थाली का बैंगन होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

थाली का बैंगन होना मुहावरे का अर्थ thali ka baingan hona muhavare ka arthसिद्धांत हीन होना या पक्ष बदलने वाला

दोस्तो अरग कोई ऐसा व्यक्ति हो जो हर पल कभी इधर तो कभी उधर यानि हर समय मे अपना पक्ष बदलने वाला हो आर्थात् ऐसा व्यक्ति जिसका कोई सिद्धांत न हो और हर समय ‌‌‌अलग अलग व्यक्तियो का पक्ष लेता हो । ऐसे व्यक्तियो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । क्योकी अगर आप थाली मे एक बैंगन को डालकर देखोगे तो आपको दिखेगा की जब जब थाली उच्ची निच्ची होगी बैंगन भी अपनी स्थिती बदलता रहता है । इसी कारण से जो लोग अपना पक्ष बदते ‌‌‌रहते है उन्हे थाली का बैंगन कहा ‌‌‌जाता है । 

थाली का बैंगन होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

थाली का बेंगन होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • तुमहारा कैसे विश्वास करु तुम तो थाली के बैंगन हो कभी सही कहते हो तभी गलत कहता है ।
  • अगर तुम इसी तरह से हर बात पर अपना पक्ष बदलते रहोगे तो लोग तुम्हे थाली का बैंगन समझगे ।
  • थाली का बेंगन हर वक्त अपनी बात को पलट देता है ऐसा तुम मत कर देना।
  • ‌‌‌रामनिवास तो थाली का बैंगन है उसकी बातो पर विश्वास मत करना ।
  • राजनितीक मे जाने के बाद ज्यादातर लोग थाली के बैंगन हो जाते है ।
  • तुम्हारा पता ही नही तुम किसके साथ हो लगता है की तुम थाली के बैंगन हो ।

थाली का बेंगन होना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

‌‌‌एकस समय की बात है किसी नगर मे शिवकुमार नाम का एक लडकार रहाता था । उसके घर मे उसके पिता व उसकी माता ‌‌‌भी रहते थे । शिवकुमार अपने माता पिता की खुब सेवा करता था और उसके माता पिता की उम्र भी इतनी ज्यादा नही हुई थी । इस कारण शिवकुमार का पिता भी कुछ काम कर कर पैसे कमा लेता था ।

जिससे शिवकुमार ‌‌‌को इतना ज्यादा जोर नही आता था । अगर वह कभी काम नही भी करता तो उसका घर चल जाता था । उसके पास इतने तो पैसे नही थे पर एक माह तक का समान अपने घर मे रखता था जिससे एक माह काम किए बिना ही अपना पेट भर सकते थे । शिवकुमार के पिता गावो के अच्छे लोगो मे से एक थे । इसी तरह से वे अपना जिवन गुजार रहे ‌‌‌थे ।

एक बार की बात है विश्कुमार के गाव के कुछ लोग उसके पास आए और कहा की हम अगली बार चुनाव मे खडे हो रहे है तो आप क्या हमारा सहयोग करोगे । ऐसा कहने से शिवकुमार ने उन लोगो से कहा की मेरा और मेरे परिवार का वोट आपको ही जाएगा आप बेझिझक रहे । ऐसा कहने पर वह आदमी खुश हो गया था ।

‌‌‌समय के साथ चुनाव नजदीक आ ‌‌‌गए थे । ‌‌‌उस चुनाव मे वह आदमी खडा हुआ था जो शिवकुमार के घर मे आया था । ‌‌‌इसी तरह से उसी गाव का एक आदमी और चुनाव मे खडा हो गया था । जिसके कारण शिवकुमार के पास वह भी आया और उसने कहा की आपके परिवार का वोट मुझे देना । तब शिवकुमार ने उनसे भी कह दिया की आपको ही वोट देगे । इसी तरह से शिवकुमार दोनो आदमियों से कह दिया की मै आपको ही वोट दुगा ।

इस बारे ‌‌‌मे जो लोग खेडे हो रहे थे उन्हे पता चल गया था । तब वे सोचने लगे की शिवकुमार तो थाली का बैंगन लगता है पता नही किसके साथ है । इस तरह से शिवकुमार अकेला नही था गाव मे और लोग भी ऐसे थे । धिरे धिरे समय बितता गया और चुनाव नजदीक आ गए तो दोनो आदमियो ने गाव के लोगो से विनती की तो उन्होने दोने से कह ‌‌‌दिया की हम आपको ही वोट देगे ।

इसी तरह से चुनाव शुरु हो गए तो शिवकुमार को लगा की यह नही जितेगा वह जितेगा तो वह उसका प्रचार करने लगा । तभी शिवकुमार को किसी ने कहा की लोग ज्यादातर वोट इसे नही दे रहे है वे लोग उसे दे रहे है । ऐसा सुनकर वह उसका प्रचार करने लगा । इसी तरह से वह बार बार अपना ‌‌‌पक्ष बदलने लगा था ।

