दौड़ धूप करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

दौड़ धूप करना मुहावरे का अर्थ daud dhoop karna muhavare ka arth – कठोर परिश्रम करना

दोस्तो गरीब व्यक्ति के पास कुछ नही होता है और धिरे धिरे वह परिश्रम करने लग जाता है और कुछ वर्षो मे वह ऊंचाई पर पहुंच जाता है और अब उसके पास सब कुछ ‌‌‌आ जाता है यानि उसके पास धन की भी कोई कमी ‌‌‌नही होती ।

इस तरह से जब भी कोई अपने आप को कामयाब बनाता है तब उसे बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है तब जाकर वह अपने कार्य मे सफल हो पाता है । इस तरह से जब कोई व्यक्ति किसी कारण से कठोर परिश्रम करता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

दौड़ धूप करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

‌‌‌दौड़ धूप करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग use in sentence

  • जब ‌‌‌रवीप्रकाश को हर कोई ताने देने लगा तो उसने इस तरह से दौड़ धूप की जिसके कारण वह नोकरी लग गया और अपना जीवन सुख से बिताने लगा ।
  • बेटा पेट भरने के लिए बडो बडो को दौड़ धूप करनी पड जाती है जब तुम बडे होगे तब तुम्हे पता चलेगा ।
  • आजकल दौड़ धूप करने वालो ‌‌‌को भी ‌‌‌नोकरी आसानी से नही मिलती है तो तुम कैसे घर बैठे नोकर लग जाओगे ।
  • बाबुलाल के हिृदय मे छेद था जिसका इलाज कराने के लिए उसके मित्र ‌‌‌को दौड़ धूप करनी पडी ।
  • महेश के पिता ने वर्षों तक दोड़ धूप की तब जाकर उसके बेटे की शादी हो सकी ।
  • ‌‌‌राहूल ने अपने पिता को डाकूओ से छूटाने के लिए बहुत दोड़ धूप की ।

दोड़ धूप करना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

‌‌‌किसी समय की बात है किसी नगर मे एक व्यक्ति रहा करता था । जिसका नाम लालूयादव था । उसके घर मे खाने को भोजन भी समय पर नही मिलता था यानि वह बहुत ही गरीब था ।

जिसके कारण से कोई भी उसके पास तक नही जाना ‌‌‌चाहता था । क्योकी जो भी कोई उसके पास जाता तो वह उससे मदद मागने लगता । जिसके कारण से वे लोग वापस दूर चले जाते यानि कोई भी उसकी मदद नही करता था ।

वह इतना गरीब होने के कारण से कोई भी उसे काम तक नही देते थे । उसे बहुत ही खराब समझा करते थे । पर लालूयादाव बहुत ही अच्छा आदमी था । वह जिस किसी से भी ‌‌‌एक बार मदद माग लेता उसे जीवन भर नही भुलता था ।

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लालूयादव के घर मे उसका एक बेटा था जिसका नाम बाबू था । जब बाबू बडा हो गया तो उसे अपने घर की हालत समझ मे आने लगी थी । इस कारण से वह भी खाने पिने के लिए जिद नही करता था ।

जब बाबू कमाने के काबिल हो गया तो एक दिन उसने अपने पिता से कहा की पिताजी मैं ‌‌‌काम करने के लिए शहर जा रहा हूं । क्योकी बाबू इतना अधिक बडा नही हुआ था की वह अकेला शहर जा सके ।

इस कारण से उसके पिता ने उसे मना कर दिया । पर फिर भी वह जीद कर कर किसी तरह से शहर चला गया । वहा जाने के बाद उसे दो दिन बित गए पर किसी ने उसे काम नही दिया । तिसरे दिन की बात है वह रास्ते से ‌‌‌जा रहा था ।

तभी उसके आगे आगे एक आदमी जा रहा था । जिसकी पोकेट मे से कुछ पैसे निकल कर निचे गिए गए थे । यह बाबू ने देखा तो उसने पैसे उठाए और उस आदमी को आवाज दी की ‌‌‌अंकल आपके पैसे निचे पड गए है । यह सुन कर वह आदमी पिछे मूडा और देखा तो उसके पैसे उसकी जेब मे नही है ।

यह देख कर उसे समझ मे आ गया की ‌‌‌जो यह लडका कह रहा है वे पैसे मेरे ही है । ‌‌‌जब उस आमदी ‌‌‌ने बाबू से पैसे लिए और फिर उसके बारे में पूछा तो उसे पता चला की यह बहुत ही गरीब घर से है ।

तब उसने पूछा की तुम्हारे पास तो पैसे भी नही है फिर भी तुमने मेरे पैस वापस क्यो दे दिए । तब उसने कहा की मेरे पिता का सिखाया हुआ है की अगर ‌‌‌कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से कुछ न दे तो उसके पडे हुए पैसे भी हमे नही लेने है ।

यह सुन कर उस आदमी को वह बालक बहुत ही अच्छा लगा । तब उस आदमी ने कहा की तुम काम क्या करते हो । तब बाबू ने कहा की मैं काम की तलाश मे अपने गाव से दो दिन पहले आ गया था पर अभी तक काम नही मिला ।

