‌‌‌यहां पर समझे, अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ apane munh miyaan mitthoo banana muhaavare ka arth – अपनी बड़ाई स्वयं करना।

‌‌‌दोस्तो अगर कोई व्यक्ति अपने मुह से अपनी तारीफ कर रहा हो तो उसे ऐसे कहा जाएगा की यह तो अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाने मे लगा है । आज के समय मे लोग अपने मुह से अपनी तारीफ करने मे पिछे नही हटते है । वे अपनी तारीफ बडा चडा कर कनते है ।

ऐसे लोग इस संसार मे बहुत है । वे तारीफ करते ही रहते है चाहे ‌‌‌वह सच हो या ना हो । उन्हे अपन बडाई करना बहुत अच्छा ‌‌‌लगता है । वे कहते है की मै तो ऐसा हूं मै वेसा हूं । मेरे जैसा इस संसार मे कोई नही है।

‌‌‌ अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग    || apane munh miyaan mitthoo banana use of idioms in sentences in Hindi

  • ‌‌‌ रमेश से पूछ लिया की तुम क्या करते हो तो वह तो अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने लगा ।
  • रजनी से उसकी मा ने कहा की अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वाले लोगो की कोई इज्जत नही करते है।
  • रानी से पुछा की तुम इतना अच्छा खाना केसे बना लेती हो तो रानी अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने ‌‌‌लगी थी ।
  • राधा को अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना अच्छा लगता है ।
‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ (Meaning in Hindi)
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बननाअपनी बड़ाई स्वयं करना।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे पर कहानी ||  apane munh miyaan mitthoo banana story on idiom in Hindi

प्राचिन समय की बात है ‌‌‌महेंद्र नाम का एक लडका एक गाव मे रहा करता था । उसके परिवार मे उसके अलावा उसका पिता व उसकी मां थी  । ‌‌‌महेंद्र को अपने मुख से अपनी बाते करना अच्छा लगता था इस लिए वह जहा भी जाता तो अपनी बडाई करने लग जाता था ।

‌‌‌जब भी किसी के काम होता था तो ‌‌‌महेंद्र कहता की यह काम तो मे भी करना जानता हूं । अगर कोई उससे पूछ लेता की तुम क्या करते हो तो वह कहता की मै करता तो कुछ नही हूं पर करना बहुत कुछ जानता हूं । तब लोग कह देते की तुम इतने पडे हो फिर भी नोकरी नही लगे ऐसा क्या हो गया ।

तब वह कहता की मै नोकरी जान बुझकर ‌‌‌नही लगता । मुझे नोकरी करना अच्छा नही लगता है । ऐसा कह कर वह बात को टाल देता था । उसके गाव से शहर जाते समय रास्ते मे एक जंगल आता है । अगर किसी को शहर जाना होता तो वह उस जंगल से होकर जाता था ।

तभी वहा से कोई भी अकेला शहर की तरफ नही जाता था । गाव के लोग कहते थे की इस जंगल से शहर की तरफ अकेले जाने ‌‌‌मे हामको तो डर लगता है । क्या पता इस जंगल मे सेर हो जो हमे मार दे साथ ही अनेक तरह के जानवर इस जंगल मे रहते ‌‌‌है ।

गाव मे से कोई भी उस जंगल से ‌‌‌होकर शहर अकेला नही जाता । एक दिन कुछ लडके बात कर रहे थे की इस जंगल से अकेला जाने वाला इस गाव मे कोई भी नही है ।

तभी वहा से ‌‌‌महेंद्र जा रहा था ‌‌‌तो उन लडको ने ‌‌‌महेंद्र को बुलाया और कहा की तुम तो किसी से नही डरते हो क्या तुम इस जंगल से शहर अकेले जा सकते हो । तो वह कहने लगा की हां जा सकता हूं मेरा कोई क्या बिगाड सकता है मे किसी से नही डरता हूं ।

‌‌‌तब उन लडको ने कहा की तो जाकर दिखाओ । तब ‌‌‌महेंद्र कुछ घबरा गया और कहा की आज नही फिर कभी आप मुझे बहुत काम है । ऐसा कह कर वह वहा से चला गया । जाते समय सोचने लगा की अगर आज मै उस जंगल से अकेला चला जाता तो मै जीवित वापस नही आता ।

‌‌‌इसी तरह से एक दिन गाव मे बहुत बडा यज्ञ था तो सभी गाव के लोग यज्ञ की तैयारी कर रहे थे । शुबह होते ही यज्ञ था और गाव के लोगो को पता चला की यज्ञ मे किसी चिज की कमी रह गई है वह शुबह होने से पहले लानी होगी । तब सभी गाव के लोगो ने कहा की इस समय शहर की ‌‌‌ओर जाएगा कोन ।

तब उन लडको ने कहा की ‌‌‌महेंद्र किसी से नही डरता है वह चला जाएगा । पर गाव के लोग उसे अकेलो तो जाने नही देते तो उन्होने ‌‌‌महेंद्र को बुलाकर शहर जाने को काहा और साथ मे कुछ गाव के लडको को भी भेज दिया । ‌‌‌महेंद्र ने कहा की मै अकेला ही यह काम कर सकता हूं ।

इन लोगो को मेरे साथ मत भेजो पर गाव के लोग नही माने और उसके साथ गाव के कुछ लडको ‌‌‌को भेज दिया । सभी साथ साथ जंगल को पार करकर शहर की तरहफ जा रहे थे । तो उनमे से सबसे आगे ‌‌‌महेंद्र चल रहा था । वह रास्ते मे कह रहा था की गाव के लोगो ने तुम्हे मेरे साथ भेजा है वरना मै तो अकेला ही चला जाता ।

