कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य ‌‌‌व कहानी

कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ kaleje par saap lotna muhavare ka arth – ‌‌‌ईष्या होना या जलन होना

‌‌‌दोस्तो जब कोई किसी व्यक्ति के जीवन मे ‌‌‌खुशहाली देखकर यह सोचता है की इसके जीवन मे यह ‌‌‌खुशियां क्यो है और वह चाहने लग जाता है की इसके जीवन मे दुख ही हो । पर जब वह चाहता है वैसा नही होता बल्की उसके जीवन मे ‌‌‌खुशियां होती है तो वह उससे जलने लग जाता है या फिर यह कह सकते है की वह उससे ईष्या ‌‌‌करने लग जाता है तो इस तरह से जलने वालो के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । ‌‌‌क्योकीजब वह जलता है तो वह अपने कलेजे मे जलन महसुस करता है इस कारण से इस स्थिती के लिए इस मुहावरे को कलेजे पर साँप चलना कहा जाता है ।

कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य ‌‌‌व कहानी

कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • राजेश और किशोर को एक साथ देखकर राजेश के भाई के कलेजे पर साँप लोटने लगा ।
  • अपने पडोसी की घर रोनक देखकर रमीया के कलेजे पर साँप लोटने लगा ।
  • अगर इसी तरह से तेरे कलेजे पर साँप लोटता रहेगा तो हम कभी भी एक नही होगे ।
  • अपने ही बेटे के अच्छे दिन आने पर तुम्हारे कलेजे पर साँप ‌‌‌क्यो लोट रहा है ।
  • दुनिया मे शांति को देखकर चिन के कलेजे पर शांप लोट गया और उसने कोरोना को फैला दिया ।
  • अपने दोस्त की दुकान मे इतने घ्राहक आते देखकर महेन्द्र ‌‌‌के कलेजे पर साँप लोटता है ।
  • जब ममता ने सुना की उसके काके की बेटी के लिए डॉक्टर का रिशता आया है तो उसके कलेजे पर साँप लोटने लगा ।
  • आज ‌‌‌के जमाने अगर कोई किसी को तरकी करते देख लेता है तो उसके कलेजे पर साँप लोटते देर नही लगती ।

‌‌‌कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे दयानन्द नाम का एक आदमी रहता था । उसके घर मे उसके माता पिता के अलावा एक बहन थी । वह अपने परिवार के साथ बहुत ही खुशहाली के साथ जीवन बिता रहा था । दयानन्द का एक ही दोस्त था और जिसका नाम महेश था । उन दोनो मे बहुत ही घहरी ‌‌‌मित्रता थी ।

इतनी अच्छी मित्रता होने के कारण जब भी दोनो मे से किसी को काम करना होता तो वह अपने मित्र को ही बुलाता था । दयानन्द अपने खेत मे काम करता और अपना घर चलाता था । इस तरह से करते हुए उसे काफी समय बित गया था फिर भी उसे ज्यादा फायदा नही दिख रहा था ।

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इस कारण से दयानन्द के पिता ने ‌‌‌उसे एक बार कहा की बेटा हमे साथ साथ कुछ काम और करना होगा क्योकी इस खेत से हमे इतना फायदा नही होता है । अगर हमे फायदा नही होगा तो तुम्हारी बहन का विवाह कैसे होगा । साथ ही तुम्हारा भी विवाह करना है ।

इस तरह से कहने के कारण दयानन्द को भी लगा की कुछ काम तो साथ साथ करना ‌‌‌ही होगा । इस कारण से दयानन्द ने ‌‌‌खुब सोचा और फिर उसने फैसला लिया की मै एक किराने की दुकान खोल लेता हूं ।जब उसने इस बारे मे अपने पिता से बात की तो उसके पिता ने कहा की यह बात तो सही है।

इस गाव मे एक भी दुकान नही है और यहां पर दुकान भी चलने लग जाएगी । तब उसने अपने मित्र से भी इस बारे मे बात की ‌‌‌थी । तब उसके मित्र को भी लगा की दुकान चलने लग जाएगी । इस कारण से उसने भी उस काम के लिए हां भर दी थी ।

समय के साथ साथ दयानन्द ने दुकान खोल ली थी । पर उस समय उसका अपने मित्र महेश के साथ बहुत बढा झगडा हो गया था । इस कारण से महेश दयानन्द से बाते नही करता था । दयानन्द के दुकान खोल लेने के कारण कुछ ‌‌‌महिनो तक उसकी दुकान नही चल सकी थी ।

पर धिरे धिरे समय के साथ लोग भी उसकी दुकान मे आने लगे थे । और एक समय ऐसा आया की गाव के आधे से ज्यादा लोग उसकी  दुकान मे आते थे । यह सब देखकर महेश के कलेजे पर साँप लोटने लग जाता था पर वह कर क्या सकता था ।

