अंगूठे पर मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

अंगूठे पर मारना मुहावरे का अर्थ anguthe par marna muhavare ka arth – परवाह न करना ।

दोस्तो अंगूठा जो होता है वह मानव के जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है । क्योकी बहुत से ऐसे काम होते है जो की बिना अंगुठे की मदद से नही किया जा सकता है ।

 जैसे की आप अपने हाथ से किसी पानी की बोतल या गिलास को पकड़ते हो तो इसे आप बिना अंगुठे के नही पकड़ सकते हो । और इस बात का मतलब है की अंगूठा मानव के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला है ।

मगर इसी अंगूठे को मार कर चोट पहुंचाई जाती है तो इसका मतलब है की मानव इस अंगूठे की किसी तरह से परवाह नही करता है । यानि अंगुठे की किसी तरह की अहमियत नही है । तो इस तरह से अंगूठे पर मारना मुहावरे का अर्थ होता है परवाह न करना ।

अंगूठे पर मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

अंगूठे पर मारना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || anguthe par marna  use of idioms in sentences in Hindi

1.        सेठ जी अमीर है इसी कारण से वे हम जैसे गरीबो को देख कर अंगूठे पर मारते रहते है ।

2.        तुम जैसे लोगो को तो मैं अंगूठे पर मारता हूं ।

3.        कंचन को नोकरी की क्या जरूरत वह तो धनवान सेठ की बेटी है वह तो छोटी मोटी नोकरी को अंगूठे पर मारती है ।

4.        अरे श्याम भाई आज के समय में कोन है जो की सरकारी नोकरी को अंगूठे पर मारना चाहेगा ।

5.        मेरे लिए जीवन में सफलता जरूरी है चाहे वह कैसे भी हो, तभी मैं किसी काम को अंगूठे पर मारता नही हूं ।

6.        वर्मा धनपाल के पास अच्छी नोकरी किया करते थे, मगर एक दिन उन्होने इस नोकरी को अंगूठे पर मार दिया और अपनी खेती करने लगा ।

7.        कुछ लोग ऐसे है जो सरकारी नोकरी को अंगूठे पर मार कर छोड़ दी है और खेती करने लगे है, चाहे फिर उन्हे लोग मुर्ख कहे या फिर कुछ और ।

8.        सुनिता को इधर तेज बुखार है और उसकी मां इस बात को अंगूठे पर मार कर मिठाईया खा रही है।

अंगूठे पर मारना मुहावरे पर कहानी ||  anguthe par marna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक छोटा सा गाव हुआ करता था और उसा गाव में रहने वाले लोग नेक दिल के थे मगर सभी के पास अच्छी खासी जमीन थी जिस पर वे खेती किया करते थे ।

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मगर पता नही लोगो को क्या सुझने लगा था की वे नोकरी करने के बारे में सोचेन लगे थे । और इसी कारण से कुछ गाव के महान लोग खेती का काम छोड़ कर शहर में दस हजार रूपयो की नोकरी करने का काम करने लगे थे ।

और कुछ तो ऐसे भी मुर्ख थे जो की नोकरी अपने जीवन में तो अच्छी खासी कर रहे थे मगर पता नही क्या हुआ जो उस नोकरी को छोड़ दिया और अपने खेत में आकर खेती करने लग गए थे । और उनका कहना है की चाहे लोग उन्हे मुर्ख कहे या समझदार मगर उन्हे यही काम करना है ।

दरसल उस गाव में श्याम नाम का एक आदमी रहा करता था जो की काफी अधिक ज्ञानी था । और अपने इसी ज्ञान के काण से उसने पहले तो इंजिनियर बनने के लिए कोशिश की और फिर जब इंजिनियर बन गया तो नोकरी लगने की कोशिश करने लगा ।

आपको बता दे की श्याम का भाग्य इतना अच्छा था की वह पहली बार में ही जॉब लग गया और यह सभी को हैरान कर दियाथा । क्योकी उस गाव में पहली बार नोरी लगने वाला केवल वही व्यक्ति था  ।ओर इसी  कारण से गाव के बहुत से लोगो ने श्याम की प्रसन्नसा करनी शुरू कर दी ।

अब श्याम जो था वह अपने जीवन में नोकरी करता जा रहा था और इससे उसे महिने के 30 से 50 हजार रूपय आसानीसे मिल जाते थे जिसके कारण से उसका जीवन काफी मोज मस्ती के साथ बित रहा था ।

मगर पता नही श्याम को क्या सुझने लगा था जो की नोकरी को अचानक से छोड़ दिया और अपने गाव मे आकर खेती करने लग गया । और यह सब देख कर गाव के लोग उसे मुर्ख समझने लगे और कहने लगे की देखो आज के समय में लोगो को सरकारी नोकरी मिल नही रही है और एक श्याम है जो सरकारी नोकरी को अंगूठे पर मार कर गाव मे आकर खेती कर रहा है और यह सब कह कर गाव के लोग खुब श्याम पर हंसने लगे थे ।

 मगर श्याम सभी से एक ही बात कहता था की चाहे लोग मुझे मुर्ख कहे या समझदार मगर इस दुनिया में खेती करना भी किसी के लिए जरूरी है ।

 क्योकी आज के समय में सभी इस गाव से खेती का काम छोड़ रहे है और नोकरी करने के लिए शहर में जा रहे है जिसके कारण से क्या हो रहा है की अन्न जो होता है वह कम पैदा हो पाता है और धन अधिक होता जा रहा है और इसी कारण से अन्न का भाव बढता जा रहा है और अगर ऐसा होता रहा तो वह दिन दूर नही होगा जब यही अन्न दूगने तीगुने भाव के साथ बिकने लग जाएगा ।

और इस तरह की बाते जो थी वह कुछ लोगो को तो पसंद आती थी और कुछ लोगो को पसंद नही आती थी । मगर श्याम को इस बात से कुछ लेना देना तक न था ।

मगर आपको बता दे की एक ही वर्ष के अंदर श्याम ने खेती कर कर इतना धन कमा लिया की जो लोग शहर में जाकर काम कर रहे थे उन्हे समझ में आ गया की जीवन में इन छोटे मोटे कार्यों से अच्छा धन तो खेती के अंदर है ।

अंगूठे पर मारना मुहावरे का अर्थ

और यह सब देख कर सभी ने अपनी नोकरी को अंगूठे पर मार दिया और अपने गाव में आकर श्याम की तरह काम करने लग गए । और आज श्याम के पास एक शानदार हवेली है और बहत से लोग है जो की महलो में रहते है और केवलखेती के कारण से ही यह संभव हो पाया है ।

तो दोस्तो श्याम की इस कहानी से यह समझना जरूरी है की जहां पर नोकरी करना जरूरी है वही पर खेती भी करना जरूरी है । अगर खेती नही की गई तो आने वाले समय में 15 हजार रूपयो की अनाज की एक बोरी मिलने लग जाएगी । और यह आप समझ सकते है।

वैसे कहानी से आपको अर्थ के बारे में समझाने का प्रयास किया है अगर अर्थ समझ में आया तो अच्छा है वरना कमेंट में जो पूछना है वह पूछ सकते है।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।