यह सुन कर उस आदमी ने कहा ‌‌‌की अब तुम काम की चिंता छोड दो तुम्हे मैं काम दिलाउगा । यह कहते हुए उस आदमी ने बाबू को अपने साथ चलने को कहा । जिसके कारण से बाबू उसके साथ हो गया ।

तब उस आदमी ने ‌‌‌उसे एक फेक्टरी मे ले गया । जहा पर अनेक प्रकार की वस्तुओ को एक डिब्बे मे पेक किया था । वहा लेजाकर उसने बाबू को नोकर दीला दी । ‌‌‌नोकरी मिल जाने के कारण से बाबू कड़ी मेहनत करने लगा और पैसे कमाने लगा था ।

‌‌‌उसकी मेहन्त को देख कर उस काम  के मालिक ने बाबू के पैसे बडा दिए । फिर भी बाबू उस आदमी से बात कर कर दिन होते ही काम करने के लिए आ जाता और जब काफी रात हो जाती तब जाकर काम छोडता था ।

यह देख कर वह मालिक भी सोचने लगा ‌‌‌लडका तो बहुत ही अच्छा है यह काम करने से कभी थकता ही नही है । जब इसी तरह से उसे काम करते हुए एक महिना हो गया तो उस मालिक ने बाबू से पूछा की तुम किस कारण से इतनी ‌‌‌दौड़ धूप कर रहे हो ।

तब बाबू ने कहा की मेरे पिता बहुत ही गरीब है उनसे कोई भी बात तक नही करता । मैं जल्दी से पैसे कमा कर अपने पिता ‌‌‌को अन्य लोगो से भी अमीर बनाना चाहता हूं ।

यह सुन कर उस मालिक को भी खूशी हुई की यह अपने पिता के बारे मे कितनी बडी बात सोच रहा है । इस कारण से फिर कभी भी उस मालिक ने बाबू से नही पूछा और बाबू इसी तरह से काम करता रहा ।

इस तरह से जब बाबू को काम करते हुए एक वर्ष हो गया तो ‌‌‌उसने अपने पिता को भी ‌‌‌अपने पास बूला लिया और शहर मे एक मकान खरीद कर वहा दोनो बाप बेटे रहने लगे थे । और सुबह होते ही फिर दोनो उस मालिक के पास काम करने के लिए चले जाते थे ।

इस तरह से फिर दोनो ने बहुत समय तक काम किया और शहर मे एक सानदार बगला खडा कर लिया । अब लालूयादव और बाबू के पास पैसे आराम से मिल जाते थे । फिर ‌‌‌भी उन्होने उस मालिक के पास काम करना नही छोडा और वह भी पहले की तरह दिन और रात काम करते थे ।

दोड़ धूप करना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

इस तरह से उस मालिक का भी बहुत ज्यादा फायदा होता क्योकी उसे ऐसे ही लोगो की जरूरत थी । ताकी उसका समान जल्दी से जल्दी पेक हो जाए और वह उन्हे बेचने के लिए निकला सके ।

इस तरह से फिर वह मालिक भी कहने ‌‌‌लगा की बाबू और उसके पिता ने कडी ‌‌‌दौड़ धूप की और स्वयं अमीर बन गए और मुझे भी बहुत अमीर बना दिया । इस तरह से जब इस बारे मे उनके गाव के लोगो को पता चला तो उन्हे यह तक नही समझ मे आया की ये लालूयादव है की नही यानि उन्हे यकिन नही हो रहा था ।

तब लोग भी कहने लगे की वास्तव में बाबू और उसके पिता ने ‌‌‌बहुत ‌‌‌दौड़ धूप की जिसके कारण आज इनका जीवन एक अमीर व्यक्ति के रूप मे चल रहा है । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

दौड़ धूप करना मुहावरे पर निबंध || daud dhoop karna essay on idioms in Hindi

दोस्तो इस मुहावरे का प्रयोग कठोर परिश्रम करने वाले के लिए किया जाता है क्योकी आपको पता है की इसका अर्थ ही असल में कठोर परिश्रम करना होता है जो की आपने उपर समझा है । तो इसका मतलब यह होगा की जहां परभी कठोर परिश्रम करने की बात होती है वही पर इसका वाक्य में प्रयोग किया जाएगा ।

जैसे की आप स्वयं है और आप जीवन मे एक अच्छी सी जॉब हासिल करना चाहते है जिसके लिए आप दिन रात एक कर देते है और काफी सारी मेहनत करते है तो इसका मतलब​ यह हुआ की आप नोकरी पाने के लिए दोड़ धूप कर रहे है ।

और ऐसे ही बहुत से लोग है जो की अपने जीवन में सफल होने के लिए काफी मेहनत करते हे यानि कठोर परिश्रम करते है तो उनके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

‌‌‌निचे बेस्ट मुहावरो की लिंक है जो बहुत ही उपयोगी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।