तब महेश ने एक आदमी को कह दिया की उसकी दुकान चल रही ‌‌‌इस कारण से तुम भी उसके सामने दुकान खोल लो । यह सुनकर उस आदमी को भी लगा की यह बात तो सही कह रहा है ।

इस कारण से उसने भी दुकान खोल ली थी । कुछ दिनो तक तो दयानन्द के घ्राहक कम हुए थे पर वापस उतने ही उसकी दुकान मे आने लगे थे । उस आदमी की दुकान मे तो कुछ गिने चुने ही जाते थे । क्योकी वह समान अच्छा ‌‌‌नही रखता था ।

इस तरह से फिर से दयानन्द की दुकान मे इतने घ्राहक देखकर उसके दोस्त के साथ साथ अन्य वे लोग जिनकी दयानन्द के साथ बनती नही थी । उन सभी के कलेजे पर साँप लोटने लग गया था । उन लोगो मे से दयानन्द के पडोसी भी थे । क्योकी पडोसी अपने पडोसी को उपर उठते नही देख सकते है ।

‌‌‌अच्छी दुकान चलने के कारण दयानन्द के पिता ने अपने ‌‌‌बेटी का विवाह तय कर दिया था ‌‌‌और ‌‌‌साथ ही दयानन्द का विवाह भी होने लगा था । जब उन्होन अपने बेटे और बेटी का विवाह धुम धाम से किया तो लोग आपस मे बात करने लगे की इसने तो दुकान से न जाने कितने रुपय काम लिए है तभी तो यह इतनी ‌‌‌धुम धाम से विवाह कर रहे है ।

इस तरह की बाते सुनकर उसे न चाहने वाले लोगो के कलेजे पर साँप लोट गया । इस तरह से दयानन्द और उसकी बहन का विवाह हो गया था और दयानन्द की दुकान उससे भी अच्छी चलती रही थी । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस कहानी का अर्थ क्या है ।

‌‌‌कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे पर कहानी Idiom story

कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

‌‌‌साथियो इस संसार मे कितने लोग रहते है इन लोगो मे से ऐसे अनेक लोग है जो किसी की तरकी को नही देख सकते है । अगर किसी के घर खुशहाली भी होती है तो वे जलने लग जाते है । और वे सोचते है की इसके घर मे खुशहाली क्यो है । इसी तरह से जब कोई तरकी करता है तो वे उसकी तरकी को देखकर जलने लग जाते है ।

इस तरह से ‌‌‌जलने को ही कलेजे पर साँप ‌‌‌लोटना कहा जाता है । उन लोगो को यह बात पता नही होती की अगर वे किसी को देखकर जलने लग जाते है तो ‌‌‌इससे उन लोगो का कोई भी नुकसान नही होगा बल्की उनके घर से ही खुशहाली चली जाती है ।

यानि जब वे किसी से जलते है तो वे दुखी हो जाते है इस तरह से दुखी होने के कारण उनके घर मे दुख ‌‌‌छा जाता है । अगर वे लोग बार बार किसी को देखकर जलते है तो उनके घर मे दुख छाया ही रहता है और पूरे जीवन मे वे लोग दुखी ही रहते है ।

इस तरह के लोगो की इस संसार मे कोई भी ‌‌‌कमी नही है । यहां तक की हमारे पडोसी भी हमारी तरकी को देखकर अपने कलेजे पर साँप लोटाने लग जाते है । इस तरह से आप यह समझ गए होगे की इस मुहावरे ‌‌‌का सही अर्थ क्या है ।

कलेजे पर साँप लोटना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of kaleje par saap lotnain Hindi

दोस्तो कलेजा पर अनेक तरह के मुहावरे है और प्रत्येक मुहावरे मे यह बताया गया है की कलेजा वैसे लीवर को ही कहा जाता है जो की पेट में होता है ।

अगर ऐसे में पेट पर सांप लोटने लगा तो आप समझ ले की मानव को काफी डर का सामना करना होगा और उसे ऐसा लगेगा जैसे मानो की उसके पेट में जलन हो रही हो ।

मगर बहुत से लोग ऐसे है जो की एक दूसरे के साथ अपने जैसा रहते है मगर असल में एक दूसरे से ईष्या करते है या जलन करते है । और इस तरह से जब किसी कारण से किसी व्यक्ति को ईष्या या जलन होती है तो इसे ही कलेजे जपर सांप लोटना कहाजाता है । और आप इस बात से समझ सकते है की kaleje par saap lotna muhavare ka arth – ‌‌‌ईष्या होना या जलन होना होता है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

अक्ल पर पत्थर पड़ना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मेप्रयोग

हृदय भर आना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌ अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

पानी में आग लगाना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अंत भला तो सब भला मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अक्ल का दुश्मन मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अन्धों में काना राजा मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

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खरी खोटी सुनाना मुहावरे का अर्थ khari khoti sunana muhavare

खून का प्यासा मुहावरे का अर्थ ,वाक्य मे प्रयोग और निंबंध

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।