दलदल में फसना का मतलब और वाक्य में प्रयोग

दलदल में फसना मुहावरे का अर्थ daldal me fasna muhavare ka arth  – विपत्ति में पडना या ऐसी ‌‌‌मुसीबत में पडना जिससे निकलना मुश्किल हो ।

दोस्तो मिट्टी की ऐसी जगह को दलदल कहा जाता है जहां पर कोई व्यक्ति अगर फंस जाता है तो वह उसके अंदर फंसता ही जाता है । यानि दल दल से निकलना बहुत ही मुश्किल होता है । ‌‌‌इस कारण से जब कोई व्यक्ति दलदल जैसी मुसीबत मे जब किसी कारण से फस जाता है । जिससे निकलना आसान न लगे यानि निकला मुश्किल हो । तो इसे भी दलदल मे फंसना कहा जाता है ।

‌‌‌दलदल में फंसना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग daldal me fasna muhavare ka vakya mein prayog

  • रामप्रताब बडा ही सिधा साधा व्यक्ति है ‌‌‌मगर पैसो की लालच मे ‌‌‌वह लोगो को ब्याज पर पैसे देने लगा और दलदल में फस गया ।
  • किसनलाल बडा ही ठगाखोर है उससे जो भी कोई एक बार पैसे उधार ले लेता है वह दलदल में फंस जाता है ।
  • महेश ने सेठ से पंगा लेकर दलदल में फसने ‌‌‌वाला काम कर दिया क्योकी सेठ किसी का इतनी जल्दी पिछा नही छोडता है ।
  • तुमने स्वयं ही जगल का रास्ता चुन लिया और जब शेर सामने आ गया तो कह रहे हो दलदल में फस गए ।
  • चोर के घर मे तुमने डाका डाल लिया अब वह तुम्हारा आसानी से पिछा नही छोडेगा तुम तो ऐसा समझ लो की तुमने दलदल मे फंसने वाला काम ‌‌‌किया है ।
  • उधार का रूपया जो कोई एक बार ले लेता है वह दलदल में फस जाता है ।   
  • ‌‌‌जब पायल चिटिंग करते हुए पकडी गई तो अध्यापक ने कहा की पायल तुमने चिटिंग कर कर दलदल मे फंसने वाला काम कर दिया ।
  • ‌‌‌पहलवान लखवीर से तुमने लडने की बात कह कर दलदल मे फंस गए हो ।
  • बाढ आने के कारण से गाव के लोग कई दिनो तक दलदल में फंसे रहे ।

‌‌‌दलदल में फसना मुहावरे पर कहानी daldal me fasna muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे राजवीर नाम का एक आदमी रहा करता था । वह दिखने मे बहुत ही हट्ठा कट्ठा था । मगर उसे डर बहुत लगता था । जिसके कारण से हर कोई उसे डरा धमकाता रहता था । जिसके कारण से उसका जीवन बहुत ही कष्टो से बितता था । इसके अलावा उसके पास पैसो की ‌‌‌बहुत ही कमी रहा करती थी । जिसके कारण से वह ज्यादातर अपना घर चलाने के लिए उधार लेकर काम चलाता था ।

जिसके कारण से उधार पैसो का ब्याज बढता गया । राजवीर के घर मे उसकी पत्नी और दो बेटे रहा करते थे । जब तक राजवीर के बेटे बडे हुए तो राजवीर के द्वारा लिया गया पैसा बहुत अधिक हो गया था । जब इस बारे ‌‌‌में राजवीर के बेटे को पता चला तो राजवीर के बेटो ने अपने पिता को वै पैसे उतारने को कहा ।

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मगर राजवीर के पास उतने रूपय नही थे जिसके कारण से ऐसा नही हो सका । इसी तरह से फिर बेटो ने भी ढील रहने दी । इसी के चलते राजवीर के दोनो बेटे काम करने के लिए ‌‌‌भी जाने लगे थे । मगर अभी उन्होने पैसे उतारने के बारे मे नही ‌‌‌सोचा था । ‌‌‌राजवीर के बेटे इसी तरह से काम करते ‌‌‌रहे ।

मगर एक दिन गाव के कुछ लोगो मे जब राजवीर अपने बेटो के साथ ‌‌‌बेठा ‌‌‌था तब उन लोगो ने राजवीर से ऐसे ही बात की तो उन्हे पता चला की उन्होने गाव के सेठ से बहुत रूपय उधार ‌‌‌ले रखे है । तब उन लोगो ने कहा की राजवीर तुमने सेठ से पैसे लेकर दलदल मे फसने वाला काम कर दिया ।

क्योकी सेठ जब किसी को पैसे दे ‌‌‌देता है तो उससे वह फिर कभी वापस नही मागता और जिसके कारण से सामने वाला पैसा देता नही है । जिससे सेठ ब्याज पर ब्याज लगा कर पैसो को इस तरह से बढा देता है की किसी से उतना भी मुश्किल हो जाता है। तब उन लोगो ने यह भी कहा की गाव के कुछ लोगो ‌‌‌के इस कारण से घर बार तक बिक गया है ।

जब यह गाव के लोगा ‌‌‌से राजवीर के बेटे ने सुना तो उन्होने कहा की तो फिर हमे जल्दी जल्दी पैसे उतरना चाहिए । तब लोगो ने कहा की अब तो पता नही तुम उसका पैसा कब तक उतार पाओगे क्योकी रूपय बहुत अधिक हो गए है। ऐसा सुन कर दोनो भाई सेठ के पास चले गए और पैसो का पता लगाया तो उन्हे पता चला की रूपय 2 लाख के करीब हो रहे है । ‌‌‌

