गले के नीचे उतरना मुहावरे का अर्थ क्या होता है लिखिए

गले के नीचे उतरना मुहावरे का अर्थ gale ke niche utarna muhavare ka arth – समझ में आना ।

दोस्तो जब आपका अध्यापक आपको कुछ पढाता है और आपको वह कुछ समझ में नही आता है तो आप कहते है की अध्यापक का पढाया हुआ गले न उतरा । यानि अध्यापका का पढाया गया कुछ भी समझ में नही आया । मगर जब आपको ‌‌‌अध्यापक जो कुछ पढाता है वह समझ में आ जाता है तो इसे गले के नीचे उतरना कहेगे । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ समझ में आना होता है ।

गले के नीचे उतरना मुहावरे का अर्थ क्या होता है लिखिए

गले के नीचे उतरना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || gale ke niche utarana muhavare ka vakya mein prayog

  • सुरेन्द्र सर जो कुछ हमे पढाते है वे पल भर में गले के ‌‌‌नीचे उतर जाता है ।
  • सरीता मैंम हमे इतनी सरल तरीके से पढाती है की कठिन से कठिन बाते भी आसानी से गले के नीचे उतर जाती है ।
  • ‌‌‌बलवंत सर का पढाने का तरीका सबसे निराला है वे गणित को इस तरह से पढाते है की हम सभी के गले के नीचे उतरने में देर नही लगती है ।
  • ‌‌‌आजकल विद्यार्थी ऑनलाईन अध्ययन करते हुए अपने अध्ययन को पल भर में गले के नीचे उतार लेते है ।
  • खान सर के पाढाने का तरीका काफी सरल है और यही कारण है की पल में पढाई गले के नीचे उतर जाती है ।

‌‌‌गले के नीचे उतरना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी || ‌‌‌gale ke niche utarna muhavare ‌‌‌par kahani

दोस्तो प्राचीन समय की बात है जब हमारे यहां पर गुरू के रूप में महान संत हुआ करते थे । और शिष्य भी एकलव्य जैसे होते थे जो की गुरू के लिए अपने अंगुठे को काट देने को तैयार रहते थे । इसी तरह के गुरू और शिष्यों की बात आपको बताने वाले है ।

दोस्तो प्राचीन समय में रविचार्य नाम के एक गुरू ‌‌‌हुआ करते थे । हालाकी उनके बारे में बहुत से लोगो को पता नही है । क्योगी रविचार्य जी कभी भी अपने आप का प्रचार करना पसंद नही करते थे । बल्की वे अपने शिष्यो को ज्ञान बाटना ही अपने जीवन का लक्ष्य मानते थे । जिसके कारण से उन्होने एक ‌‌‌आश्रम भी खोल रखा था । जहां पर शिष्य ज्ञान ग्रहण करने के लिए आते ‌‌‌थे । हालाकी रविचार्य जी का वह ‌‌‌आश्रम नही था बल्की वे एक बार वहां पर किसी दूर नगर से यात्रा करते हुए आए थे और यहां पर अध्ययन करने वाले बच्चो को देखा साथ ही अध्ययन करवाने के लिए शिक्षक की कमी देखी तो वे इस ‌‌‌आश्रम के सदस्य बन गए और बच्चो को अध्ययन कराने में अपनी भुमीका निभाने लगे थे ।

जब वे पहली ‌‌‌बार यहां पर आए थे तो उन्होने देखा की जो गुरू बच्चो को पढाते है बच्चो को कुछ समझ नही आ रहा था । तब रविचार्य जी ने गुरूओ में एक कमी देखी जो यह थी की गुरू बच्चो को अपने जैसा ही समझते थे । जिसके कारण से उन्हे लगता की जो कुछ वे बता रहे है बच्चो को वह समझ में आ रहा है । ‌‌‌और बच्चे ऐसा कह भी देते थे ।

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हालाकी रविचार्य जी को यह मालूम चल गया की बच्चो का अध्ययन करने में मन है मगर किसी को ज्यादा कुछ समझ में नही आता है । तब उन्होने एक नया तरीका खोजा और वह इस तरह का था जिसमें बच्चो का मन लग जाए । जो कुछ रविचार्य जी बच्चो को पढाते थे उसे समझाने के लिए एक उदहारण ‌‌‌का उपयोग करने लगे थे । और बिच बिच में हसी मजाक भी कर लेते थे । जिसके कारण से बच्चो का पढाई में काफी मन लगता था और सभी को आसानी से समझ में भी आ जाता था ।

