पापड़ बेलना मुहावरे का अर्थ वाक्य मे प्रयोग और निंबंध

पापड़ बेलना मुहावरे का अर्थ papad belna muhavare ka arth…. भारी मुश्बित को झेलना ,

पापड़ बेलना मुहावरे की बात हम करते हैं तो इसका अर्थ होता है कि हम किसी काम को बड़ी कठिनाई से कर रहे हैं। काम पूरा करने मे बहुत अधिक कठिनाई और समस्याएं आ रही हैं। ‌‌‌वैसे भी आजकल पापड़ बेलने का जमाना है। आपको कुछ भी करवाना हो यदि खास कर सरकारी अधिकारियों से तो पापड़ बेलना ही होगा ।

 इसके अलावा आपके पास कोई और  चारा नहीं है। ‌‌‌आपने भी अधिकारियों के पीछे घूमते हुए बहुत बार पापड़ बेला होगा ।खैर मैंने तो भारत के अच्छे अधिकारियों के सामने कई बार पापड़ बेला है। ‌‌‌इसी तरीके से स्टूडेंट 20 साल पढ़ने के अंदर मेहनत करता है और उसके बाद दर दर ठोकरे खाता हुआ पापड़ बेलता है।

पापड़ बेलना मुहावरे का ‌‌‌वाक्य मे प्रयोग papad belna muhavare ka arth

  • ‌‌‌20 साल तक स्टूडेंट पढ़ाई करते हैं और उसके बाद नौकरी के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं।
  • यदि अधिकारियों से कुछ काम करवाना होगा तो बहुत सारे पापड़े बेलने होते हैं।
  • ‌‌‌बहुत पापड़ बेला लेकिन पुलिस ने रेप की एफआईआर तक दर्ज नहीं की ।
  • ‌‌‌भारत का प्रधान मंत्री बनने के लिए बहुत पापड़ बेलने होते हैं।

पापड़ बेलना मुहावरे  पर कहानी  || papad belna story on idiom in Hindi

‌‌‌प्राचीन काल की बात है एक शहर के अंदर एक बूढ़ी महिला रहती थी। उस महिला का उस शहर मे कोई नहीं था। वह बस भगवान का नाम लेती हुई आसानी से अपनी जिंदगी काट रही थी। ‌‌‌एक दिन रात को उस महिला के घर के अंदर दो चोर घुस आए और उसकी थोड़ी सी जमा पूंजी को चुरा कर ले गए जो कि उसके बुढ़ापे के अंदर काम आने वाली थी। 

‌‌‌जब महिला ने देखा कि उसकी जमा पूंजी को चोर ले गए हैं तो वह सबसे पहले अपने पड़ोसियों के पास गई और बोली कि उसकी जमा पूंजी चोरी हो गई है उसकी मदद की जाए । चोर को पकड़ने मे । ‌‌‌लेकिन पड़ोसियों ने उसकी बात को ना केवल टाल दिया वरन उसका मजाक भी उडाया की वह चोर को कभी नहीं पकड़ सकती ।

 बुढ़िया बेचारी निराश हो गई और उसके बाद ‌‌‌वह ग्रामप्रधान के पास गई और बोली कि उसके घर मे चोरी हो गई है चोर को पकड़ने मे मदद की जाए । ग्रामप्रधान ने बुढ़िया की हंसी उड़ाते हुए कहा कि यहां कोई चोर को पकड़ने वाला नहीं है। आराम से घर के अंदर रह । ‌‌‌लेकिन बुढ़िया मानने वाली कहां थी।वह गांव को छोड़कर उस राज्य के राजा के शहर मे गई और राजा के सिपाहियों से कहा कि उसके गांव के अंदर उसके घर मे चोरी हो गई है उसकी मदद की जाएग ।

 सिपाही बुढ़िया की हंसी उड़ाते हुए बोले  ‌‌‌कि यह हमारा काम नहीं है ग्रामप्रधान के पास जाओ । उसके बाद बुढ़िया को पता चल गया कि यह किसी काम के नहीं हैं। वह महल के गेट के पास गई और वहां खड़े द्ववारपालक से प्रार्थना करने लगी कि उसे अंदर जाने दिया जाए उसके घर मे चोरी हो गई है।

‌‌‌उनलोगों ने कहा कि राजा को इसतरह का काम करने के लिए फुर्सत  नहीं है। और वे उसे भगाने का प्रयास करने लगे । बुढ़िया वहां पर एक दिन रूकी रही और एक दिन जब राजा बाहर आए तो उनके रथ के आगे आ गई ।

papad belna muhavare ka arth
Photo by Vishwas Bangar from Pexels

‌‌‌राजा ने जब बुढ़िया से पूछा कि …….माता जी आपको क्या समस्या है ?

तो बुढिया ने सारी कहानी सुनादी । इस कहानी को सुनने के बाद राजा बहुत अधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने सभी फालतू लोगों को पकड़ कर लाने का आदेश दिया । ‌‌‌उसके बाद जब सभी  लोग आए तो वे राजा से दया की भीख मांगने लगे । राजा ने उनको जेल मे डालने का आदेश दिया और बुढ़िया के घर के अंदर हुई चोरी का पता लगाया तो पता चला कि यह चोरी ग्राम प्रधान ने ही करवाई थी । ‌‌‌आरोप साबित हो जाने के बाद ग्राम प्रधान को फांसी पर लटका दिया गया ।

  ‌‌‌यह सब होने के बाद बुढ़िया को यह बात अच्छे से समझ मे आ गई थी कि सत्य की तह तक पहुंचने के लिए सब को बहुत अधिक पापड़ बेलने होते हैं जो गरीब होता है उसकी इस दुनिया मे कोई नहीं सुनता है।

