कोरा जवाब देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

कोरा जवाब देना मुहावरे का अर्थ kora jawab dena muhavare ka arth – साफ साफ इनकार करना ।

दोस्तो आज के इस संसार में बहुत से लोग ऐसे है जो की अपना होने का दिखावा करते है । मगर दोस्तो जब इन लोगो से जरूरत के समय मदद मागी जाती है तो ये मदद न करने के लिए बहाना बनाते है । मगर कुछ लोग ऐसे होते है जो की‌‌‌ मदद करने से साफ साफ इनकार कर देते है और कहते  है की मैं तुम्हारी मदद नही करूगा । इसी तरह से जब कोई किसी कारण से साफा साफ इनकार करता है तब इस मुहावरे का प्रयोग होता है और कहा जाता है की उसने तो कोरा जबाब दे दिया ।

कोरा जवाब देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

कोरा जवाब देना ‌‌‌मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || kora jawab dena use of idiom in sentence in Hindi

  • मुसीबत के समय मैंने मित्रो से मदद मागी मगर सभी ने कोरा जबाब दे दिया ।
  • जब किसन ने अपने पिता से पढने के लिए कुछ पैसे मागे तो किसने के पिता ने कोरा जबाब दे दिया ।
  • कंचन के विवाह के समय बहुत से लोगो ने मदद करने का वादा किया था मगर ऐन मौके पर सभी ने कोरा जबाब दे ‌‌‌दिया ।
  • पकंज ऐसा आदमी है जो की मदद का नाम सुनते ही कोरा जबाब दे देता है ।
  • जब ललिता का घर बिकने लगा तो उसने लोगो से बहुत मदद मागी ‌‌‌मगर सभी ने कोरा जबाब दे दिया ।
  • आपकी भला मदद करेगा ही कोन क्योकी आप तो सभी के साथ झगड़ा करते रहते हो तो लोग तो कोरा जबाब देगे ही ।
  • सेठ ने तो लोगो की मदद करनी ‌‌‌चाही मगर सेठानी ने ऐन मौके पर कोरा जबाब दे दिया ।

कोरा जबाबा देना मुहावरे पर कहानी || kora jawab dena muhavare par kahani

साथियो सितानगर नामक एक गाव हुआ करता था । जहां पर अनेक तरह के लोग रहते थे । उस गाव में ही एक धनवान सेठ हुआ करता था जो की अपने पैसे के कारण से काफी अधिक फैमस था । इसके साथ ही वह बड़ा दयालू हुआ करता था । जिसके ‌‌‌कारण से वह लोगो की मदद करता ही रहता था ।

दोस्तो सेठ पैसो का बिल्कुल लालची नही था वह तो कहता था की पैसे हाथ का मैल होता है वह अपने पास कितने दिनो तक रहेगा । और इसी सोच के कारण से सेठ हमेशा लोगो के लिए तैयार रहता था । सेठ के घर में उसका एक बेटा था । जिसका अभी अभी विवाह हुआ था । वह भी सेठ की ‌‌‌तरह ही लोगो की सेवा करने का सपना देखा करता था ।

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और वह हमेशा अपने पिता को इस बारे में कहता की मैं बड़ा होकर गाव के लोगो की मदद करता हुआ ‌‌‌खुब सेवा करूगा । मगर सितानगर के उस सेठ के पुत्र को यह पता नही था यह सब होना आसान नही है । धिरे धिरे समय बितता जा रहा था और सेठ का बेटा बड़ा हो गया और वह सेठ ‌‌‌की तरह ही पूरा काम काग करने लगा था ।

अब सेठ की उम्र हो रही थी जिसके कारण से वह बिमार होने लगा था और सेठ के पुत्र की पत्नी ही अब घर में अकेली थी । जिसके कारण से तुरन्त उसने अपने ससुर की सेवा करनी शुरू कर दी । जिसके कारण से सेठ ‌‌‌ने उसे से सारे पैसो की चाबी दे दी । और घर चलाने को कह कर चले गए ‌‌‌।इस तरह से सेठ की मौत हो गई थी । और पिछे से जो सेठ का बेटा था वह सेठ की तरह काम करने के सपनो के साथ अपना जीवन चलाने लगा था ।

वह भी अपने पिता की तरह काफी दयालू था । मगर पत्नी किसी काम की नही थी और वह लोगो की मदद करने के हमेशा खिलाफ बनने लगी थी । ‌‌‌मगर सेठ के पुत्र ने फिर भी लोगो की मदद करनी शुरू कर दी थी । इसी तरह से एक बार की बात है जब सेठ के पास एक निर्धन घर से एक महिला आती है जो की अपने बीमार पति के साथ आती है ।

उसका पति हाथो और पेरो से अक्षम था । जिसके कारण से वह काफी अधिक निर्धन थी । उसके एक कन्या थी । जिसका विवाह वह करना ‌‌‌चाहती थी। और इस विवाह में मदद मागने के लिए वह महिला सेठ के पुत्र के पास आती है । क्योकी सेठ ने गाव के लोगो की ऐसी हालत में काफी मदद की थी और महिला भी इसी आस के साथ सेठ के पुत्र के पास आती है की उसकी मदद होगी ।