मगर यह सब देख कर बाकी सभी गुरू यानि अध्यापक सोचते थे की रविचार्य जी को पढाना नही आता है । ‌‌‌क्योकी उन सभी को इस तरह से पढाना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था । मगर गुरूओ को अच्छा लगे या न लगे इससे क्या मतलब है एक गुरू के लिए तो यह ज्यादा जरूरी होता है की उसके शिष्यो को समझ में आ रहा है की नही । और रविचार्य जी बात करे तो जो कुछ वे पढाते थे वे बच्चो को पल भर में ‌‌‌गले के निचे उतर जाता था ।

‌‌‌जब बार बार रविचार्य जी इसी तरह से पढा रहे थे तो उनके बाकी साथी गुरू उनसे कहते की आपके पढाने का तरीका बदलो क्योकी ऐसे किसी को पढाया नही जा सकता है । मगर रविचार्य जी हंसते और कहते की मेरे पास केवल छ माह है और इन छ माह में ‌‌‌मैं सबसे अधिक अच्छा परिणाम नही दिया तो मैं अपना तरीका बदल दुगा ‌‌‌।

इस तरह से रविचार्य जी ने अपने तरीके को सिद्ध करने के लिए सभी से छ माह का समय मागा था । क्योकी छ माह के बाद में सभी बच्चो का प्रथम पेपर होने वाला था । जिसमें जो रविचार्य जी जो कुछ पढाते थे उस विषय मे बच्चो को अच्छे अंक प्राप्त करने थे । और ऐसा ही हुआ ।

‌‌‌क्योकी रविचार्य जी के अध्ययन के कारण से सभी को यह पसंद आने लगा था और उन्हे फिर पढने की जरूरत नही होती थी । बल्की कक्षा में ही सब कुछ समझ में आ जाता था । और जब छ माह इसी तरह से बित गए तो सभी बच्चो का एग्जाम लिया गया था । जिसमें बाकी सभी गुरूओ ने देखा की रविचार्य जी जो कुछ बच्चो को पढा ‌‌‌रहे थे उनमें सभी बच्चो ने अच्छे अंक प्राप्त किए है ।

और बाकी विषय में बच्चो ने अच्छे अंक प्राप्त नही किए है । बल्की कुछ विषयो में बच्चो ने पास होने वाले अंको को प्राप्त तक नही किए है । यह देख कर सभी हैरान थे । तब रविचार्य ने सभी को बताया की बच्चो को ऐसे पढाना चाहिए की बच्चो को ‌‌‌समझ में आए और उन्हे पसंद भी आए ।

इसके लिए इस तरह के उदहारण दिया जाना चाहिए जो की बच्चो के देनिक जीवन से जुड़ा होता है । क्योकी इस तरह से पढाने पर बच्चे मन लगा कर पढते है और उन्हे समझ में भी आता है । अब सभी गुरूओ को रविचार्य जी की बात पसंद आ गई । जिसके कारण से सभी फिर इस तरह से पढाने ‌‌‌लगे थे । इस तरह से अध्ययन कराने के कारण से सभी का काफी मन लगता था ।

और उस आश्रम में यह तक देखने को मिला था की बच्चो की सख्या अचानक बढने लगी थी। इस तरह से अध्ययन करवाने के कारण से सभी माता पिता अपने बच्चो को वहां पर ज्ञान देने के लिए भेजने लगे थे । इस तरह से उस नगर में एक नए रूप में ज्ञान ‌‌‌की शुरूआत हुई थी ।

इतना ही नही समय के साथ साथ आस पास के नगर में भी रविचार्य जी के बारे में सुनने को मिलने लगा था । मगर फिर जब इस बारे में रविचार्य जी को पता चला तो उन्होने अपने आश्रम के बारे में अच्छा कहा और यह कभी नही कहा की केवल मैं ही इस तरह से अध्ययन करवाता हूं । जिसके कारण से फिर ‌‌‌आस पास के गाव के माता पिता भी अपने बच्चो को वहां पर भेजने लगे थे ।

और जैसे ही बच्चे अपने अपने घर आते तो सभी कहते की माताजी पिताजी वहां पर तो हमे इस तरह से पढाया जाता है की पल भर में पढाया हुआ गले के नीचे उतर जाता है ।

