सिर धुनना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर धुनना मुहावरे का अर्थ होता है sir dhunna muhavare ka arth – अपनी गलती पर पश्चाताप करना है। या दुख अथवा शोक प्रकट करना ।

यदि कोई कुछ गलत कर देता है और बाद मे उसे याद आता है कि उसने गलत कर दिया तो उसे कहते हैं सिर धुनना है। आपको पता होना चाहिए कि यहां पर गलती करने वाले को सही बात पता हो सकती है लेकिन उस समय उसे याद नहीं आती है। और बाद मे उसे ‌‌‌पश्चाताप होता है। ‌‌‌जैसे रमेश जिन प्रश्नों को यह मानकर पढ़ रहा था कि वे एग्जाम के अंदर आएंगे लेकिन बाद मे उनमे से एक भी नहीं आया तो सिर धुनन कर रह गया ।

‌‌‌इसी प्रकार से कई बार ऐसा होता है कि आप दूसरों को बताना कुछ और चाहते हो और वे समझ कुछ और जाते हैं ऐसी स्थिति के अंदर  गलती हो जाती है और बताने वाला सिर धुन कर रह जाता है।

इसके अलावा कई बार जब हम बहुत अधिक दुखी होते हैं तो सिर धुनन लेते हैं। यह आमतौर पर शोक को प्रकट करने का तरीका है।

सिर धुनना मुहावरे का अर्थ

सिर धुनना मुहावरे का  वाक्य मे प्रयोग || sir dhunna sentence in hindi

  • रमेश के पिता की मौत के बाद रमेश ने सिर धुनन लिया था।
  • राजा ने सेनिक को आदेश दिया था कि पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करो लेकिन सेनिकों ने यह आदेश मानने से इनकार कर दिया और राजा सिर धुनन कर रह गया ।
  • ‌‌‌एक व्यक्ति से किसी राहगिर ने मार्ग पूछा तो उसने बता दिया लेकिन बाद मे उस व्यक्ति को पता चला कि मार्ग तो उसने गलत बता दिया था लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता है। बेचारा सिर धुनन कर रह गया ।
  • ‌‌‌साधु ने भगवान को मंदिर मे खोजा मस्जिद मे खोजा और हर जगह खोजा लेकिन जब दूसरे लोगों ने बोला कि वह तो उसके अंदर ही है तो उस बेचारे ने सिर धुनन लिया ।

सिर धुनना मुहावरे पर कहानी || sir dhunna idiom a story

दोस्तों प्राचीन काल की बात है।एक पागल राजा राज्य करता था। उस राजा की  प्रजा भी उतनी ही पागल थी। एक बार एक साधु वन के अंदर विचरण करता हुआ उधर आ गया । और उसके बाद उसे भूख लगी तो उसने गांव के अंदर भिक्षा मांगना शूरू कर दिया । वह पहले घर के अंदर गया तो उसे भिक्षा   ‌‌‌दे दी गई । उसके बाद जब वह दूसरे घर के अंदर गया तो राजा के सेनिकों ने उसे पकड़ लिया । उसने राजा के सैनिकों से पूछा कि उसका अपराध क्या है ? तो सैनिकों ने कुछ नहीं बताया और साधु को जेल मे डाल दिया । 

‌‌‌संत ने एक दिन ऐसे ही जेल मे बिताया और उसके बाद दूसरे दिन संत को दरबार के अंदर पेश किया गया ।

महाराज …….. यह संत हमारे यहां पर भिक्षा मांगते हुए पाया गया है। इसको मौत की सजा होनी चाहिए ।कुछ सैनिकों ने कहा ।

……. लेकिन महाराज भिक्षा मांगना कब से अपराध हो गया । संतों का काम तो इसी ‌‌‌से चलता है। साधु बोला था।

…… हमारे राज्य के अंदर भिक्षा मांगना अपराध है। यदि कोई ऐसा करता हुआ पकड़  जाता है तो उसे मौत की सजा होती है। राजा ने कहा था।

……… तो महाराज यदि कोई चोरी करता हुआ पकड़ा जाता है तो आप उसे क्या सजा देते हैं ?

……… हम उसे बस कुछ दिन जेल मे रखते हैं। और ‌‌‌बाद मे छोड़ देते हैं। ‌‌‌लेकिन तुम्हारे पास एक ऑफर है यदि तुम यहां पर हमको प्रवचन सुनाओ तो  आपकी जान बख्सी जा सकती है।

संत को लगा कि शायद बात बन जाए ।उसके बाद होना क्या था संत ने जैसे ही बोला कि झूठ बोलना पाप है तो राजा को क्रोध आ गया और संत को 5 कोड़े मारने के आदेश दिया गया । राजा समझ चुका था कि यह मूर्खों की ‌‌‌दुनिया है और यदि यहां पर आपको रहना है तो मूर्ख बनके ही रहना होगा ।संत बेचरा सिर धुननता रह गया । उसके बाद बोला राजा दिन मे हमेशा झूठ बोलना चाहिए । रोजाना मांस मंदिरा का सेवन करना चाहिए । और हर दिन पराई स्त्री के साथ संबंध बनाने चाहिए । इतना कहते ही सभा के अंदर आवाज आई कि इस संत के गुनाह ‌‌‌ को माफ करना चाहिए । राजा खुश होता हुआ बोला कि बिलकुल माफ करेंगे पर और प्रवचन सुनाया जाना चाहिए । संत आगे बोला कि रात के अंदर सोना नहीं चाहिए । और दिन मे ही सोना चाहिए । पूरे दिन दुखी रहना चाहिए । मन मे बुरे विचार लाने चाहिए ।

