‌‌‌आग लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

‌‌‌आग लगाना मुहावरे का अर्थ aag lagana muhavare ka arth – झगड़ा कराना।

‌‌‌दोस्तो हम सभी एक दूसरे से अनेक तरह की बाते करते है । जिसके कारण से हम खुश भी होते है और कभी कभी एक दूसरे से बाते करते हुए दुखी भी होते है । क्योकी वे दूखो की बाते होती है । इसी तरह से कुछ बाते ऐसी होती है जीनको नही करना चाहिए । क्योकी उन बातो को करने से सामने वाला भड़क सकता है । ‌‌‌और भड़काने का काम हमे नही करना चाहिए ।

क्योकी इससे झगड़ा भी हो सकता है । मगर दोस्तो कुछ लोग होते है जो की ऐसा करते है वे सामने वाले लोगो को ऐसी बाते कह देते है जिससे समाने वाले भड़क जाते है तो इस तरह की बातो को कहने को आग लगाना कहा जाता है ।

‌‌‌क्योकी यह सब बाते झगड़ा कराने का काम करती है और जब झगड़ा कराने की बात होती है तो इसे भी आग लगाना कहा जाता है।

‌‌‌इस तरह से हम इस मुहावरे का वही पर प्रयोग करेगे जहां पर झगड़ा कराने की बात होती है ।

‌‌‌आग लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

‌‌‌आग लगाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || aag lagana muhavare ka vakya mein prayog

  • ‌‌‌रक्षाबंधन के समय आपने बहन और भाई में आग लगा कर अच्छा नही किया ।
  • बरसो पहले सुरेश और उसकी बहन के बिच में किसी ने आग लगा दी और आज तक दोनो ने एक दूसरे से बात नही की है ।
  • अक्सर जब भी हमारे दोनो गाव में समझोते की बात होती है सेठजी आकर आग लगा देते है।
  • लगता है की लालूयादव चाहता नही है की हमारे ‌‌‌दोनो गांवो का झगड़ा खत्म हो तभी तो हम जब समझोते की बात करते है तो लालूयादव आग लगा देते है ।
  • ‌‌‌अक्सर नेता लोग जीनते के लिए धर्म के लोगो में आग लगा देते है ।
  • ‌‌‌कंचन और ममता दोनो बहनो की तरह रहा करती थी मगर सुनिता ने झुंठी बाते कह कर दोनो में आग लगा दी ।
  • गोपाल तो जब भी हमारे यहां दोनो भाईयो में आग लगा कर चला जाता है ।

‌‌‌आग लगाना मुहावरे पर कहानी || aag lagana muhavare par kahani

‌‌‌प्राचीन समय की बात है किसन नगर में राजा हुआ करता था । उसके दो पुत्र थे। एक का नाम चंद्रसेन था और दूसरे का नाम नंदलाल था । राजा को अपने दोनो बेटे बहुत ही प्यारे थे । जिसके कारण से राजा हमेशा से ही अपने बेटो की तारिफ करता रहता था ।

दूसरा की राजा ने अपने दोनो बेटो को समाना तरह की शिक्षा दी थी । ‌‌‌दोनो का पालन पोषण समान तरह का किया करता था । इसके साथ ही युद्ध कला भी दोनो को एक जैसी आती थी । और युद्ध कला किसी और ने नही बल्की राजा ने स्वयं ही सिखाई थी । जिसके कारण से दोनो बेटे अपने पिता की तरह ही थे ।

 ‌‌‌दोनो में यह कोई भी भेद नही कर पाता था की कोन किससे आगे है । यानि किसको किससे अधिक अच्छी तरह से युद्ध करना आता है । और अभी वे छोटे थे जिसके कारण से युद्ध में राजा उन्हे नही लेकर जाता था । बल्की राज्य को चलाने के लिए ही ज्ञान देता था । साथ ही कभी कभार राज्य की प्रजा के साथ भी उन्हे रहने ‌‌‌के लिए भेज देता था ।