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पापड़ बेलना मुहावरे  निबंध  || papad belna essay on idioms in Hindi

दोस्तों पापड़ बेलने का समय ही आज है।इसका सबसे बड़ा कारण तो यह लोकतंत्र ही है। आज देश के अंदर जो पार्टी सता मे आती है वही खास पदों पर अपनो को ही बैठाती है और उसके बाद ‌‌‌इस तरह के लौंगों को किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता है और वे काम करते ही नहीं हैं। इसके अलावा वे रेगूलर आते भी नहीं हैं। कुल मिलाकर पूरा पापड़ बेलने का काम करता है। सरकारी अधिकारी कोई छोटा हो या बड़ा आपको उससे काम निकलवाने के लिए उसके आगे पापड़ बेलना ही होगा ।

‌‌‌हमारे पास मे एक सरकारी कॉलेज पड़ती है । मैंने वहां पर एडमिशन लिया था और एक दिन मैं मार्कसीट लाने के लिए वहां पर गया था तो मैंने सबसे पहले बाबू से मार्कशीट मांगी तो वह शैर की तरह मेरे पर झपटा और उल्टा मुझे ही पेलने लगा । ‌‌‌जैसे भूखी बिल्ली मांस पर झपटती है कुछ ऐसे ही मैं उस आदमी से माथापोड़ी करना नहीं चाहता था क्योंकि जिनको अपने पद और कद का घमंड़ हो उन्हें क्या पता की एक दिन यह सब चला जाएगा ।हवा मे उड़ने वाले जमीन पर आएंगे ही । खैर  ‌‌‌उसके बाद 3 दिन तक पापड़ बेले और उसके बाद मुझे मार्कसीट मिली । यह बात सच है कि प्राइवेट काम सरकारी की तुलना मे बहुत ही तेज गति से होता है।

‌‌‌जैसे  आप प्राइवेट कॉलेज के अंदर पढ़ते हैं तो वहां पर आपको किसी भी प्रकार का चक्कर काटना ही नहीं पड़ेगा और आपका काम एक दिन नहीं होता है तो वे आपको समय बतादेंगे उस दिन आपका काम हो जाएगा ।

‌‌‌खैर अब यही समय है पापड़ बेलते रहो और काम करवाते रहो । जिस किसी को पापड़ बेलने की आदत नहीं है उसे भी सीख लेना चाहिए क्योंकि आने वाले समय के अंदर पापड़ बेलने होंगे तो कैसे बेल पाओगे ।

पापड़ बेलना का तात्पर्य क्या होता है  || What is the meaning of papad belna in Hindi


अब बहुत से साथी यह कह सकते है की रोटिया बनाना ही पापड़ बेलना होता है । मगर आपको यह बता दे की ऐसा नही होता है । बल्की मानव हमेशा रोटिया नही बेलता है । वह केवल अपना पेट भर जाए इसी कारण से रोटिया बेलता है । अगर आपके पास भोजन नही है तो आप रोटिया जरूर बेलेगे ‌‌‌और जब आपका पेट भर जाता है तो आप रोटिया नही बेलेगे ।


मगर क्या आपने यह सुना है की बहुत से लोग ऐसे है जो की रोटिया बेलने का काम करते है । वैसे एक पुरुष के लिए इस तरह का काम करना काफी अधिक कठिन काम हो सकता है । क्योकी महिला तो आराम से रोटिया बना लेती है मगर पुरुष रोटिया आसानी से नही बना

‌‌‌पाते है । मगर जब कभी पुरुष को अन्य काम की बजाय यही काम दिया जाता है की उसे रोटिया बनानी है । तो यह एक पुरुष के लिए भारी मुसीबत से कम नही होगा ।

और अगर कोई ऐसा काम कर रहा है तो आपको बता दे की वह भारी मुसीबत को झेलता हुआ अपना जीवन आगे बढ़ता जा रहा है । तो मित्र इसी तरह से पापड़ होते है‌‌‌ जिनको बनाने के लिए तो रोटिया बनाने से अधिक मेहन्त लगती है । और यह किसी मुश्किल काम से कम नही होता है । एक महिला के लिए भी पापड़ बनाना मुश्किल काम होता है । तो जब कोई पापड़ बनाने का काम करता है तो उसे भारी मुश्किलो का सामना करना पड़ता है और ऐसा हम कह सकते है । और यही कारण होता है की

‌‌‌मुहावरे का अतात्पर्य भारी मुश्किल को झेलना होता है ।
अब आपको बता दे की यह एक महत्वपूर्ण मुहावरा है तो इसे अच्छी तरह से समझना और याद रखना बहुत ही जरूरी है ।

भारी मुश्बित को झेलना को पापड़ बेलना क्यों कहा जाता है

दोस्तो अगर आप महिलाओ के पास जाकर कहोगे की पापड़ बेलना है और फिर उसकी सब्जी बनानी है तो ज्यादातर ऐसी महिलाए होगी जो की आपको मना कर देगी और कहेगे की हमसे पापड़ नही बनाया जाएगा ।

क्योकी पापड़ को बनाना आसान नही होता है बल्की कठिन होता है और सबसे बड़ी परेशानी तो यही है की पापड़ को बेला नही जाता है ।

जो कोई पापड़ बनाते समय पापड़ को बेलने का काम करता है उसे ऐसा लगता है जैसे की उसके जीवन में भारी मुश्बित आ गई है और वह इसे झेल रही है । क्योकी पापड़ को पतला बेलना होता है जो की काफी कठिन है ।

और यही कारण है की पापड़ बेलना को भारी मुश्बित को झेलाना कहा जाता है ।

‌‌‌अब निचे कमेंट में बताना की आप किस कक्षा में अध्ययन करते है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।