जड़ खोदना मुहावरे का अर्थ क्या होता है बताइए

जड़ खोदना मुहावरे का अर्थ jad khodna muhavare ka arth — नुकसान पहुंचाना ।

दोस्तो एक पौधा जो होता है वह जड़ के कारण से ही सही तरह से खड़ा रहता है या कह सकते है की जीवित रहता है । अगर आपका किसी तरह का पेड़ पौधा देखा गया है तो आपको पता होगा की यह जड़ के कारण से ही इस धरती पर खड़ा रहता है और अगर इसी जड़ को खोद कर दिया जाए तो इससे पेड़ पौधे को काफी नुकसान पहुंच जाता है और अगर जड़ को पूरा का पूरा खोद दिया जाता है तो इससे पौधा मर भी जाता है ।

हालाकी आपको पता होगा की थोड़ी बहुत जड़ खोदने का मतलब भी यह हुआ की इससे पेड़ पौधे को नुकसान पहुंचाने वाला है । अत इस आधार पर यह कहा जा सकता है की दोस्तो जड़ खोदना मुहावरे का अर्थ नुकसान पहुंचाना होता है ।

जड़ खोदना मुहावरे का अर्थ क्या होता है बताइए

जड़ खोदना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

1.        चाणक्य ने चंद्रगुप्त को शिक्षा देकर पाटलिपुत्र में शक्तिशाली नंद वंश की जड़ खोद दी ।

2.        अगर आज घर के अंदर चोरी हुई है तो किसी अपने ने ही जड़ खोदी होगी ।

3.        जब महेश के घर में चोरी हो गई तो गाव के लोग कहने लगे की उसके बेटे ने ही जड़ खोदी है ।

4.        भारत से युद्ध करने के कारण से दुश्मनो की भारत लोगो ने जड़ खोद दी ।

5.        राजा विक्रम आदित्य ने कई दुश्मनो की जड़ खोदी और आज उन्हे सभी जानते है ।

6.        अगर प्रजा पर किसी तरह की समस्या आती है तो राजा सहाब समस्या की जड़ खोद देते है ।

जड़ खोदना मुहावरे पर कहानी

बहुत समय पहले की बात है किसी नगर में एक धनवान सेठ रहा करता था । जो सेठ था वह इतना धनवान था की उसे स्वयं काम करने की जरूरत नही पड़ती थी बल्की वह तो लोगो से काम करवाता था । इस तरह का सेठ था । सेठ के घर में उसकी पत्नी और एक बेटा रहा करता था ।

जिस नगर में सेठ रहता था उस नगर में उसके अलावा कोई भी धनवान नही था और इसी कारण से सेठ को सभी लोग खुब मानते थे और उनका आदर करते थे । यहां तक की अगर किसी के घर में कोई शुभ काम होता था तो लोग जो थे वे सेठ को ही अपने घर में बुलाया करते थे । क्योकी इससे उन लोगो के घर में कुछ अच्छा हो सकता था । और सेठ अगर थोड़े रूपय देता था तो उन लोगो के वे बहुत काम आते थे ।

सेठ जो था वह काफी दयालु स्वभाव का था जिसके कारण से जब भी किसी के घर में शुभ काम पर जाता था तो वहां पर कुछ न कुछ देकर ही होता था और इसी आदद के कारण से सेठ को लोग काफी अधिक पसंद भी किया करते थे । आपको बता दे की एक बार की बात है सेठ अपने नगर में ही था जहां पर उसका पुराना दोस्त भी रहा करता था ।

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सेठ का जो दोस्त था उसका भी एक ही बेटा था जिसके कारण से उस दोस्त ने सेठ से कहा की तुम मेरे बेटे को काम दे दो । इससे क्या होगा की हमारा भी घर सही तरह से चल सकता है ।

सेठ को उसके दोस्त ने ऐसा कहा था तो सेठ ने उसे काम दे दिया । और उसे अपने पास ही रहने को कहा था । तब सेठ ने अपने दोस्त के बेटे से कहा की बेटा तुम्हारा नाम क्या है । तब उसने कहा की सेठजी मेरा नाम महेश है । और इस तरह से कहने पर सेठ ने कहा की महेश ठिक है तो कल मेरे पास आ जाता तुम्हे मैं कोई अच्छा सा काम दे दूगा । इस तरह से कहने के बाद में सेठ वहां से चला गया था ।

अगले दिन की बात है सेठ अपने घर से काम करने के लिए जा ही हरा था की उसे रास्ते में उसकी और आते हुए ​महेश मिल गया और महेश ने सेठ को देखते ही उसे प्रणाम किया और कहा की सेठ जी मुझे क्या काम करना है । तब सेठ ने कहा की तुम मेरे साथ आ जाओ और मैं तुम्हे काम बता देता हूं ।

तब सेठ ने महेश को अपने साथ लेकर चला गया और उसे अपनी एक बड़ी किराने की दुकान में लेकर गया और कहा की तुम यहां पर जो भी कोई आता है उसे समान दे देना और इतना कहने के बाद में सेठ ने कहा की चलो आज से ही काम करना शुरू कर दो । इसके बाद में सेठ ने महेश को काम पर रख लिया और जो भी कोई आता था उसे महेश समान तोल कर देने लगा था और सेठ जो था वह पैसो का हिसाब किताब रख लेता था ।