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ताकी बेटो को यह पता चल सके की जंता कैसी है और प्रजा को क्या चाहिए और इस तरह से राजा ने अपने बेटो को बड़ा किया था । इसी तरह से एक समय की बात है जब राजा के राज्य पर हमला किया गया था और राजा ने सामने वाली सेना को हरा दिया था । मगर राजा को यह अच्छा नही लगा की उस पर किसी ‌‌‌अन्य राजा ने हमला किया है ।

और इसी बात के कारण से राजा ने फिर उस राजा के राज्य पर हमला कर दिया । मगर यह राजा की भूल  थी । जिसके कारण से राजा और उसका मंत्री व बाकी सेना मारी गई थी और इस तरह से फिर चंद्रसेन और नंदलाल के पिता अपने राज्य के लिए शहिद हो गए थे ।

उस राज्य में जो भी कोई राजा ‌‌‌युद्ध में मारा जाता था उसकी प्रतिमा प्रजा के बिचो बिच बनाई जाती थी और राजा की जीस दिन मोत हुई थी उस दिन राज्य की सभी प्रजा राजा को याद करने के लिए वहां पर एकत्रित हुआ करती थी । इस तरह से राजा का राज्य था ।

‌‌‌क्योकी अब राजा मारा गया था और राज्य के लिए अभी तक कोई भी नया राजा नही था । जिसके कारण से राज्य पर परेशानी आ सकती थी । और इसी बात को लेकर राजा के शुभचिंतको ने राज्य के लिए एक नया राजा बनाने का प्रस्ताव चंद्रसेन और नंदलाल के समाने रखा ।

क्योकी यह तो सभी को मालूम था की राजा के दो बेटे है ‌‌‌और दोनो में से ही किसी एक को राजा बनना है । जिसके कारण से दोनो भाईयो में राजा बनने के प्रति इच्छा होने लगी । दोनो सोचने लगे की मैं राजा बनूगा मैं राजा बनुगा । मगर दोस्तो इस बात में बड़ी उलझन थी । और इसी का फायदा उठाते हुए ‌‌‌चंद्रसेन ने मंत्रियो को खुश कर दिया और सभी ने चंद्रसेन को राजा बनाने की बात कही ।

जिसके कारण से नंदलाल के पक्ष में बहुत ही कम लोग थे । जिसके कारण से चंद्रसेन राजा बन गया था । चंद्रसेन जैसे ही राजा बना वह काफी खुश हुआ और अपने भाई को अपनी इच्छा का पद चुनने को दिया । तब नंदलाल ने कहा की ‌‌‌आप जो भी फैसला करोगे वह सबसे पहले मुझे मालूम होना चाहिए । हालाकी मैं मंत्री नही बनना चाहता हूं ।

बल्की मंत्री से भी उपर बनना चाहता हूं । और जो कुछ मंत्री आपको बताए वह मुझे मालूम होना चाहिए । इस तरह से कहने पर चंद्रसेन ने बिल्कूल नही सोचा और कहा की ऐसा ही होगा भाई । क्योकी मैं राजा हूं तो ‌‌‌तुम भी तो मेरे भाई हो जिसे भी राजा बनने का हक है ।

मगर दो राजा नही हो सकते है मगर जो तुम कह रहे हो वह हो सकता है । इस तरह से फिर राजा चंद्रसेन ने अपने भाई नंदलाल को अपना साथी बना लिया और मंत्री के उपर हुआ करता था । हालकी अब मंत्री का पद खाली था । क्योकी मंत्री भी तो मारा गया था । ‌‌‌जिसके कारण से मंत्री को भी चुनना था । और सभी संभामंडल में बैठेने वाले छोटे मंत्री खुश हो रहे थे की मैं मत्री पद के लिए चुनने वाला हूं ।

