‌‌आँखों का तारा मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

आँखों  का तारा मुहावरे का अर्थ aankhon ka taara muhaavare ka arth – अतिप्रिय होना होता है ।

आज हर किसी के जीवन मे कोई न कोई प्रिय तो होता ही है । चाहे ‌‌‌वह भाई बहन या फिर बेटा बेटी आदी मे से कोई भी हो । लोग कहने लग जाते है की वह तो अपनी मा ‌‌‌की आँखों का तारा है । या फिर अपने ‌‌‌परिवार का आँखों का तारा है ।

ऐसे आपको अनेक लोग मिल जाएगे जो अपने जीवन मे अपने माता पिता के लिए ही जीते है वे बस अपने माता पिता के आँखों का तारा बनना चाहते है । और वे अंत मे अपने माता पिता के आंखो का तारा बन जाते है । इसका सबसे अच्छा उदहारण र्स्वण कुमार है । जो अपने मा बाप ‌‌‌की आँखों  का तारा बना हुआ‌‌‌ ‌‌‌था ।

‌‌आँखों  का तारा मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

‌‌आँखों  का तारा मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || aankhon ka tara hona use of idioms in sentences in Hindi

  • राजेश अपने दादा दादी ‌‌‌की आँखों का तार है ।
  • कुंदन ने विधालय मे सबसे अधीक नम्बर लाकर अपने गुरु ‌‌‌की आँखों का तारा बन गया ।
  • अपने माता पिता की सेवा कर कर भगवाना राम उनकी आँखों  का ‌‌‌तारा बन गया है ।
  • राहुल अपने गाव की लोगो की सेवा कर कर उनकी आंखो का तारा बन गया ।
  • अपने गाव का नाम ‌‌‌उपर उठाकर रमेश सभी गाव वालो की आँखों का तारा बन गया ।
‌‌‌मुहावरा (idiom in Hindi)‌‌‌अर्थ (Meaning in Hindi)
आँखों  का ताराअतिप्रिय होना

‌‌‌आख का तारा हाने की कहानी aankhon ka tara hona story on idiom in Hindi

एक समय की बात है रामेश नाम का एक लडका एक गाव मे रहा करता था । ‌‌‌उसके पिता बहुत गरीब थे । रमेश गाव के लोगो को अपने घर का सदश्य माना करता था । उसका गाव बहुत ही पिछडा हुआ था। उसके गाव मे सभी लोग शहर जाने के लिए भी अपने पैरो का सहार लिया करते थे ।

यहा तक की पीने के पानी की भी बहुत समस्या थी । अगर वे अपनी इस समस्या के समाधान के लिए सरकार से मदद मागते तो वे कह देते की हा आपका काम हो जाएगा । पर मदद करने का ढोग करते थे । वह काम कभी भी नही हुआ था ।

यहा तक की अगर बच्चे पढ़ाई करने के लिए भी जाया करते थे तो दुसरे गाव मे जाना पडता था । कच्चा रास्ता था ‌‌‌इस कारण वहा से कोई भी साधन नही जाते थे । बच्चे पढ़ाई करने के लिए पेदल ही जाया करते थे । वहा से जाने के बाद बच्चे पढ़ाई करकर अपने घर आते थे तो 2 घंटे लग जाया करते थे । रमेश ने भी इन प्रस्थितीयो  मे गुजर कर पढ़ाई करनी पडी ।

‌‌‌रमेश चाहता था की जिन प्रस्थितियो मै व मेरे गाव के लोगो गुजर रहे है उनसे आने वाली पढी न गुजारे । रास्ते पक्के बन जाए वहा पर वाहन चलने लग जाए ताकी बच्चो को भी पढ़ाई करने मे तकलीफ न हो और जो भी बच्चे पडते नही है ।

वे भी पढ़ाई करने लग जाए । ‌‌‌ऐसा सोचकर रमेश नोकरी की तैयारी कर रहा था । लोग उसे कहते थे की बेटे पढ कर क्या कर लोगे अपने गाव मे ही कुछ काम कर लो । पर रमेश ने किसी की भी बात नही मानी वह तो बस नोकरी के लिए तैयारी करता रहा ।

