब फसल अच्छी हुई तो वह फिर से साधु के पास गया और कहा की आप तो महान हो महाराज आपने ‌‌‌जो मुझे कहा था तो मेने वेसा ही किया और मेरे खेते मे इस बार अच्छी फसल हुई । यह चमतकार आपने केसे किया ।

तब साधु ने कहा की यह तो कोई चमतकार नही है । तुम खेत मे जाते नही ‌‌‌थे । और जो आदमी खेत मे फसल ‌‌‌बॉता था वह बस जाकर सो जाया करता था इस तरह से तुम्हारे खेत मे फसल नही हो रही थी । साधु ने कहा की अपना हाथ जगन्नाथ होता है ।

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे पर कहानी

तब से राजवीर अपने खेता को खुद ही बोने लगा और उसके खेत मे बहुत ही अच्छी फसल हो गई । जिससे उसकी पत्नी भी उसके पास वापस आ गई । इस तरह से ‌‌‌ राजवीर को पता चला की अपना हाथ जगन्नाथ होता है । इस कहानी से आप समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

‌‌‌अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे पर निबंध || apna haath jagannath essay on idioms in Hindi

साथियो आज के समय मे जब तक अपना काम स्वयं नही करते है तब तक हमारा फायदा नही होता है । अगर हम अपना कार्य स्वयं ही करने लग जाएगे तो हमारे पास सब कुछ हाने लग जाएगा । इसी लिए कहते है की अपना हाथ जगन्नाथ । यानी अपना काम स्वयं ही करो ।

मगर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अपना कार्य स्वयं नही करते है वे उस कार्य से दुर भागते है । अगर वह कार्य गलत हो जाता है तो वे कहते है की इससे तो अच्छा होता की यह कार्य मै खुद ही करत लेता । तब उन्हे ज्ञात होता है की अपना हथ जगन्नाथ ।

अगर एक बार वे अपना कार्य खुद करने लग गए तो उनके जीवन मे खुशिया छाने लग जाती है । ‌‌‌ऐसे लोग बहुत है जो अपना काम खुद करते है । और दुसरो पर निर्भर नही रहते है । इस तरह से आप समझ गए होगे की अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अपना हाथ जगन्नाथ का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of apna haath jagannath


अब तक हमने इस मुहावरे को अच्छी तरह से समझाने की कोशिश की है । मगर अब हम यह जान लेते है की इस मुहावरे को किस तरह से समझाया जाता है ।
दोस्तो जगन्नाथ से तात्पर्य होता है दुनिया के भगवान । और इस तरह से इस मुहावरे के रूप में कहा जाता है की अपने हाथ जो है ‌‌‌वह पुरे जगत् का भगवान है । मगर इसका मतलब यह नही होगा । बल्की इसे इस तरह से कहा जाता है की जो व्यक्ति अपने हाथो से काम करता है यानि स्वयं का काम स्वयं करता है तो वह पूरे जगत् के स्वामी के समान होता है । क्योकी वह सबसे अच्छा काम कर सकता है ।

‌‌‌जो व्यक्ति दूसरो पर निर्भर होता है वह हमेशा ही कुछ नही कर सकता है । क्योकी स्वयं का काम स्वयं के द्वारा करना ही अच्छा रहता है । और यह काम अपने हाथो से करने के पीछे का कारण यही होता है क्योकी काम बेहतर होता है ।
अब आप इसे समझने के लिए किसी भी तरह का उदहारण ले सकते है जिसमें कोई

‌‌‌व्यक्ति स्वयं का काम स्वयं के द्वारा ही करता है । तो आपको यह समझ में आ जाएगा ।
वैसे इस मुहावरे का अर्थ या तात्पर्य यही होता है की स्वयं का काम स्वयं के द्वारा करना । वैसे आपने जब इस मुहावरे के वाक्य में प्रयोग और कहानी के बारे में जाना होगा तो आपको यह पता चल गया होगा की इसका अर्थ क्या ‌‌‌है ।

आखिर क्यों लोग स्वयं का कार्य स्वयं के द्वारा करने पर अपना हाथ जगन्नाथ कहते है

दोस्तो महुावरे को पढते हुए आपके मन में भी एक प्रशन आया होगा की आखिर ऐसा क्या कारण होता है जिससे लोग स्वयं का कार्य स्वयं के द्वारा करने पर अपना हाथ जगन्नाथ कहते है, तो वैसे तो इसका कोई सटीक उत्तर नही हो सकता है

मगर हमारे अनुसार मानव जो होता है वह स्वयं के भार को उठा सकता है । मतलब मानव को स्वयं का काम स्वयं ही करना चाहिए और असल में यही प्रकृति का नियम है और जो इस नियम को अपनाया रहता है वही इस प्रकृति में बना रहता है ।

अगर कोई अपना काम स्वयं कर ही नही सकता है तो असल में वह इस धरती पर जीवन तो जी रहा है मगर केवल भौतिक जीवन जीता है , भगवान भी स्वयं का काम स्वयं करते है तो फिर हमे क्यो नही करना चाहिए ।

और वही पर अगर कोई स्वयं का काम स्वयं ही करता है तो इसका मतलब है की उसके हाथ जगन्नाथ की तरह है जो की जग का पूरा कार्य कर सकते है । और कुछ ऐसे ही कहा जाता है अपना हाथ जगन्नाथ । 

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।