मगर अब नंनदलाल ने अपनी चालाकी दिखा दी और जो लोग उसके पक्ष में थे उनमे से ही किसी को मंत्री बना दिया । और कहा की मैं तुम्हे मंत्री बना रहा हूं इस कारण से ‌‌‌तुम्हे मेरी बात माननी होगी । तब उस मंत्री ने हां कह दिया था । इस तरह से राज्य फिर से राजा से भर गया । और फिर राज्य चलने लगा था । समय के साथ सभी खुश थे मगर नंदलाल नही था । क्योकी वह चाहता था की वह राजा बने । और इसी बात का फायदा मंत्री ने उठा लिया और मंत्री ने नंदलाल का साथ देते हुए उससे सब ‌‌‌कुछ हासिल कर लिया था ।

और तब मंत्री को पता चल गया की नंदलाल राजा बनना चाहता है । और तब मंत्री ने योजना बनाई ‌‌‌और नंदलाल से कहा की मैं आपका साथ किसी तरह से दे सकता हूं । मगर इसके लिए आपको मेरा साथ देना होगा । आपको अपने भाई यानि राजा चंद्रसेन से झगड़ा करना होगा । तब नंदलाल नही माना ।

मगर मंत्री को मालूम था की जैसे ही नंदलाल राजा बनेगा उसकी ही यहां पर चलने लग जाएगी । और नंदलाल काफी खुश हो जाएगा । और इस ‌‌‌कारण से मंत्री ने राजा चंद्रसेन की बुराई नंदलाल से करनी शुरू कर दी । और कहा की चंद्रसेन आपके बारे में यह कहता है वह कहता है । और इसी कारण से एक दिन नंदलाल चंद्रसेन से झगड़ा कर बैठा ।

‌‌‌आग लगाना मुहावरे पर कहानी  aag lagana muhavare par kahani

तब फिर मंत्री ने राजा चंद्रसेन को नंदलाल के बारे में गलत बता दिया और कहा की वह आपके बारे में बहुत भला बुरा कहता ‌‌‌है । वह आपको इतना अधिक बुरा कहता है की मुझसे से तो सुना तक नही जाता है । और भी न जाने क्या क्या कहा । और इस तरह से कह कर मंत्री ने चंद्रसेन के मन मे अपने भाई नंदलाल के प्रति आग लगा दी ।

और फिर चंद्रसेन अपने भाई से लड़ने लगा । यह आग इतनी अधिक भयानक थी की दोनो कई वर्षों तक एक दूसरे से बात नही ‌‌‌कर रहे थे । धिरे धिरे समय बित रहा था और दोनो बात नही कर रहे थे । तब मंत्री को मालूम चला की उसने जो किया था वह सही नही है । क्योकी इससे उसका भी फायदा नही हो रहा है । और उसने इस बारे में अपने किसी सेवक से बात कर दी ।

और इसी बात के बारे में उस सेवक ने अन्य लोगो को बता दिया और ‌‌‌फिर इस तरह से राजा और राजा के भाई नंदलाल दोनो को इस बात के बारे में पता चल गया की मंत्री ने झूठ बोल बोल कर हम दोनो भाईयो में आग लगा दी । और जब इस बारे में पता चला तो सबसे पहले दोनो ने एक दूसरे से माफी मागी और फिर ‌‌‌उसे मंत्री को पद से निकाल दिया ।

और उसके स्थान पर नंदलाल स्वयं ही मंत्री बन गया ‌‌‌। और फिर दोनो ने यह सोच लिया की आज के बाद में वह किसी के भी आग लगाने पर भड़केगे नही और एक दूसरे से झगड़ा नही करेगे ।

और ऐसा ही हुआ फिर जब भी कोई आग लगाने का काम करता था दोनो उसे सजा दे देते थे । जिसके कारण से कोई भी ऐसा नही करना चहाता था । और फिर दोनो का जीवन अच्छी तरह से बितता जा रहा ‌‌‌था ।

आग लागाना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो आग के बारे में आप जानते है । आग का मतलब होता है किसी प्रदार्थ को जलाने पर जो तेज या ज्वाला उत्पन्न होती है वह आग होती है । और आपने देखा होगा की प्राचीन समय में लोगो के घरो में आग लग ‌‌‌जाती थी । जिसके कारण से घर में जो कुछ होता था वह जलने लग जाता था ।

