छाती पीटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

छाती पीटना मुहावरे का अर्थ chhati pitna muhavare ka arth —  विलाप करना या मातम मनाना ।

दोस्तो जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका परिवार ही नही बल्की उसके आस पास रहने वाले लोग भी काफी अधिक दुखी हो जाते है और इसी दुख के कारण से वे काफी अधिक विलाप करने लग जाते है और जोर जोर से विलाप करते है ।

आपको बता दे की इस तरह से विलाप करने को मातम मनाना कहा जाता है । और जब किसी की मृत्यु होती है तो उसके लिए मातम मनाया जाता है । तो इस तरह से मातम मनाना या विलाप करना इस मुहावरे का अर्थ होता है और यही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है ।

छाती पीटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

छाती पीटना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || chhati pitna use of idioms in sentences in Hindi

1.            जब माता सिता को रावण उठा कर ले गया तो राम कुछ समय के लिए छाती पीटने लगे ।

2.            रामकिसन के पिता की हार्ट अटैंक के कारण से मृत्यु हो गई है जिसके कारण से सभी लोग छाती पीट रहे है ।

3.            आतंकवादियो ने देश के जवानो की हत्या कर दी जिसके करण से पूरा देश ही छाती पीट रहा है ।

4.            दिल्ली में एक अलग ही बीमारी फैली थी जिसका नाम कोरोना था और इस बीमारी में सभी लोग छाती पीटने लग गए थे ।

5.            कोरोना के कारण से देश के सभी लोगो को छाती पीटनी पड़ गई ।

6.            पंकज जी की मृत्यु के कारण से केवल परीवार ही नही बल्की पुरा गाव छाती पीट रहा है ।

7.            जब सज्जन का अपनी गर्लफ्रैंड रिया के साथ ब्रेकप हो गया तो सज्जन छाती पीटने लग गया था ।

8.            देश के बड़े आदमी के मरने के कारण से बहुत से लोगो को छाती पीटनी पड़ गई ।

छाती पीटना मुहावरे पर कहानी || chhati pitna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक बार एक सेठ हुआ करता था जिसका नाम बलवंत था और सेंठ काफी अधिक धनवान थे और अपने इसी धन के कारण से वे जाने जाते थे ।

बहुत समय बित गया मगर उनके घर में किसी तरह की संतान का जन्म नही हुा था और ऐसे में सेठ जी को कोई रास्ता नजर नही आ रहा था तो आखिर में उन्होने अपनी खुशी के लिए लोगो की सेवा करनी शुरू कर दी।

हालाकी सेठ के पास धन की कोई कमी थी नही जिसके कारण से वे आसानी से लोगो की सेवा करते रहते थे और उनकी मदद कर देते थे । इस तरह से सेठ को चलते रहने के कारण से सेठ जी का बहुत नाम  फैलने लग गया था ।

दोस्तो जो लोग थे वे अब सेठ के नाम से ही उन्हे आदर देने लगे थे और लोगो की प्रार्थना के कारण से उनके घर में एक लड़के का भी जन्म हो गया था । और तब सेठ जी ने मन ही मन यह सोच लिया की उन्होने लोगो की सेवा की थी जिसके कारण से ही उन्हे आज पुत्र प्राप्ति हुई है 

और इस तरह से वह मन ही मन सोच कर यह सोचने लगा था की जीवन में कभी भी वह दिन नही आना चाहिए जब मैं लोगो की मदद न कर सकु। और इसी बात को याद रख कर सेठ ने लोगो की मन से मदद करनी शुरू कर दी थी । मगर इस बिच में सेठ ने एक बात का ध्यान रखा था की जिस किसी की मदद की जा रही है वह क्या सच में मदद के काबित है ।

यानि एक तो जो लोग धनवान है और उनको धन देकर मदद की जाए तो वह मदद नही होती है । और दूसरा की ऐसे लोग भी होते है जो की बहाना बना कर मदद लेना चाहते है तो उन लोगो को भी मदद मिलना किसी काम का नही होता है । तो इस तरह से मदद करने या न करने के बारे में भी सेठ सोच समझकर फैला लेता था । और यही सेठ की सबसे बड़ी खुशी की बात थी ।

इसी तरह से चलता रहा और सेठ ने दो तीन वर्ष अपने जीवन के और बिता लिए और जो सेठ था उसे देख कर ही लोग ऐसे करते जैसे मानो की सेठ उनका भगवान था

और सेठ को इतनी इज्जत मिल रही थी तो वह स्वयं पर घमंड नही करता है बल्की वह सोचता है की यह तो ईश्वर की ही कृपा है की आज वह लोगो के दिल में बैठ पाया है और इसी सोच ने सेठ को एक मंदिर का निर्माण करवाना शुरू कर दिया था ।

दरसल सेठ जो था वह भगवान शिव का बड़ा भक्त था और इसी बात को ध्यान में रखते हुए सेठ ने लोगो की बात सुनी ओर भगवान शिव का एक मंदिर गाव के बिच में बना दिया था जिसके कारण से न केवल सेठ खुश था बल्की गाव के लोग भी काफी अधिक खुश थे

और इसी तरह से फिर गाव के लोगो के साथ साथ सेठ भी मंदिर में भगवान की पूजा करने लगा था और अब आपको यकिन नही होगा की गाव के लोग जब भी पूजा करते थे यानि सुबह और शाम को तो बहुत से ऐसे लोग थे जो की मंदिर में आते और पूजा करते थे । तो इसी तरह से चल रहा था ।