तब उनके माता पिता भी खुश होते और कहते की वहां पर आप सभी को अच्छा ‌‌‌ज्ञान हासिल होने वाला है । इस तरह से जो बच्चे रविचार्य जी के पास ज्ञान हासिल करते थे वे अपने जीवन में जब बडे हुए तो बहुत कुछ अच्छे अच्छे कार्य करने लगे थे । और जब इस सफतला का कारण कोई उनसे पूछा तो सभी कहते की हमारे गुरू हमे इस तरह से पढाते थे की गले के नीचे उतरने में देर नही लगती थी ।

इस तरह ‌‌‌से वर्तमान में भी ऐसे शिक्षको की जरूतर है जो की बच्चो को पढाने के लिए किसी नए तरीके का उपयोग करे । जिसके कारण से बच्चो को विद्यालय में ही पढाई समझ में आ जाए और बाहर पढने के लिए जाने की कोई जरूरत नही पड़े ।

‌‌‌गले के नीचे उतरना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी  ‌‌‌gale ke niche utarna muhavare ‌‌‌par kahani

गले के नीचे उतरना मुहावरे पर निबंध

साथियो आज के जमान में ऐसे बहुत ही कम अध्यापक ‌‌‌देखने को मिलते है जो की कुछ अलग ही तरह से पढाते है और बच्चो को आसानी से समझ में आ जाए । दोस्तो यह नही है की इस तरह के अध्यापक देखने को भी नही मिलते है । बल्की ऐसे बहुत से अध्यापक है मगर फिर भी हर विद्याल में एक ऐसा अध्यापक नही देखा जाता है ।

आज के समय में तो अध्यापक केवल पैसे कमाने के ‌‌‌लिए नोकरी करते है । अगर मैं जो कह रहा हूं किसी को गलत लगे तो माफ कर देना । मगर यह सत्य है ।

क्योकी जो अध्यापक पढाने पर विश्वास करते है वे समय को नही देखत है । मैं जब स्कूल में पढता था तो मुझे ऐसे बहुत से अध्यापक देखने को मिले थे । जो की इस तरह से पढाते थे की हम सभी को यह महसुस तक नही होता है की हम बोर हो रहे है और हम एक साथ चार पांच घंटे पढ लेते थे । मगर हमे लगता की हम केवल एक घंटे ही नही पढे है ।

एक अध्यापक ऐसा भी था जो की अपने समय में पढाता था मगर वह भी किसी से कम नही था । क्योकी वह जब भी गणित को पढता था तो इस तरह से उदहारण पैस करता था की सभी ‌‌‌का पढने में मन लगता ‌‌‌था । मुझे ही नही बल्की सभी को यह देखने को मिला था की जब वे अध्यापक हमारे विद्यालय में आए थे तो कमजोर से कमजोर विद्यार्थी भी गणित विषय को आसानी से निकालने लगा था ।

एक बार ऐसा अध्यापक और मिला था जो की हमे सामाजिक विज्ञान पढाता था । वह भी हमे इस तरह से पढाता था की हमे आसानी से समझ में ‌‌‌आ जाता था । और हम घर पर जाकर रिपिट भी नही करते थे फिर भी हमे सब कुछ याद रहता था ।

अगर आपको इस तरह से कोई अध्यापक पढाता है तो यह समझ ले की वह सही अध्यापक है । ऐसे अध्यापक आपका भविष्य बनाने के लिए कुछ भी कर सकते है । यह समय को देखने वाले नही है । अगर आप छुट्टी के दिन भी इनसे प्रशन पूछोगे ‌‌‌। तो अध्यापक आपको ऐसा नही कहेगे की कल बताउगा । बल्की उसी समय आपको उत्तर दिया जाएगा । और उत्तर भी इस तरह से दिया जाएगा की आपको आसानी से समझ में आ जाए । तो दोस्तो इस तरह से जब आपको कुछ ज्ञान की बाते बताता है और वह आपको आसानी से समझ में आता है तो इसे गले के निचे उतरना कहा जाता है ।

‌‌‌और यही कारण होता है की गले के निचे उतरना मुहावरे का अर्थ समझ में आना होता है ।

अत: हम कह सकते है की आप इस मुहावरे को आसानी से समझ गए होगे । अगर आपको कुछ पूछना है तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हो ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।