गुल खिलाना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

गुल खिलाना मुहावरे का अर्थ gul khilana muhavare ka arth – अद्भुत कार्य करना ‌‌‌या हंगामा खडा करना ।

दोस्तो जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे कार्य को कर देता है जिसकी आसा नही की जा सकती है । वह कार्य गलत या सही हो सकता है । पर जब कभी गलत कार्य कर देता है । ‌‌‌जिसके कारण से बहुत बडा बखेडा खडा हो सकता है । ‌‌‌तब इस तरह के कार्यो को अनोखे या अद्भुत कार्य कहते है । अत: इस तरह के अनोखे या अद्भुत कार्य करने को ही गुल खिलाना कहा जाता है ।

गुल खिलाना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

‌‌‌गुल खिलाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • राजेश ने न जाने क्या गुल खिला दिया जिसके कारण इतनी बडी बात होने लगी ।
  • महेश को उसके पिता ने गुल खिलाते हुए रंगे हाथो पकडा ।
  • किसनलाल का तो गुल खिलाने का काम ही बन गया है जहा भी जाता है कुछ न कुछ कर ही देता है । ‌‌‌
  • जब घर का सदस्य हर काम मे गुल खिलाने ‌‌‌लगेगा तो काम तो ‌‌‌बिगडना ही है ।
  • तुम्हे वहा जाकर गुल खिलाने की क्या जरूरत थी अपने घर मे नही रह सकते हो क्या ।
  • परविंदर ने ऐसा क्या गुल खिला दिया की उसे उसके पिता ने ‌‌‌घर से निकाल दिया ।

‌‌‌गुल खिलाना मुहावरे पर कहानी Idiom story

एक समय की बात है किसी नगर मे रामानन्द नाम का एक आदमी रहा करता था । उस नगर मे जो भी लोग रहा करते थे उनमे से कुछ ही अमीर लोग थे । उनमे से ही एक रामानन्द था । रामानन्द के पास धन की कोई कमी नही थी क्योकी उनके पास बाप दादाओ की बहुत सी जमीन थी । जिस पर वह खेती करता ‌‌‌और पैसे कमाता था ।

रामानन्द के पास इतनी अधिक जमीन होने के कारण से वह एक साथ काम नही कर सकता था । जिसके लिए वह अपने खेतो मे मजदुरों से काम करवाता था और स्वयं आराम से बैठा रहता था ।

इस तरह से उसका काम बहुत ही अच्छी तरह से चल रहा था । धिर धिरे समय बित गया और अब रामानन्द के घर मे उसकी ‌‌‌पत्नी के अलावा उसका एक बेटा भी था । अब रामानन्द के घर मे बेटा होने के कारण से रामानन्द अपने बेटे के लिए सब कुछ करने लगा था ।

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यानि उसके लिए हर जरूरत की चिज लाकर देने लगा था । जब इसी तरह से रामानन्द का बेटा बडा हो गया तो वह उसे खर्चे के लिए पैसे भी देने लगा । इस तरह से फिर रामानन्द ‌‌‌का बेटा बहुत पैसे खर्च करने लगा ।

इसी तरह से फिर उसे अपने पैसो पर घमंड होने लगा और साथ ही वह कुछ ऐसे लोगो के साथ रहने लगा था । ‌‌‌जिससे उसे शराब पीने ‌‌‌की लत लग ‌‌‌गई थी । पर इस बारे मे उसके पिता यानि रामानन्द को कुछ भी नही पता था ।

जिसके कारण से उसका बेटा छुप छुप कर शराब पीने लगा ‌‌‌था । जब कोई व्यक्ति शराब पी लेता है तब उसे नशे के कारण पता नही होता की वह क्या बोल रहा है और क्या कर रहा है । इसी कारण से किसी को भी कुछ भी बोल सकता है जिसके कारण से कई बार झगडा हो जाता है ।

इसी तरह से एक बार की बात है रामानन्द का बेटा शहर मे अपने पिता के एक दोस्त के घर गया । क्योकी उस ‌‌‌समय रामानन्द के दोस्त ‌‌‌ने अपने घर मे एक बहुत बडा फकसन रखा था । तब रामानन्द बिमार था इस कारण से वहा अपने बेटे को भेज दिया था ।

जिस जगह वह गया था वहा पर वह अनेक लडको को जानता था । इस कारण से फिर रामानन्द का बेटा उनके साथ हो गया था । जिसके बाद सभी ‌‌‌ने एक साथ होकर शराब पी ली और अचानक से कुछ लोगो ‌‌‌को अनाप शनाप कहने लगे थे ।

क्योकी वे लोग भी रामानन्द की तरह अमीर थे इस कारण से वे भी उसके बेटे से कुछ नही सुन सके और फिर उसे कुटने लगे । इस तरह से फिर बात बढ गई और उस फकसन मे कुछ लोग और वहा पर इकट्ठा होने लगे थे ।

