गुड़ गोबर करना मुहावरे का अर्थ gud gobar karna muhavare ka arth – काम बिगाडना या काम नष्ट करना ।
दोस्तो अरग कोई काम अच्छी तरह से चल रहा हो और किसी कारण से अचानक उस काम मे बाधा आ जाती है तो तब उनका वह काम बिगड जाता है । इस तरह से काम बिगडने को ही गुड़ गोबर करना कहते है । क्योकी जिस तरह से जब गुड़ पिघल जाता है तो वह गोबर के समान हो जाता है ।
उसी तरह से जो काम गुड़ की तरह चल रहा था । उसमे अचानक बाधा आने से वह बहुत बिखर जाता है और गोबर के समान सब कुछ नष्ट हो जाती है । इसी कारण से इस मुहावरे को बनाया गया है ।
गुड़ गोबर करना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence
- विवाह मे सब अच्छी तरह से काम चल रहा था पर जब फैरे होने लगे तो आंधी व बारिश ने आकर काम को गुड़ गोबर कर दिया ।
- किसी तरह से मैने इस पेड़ को लगाया था पर इस आंधी ने आकर सरी मेहनत को गुड़ गोबर कर दीया ।
- तुम जब भी यहां पर आते हो कुछ न कुछ नष्ट कर कर काम को गुड़ गोबर कर ही देते हो ।
- किसी तरह से मेहनत कर कर इस काम को करना शुरु किया और उसने आकर बने बनाए काम को गुड़ गोबर कर दिया ।
- किसी तरह से गाव के लोगो ने उन दोनो की लडाई रोकी पर श्याम ने आकर बने बनाए काम को गुड़ गोबर कर दिया और वे फिर से लडने लगे ।
गुड़ गोबर करना मुहावरे पर कहानी Idiom story
प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे ऐक सेठ रहता था । सेठ बहुत ही धनवान था सेठ के पास इतने पैसे थे की वह कई गावो को एक वर्ष तक भोजन करवा सके । उसके दादा परदादाओ की कामई हुई दोलत थी । साथ ही उनके पास खेतो की कोई कमी नही थी । सेठ दयालू भी था इस कारण गाव के लोग उससे मदद मागने के लिए भी जाते थे ।
सेठ के घर मे एक ही ऐसा था जो कोई काम का नही था । वह सेठ का बेटा था । सेठ का बेटा जहां भी जाता कुछ न कुछ तो बिगाड ही देता था । वह इस तरह से बचपन मे नही था बल्की जब बडा हुआ तब था । सेठ को इस बारे मे तब पता चला जब सेठ ने उसे काम दिया और पर उसने काम को न कर कर उसे और अधिक बिगाड दिया था ।
पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
पेट में दाढ़ी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
सिर खुजलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
मैदान मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
सिर पर सवार होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
उस दिन को तो सेठ को लगा की इसने कभी काम किया नही था इस कारण हो गया होगा । इसी तरह से एक बार सेठ ने उससे कहा की पास के गाव मे कुछ प्रोग्राम हो रहा है तुम वहा पर जाना । अपने पिता की बात वह नही टालता था । जैसा उसके पिता ने कहा वह वहां पर गया और प्रोग्राम देखने लगा ।
फिर उससे अचानक पानी का गिलास गिर गया गया जिससे पानी लाईट के वायर पर जा गिरा । वायर कटा हुआ था जिसके कारण चारो और करंट फैल गया और कुछ ही समय मे सब कुछ नष्ट हो गया । जो लोग प्रोग्राम दखने के लिए आए थे वे भी वहां से भाग गए ।
सेठ का बेटा होने के कारण किसी ने उसे कुछ नही कहा । उस दिन भी सेठ को लगा की इससे यह काम गलती से हो गया होगा । जब इस तरह से बार बार होने लगा तो सेठ को पता चला की यह जिस किसी भी काम मे जाएगा उस काम का गुड़ का गुबर हो जाएगा ।
इस कारण सेठ उसे अच्छे कामो मे जाने नही देता था । अपने पिता की बात वह कभी भी नही टालता था इस कारण से वह अपने घर मे रहता था । इसी तरह से एक बार सेठ के गाव के लोगो ने सोचा की हमारे गाव मे भी नाटक का प्रोग्राम व साथ ही कविताए जैसे अन्य प्राग्राम होना चाहिए ।