 इस कारण उन दोनो आदमियो को लगा की यह तो पागल हो गया है कभी उसका तो कभी मेरा प्रचार करता है । फिर अंत मे उसने एक ही आदमी का प्रचार किया और उसे ही वोट देकर आया था । जिससे वह जित गया था । सरपंच मे जित जाने के कारण शिवकुमार उसके साथ साथ रहने लगा था और उसे किसी तरह से ‌‌‌समझाया की मै तो उसके वोट तोडने के लिए पक्ष बदल रहा था ।

उस सरपंच को शिवकुमार की बात सही लगी इस कारण वह अपने साथ उसे रखने लगा था । इसी तरह से जो आदमी हारा था जब उसने शिवकुमार से कहा की तुमने मेरा साथ नही दिया तुम तो थाली के बैंगन हो हर बार अपने पक्ष को बदल लेते हो । इसी तरह से एक दिन गाव मे कुछ ‌‌‌लडाई हो गई तो वे लडने वाले लोग सरपंच के पास मसला हल कराने के लिए गए ।

लडाई मे दो पक्ष होते है और जब सरपंच ने उन दोनो की बात सुननी शुरु की तो शिवकुमार को लगा की पहले वाला सही कह रहा है ।इस कारण उसने पहले वाले का पक्ष लिया और जब उसे लगा की दुसरे वाला सही कह रहा है तो वह दुसरे का पक्ष लेने लगा । ‌‌‌इसी तरह से वह अपना पक्ष बदलता रहा ।

थाली का बेंगन होना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

जिससे गाव के लोगो ने उससे कहा की शिवकुमार तुम तो थाली के बैंगन हो जो हर बात सुनकर अपना पक्ष बदल लेते हो । उस दिन के बाद सरपंच व गाव के लोगो को भी पता चल गया था की शिवकुमार थाली का बैंगन है । इस तरह से आप इस कहानी का अर्थ समझ गए होगे ।

थाली का बैंगन होना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

‌‌‌साथियो आज के समय मे अगर ‌‌‌कोई व्यक्ति अपने द्वारा कही गई बात से मुकर कर दुसरी बात का पक्ष लेता है और समय आने पर वह दुसरी बात से भी मुकर कर अपनी बात सही ठहराता है । इस तरह से हर बार अपना पक्ष बदलने वाले लोगो के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

इस तरह के लोग जो हर बार अपना पक्ष बदल लेते है ‌‌‌आपको आसानी से देखने को मिल जाएगे । क्योकी ऐसे लोगो की सख्या बहुत होती है । समय के साथ साथ ज्यादातर लोग समझने लग गए है की हमे एक पक्ष का ही सहयोग करना चाहिए । इस कारण ऐसे लोगो की सख्या धिरे धिरे कम होने लगी है ।

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ऐसे लोग बिल्कुल एक थाली मे रखे बैंगन की तरह होते है जो हर बार इधर उधर हो जाते ‌‌‌है । थाली का बैंगन मुहावरे का अर्थ आसानी से समझने के लिए इस मुहावरे पर ही गोर करे तो पता चलता है की ऐसे लोग जो थाली मे रखे बैंगन की तरह कभी इधर कभी उधर होते रहेते है यानि अपना पक्ष बदलते रहते है ।

इस तरह के लोगो के लिए ही इस मुहावरे का पूरी तरह प्रयोग किया जाता है । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ ‌‌‌समझ गए होगे ।

थाली का बैंगन होना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of thali ka baingan in Hindi

दोस्तो वैसे तो हमने इस मुहावरे के बारे में आपको काफी अधिक समझा दिया है । मगर फिर भी नही समझे तो आपको बात दे की इस मुहावरे का प्रयोग उन लोगो के लिए होता है जो की सिद्धान्तहिन होते है । यानि वे हमेशा अपना पक्ष बदलते रहते है ।

और अब आपको पता भी होगा की हम किन लोगो की बात कर रहे है । क्योकी इस तरह के जो लोग होते है वे असल में इस दुनिया में बहुत ही अधिक होते है तो अगर कोई इस तरह का होता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

दोस्तो वैसे तो इस तरह के जो भी लोग होते है उनकी कोई पूछ नही होती है यानि उन्हे कोई पूछता तक नही है क्योकी असल में वे अपने जीवन में बार बार अपना पक्ष बदलते रहते है और जो पक्ष बदलते है वे सच में जीवन में किसी काम के नही होते है। तो अरग आपके आस पास इस तरह का कोई है तो उससे दूर रहने का प्रयास करे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।