इस तरह से कुछ ही समय मे वहा पर बहुत लोग इकट्ठा हो गए और जोरो शोरों से लडाई होने ‌‌‌लगी थी । जब इस बारे मे रामानन्द के दोस्त को पता तो वह वहा पर गया और लोगो को किसी तरह से मना कर फकसन मे सामिल होने को कहा ।

जब सभी लोग वहा से चले गए तो पिछे से ‌‌‌उसने रामानन्द के बेटे को बहुत सुनाया और कहा की तुमसे मुझे यह आसा नही थी तुमने तो यहा आकर गुल खिला दिया । इस तरह से कहते हुए फिर ‌‌‌उसने रामानन्द के बेटे को चले जाने को कहा ।

जब इस तरह से उसे वहा से जाने को कह दिया तो वह भी वहा रहकर क्या करे । जिससे वह भी अपने गाव चला गया और अपने घर जाकर चुप चाप कमरे मे बंद हो गया । जब रामानन्द ने अपने बेटे से बात की तो वह बात नही कर रहा था ।

तब रामानन्द को लगा की जरूर कुछ बात हो गई होगी । ‌‌‌अगले दिन जब फिर रामानन्द अपने बेटे से बात करने लगा तब उसे पता चला की वहा पर इसके साथ झगडा हो गया था । यह जान कर रामानन्द सोच मे पड गया की आखिर यह झगडा कैसे कर सकता है जरूर वहा के लोगो ने ही इसके साथ कुछ किया होगा ।

इस तरह से फिर कई दिन बित गए और एक दिन जब रामानन्द शहर गया था तब उसे अचानक उसका दोस्त मिल गया जिसके घर मे फकसन था । तब उसने रामानन्द से कहा की दोस्त मैंने तो तुम्हे अपने फकसन मे बुलाया था पर तुम नही आए ।

इस तरह से कहते हुए कहा की कोई बात नही तुम नही आए पर तुम्हारा बेटा यहा पर आकर गुल खिलाकर चला गया यह अच्छा नही हुआ । तब रामानन्द ने कहा की आखिर हुआ क्या ‌‌‌था ।

अपने दोस्त से पूछने के कारण रामानन्द को पता चला की उसके बेटे ने शराब के नशे मे वहा आए मेहमानो के साथ बदतमीजी की और हंगामा खडा कर दिया । इस तरह से जान कर फिर रामानन्द ने अपने दोस्त से कहा की मेरे बेटे से जो गलती हुई है उसके लिए मैं माफी मागता हूं ।

‌‌‌गुल खिलाना मुहावरे पर कहानी Idiom story

यह सुन कर उसके दोस्त ने कहा की माफी ‌‌‌मागने की कोई जरूरत नही है। अभी तुम्हारे पास अपने बेटे को सही रास्ते पर लोने का समय है इस कारण से उसका जरा ध्यान रखा करो ।

इस तरह से फिर रामानन्द अपने दोस्त के पास से ‌‌‌अपने घर आकर अपने बेटे को उस दिन के लिए सुनाने लगा था । और ‌‌‌फिर कभी भी उसे खर्चे के लिए पैसे नही देता था और फिर इस तरह से किसी और के ‌‌‌काम मे रामानन्द ने अपने बेटे से ऐसी गलती नही होने दी ।

धिरे धिरे फिर रामानन्द और उसके बेटे का जीवन अच्छी तरह से चलने लगा था । इस तरह से आपको पता चल गया होगा की इस कहानी से मुहावरे का अर्थ क्या है ।

गुल खिलाना मुहावरे पर निबंध || gul khilana essay on idioms in Hindi

साथियों कुछ लोग ऐसे होते है जो की अपने जीवन मे कुछ ऐसे कार्य करते है जिसके द्वारा करने की उमिद तक नही होती है और उनके द्वारा जब ऐसे कार्य कर दिए जाते है तो सभी कहते है की इसने तो अद्भुत कार्य किया है ।

वही पर कुछ लोग हमेशा बात बात पर हंगाम खड़ा कर देते है और दोनो ही तरह के लोग हमारे यहां पर आस पास में देखने को मिल जाते है और यह आपको पता है । इन दोनो तरह के लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है क्योकी इसका अर्थ ही असल में अद्भुत कार्य करना ‌‌‌या हंगामा खडा करना होता है । जो की आपने उपर अच्छी तरह से समझ लिया है ।

मान ले की एक व्यक्ति है जो की आपका मित्र है ओर वह किसी बात को लेकर हंगामा खड़ा कर देता है तो उसके लिए इसका प्रयोग होगा कहा जाएगा की इसने तो गुल खिला दिया ।

‌‌‌निचे बेस्ट मुहावरो की लिंक है जो बहुत ही उपयोगी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।