क्योकी उस समय कच्चे घर हुआ करते थे जो की आग से आसानी से जल जाते थे । मगर आज के समय में आग घरो में नही बल्की लोगो के मन में लगती है । जैसे की  ‌‌‌दो पड़ोस में रहने वाली औरतो को एक दुसरे की अच्छी अच्छी बाते बताई जाती है तो दोनो यह सोचती है की वह मुझसे अच्छी है ।

आग लागाना मुहावरे पर निबंध

उदहारण के लिए जब आप किसी महिला को कहते हो की आपके पड़ोस की सरला का बेटा काफी धन कामाता है वह काफी अधिक अच्छा है और गाव के सभी उसकी ही बात करते है । तो वह औरत उनसे जलने लग ‌‌‌जाती है । और सोचती है की वह मुझसे कैसे उपर उठ सकती है । यानि वह हमसे कैसे अच्छे और धनवान हो सकते है । और इस तरह से जलन होती है ।

हालाकी सभी महिलाएं ऐसी नही होती है मगर हम कुछ ही महिलाओ की बात कर रहे है । ऐसा नही है की पुरूषों में जलन नही होती है उनमें भी होती है मगर महिला की तुलना में कम होती ‌‌‌है । जब दो पड़ोसियो मे झगड़ा करना होता है तो दोनो को यह कहा जाता है की तुम्हारा पड़ोसी तुम्हारे बारे में बहुत बुरा कह रहा था । तो ऐसा कहने पर दोनो में झगड़ा हो जाता है और इस तरह से कहने को ही आग लगाना कहा जाता है ।

इसे इस तरह से भी समझ सकते है की ‌‌‌कभी कभार ऐसे लोग भी देखने को मिलते है जो की अपने ही परिवार के किसी सदस्यो की बुराई करते है । इसे चुगली करना कहा जाता है । और इस तरह से जब परिवार का एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति की बुराई करता है और जिससे बुराई की जाती है वही व्यक्ति परिवार के दुसरे व्यक्ति को जानकर पहले वाले ‌‌‌वाले व्यक्ति के द्वारा की गई बुराई को बता दी जाती है तो इस तरह से यह भी चुगली करना होगा ।

 और ऐसा करने पर झगड़ा भी हो सकता है । तो इसे हम आग लगाना कह सकते है । क्योकी जहां पर झगड़ा कराने की बात होती है वही पर आग लगाना मुहावरे का प्रयोग होता है ।

जैसे की महेश नामक एक व्यक्ति है जो की सुरेश ‌‌‌को जाकर सुरेश के भाई रमेश के बारे में कहता है की भाई सुरेश तुम्हारा भाई तुम्हारे बारे में बहुत भला बुरा कह रहा था । पता नही उससे तुम्हे क्या तकलिफ है जो की हर किसी से तुम्हारी बुराई करता रहता है । तो इतना कहने पर ही सुरेश के मन में रमेश के प्रति क्रोध आ जाता है । और क्रोध के कारण से वह ‌‌‌फिर रमेश से झगड़ा भी कर सकता है । तो इस तहर से जब महेश सुरेश को यह सब कहते हुए चुगली करता है तो इसे हम आग लगाना कह सकते है ।

दोस्तो यहां पर हमने सुरेश महेश रमेश नाम का प्रयोग किया है । अगर आपमे से किसी का भी यह नाम है तो बुरा न माने । क्योकी हमने केवल उदहारण के लिए इन नाम का प्रयोग किया है ‌‌‌।

दोस्तो एक मुहावरे को सही तरह से समझ लेने पर आप कभी भी इस मुहावरे के अर्थ को नही भूल सकते है । इस कारण से एक मुहावरे को सटिक तरह से समझाने की हम हमेशा से कोशिश करते रहते है ।

यह बताना न भूले की आपको हमारा मुहावरा कैसा लगा ।

very very most important hindi muhavare

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।