सिर धुनना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌इतने मे राजा बहुत अधिक खुश हो गया और आदेश दिया कि संत के खाने पीने की व्यवस्था कर दी जाए । संत के पास खाना लाया गया । उसके अंदर बकरे का कच्चा मांस था। उसको सही से काटा भी नहीं गया था। और संत ने आज तक बकरे का मांस नहीं खाया था। बेचारे को उल्टी आ रही थी लेकिन यदि वह मना कर देता तो उसकी मौत ‌‌‌तय थी।

संत ने थोड़ा मिट खाया और उसके बाद राजा से गाली देने की अनुमती मांगी राजा ने उसको अनुमती दी और वह चला गया । साधु गांव के अंदर भ्रमण करता हुआ राज्य की सीमा के बाहर चला गया । इतने मे संत ने देखा कि कुछ सैनिक उसे पकड़ने के लिए आ रहे हैं तो ‌‌‌वह एक पेड़ के उपर चढकर अजीब सी आवाजा निकालने लगा । जंगल होने की वजह से सैनिक डर गए और वापस भागने लगे ।साधु समझ गया कि अब उसकी जान बच गई है। और बेचारा नीचे उतरा और दूसरे गांव की तरफ जाने लगा ।

‌‌‌संत समझ चुका था कि उसकी गलती की सजा उसे मिली है। मूर्खों से सदैव सावधान रहने की आवश्यकता है। और मूर्खों के सामने मूर्खों की तरह की व्यवहार किया जाना चाहिए । यदि हम मूर्खों के सामने ज्ञानी बनकर बैठ जाएंगे तो मूर्ख हमारा काम तमाम कर डालेंगे ।

सिर धुनना मुहावरे का अर्थ होता है शोक व्यक्ति करना या अपने किये पर पश्चाताप करना । जब निर्भया के रेप करने वालों को फांसी दी जा रही थी तो वे अपना सिर धुनन रहे थे । क्योंकि उनके पास कोई भी आप्सन नहीं था। वे सारे बचाव के तरीके अपनाकर थक चुके थे । ‌‌‌और उनका मन तो बहुत अधिक बेचेन था अपनी गलती पर पछताना इसे ही कहते हैं।

सिर धुनना का तात्पर्य क्या होता है || what does it mean to sir dhunna in Hindi

‌‌‌जब हम किसी तरह का खेल खेलते है तो हम एक एक दाव सोच समझ कर चलते है । जैसे की शतरंज का खेल तो आपको यह मालूम होगा की शतरंज के खेल में जो भी कदम आगे की और बढाना होता है उसे सोच समझ कर बढाना होता है । क्योकी एक गलती के कारण से हमारी हार निश्चित हो जाती है ।
मगर दोस्त जब इस खेल में हम किसी तरह की ‌‌‌गलत चाल चल देते है । तो फिर हम इस बात का पता भी चल जाता है । मगर क्या हो सकता है अंत में हमे हारना ही होता है । जब हम हार जाते है तो यह सोचते है की काश मैंने वह चाल नही चली होती । तो इसी तरह से असल जीवन में होता है । असकल जीवन में हम जब हम कोई गलत की देते है तो समय आने पर उस गलती के कारण से हमे ‌‌‌पछतावा भीजरूर होता है ।

ऐसा नही है की किसी को भी पछतावा नही होता है । इस संसार में जो भी आया है उसे अपनी गलती के कारण से पछतावा करना पड़ जाता है । और ऐसी स्थिति में हमेशा लोगो के द्वारा सिर को खुजलाया जाता है । जिसे सिर धुनना कहते है । और इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ यह हो जाता है की अपनी गलती पर पश्चाताप करना है

‌‌‌दोस्तो जीवन में आपको ऐसा कोई नही मिल सकता है जिसके जीवन में गलत न हुई हो । सभी ऐसे है जिसके जीवन में जरूर किसी न किसी तरह की गलती जरूर होती है । मैंने भी कई तरह की गलती की है और समय आने पर उसके कारण से पछतावा भी करना पड़ा है । ऐसे ही आपने भी गलती की होगी । हालाकी वह बात अलग है की अभी आपको

‌‌‌अपनी गलती के बारे में पता नही है । तो मित्र केवल इतना कहेगे की जीवन में जो भी करे सोच समझ कर करे । ताकी कभी सिर धुनने की नोबत न आए ।
चोलो बस इतना ही । अब कमेंट में कुछ तो बता देना विद्वानो । आपके कुछ अनमोल शब्द जो की हमे लिखने के लिए इसी तरह से होसला बढाने में मदद करते रहे ।

आखिर क्यों सिर धुनना को अपनी गलती पर पश्चाताप करना है। या दुख अथवा शोक प्रकट करना कहा जाता है

दोस्तो मानव जो होता है वह कई तरह की परिस्थितियों मे से अपने जीवन को आगे बढाता है और इस बिच में उसे दुख, शोक का भी सामना करना पड़ता है और कभी कभार अपने किए पर उसे पश्चाताप भी करना पड़ता है ।

आपने देखा होगा की जब मानव अपनी गलती पर पश्चाताप करता है तो उस समय वह अपने हाथ को सिर पर छुता है और ठिक ऐसे ही दुख और शोक प्रकट करते समय भी वह करता है ।

तो इसका मतलब है की इस स्थिति में मानव सिर को धुन रहा है । और यही काफी है आपको समझाने के लिए की आखिर क्यों सिर धुनना को अपनी गलती पर पश्चाताप करना है। या दुख अथवा शोक प्रकट करना कहा जाता है

‌‌‌आप किस कक्षा में अध्ययन करते है यह आपका प्रशन है और कमेंट में इसका उत्तर देना होगा ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।