यह जानने के बाद मे उन्हे धक्का सा लगा क्योकी उन्होने इतने पैसो को कभी एक साथ देखा तक नही तो वे उन्हे उतारने के बारे में कैसे सोच पाते । मगर फिर उन्हे गाव के लोगो की बात याद आ गई जिसके कारण से उन दोनो ने शहर जाकर काम करने का निर्णय किया । ‌‌‌इसके बाद वे कमाने के लिए शहर चले गए ‌‌‌। शहर जाने के बाद में दोनो भाईयो ने काम करना शुरू कर दिया ।

मगर काम करने पर उन्हे बहुत ही कम रूपय मिला करते थे । जिनसे उन्हे दिख रहा था की सेठ का पैसा उताने मे उन्हे बहुत समय लगेगा । मगर वे अभी भी गाव के लोगो की बात सोच सोच कर पैसो को उतारने ‌‌‌मे लग गए । जिसके कारण से उन्होने 3 वर्षो ‌‌‌तक शहर मे काम किया । और फिर गाव में जाकर सेठ को पैसे देने लगे ।

 मगर तिन वर्षो मे सेठ ने कुछ हेरफेर कर कर पैसो को और अधिक बढा दिया था । जिसके कारण से दो लाख रूपय देने के बाद भी एक लाख रूपय और देने बाकी रह गए थे । जब राजवीर के बेटो ने यह सुना तो ‌‌‌उन्होने sअपने पिता से कहा की पिताजी आपने सच मे सेठ ‌‌‌से पैसे लिए थे जिसके कारण से हम दलदल में फंस गए है ।

‌‌‌दलदल में फसना मुहावरे पर कहानी daldal me fasna muhavare par kahani

साथ ही कहा की हमने तिन वर्षो तक लगातार काम किया मगर इसके पैसे उतरने का नाम ही नही निकला बल्की एक लाख और बढ गए । तब राजवीर ने कहा की बेटा जो हो गया सो हो गया अब कैसे भी कर कर इन्हे भी उतार दो वरना समय के साथ ये भी बढ जाएगे । इसके बाद मे ‌‌‌राजवीर के बेटो ने दिन रात काम किया और एक वर्ष मे सेठ के सारे रूपय उतार दिए ।

उसके बादमे उन्होने चेन की सांस ली । उसके बाद मे राजवीर के ‌‌‌बेटो ने अपने जीवन मे कभी भी उधार नही लिया । क्योकी उन्हे पता चल गया था की उधार का रूपय दलदल में फसने के बराबर है । इस तरह से आप इस कहानी से मुहावरे का ‌‌‌अर्थ समझ गए होगे ।

दलदल में फसना मुहावरे पर निबंध daldal me fasna muhavare par nibandh

साथियो दलदल मे जब कोई फंस जाता है तो वह अपना पूरा जोर लगाने के बाद भी बहुत मुश्किल से निकलता है। क्योकी वह दलदल मे फंसता जाता है । जैसे मानो की दलदल मे से कोई निचे की और खिच रहा हो । इस तरह से फिर अगर कोई उसे समय पर निकालने की कोशिश ‌‌‌कर कर उसे निकाल लेता है तो वह निकल जाता है ।

मगर वह स्वयं उससे निकला बहुत ही ‌‌‌मुश्किल है । इस तरह से कह सकते है की दलदल ऐसी मुसीबत है जिससे निकलना बहुत ही कठिन है । इसी तरह से मनुष्य के जीवन में अनेक ऐसे कार्य है जिसमे जब एक बार कोई चलने लग जाता है तो वह उसमे ही बढने लगता है । जैसे जब कोई ‌‌‌व्यक्ति पहली बार चोरी करता है तो वह अपने आप को बहुत ही खुश महसुस करता है ।

मगर इसके बाद मे फिर से चोरी करने की इच्छा होती है और वह चोरी करने लग जाता है । इसी तरह से वह बार बार करता रहता है तो यह एक दलदल ही हुआ । क्योकी चोरी से फिर निकला बहुत मुश्किल है। इस तरह से ‌‌‌इस मुहावरे का अर्थ विपत्ति मे पडना या ऐसी मुसीबत मे फंसना जिससे निकला कठिन हो ।

दलदल में फसना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of daldal me fasna in Hindi

दोस्तो अगर दलदल की बात करे तो शायद आप इस बारे में जानते है और अगर आप इस बारे में नही जानते है तो हम यहां पर एक विडियो दे रहे है जिसे देख कर आप पता लगा सकते है की दलदल कैसा होता है।

दरसल दलदल मिट्टी का बना होता है ओर यहां पर मिट्टी इतनी ​नरम होती है की यह मानव को आसानी से अपने अंदर खिच लेती है और निकलने नही देती है । अगर कोई इस तरह क दलदल में फंस जाता है तो यह एक ऐसी वि​पत्ति होगी जिससे निकलना आसान नही है।

और इसी विपत्ति को दलदल कहा जाता है। तो आप इसी बात के कारण से ही यह समझ सकते है की  daldal me fasna muhavare ka arth  – विपत्ति में पडना या ऐसी ‌‌‌मुसीबत में पडना जिससे निकला मुश्किल हो , होता है । और फिर जहां पर भी ऐसी मुसीबत में पड़ना जिससे निकलना मुश्किल हो की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग होता है।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।