इसी तरह से काम करते हुए एक वर्ष बित गया और तब सेठ को यह अहसास हुआ की महेश तो काफी विश्वासमंद छोरा है इस पर विश्वास किया जा सकता है और इसी बात को सोच कर सेठ ने महेश को और अच्छा काम दे दिया और अब सेठ जो था वह महेश से कहता की तुम ऐसा किया करो की जब भी कोई ग्रहक आता है तो उसे सही तरह से समान देना और उससे सही तरह से बात भी करे। इसके साथ ही सेठ ने उसे अपनी अनुपस्थिति में दुकान का मालिक बना दिया था । और इसी तरह से कुल छ महिने तक चलता रहा ।

मगर एक दिन की बात है सेठ अपने घर पर​ किसी काम के लिए गया हुआ था और जब दुकान पर पहुंचा तो उसने हिसाब किताब देखा तो उसे पता चला की महेश ने हिसाब में गलतियां कर दी है और इसी कारण से सेठ ने महेश को जरा सा डाट दिया और यह सब महेश को अच्छा नही लगा था । और इसी कारण से महेश सेठ से नाराज हो गया था ।

मगर महेश ने काम नही छोड़ा बल्की इसी तरह से काम करता रहा था । एक दिन बित गया मगर अब महेश को काम करना जरा सा भी अच्छा नही लगता था बल्की अपनी इच्छा के विपरित काम कर लेता था । इसी तरह से कुल एक महिने तक चलता रहा ।

मगर एक दिन महेश को पता नही क्या समझ आया उसने गलत रास्ता चुन लिया और उसी दिन जब वह गलत रास्ते पर निकला था तो उस पर काफी रूपय उधार हो चुके थे । जिसके कारण से महेश को उन्हे चुकाना भी था । मगर महेश के पास पैसे थे नही तो महेश ने उन ही लोगो को वह सब बाते बताने लगा जिसके कारण से महेश ने सेठ की जड़ खोदने वाला काम कर दिया ।

अगले दिन की बात है जब सेठ अपनी दुकान पर पहुंचा तो उसने देखा की उसकी दुकान में सेंध लगा दिया है । और कुछ ही समय में इस बारे में सभी को पता चल गया । तब लोगा को पता चला की सेठ का सब कुछ चोरी हो गया है और यह सब कैसे हुआ किसी को कुछ पता नही था । क्योकी आज से पहले ऐसा कभी हुआ नही था ।

 तभी वहा पर महेश आ जाता है ओर कहता है की सेठ जी जिसने भी यह किया है सच में वह बहुत पछताने वाला है । मगर सेठ ने कहा की टेंसन न लो बेटा यहां का थानेदार मेरा अच्छा दोस्त है तो वह कल ही उन्हे पकड़ लेगा और इसी तरह से सच भी हो गया क्योकी अगले ​ही दिन की बात है जिन्होने सेंध लगा कर चोरी की थी उनको थानेदार ने पकड़लिया और चोर क्यो की थी और किसके कहने पर ऐसा किया था यह सब बता दिया था ।

 कुछ समय के बाद में थानेदार सेठ के घर में आकर कहता है की आपके दोस्त के बेटे ने ही आपकी जड़ खोदी है और आपकी दुकान में चोरी करवाई है । और यह सब जान कर सेठ को काफी अधिक बुरा लगा तो उसने कहा की जिसने गलत किया है उसे सजा तो मिलनी ही चाहिए ।

और यह बात सुन कर थानेदार महेश को पकड़ने के लिए चला गया । और जब महेश को पकड़ कर जेल में डाला गया तो सभी को पता चल गया की महेश ही वह आदमी था जिसने सेठ की जड़ खोदी और उसकी दुकान की चोरी करवाई थी । इस तरह से सभी महेश के बारे में जानने लगे थे । तब सेठ को एक बात समझ में आई की जल्दी से किसी पर भरोषा नही करन चाहिए ।

क्योकी अगर जल्छी भरोषा किया जाता है तो पता नही वह भरोषा टूट भी सकता है। ओर हमे नुकसान पहुंचेगा वह अलग । इसके बाद में सेठ ने किसी पर जल्दी भरोषा नही किया था और सेठ का जीवन पहले की तरह चलने में कुछ समय जरूर लगा मगर वही पहले की तरह ही अपनी दुकान बना कर काम करने लगा था ।

जड़ खोदना मुहावरे का अर्थ क्या होता है बताइए

इस तरह से दोस्तो सेठ था और उसकी जड़ खोदी गई थी ।

जड़ खोदना मुहवरे पर निबंध

साथियो आज का संसार बड़ा अजीब है लोग अपने फायदे के लिए जड़ खोदते हुए देर नही लगाते है और यह आपको पता होना चाहिए। आपको बता दे की बहुत सारे ऐसे लोग है जो की आज की इस दुनिया में भले ही अपना जीवन जी रहे है मगर उनके आस पास रहने वाले ही लोग उनकी जड़ खोदने में लगे है ।

अगर आपको यकिन नही होता है तो आप इस बारे में अपने आस पास देख भी सकते है आपको कुछ न कुछ ऐसा जरूर मिलता है जो की बताता है की सच में जड़ खोदने वाले आस पास ही रहते है ।

जिस तरह से महेश ने अपने ही मालिक की जड़ खोद दी और उसके ही काम में चोरी करा दी थी ठिक वैसे ही आज के इस युग में आपको एक नही बल्की अनेक लोग मिल सकते है और आपको इस बारे में पता होगा । दोस्तो इस कारण से कहते है की जो जड़ खोदने का काम करता है उनसे हमेशा दूर रहना चाहिए । क्या पता कब वे हमारी जड़ खोद दे ।

वैसे आपको बता दे की इन सब बातो से आपको यह जरूर समझ में आया होगा की जड़ खोदना का मतलब उस स्थिति से होता है जब नुकसान पहुंचाने की बात होती है । अत नुकसान पहुंचाना इस मुहावरे का अर्थ होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।