अंग अंग फूले न समाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अंग अंग फूले न समाना मुहावरे का अर्थ ang ang fule na samana muhavare ka arth  – बहुत अधिक खुश होना ।

दोस्तो मानव के प्रत्येक अंग मानव के सुख दूख में साथी बने रहते है । जब किसी तरह का दुख मानव के जीवन में होता है तो इस दुख में यही अंग मानव का साथ देते है ठिक वैसे ही खुशी में भी मानव के अंग साथ देते रहते है । मगर जब मानव खुश होता है तो उसके शरीर का एक भाग नही बल्की प्रत्येक भाग जो होता है वह खुश होता है और शरीर के प्रत्येक भाग को अंग कहते है ।

और वही पर फूला न समाना उस खुशी को दर्शाता है जो की मानव के जीवन में आ रही है । यानि जब मानव खुश होता है तो इसे फूला न समाना कहते है । मगर यहां पर अंग अंग का भी प्रयोग किया गया है जो की बताता है की पूरे शरीर के अंग खुश हो चुके है तो इसका मतलब है की मानव बहुत अधिक खुश हो गया है । तो इस तरह से अंग अंग फूला न समाना मुहावरे का सही अर्थ बहुत अधिक खुश होना होता है  ।

अंग अंग फूले न समाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अंग अंग फूला न समाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || ang ang fule na samana  use of idioms in sentences in Hindi

1.        फूटबॉल के खेल में जीत हासिल करने के कारण से राहुल की टीम अंग अंग फूला न समा पाई ।

2.        जब कंचन ने सुना की उसकी नोकरी लग गई है तो वह अंग अंग फूला न समा पाई ।

3.        शर्मा जी ने जब सुना की उनके बेटे की नोकरी इंडियन आर्मी में लगी है तो वे अंग अंग फूला न समा पाए ।

4.        इंडियन आर्मी ने दुश्मन देश को बुरी तरह से हरा दिया खबर सुनते ही देशवासी अंग अंग फूला न समा पाए ।

5.        आईएएस में प्रथम नम्बर आने पर अविनाश अंग अंग फूला न समा पाया ।

6.        घर में लक्ष्मी का जन्म होने के कारण से घर के सदस्य अंग अंग फूला न समा पा रहे है ।

7.        अरे कल राहुल की जॉब लगी थी तभी उसके पीता आज अंग अंग फूला न समा पा रहे है ।

8.        भगवान राम वनवास से अयोध्या आ रहे है खबर सुनते ही अयोध्या के लोग अंग अंग फूल न समा पाए ।

9.        रजनी का विवाह होने में करीब दो दिन ही बचे है और तभी यह अंग अंग फूल ने समा पा रही है ।

अंग अंग फूला न मसाना मुहावरे पर कहानी || ang ang fule na samana story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटा सा गाव हुआ करता था जहां पर कटपुतली नाम की एक महिला रहा करती थी और उसके पति का नाम फुलाराम था और वे काफी गरीब थे । मगर उनके घर में एक बेटे का जन्म हुआ था जिसने उन्हे अमीर बना कर रख दिया था ।

फुलाराम और कटपुतली के उस बेटे का नाम रणजीत कुमार था और सभी उसे रणजीत ही कहते थे । रणजीत जो था वह काफी मेहनती और इमानदार था जो की अपनी मेहनत के साथ साथ काम मे इमानदार रहता था जिसके कारण से जहां पर वह काम करता था उसे अच्छी तनख्वाह दी जाती थी और यही कारण था की वह जल्द से जल्द अमीर बन गया ।

अमीर बन जाने के कारण से रणजीत जो था वह अब ठाठ बाठ के साथ रहने लगा था । मतलब मोज मस्ती से आराम के साथ रहने लगा था । इधर फुलाराम और कटपुतली भी बहुत खुशी थी क्योकी उनका बेटा जो था वह वह अच्छा धन कमा रहा था और यह किसी खुशी से कम नही था ।

मगर यह सब तो सही था लेकीन बेटे की विवाह की उम्र हो रही थी इस कारण से फुलाराम और कटपुतली दोनो पति पत्नी मिल कर अपने बेटे का विवाह तय कर दिया और जब इस बारे में रणजीत को पता चला की उसका विवाह तय हो गया है

तो वह बहुत ही खुश हुआ और अपने विवाह के कारण से रणजीत इतना खुश हो गया की उसके माता पिता ने कहा की यह देखो विवाह की खबर सुन कर अंग अंग फूला न समा रहा है।

इधर जिस कन्या के साथ उसका विवाह होन वाला था वह भी बहुत अच्छी थी इस कारण से वह भी अपने होने वाली पति से मिलने के लिए इंतजार करने लगी थी । मगर उस समय आज की तरह नही था की लड़का और लड़की पहले ही मिल ले पहले विवाह होता था और फिर ही दोनो मिल पाते थे ।

तो अब दोनो एक दूसरे को देखने के लिए समय का इंतजार करने लगे थे । करीब दो दिन विवाह होने को थे तो रणजीत जो था वह अंग अंग फूला न समा पा रहा था और यह सब देख कर लोगो ने कहा की बेटा विवाह होने को है तो खुश नजर आ रहे हो और लोगो के ऐसा कहने पर रणजीत किसी से कुछ नही कहता था

बल्की शर्मा कर अंदर चला जाता था तो इस तरह से समय बितता गया और अंत में रणजीत का विवाह हो गया और विवाह हो जाने के कारण से रणजीत काफी प्रसन्न था और फिर दोनो का जीवन बितने लग गया ।

समय के साथ साथ रणजीत और उसकी पत्नी का संबंध अच्छा बन गया और दोनो एक दूसरे से प्रेम भरे पलो के साथ जीवन बिताने लग गए थे । विवाह के करीब 1.5 वर्ष के बाद में अचानक से फुलाराम और उसकी पत्नी कटपुतली को पता चला की वह दादा दादी बनने वाले है

अंग अंग फूले न समाना मुहावरे का अर्थ

और यह खबर सुन कर दोनो अंग अंग फूला न समा पाए और होने वाले बच्चे के इंजार में सयम बिताने लगे । करीब छ महिने के बाद में उनके घर में एक नन्ही परी का जन्म हुआ जिसका नाम उन्होने लक्ष्मी रखा और बटी के जन्म होने के कारण से पूरे गाव भर में मिठाईया खिलाई

और यह सब देख कर लोगो ने भी कहा की देखो बेटी के जन्म होने के कारण से यह अंग अंग फूला न समा पा रहे है । मगर लोग भी इससे खुश थे और रही बात रणजीत और उसकी पत्नी की तो वे भी इससे खुश थे और इसके बाद में दोनो का जीवन इसी तरह से आगे बढता रहा और बेटी बढी होती गई और वह अपने जीवन में अध्ययन करने लगी थी । तो इस तरह से रणजीत का जीवन था ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी से आप समझ सकते है की अंग अंग फूला न समाना मुहावरे का सही अर्थ बहुत अधिक खुश होना होता है । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।