इस बारे मे वे लोग सेठ को बताने के लिए गए और सेठ के पास जाकर उनको यह सब बताया और कहा की अगर हम यह काम करेगे तो हमारे गाव मे भी दुसरे गाव के लोग आएगे और हमारे गाव का नाम भी होगा ।
उन लोगो की बात सेठ को अच्छी लगी । साथ ही सेठ को लगा की अगर मेरे गाव का नाम होगा तो साथ ही मेरा भी नाम होगा । इस कारण सेठ ने उन लोगो से कहा की हम कल इस बारे मे बात करेगे । अगले दिन सेठ ने गाव के लोगो को कहा की हम इस महिने के अंतिम दिन यह प्रोग्राम रखेगे और साथ ही इस प्रोग्राम मे जो भी खर्चा होगा वह मै दुगा ।
गाव के लोगो को सेठ के द्वारा यह सुनकर बहुत ही अच्छा लगा । उसी दिन से सभी गाव के लोग व सेठ उस प्रोग्राम की तैयारी करने लगे । साथ ही उस प्रोग्राम की खबर अन्य आस पास के गावो मे भी पहुंचा दी । इसी तरह से जब महिने का आखिरी दिन आया तो सेठ उस प्राग्राम मे तैयार होकर जाने लगा तभी उसका बेटा भी उसके साथ जाने लगा ।
उस समय सेठ ने अपने बेटे के बारे मे बिलकुल भी नही सोचा और उसे अपने साथ ले गया । जब वह उस प्रोग्राम मे पहुंचा तो उसे याद आया की मेरा बेटा भी इस प्रोग्राम मे आया है तो लगता है इस प्रोग्राम का गुड़ का गोबर हो जाएगा । ऐसा सोचकर उसने उसे वापस घर पर छुडने का फैसला लिया और फिर उसे घर पर छोडकर वापस उस प्रोग्राम मे गया था ।
कुछ ही समय मे प्रोग्राम शुरु हो गया । तब सभी लोग आनन्द के साथ उस प्रोग्राम को देख रहे थे । जब आधी रात्री हो गई तो अचानक वर्षा होने लगी । उस रात वर्षा इतनी तेज हुई की वह प्रोग्राम पूरी तरह से नष्ट हो गया था । वर्षा रुकने का नाम नही नही ले रही थी । जब शुबह हुई तब जाकर वर्षा रुकी ।
तब सभी गाव के लोग बहुत भिग गए थे साथ ही अन्य गाव के लोग भी भिग गए थे । वर्षा थम जाने पर सब लोग उस प्रोग्राम की तरफ देखने लगे थे तो उन्हे दिखा की जितनी तैयारी हुई थी वह तो पूरी तरह से नष्ट हो गई है ।
तब लोग आपस मे बात करने लगे थे की आज तो सेठ का बेटा भी इस प्रोग्राम मे नही आया था फिर भी यह सब हो गया । साथ ही कुछ लोग बात कर रहे थे की कितना अच्छा प्रोग्राम था इस बारीस ने आकर सारे प्रोग्रम को गुड़ का गोबर कर दिया । तब सेठ को समझ मे आ गया की यह मेरे बेटे के कारण नही होता था बल्की जो होना है वह तो होता ही है ।
इसमे मेरे बेटे का कोई दोष नही है साथ ही सेठ यह भी सोचने लगा की जिस किसी काम मे भी मेरा बेटा गया था अगर वह उन कार्यो मे नही जाता तो भी वह नष्ट हो ही जाते थे । इस तरह से आप गुड़ का गोबर होना मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।
गुड़ गोबर करना मुहावरे पर निबंध || gud gobar karna essay on idioms in Hindi
दोस्तो गुड़ गोबर करना एक ऐसा मुहावरा है जिसे समझना आसान होता है । मगर इसे समझने के लिए हमने जो तरीके बताए है उनमे से एक कहानी भी है । आपने जो उपर कहानी को पढा है उसे पढने के बाद भी आप इस मुहावरे को समझ सकते है ।
दरसल कहानी में आपने पढा की किस तरह से सेठ को लगा की उसका बेटा जहां पर जाता है वह वही पर कान नष्ट कर देता है । मगर ऐसा नही था क्योकी जो होना था वह तो होता ही थी ।
मगर सेठ और बाकी लोगो को तो ऐसा ही लगता था की जैसे की सेठ का बेटा ही काम को बिगाड़ता है । मतलब जो काम गुड़ की तरह अच्छा होता है वह सेठ का बेटा गोबर की तरह कर देता है । और जब गुड़ से गोबर बनता है तो वह पूरी तरह से बिगड़ जाता है ।
और इस बात से समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ काम बिगाडना या काम नष्ट करना होता है ।