एड़ीचोटीकाजोरलगानामुहावरेकाअर्थ edee chotee ka jor lagana muhavare ka arth – अत्यधिकपरिश्रमकरना।
दोस्तो जब कोई व्यक्ति अपने शरीर के पूरे बल का प्रयोग कर कर लगाकर किसी कार्य को करता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है क्योकी जब अपने शरीर का पूराबल लगाया जाता है तो ऐडी से लेकर हमारी चोटी तक पसीना निकल जाता है कहने का अर्थ है की हमारी ऐडी से लेकर हमारी चोटी तक सभी अंग पूरी तरह से कार्य करते है । अगर इस तरह से कोई मेहन्त करता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।
एड़ीचोटीकाजोरलगानामुहावरेकावाक्यमेप्रयोग Use in sentence
जब उसने एडी चोटी का जोर लगाया तब जाकर वह IAS मे प्रथम आया था ।
मैने इस पेपर को पास करने के लिए एडी चोटी का जोर लगा दिया तब जाकर मै पास हुआ हूं ।
इसी तरह से बेठे बेठे यह काम नही होगा इसे करने के लिए एडी चोटी का जोर लगाना पडेगा ।
उसने उस मुकाम के लिए एडी चोटी का जोर लगा दिया था तुम उसकी बारबरी नही कर सकते हो ।
class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">एडीचोटीकाजोरलगानामुहावरेपरकहानी Idiom story
कुछ समय पहले की बात है किसी नगर मे रवीन्द्र नाम का एक लडका रहता था । रवीन्द्र बहुत ही होसियार लडका था । रवीन्द्र के घर मे उसके पिता के अलावा और कोई भी नही था । रवीन्द्र के पिता का शहर मे एक साईकल ठिक करने की दुकान थी । वहां काम कर कर ही रवीन्द्र को उन्होने इतना बडा किया और उसे पढाया था ।
जब रवीन्द्र स्कुल मे जाता था तो जो उसके गाव के लोग थे उनमे से ही अनेक लोग उसे चिडाया करते थे की तुम्हारा पिता साईकल ठिक करता है । उसे कभी भी अपने पिता का काम बुरा नही लगा । बल्की जब वह बडा हो गया तो वह भी अपने पिता के पास काम करने लगा था ।
उसका पिता उसे हमेशा मना करता था पर वह नही मानता था । उसे पता था की मेरे पिता की उम्र ज्यादा होती जा रही है और उनसे अब काम नही होगा । यही कारण था की वह अपने पिता का साथ देता था । उसे वह काम करते देखकर अनेक लोग उसे कहते की तुम इतने पढे लिखे हो फिर भी इस घटीया काम को करते हो साथ ही उसके मित्र व गाव के लोग भी कहते की जब यही काम करना था तो तुम इतने पढे ही क्यो थे ।
रवीन्द्र को अब भी उन लोगो से कोई लेना देना नही था । वह अपने काम से काम रखने वाला था । तब उसे समझ मे आ गया की मेरा इस दुनिया मेरे पिता के अलावा और कोई भी नही है । तब उसने सोचा की मुझे कुछ ऐेसा करना होगा की ये सब लोग मेरे पिता और मुझे समान देने लग जाए ।
ऐसा सोचकर वह दिन मे अपने पिता के पास काम करता था और रात्री को पढाई करता था । रवीन्द्र के गाव के लोगो को नही पता था की वह पढता भी है । साथ ही रवीन्द्र के गाव मे कोई भी नोकरी नही लगा था । इस कारण से जो भी उस गाव मे नोकरी लग जाता है उसे बहुत समान मिलता है ।
तब रवीन्द्र ने सोच लिया था की मुझे पुलिस ही बनना होगा और वह भी ऐसा वैसा पुलिस वाला नही बल्की कमिश्नर बनुगा ऐसा सोचकर वह जम कर तैयारी करने लगा । वह अनेक बार नामकाम हो गया था पर उसेने हार नही मानी । अब उसकी उर्म भी 30 वर्ष के नजदीक पहुंच गई थी ।
उसने अपने मुकाम को माने के लिए एडी चोटी का जोर लगा दिया तब नोकरी मिल गई । जब उसके पिता को पता चला की मेरा बेटा कमिश्नर बन गया है तो उसे विश्वास नही हुआ और जब उसने अपने बेटे को वर्दी मे देखा तब जाकर उसे विश्वास हुआ था ।
