पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ pau barah hona muhavare ka arthचारो ओर से लाभ प्राप्त होना

दोस्तो अगर किसी को चारो ओर से लाभ प्राप्त हाने लग जाए या फिर यह कह सकते है की बहुत लाभ प्राप्त होने लग जाए तो ऐसे लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । जिस तरह से किसी ‌‌‌गरीब के पास अचानक चारो और से लाभ आने लग जाता है तो उसके लिए कहा जाता है की आजकल तो इसके पौ बाहर हो रहे है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ लाभ प्राप्त होना होता है ।

पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पौ बारह होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌‌‌‌अगर तुम उसके साथ काम करोगे तो तुम्हारे पौ बाहर हो जाएगे ।
  • रामदास जी तो न जाने आजकल क्या करते है ‌‌‌उनके पौ बाहर हो रहे है ।
  • जबसे तुमने यह काम किया है तब से तुम्हारे पौ बाहर हो रहे है ।
  • कोरोना काल मे गाव के ‌‌‌दुकानदारो के पौ बाहर हो गए ।
  • इस वर्ष खेतो मे फसल है नही और इस बिच ग्वार का भाव उच्चा चढ गया है जिससे अनेक किसानो के पौ बाहर हो गए ।

पौ बाहर होना मुहावरे पर
कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक आदमी रहता था जिसका नाम प्रेमचंद था । वह इतना निर्धन था की समय पर भोजन भी नही कर सकता था । प्रेमचंद के घर मे उसकी पत्नी के अलावा और कोई भी नही था । वह अपने खेतो मे ‌‌सब्जियां उगाता था और शहर मे जाकर बेचता था । उसका यही काम था फिर भी उसके पास खाने को ज्यादा नही होता था ।

वह गरीब होने के कारण उसके पास साधन नही था की वह अपने काम को सरल बना सके । इस कारण वह अपने खेतो मे ज्यादा कुछ नही उगा सकता था । धिरे धिरे समय बितता गया और प्रेमचंद के ‌‌‌घर मे एक नन्हा मुना बालक ‌‌‌का जन्म हुआ ।

उसके जन्म लेने से दोनो पति पत्नी बहुत ही खुश थे और वह लक्ष्मी लेकर आया था यानि जब उसका जन्म हुआ तो सब्जियो के भाव बढने लगे थे । जिससे प्रेमचंद को लगा की मेरे बेटे के आने से मेरा फायदा होगा । यह सोचकर उसने अपने खेत मे और सब्जियो की फसल ‌‌‌उगा दी ‌‌‌थी ।

सब्जियो की फसल को पकने मे लगभग दो माह लगा और जब दो माह हुआ तो सब्जियो का भाव तो और भी ज्यादा चढ चुका था । यह देखकर प्रेमचंद बहुत ही खुश था और फिर उसने सोचा की वह रात्री को सब्जिया तोडेगा और शुबह जल्दी ही उन्हे बेचने के लिए शहर चला जाएगा ।

उसने ऐसा सोचकर ऐसा ही करना ‌‌‌शुरु कर दिया था ‌‌‌। जिसके कारण उसका पहले की तुलना मे और अधिक लाभ होने लगा । इतना लाभ होते देखकर प्रेमचंद की पत्नी ने उससे कहा की लगता है की आजकल तो हमारे पौ बाहर होने लगे है ।

तभी प्रेमचंद ने कहा की लगता तो है ‌‌‌की तुम सही कह रही हो । तब प्रेमचद ने सोचा की क्यो न मे एक वाहन लेकर आ ‌‌‌जाउ ताकी उसमे जल्दी शहर चला जाउ और वहा पर ‌‌‌जाकर सब्जिया और अधिक बेच सकु । ऐसा सोचकर उसने अपनी पत्नी से उसकी राय ली उसकी पत्नी समझदार थी तो उसने उससे कहा की आपकी बात तो बहुत ही अच्छी है ।

इसी तरह से उसने अगले ही दिन शहर जाकर वाहन खरीद कर ले आया था और रोजाना उस पर सब्जिया लेकर शहर जाने लगा था । जिससे वह कुछ ही ‌‌‌समय मे शहर पहुंच ‌‌‌था और ‌‌‌रात्री होने से पहले ही अपने घर लोट आता था । इस तरह से उसे बहुत लाभ होने लगा ।