उसका पिता भी यह करने लग गया था कि बेटे अब तुम कुछ काम कर लो वरना हमारा जीवन नही गुजरेगा । हम गरीब है ‌‌‌हमारे पास ऐसा कुछ भी नही है की हम आराम से बेठ कर खा सके । अपने पिता की बात सुनकर ‌‌‌वह दिन मे काम करने लगा था ।

रमेश ने यह तो ठान लिया था की बस इस गाव को ‌‌‌तो बदलना ही ‌‌‌है । इसलिए वह दिन मे काम करता और रात को पढ़ाई करता । ‌‌‌रमेश ने अपने पिता की बात तो मान ली थी पर पढ़ाई को नही छोड पा रहा था । कुछ समय के बाद मे उसकी नोकरी का पेपर देने का समय आया ।

रमेश नोकरी का पेपर देने के लिए चला गया । किसी को भी नही पता था की रमेश कहा पर है । जब वह पेपर देकर अपने घर आया तो उसके पिता ने पुछा की कहा गए थे । रमेश ने पिता से ‌‌‌कहा की आज मुझे कोई काम नही मिला इस कारण ‌‌‌मै अपने दोस्त के गाव गया था ।

रमेश ने अपने पिता से झुठ बोला था । कुछ दिन बाद मे गाव मे एक पत्र आया जो रमेश का था वह पत्र उसका जोयनीग लेटर था वह नोकरी लग गया । ‌‌‌जब गाव के लोगो को पता चला की रमेश नोकरी लग गया है तो किसी को विश्वास नही हुआ ।

साथ ही गाव के लोगो को पता चला की रमेश की नोकरी पंचायत समिती मे लगी है । इस बाद की पुरी जानकारी के लिए गाव के लोग उसके पिता से पुछते है । उसके पिता ने कहा की वह और नोकरी लग गया है वह तो कभी पेपर देने भी नही गया ‌‌‌।

रमेश को जब पता चला की वह नोकरी लग गया है तो वह बहुत खुश हो गया । उसके पिता ने जब पुछा की तुम पेपर कब देकर आये थे तो रमेश ने पुरी बात बता दी । नोकरी लग कर रमेश को एक माह ही हुआ था की उसने अपने गाव में पानी के लिए कुवा खुदवा दिया जिसके लिए गाव ‌‌‌के लोग रोज चक्कर काट रहे थे ।

बच्चो के लिए गाव में ‌‌‌विधलय बनवा दिया । साथ ही गाव मे रोड बना दि थी यह सब काम ‌‌‌उसने सरकारी सहायता से किया । इन सब काम को देख कर रमेश का गाव मे बहुत सम्मान हुआ । साथ ही उसका पिता भी बहुत खुश था की उसके बेटे ने ऐसा कर दिया है जो कोई भी नही कर रहा था ।

‌‌‌आख का तारा हाने की कहानी

‌‌‌इस तरह के काम करने के कारण सभी गाव के लोग बहुत खुश हो गए और सभी उसका धन्यवाद करने लगे थे । साथ ही उसके पिता को भी धन्यवाद किया की उसके बेटे ने ऐसा कर दिया है ।

इस तरह के कार्य करने से रमेश अपने पिता का ही नही बल्की अपने गाव के लोगो की आँखों का तारा ‌‌‌बन गया गया । इस कहानी के द्वारा समझ सकते है की ‌‌आँखों  का तारा होना किसे कहते है ।