इसी तरह से वह अपने गाव मे गया तो गाव के लोग उसे देखने लगे थे। कुछ लोगो को तो लगा की यह नोकरी नही लगा है बल्की ड्रामा कर रहा है । इसी तरह से जब लोगो को विश्वास हो गया तो वे लोग भी उसके बारे मे जानने लगे ।
तब उन्हे पता चला की वह दिन मे काम करता था और रात्री को पढता था । इस तरह से उसने अपनी पढाई के लिए एडी चोटी का जोर लगा दिया था । उसके बारे मे पूरे गाव के लोगो को पता चल गया था की वह कैसे पढता था ।
तब गाव के का हर कोई लडका कहने लगा की मै भी रवीन्द्र की तरह बनुगा । तब लोग उससे कहते की बेटा उसके जैसा बनने के लिए एडी चोटी का जारे लगाना पडता है ।
उस समय रवीन्द्र के गाव के लडको को लगता था की हम भी नोकरी लग जाएगे पर जब वे नही लगे तो उन्हे पता चला की उसने इस नोकरी को पाने के लिए एडी चोटी का जोर लगा दिया था । इस तरह से आप इस कहानी का अर्थ समझ गए होगे ।
एडीचोटीकाजोरलगानामुहावरेपरनिबंध Essay on idiom
साथियो आज के समय मे किसी को कोई काम करना होता है तो वह उस काम को करने के लिए बहुत मेहन्त करता है । उनमे से अनेक काम तो ऐसे होते है की जिनको करते करते लोग थक जाते है और अपनी हार मान कर बैठ जाते है । उन कामो को करने के लिए अपने शरीर की पूरी ताकत लगानी पडती है ।
कहने का अर्थ है की ऐसे कार्यो को करने के लिए एडीसे लेकर चोटी तक जोर लगाना पडता है तब जाकर वह काम पूरा होता है । जब एक बार वह काम पूरा हो जाता है तो हर कोई उनके लिए कहने लग जाता है की इसने इस काम के लिए बहुत मेहन्त की है ।
इसी तरह से मेहन्त करने को ही एडी चोटी का जोर लगाना कहते है । क्योकी उसने उस कार्य को करने के बहुत कठिन परिश्रम किया था जो हर किसी से नही होता है । जिस तरह से पुराने जमाने मे एक पहाड को फोडने के लिए एडी से लेकर चोटी तक जोर लगाना पता है अर्थात अपने शरीर का पूरा बल लगाना पडा है ।
इसी तरह के कार्यो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इस मुहावरे से सिधा सा समझ मे आ रहा है की अगर कोई एडी से लेकर चोटी तक जोर लगाता है तो वह अपने शरीर की पूरी ताकत लगा लेता है क्योकी एडी से लेकर चोटी के बिच मे हमारे शरीर के सारे अंग आ जाते है ।
यानि हमारे शरीर के सारे अंग काम मे जुड जाते है और सब अपना अपना कार्य करते है । इस तरह से बहुत कठिन परिश्रम करते है । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।
एड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of edi choti ka jor lagana in Hindi
दोस्तो कहते है की आज के जीवन में अगर किसी को सफल होना होता है तो उसे अपने जीवन में इस तरह से काम करना होगा की लोग भी कहे की यह अत्यधिक परिश्रम कर रहा है । और आपको बात दे की इस तरह से जो करता है वही असल में जीवन में सफल हो पाता है ।
दोस्तो वैसे इस तरह से जब भी किसी की बात आती है तो एक किसान का नाम पहले ही आता है क्योकी वह लगातार तेज धुप में इसी तरह से अत्यधिक परिश्रम करता है और उसकी यह मेहनत जो होती है वह सफलता लेकर आती है
और उसे एक समय के बाद में अन्न की प्राप्ति होती है जिसे हम खा कर अपना पेट भर लेते है । तो एक किसाने के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है । दोस्तो आपको बात दे की अगर कोई इस तरह से बहुत ही अधिक परिश्रम करता है तो उसके लिए भी इसी तरह कहा जाएगा और इस बारे में आपको उपर काफी अधिक समझा दिया है ।
मेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।