जब इतना लाभ होने लगा तो उसने सोचा की यह तो मेरे बेटे के कारण ही हुआ है क्याकी जबसे इसका जन्म हुआ है तब से मेरा फायदा होने लगा है । तब ‌‌‌वह अपनी सब्जियो की फसल को और अधिक बढाने के बारे मे जानने लगा । ‌‌‌

जब उसने जान लिया की सब्जिया और अधिक कैसे उत्पन्न की जाती है तो उसने अपने खेतो मे वह तकनीक ‌‌‌अपनानी शुरु कर दी । जिससे उसका और अधिकर लाभ होने लगा और कुछ ‌‌‌दिनो के बाद उसने अपने खेत मे काम करने के लिए कुछ लोगो को रखने लगा था ।

यह तब हुआ जब उसका कारोबार बढने लगा था । समय के साथ साथ वह धनवान हो गया ‌‌‌था । जब उसने अपने खेतो मे लोगो को काम करने के लिए रख लिया तो लोग आपस मे बात करने लगे की जब से प्रेमचंद के बेटा हुआ है तब से उसका तो पौ बाहर हो रहा है ।

उसकी इस तरह की तरकी को देखकर गाव के अनेक लोगो ने सब्जिया उगानी शुरु कर दी थी । पर ज्यादातर लोगो ने एक वर्ष तक ही सब्जिया उगाई उसके बाद ‌‌‌उन्होने नही उगाई थी । क्योकी यह काम भी इतना आसान नही है इसके लिए भी ‌‌‌जानकारी की जरुरत पडती है ।

पौ बाहर होना मुहावरे पर कहानी Idiom story

इसी कारण से वे लोग ज्यादा दिनो तक टिक नही पाए थे । तब उन लोगो को समझ मे आ गया की प्रेमचंद की तरह पौ बाहर होना भी सबके लिए आसान काम नही है । इस तरह से आप इस ‌‌‌कहानी का सही अर्थ समझ गए होगे ।

‌‌‌पौ बाहर होना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो जब प्रेमचंद की तरह अगर किसी को चारो और से लाभ होने लगे यानि बहुत लाभ होने लगे तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इतना लाभ होने से गरीब भी अमीर बन जाता है । वैसे यह मुहावरा गरीबो के लिए ही नही बल्की उन सभी के लिए प्रयोग किया जाता है ।

‌‌‌जिनको अचानक किसी न किसी कारण से लाभ हाने लग जाता है । तब जिसको लाभ होता है उसके लिए कहा जाता है की आजकल तो इसके पौ बाहर हो रहा है । इस तरह से लाभ प्राप्त अनेक लोगो को होता है पर यह सिमित समय के लिए भी हो सकता है और ज्यादा देर के लिए भी हो सकता है ।

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कहने का अर्थ है की जब भी लाभ प्राप्त ‌‌‌हो तो उसे पौ बाहर होना कहते है । इस तरह से इस मुहावरे का प्रयोग और इस का सही अर्थ क्या है आप लोगो को बहुत ही ‌‌‌आसानी से समझ मे आ गया होगा ।

इसमे एक बात ध्यान रखने की है की जब किसी को एक चिज से लाभ होता है तो यह जरुरी नही की दुसरे को भी उसी से लाभ हो । जिस तरह से एक नोकरी लगने वाले के लिए ‌‌‌उसमे लाभ होता है उसी तरह से एक किसान को फसल मे लाभ होता है इस तरह से आप समझ गए होगे ।

पौ बारह होना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of po barah hona in Hindi


दोस्तो सभी का जो जीवन होता है वह कठिनाइयो और परेशानियो से भरा होता है । अगर कोई है जिसका जीवन इस तरह की परेशानियो से भरा नही होता है तो आपको बात दे की ऐसा कोई नही होता है । अब आपको बता दे की जीवन में कभी कभार ऐसा होने लग जाता है की इस तरह की परेशानियो के बिच में लाभ होने लग जाता है ।

और जो भी कुछ किया जाता है उसे से लाभ प्राप्त होता है । ऐसा असल में कई बार लोगो के साथ होता है उनको जीवन में चारो और से लाभ ही लाभ प्राप्त होता रहता है। तो इस तरह की स्थिति में इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

दरसल यह जो मुहावरा है जिसे हम पौ बहार होना वह चारो और से प्राप्त होने वाले लाभ को दर्शाने का काम करता है और इस बात का मतलब यह होता है की आपको इसके वाक्य में प्रयोग के बारे में पता चल गया है । क्योकी जब अर्थ समझ में आ जाता है तो वाक्य तो आ ही जाता है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।