‌‌आँखों  का तारा पर निबंध || aankhon ka tara hona essay on idioms in Hindi

साथियो आंखो का तारा तो किसी के जीवन मे कोई न कोई ‌‌‌होता ही है ।  चाहे वह बेटा हो या बेटी यहा तक की कोई भी हो सकता है जेसे गाव के लोगो मे से । आप किसी से भी पुछ ले की आपके जीवन मे कोन ऐसा है जो आपको सबसे प्रिय है । तो आपको कोई तो कहेगा की मेरा बेटा मेरी आँखों  का तारा है । कोई कहेगा की मेरी बेटी मेरी आँखों का तारा है । जैसे ‌‌‌सर्वण कुमार अपने मा बाप की आँखों  का तारा था । इस तरह से कोई न कोई ऐसा होता ही है । अगर कोई आपको बुरा लग रहा हो और वह कुछ ऐसा कर दे की वह आपको अच्छा लगने लगे वह आपकी सेवा करने लगे ।

मरते दम तक कोई भी आपके पास नही आता है उस समय ‌‌‌भी वह आपके पास रहा है तो वह आपकी आंखो का तारा हुआ की नही । एक मा के लिए उसके बेटे व बेटी से बडकर कुछ नही होता है तो मां की आँखों का तारा वे दोनो हो जाते है । इस तरहे आप को पता चल ही गया होगा की आँखों का तारा होने का क्या अर्थ है ।

आँखों का तारा होना का तात्पर्य क्या होता है || aankhon ka tara hona ka tatparya kya hota hai


अब तक हमने इस लेख में यह जाना है की आंख का तारा होना का मतलब क्या होता है । वैसे आपको बता दे की हमने इस लेख में आपको इस मुहावरे के बारे में पूरी तरह से समझाने की कोशिश की है । मगर फिर से बता दे की आंख का तारा उसे कहा जाता है जो अतिप्रिय होता है ‌‌‌।


जैसे की तारे तो सभी को प्रिय होते है । और सभी चाहते है की तारे उनके पास हो और महिलाए खासकर तारो को अपने शरीर पर सजाना पसंद करती है । तो इस तरह से तारे दूर रहते हुए भी सभी की आंखो के पास होते है ।
उसी तरह से जो लोग दूसरो के लिए अन्य सभी में से प्रिय होते है । यानि अतिप्रिय होते है उन्हे ‌‌‌उन्हे आंख का तरा कहा जाता है ।


अति प्रिय का उदहारण अगर आपको चाहिए तो आप एक मां का ले सकते हो । चाहे मां की संतान बेटी हो या बेटा एक मां के लिए दोनो ही सबसे अधिक प्रिय होते है । वैसे ही पिता के लिए भी इस बात का प्रयोग हो सकता है । हालाकी पिता अपने प्रेम को दिखाता नही है ।
जैसे की आपको

‌‌‌बताए की आप जो हो उन्हे सबसे अधिक प्रिय कोन लगता है । मतलब आपको अपने भाई बहन अपने माता पिता में से कोई एक है जो सबसे अधिक प्रिय लगता है । तो वही आपकी आंखो का तारा होता है ।
वैसे ही आपकी मां की आखो का राता वही है जो की आपकी मां को सबसे अधिक प्रिय लगता है । जैसे की आप भाई बहन हो और आप दूसरे

‌‌‌से अपनी माताजी को प्रिय लगते हो तो इस बात का मतलब यह होता है की आप अपने मां की आखो का तरा हो । तो इस तरह से आंखो का तरा होने का तात्पर्य अतिप्रय होने से होता है ।
अब आप जहां चाहो वही पर इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते हो ।

आँखों का तारा मुहावरा किस एग्जाम में पूछा गया है

दोस्तो हिंदी मुहावरो को काफी सारे एग्जाम में पूछा जाता है जिनमें से भारत का एक एग्जाम ऐसा है जिसके अंदर कई बार इस मुहावरे को पूछा गया है जो की Staff Selection Commission, General Duty है और Staff Selection Commission, General Duty के अंदर अभी पीछली बार भी इस मुहावरे को पूछा गया था और अबकी बार भी पूछा जाएगा तो आप इसे पक्का याद करे ।

इसके अलावा अलग अलग राज्यो में होने वाले बीएड, रीट और भी अन्य तरह के एग्जाम में इस मुहावरे को पूछा गया है तो इसे याद रखे ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।