एक दिन की बात है सेठ अपने घर में आराम से बैठा था और तभी वहां पर गाव के कुछ लोग आकार बोलने लगे की सेठ जी कुछ लोग गाव में आए है ओर बोल रहे है की हम सरकार के आदमी है और घर को तोड़ रहे है । और इतना सुन कर सेठ काफी अधिक घुस्से में आ जाता है और उन लोगो को बोलता है की ऐसे कैसे घर को तोड़ सकते हे ।

उस समय सेठ के पैरो में चंपन नही थी मगर वह इसी तरह से भाग कर गाव के लोगो के बिच में जा पहुंचा और उन सरकारी आदमी को रोक दिया और एक फोन सरकारी दफ्तर में लगा दिया और इस काम को पूरी तरह से बंद करवा दिया था ।

काम बंद हो जाने के कारण से वे लोग गाव से चले गए और फिर वहां पर सेठ जो था वही था और गाव के लोग थे ।

छाती पीटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

तब गाव के लोगो की नजर सेठ के पैरो पर पड़ गई थी और यह देखा की सेठ के पैरो में कुछ नही है और वे नंगे पैर धरती पर खड़े है और यह देख कर गाव के लोग काफी खुश हो गए क्योकी उन्हे यह नजर आया की हमारी मदद करने के लिए सेठ ने अपने पैरो में कुछ पैरने तक का समय नही दिया और इस बता से गाव के लोग खुश हुए और फिर सेठ जी को उन्हे पैरने के लिए चंपल लाकर दे दी और इस तरह से सेठ जी को फिर लोगो ने घर छोड दिया था ।

एक वर्ष बित चुका था और समय बितने के बाद में एक दिन अचानक से सेठ जी बीमार हो गए और बीमार हो जाने के कारण से उन्हे हॉस्पीटल लेकर जाया गया और वहां पर जाने के बाद में लोगो ने सेठ जी के बारे में लोगो को पता चला की उन्हे तो हार्ट अटैंक आया है

 और यह काफी गंभीर परेशानी है और इस कारण से गाव के लोग हॉस्पीटल के पास जा पहुंचे थे वहां पर काफी अधिक भीड़ इकट्ठा हो गई थी मगर डॉक्टर ने उस दिन सेठ जी को किसी न किसी तरह से बचा लिया और फिर उन्हे घर भेज दिया था ।

मगर सेठ के करीबी लोगोको बताया की अगर इस बार हार्ट अटैंक आता है तो सेठ जी की मृत्यु पक्की है क्योकी इनका जो दिल है वह कुछ कमजोर ही है । और इस तरह से कहने के कारण से वे काफी अधिक दुखी हो गए ।

मगर फिर उन्होने सेठ जी को घर लेकर गए और वहां पर सेठ जी की काफी अधिक सेवा की थी और लोगो ने भी सेठ जी की काफी सेवा कीथी । और इस तरह से सेठ पूरी तरह से ठिक हो गया था ।

मगर जिस तरह से डॉक्टर ने कहा था की दूसरी बार अगर हार्ट अटैंक आता है तो मृत्यु पक्की है तो उसी तरह से सेठ जी उस हार्ट के कारण से एक वर्ष के बाद मे मृत्यु हो गई थी और इस बारे में जब लोगो को पता चला तो लोग छाती पीटने लगे थे  ।

मगर अब क्या हो सकता था क्योकी यह तो एक तरह की बीमारी थी और बीमारी के कारण से मृत्यु हो ही जाती है और इसी तरह से सेठ की मृत्यु हुई थी । मगर मगर लोग इस बात के बारे में बिल्कुल नही सोच रहे थे बल्की वे तो छाती पर छाती पीट रहे थे ।

मगर किसी तरह से लोगो ने एक दूसरे को शांत करवाया और फिर सेठ जी के शरीर को अंग्नि दे दी और इस तरह से सेठ को इस संसार से मुक्त कर दिया था । मगर इसके बाद में सेठ जी को लोग भूला नही पाए थे बलकी इसी तरह से उनको याद करते रहते थे क्योकी सेठ जी ने लोगो के लिए जो कुछ किया था वह सब यादगार बन गया था और लोग इस अपने जीवन में कभी भूला तक नही पाए थे ।

तो इस तरह से सेठ जी का जीवन था और उन्होने अच्छे कामो के कारण से लोगो के मन में अपनी एक अलग ही छवी बना ली जिसे मरने के बाद में भी लोग नही भूल पाए थे  ।तो इस कहानी के अनुसार हमेशा अच्छे काम ही करने चाहिए ।

छाती पीटना मुहावरे पर निबंध || chhati pitna essay on idioms in Hindi

साथियो आपको पता होगा की छाती पीटने का मतलब मातम मनान या विलाप करना होता है । और आपको बता दे की जिस तरह से कहानी में सेठ की मृत्यु हुई थी तो लोग विलाप भी करने लगेथे और उनकी मृत्यु के कारण से मातम भी मनाने लग गए थे । और इसी समय छाती पीटने का हमने प्रयोग किया था ।

छाती पीटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

मतलब इस आधार पर आपको समझाना चाहते है की छाती पीटने का मतलब उस स्थिति से होता है जब मानव विलाप करने लग जाता है या फिर मातम मनाने लग जाता है । और आज के समय में आपको भी पता है की मातम किस स्थिति में मनाया जाता है । तो आप इस मुहावरे के बारे में समझ सकते है ।

वैसे यह एक ऐसा मुहावरा है जो की जीवन में हर किसी पर लागू होता है । क्योकी एक ऐसा समय जरूर होता है जब मानव को मातम मनाना पड़ जाता है । और विलाप करने की स्थिति बन जाती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है ।

इस तरह से दोस्तो आपको यह पता हो चुका है की इस मुहावरे का अर्थ क्या है और इसका कहा पर प्रयोग करना है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।