कुछ दुरी पर जाने के बाद मे ‌‌‌महेंद्र व अन्य लडको के आगे भालू आ गया । भालू को देखकर सभी डर गए और  ‌‌‌वहा से भाग कर सभी पेढ पर चड गए । पर ‌‌‌महेंद्र से नही भागा गया और वह जोर से ‌‌‌चिलाने लगा की मुझे भी बचा लो । ‌‌‌तब सभी लडको ने कहा की तुम तो कह रहे थे की ‌‌‌मै किसी से नही ‌‌‌डरता हूं । और तुम इस भालू से क्यो डर रहे हो इसका सामना करो ।

यह सुनकर ‌‌‌महेंद्र ने कहा की मै तो अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बना रहा था । मुझे इस भालू से बचा लो । ‌‌‌तब सभी लडको ने मिलकर उसे पेड पर चढाया और जब भालू आया तो वह कुछ समय डटने के बाद वहा से चला गया । तब ‌‌‌जाकर सभी लडके व ‌‌‌महेंद्र निचे आए और शहर से यज्ञ का समान लेकर वहा से गाव गए ।

गाव मे जाते ही लोगो ने काहा की कुछ हुआ तो नही ना आप को । यह सुनकर ‌‌‌महेंद्र ने कहा की मेरे होते ‌‌‌इनको कुछ नही हो सकता ‌‌‌। शहर मे जाते समय रास्ते मे भालू आ गया था जिसे मेने भगाकर इन लोगो की जान बचाई ।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे पर कहानी

 ‌‌महेंद्र की बात सुनकर गाव वालो ने कहा की ‌‌‌वाह क्या काम किया है तुने । इतने मे सभी लडके बोले की यह अपनी जान बचा लेता वह तो अच्छा रहाता । यह जो कह रहा है सब झुठ बोल रहा है । भालू को देखकर इससे तो भागे भी नही गया ।

‌‌‌यह तो अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना जानता है । इस कहानी से आप समझ गए होगे की अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना किसे कहते है ।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे पर निबंध || apane munh miyaan mitthoo banana essay on idioms in Hindi

साथियो आज के समय मे लोग अपनी तारीफ करने से पिछे नही हटते है । ऐसे लोग अपनी तारीफ बड बढा-चढा करते है । जैसे राजेश अपने दोस्तो को बडा चढाकर कहता था की मुझे तो यह आता है वह आता है । और जब भी शहर मे कोई काम होता है तो लोग मुझे ही बुलाते है ।

तब उसके दोस्तो ‌‌‌ने कहा की अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना अच्छा नही है । इस तरह से लोग अपनी तारीफ कर कर अपने आप तो निखारने मे लगे रहते है । पर उन लोगो को नही पता की लोग ‌‌‌उनके बारे मे क्या सोचते है । ‌‌‌

ऐसे लोगो के बारे मे जब पता चलता है की ‌‌‌इन्हे कुछ नही आता ‌‌‌ये तो अपनी तारीफ करते रहते है तो लोग उस पर हसने लग जाते है । कुछ ऐसे भी लोग होते है जिनको सब कुछ आता है पर वे कभी भी अपने मुख से अपनी बडाई करना नही जानते है ।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of apane munh miyaan mitthoo banana in Hindi


उोस्तो अब तक हमने इस लेख में इस मुहावरे को पूरी तरह से समझाने की कोशिश की है । मगर आपको कुछ अन्य उदहारण के रूप में मुहावरा समझाने की कोशिश करते है ।
दोसतो मिट्ठू के नाम से अक्षर तोते को जाना जाता है । जो की देखने में काफी अधिक प्यारा लगता ‌‌‌है । और यह बात आपको पता है । वैसे जो तोता होता है वह अपने बारे में अक्षर कुछ बोलते हुए देखा जाता है । और जब मानव भी अपने बारे में कुछ अच्छा कहता है । यानि अपनी बढाई करता है तो इसे ही अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना कहा जाता है ।


इसे आप इस तरह से समझे की आपका एक मित्र है जिसका नाम रमेश होता है । ‌‌‌और रमेश से अध्यापक ने कुछ ऐसा पूछ लिया जो की पूरी कक्षा में किसी को नही पता होता है मगर रमेश उसका उत्तर दे देता है । तो इस तरह से होने से रमेश को लगता है की वह सबसे अधिक बुद्धिमान है । और इसी बात के कारण से वह अपनी बुद्धि की तारिफ सभी के सामने करने लग जाता है । और बार बार ऐसा ही करता रहता ‌‌‌है । तो इस तरह से वह अपनी बढाई स्वयं कर रहा है । और जब कोई ऐसा करता है तो उसके लिए अपना मुंह मिया मिट्ठू बनना कहा जाता है ।

‌‌‌वैसे जीवन में रमेश के जैसे अनेक लोग है । जो की अपनी बढाई करते रहते है और थकते तक नही है । अगर ऐसा कोई करता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । और इस बारे में आपको पता होना चाहिए ।

अपनी बढाई स्वयं करना को आखिर अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना क्यों कहा जाता है

सबसे पहले तो आपको बात दे की मिट्ठू शब्द का प्रयोग ज्यादातर पालतु तोते के लिए किया जाता है और आपने अगर असल जीवन मे न देखा हो तो टीवी में जरूर देखा होगा की मिट्ठू जो होता है वह अपनी बढाई स्वयं करता रहता है ।

मतलब तोता अपने बारे में ज्यादा बोलता है और बढाई करता रहता है । और यही वह कारण होता है जब अपनी बढाई स्वयं करने की बात होती है तो इसे अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना कहा जाता है ।

दोस्तो अगर आप इस मुहावरे का प्रयोग करेगे तो किस व्यक्ति के लिए करेगे और क्यों करेगे यह कमेंट में बताना ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।