जब सेठ के पुत्र ने महिला से पूछा की क्या हुआ है आपको आप किस कारण से आई हो । तब महिला ने ‌‌‌कहा की मेरी बेटी का विवाह तय हुआ है जिसके लिए आपकी मदद चाहिए । विवाह में खुब पैसे चाहिए जो की खर्च होगे । अगर आप पैसे उधार दे तो विवाह सही तरह से हो जाए । महिला की यह बात सुन कर सेठ के पुत्र ने महिला की और ‌‌‌देखा और उसके पति की और देख कर कहा की ठिक है । मैं तुम्हारे पति की हालत देख कर ‌‌‌मदद कर दुगा ।

पहले दिन पैसे लेकर चले जाना । इस तरह से सेठ के पुत्र ने बिना सोचे समझे यह वादा कर दिया । और इसके बाद में भी इस बारे में अपनी पत्नी से नही कहा था । जब महिला के घर में उसकी बेटी का विवाह होने का पहला दिन आया तो महिला सेठ के पास वापस आकर उधार पैसे मागने लगी ।

तब सेठ ने कहा की ‌‌‌मैं कल स्वयं ही लेकर आता हूं । मगर अगले ही दिन सेठ भूल गया । जिसके कारण से महिला फिर से आती है और आज विवाह भी था । मगर सेठ का पुत्र काम में काफी अधिक व्यथ था । जिसके कारण से उसने महिला को अपनी पत्नी के पास पैसे लेने के लिए भेज दिया ।

और जब महिला सेठ के पुत्र की पत्नी के पास गई और ‌‌‌पैसो की बात की तो सेठ के पुत्र की पत्नी ने कोरा जबाब दे दिया । जिसे सुन कर महिला निराश होकर अपने घर चली गई । अब महिला के पास पैसे न थे । और विवाह का समय आ चुका था । कुछ ही देर के बाद में बारात आ गई । और विवाह की तैयारी हुई नही थी । बरात ने आते ही दहेज की बात की ।

और वह महिला के पास दहेज था नही। ‌‌‌जिसके कारण से बारात ने महिला को खरी खोटी सुनाई और वापस चली गई । जब इस बारे में गाव के लोगो को पता चला तो गाव के लोग वहां पर महिला की मदद के लिए आ गए थे । मगर इतने में काफी देरी हो चुकी थी । तब महिला ने लोगो को बताया की सेठ के पुत्र के कारण से यह सब हुआ है ।

कोरा जबाबा देना मुहावरे पर कहानी || kora jawab dena muhavare par kahani

अगर उसने मुझसे वादा नही किया होता ‌‌‌तो मैं कही न कही से पैसे लेकर आ जाती थी । तब लोगो ने कहा की उन्होने ऐसा नही किया होगा । तब महिला ने बताया की मैं उनकी पत्नी के पास गई थी और उन्होने पैसे देने की बात सुन कर कोरा जबाब दे दिया । ‌‌‌इस तहर से सेठ ने मदद का वादा भी किया और मदद भी नही की थी। इस तरह से कहने पर गाव के लोगो को सेठ के पुत्र के बारे में पता चल गया था । की वे किसी की भी मदद नही कर सकते है और हमे भी ऐन मौंके पर कोरा जबाब मिल सकता है ।

इसके बाद में कोई भी सेठ के बेटे के पास मदद के लिए नही जाता था । क्योकी यह घटना ‌‌‌सभी को डराती की कही वे सही समय पर इनकार न कर दे । इस तरह से जब इस बारे में सेठ के पुत्र को पता चला तो वह भी कुछ न कर सका । क्योकी पत्नी ने उन्हे यह सब करने के लिए मना कर दिया ।

जिसके कारण से सेठ का पुत्र के पास कुछ लोग मदद मागने के लिए जाते भी थे तो भी सेठ का पुत्र उन्हे साफ साफ मना कर देता था । ‌‌‌और कहता की मेरे से कोई मदद की आस न लगाओ तो अच्छा है । इस तरह से फिर सेठ के पुत्र ने किसी की मदद नही की थी ।

कोरा जबाब देना मुहावरे पर निबंध || kora jawab dena muhavare par nibandh

‌‌‌साथियो जब आप किसी व्यक्ति को पैसे उधार दे देते हो और जब उससे वह पैसे वापस मागने के लिए उसके पास जाते हो तो वह कहता है की भाई आज पैसे नही है कल ले लेना । और जब कल लेने के लिए जाते हो तो वह कहता है की आज हाथ जरा तंग है दो महिने बाद पैसे ले लेना ।

और उसी तरह से दो महिने के बाद जाने पर ‌‌‌वह कहता है की भाई अभी जरा पैसे मिलना मुसकिल है कुछ दिनो बाद आना । तो इससे पता चलता है की उस व्यक्ति के पैसे देने का इरादा नही होता है । इस तरह से वह व्यक्ति कहता है की पैसे आपको मिल जाएगे । मगर आज नही है । यानि वह पैसे देने से इनकार नही कर रहा है ।

मगर कुछ लोग ऐसे होते है जो की पहले ‌‌‌उधार रूपय तो ले लेते है मगर जब वापस मागे जाते है तो वे दादागीरी दिखाते हुए कहते है की मैं पैसे नही दूगा । इस तरह से ऐसे व्यक्ति रूपय देने से साफ साफ इनकार करते है ।

और इसी तरह से जब किसी कार्य में साफ साफ इनकार किया जाता है तो इसे कोरा जबाब देना कहा जाता है ।

कोरा जबाब देना मुहावरे पर निबंध  kora jawab dena muhavare par nibandh

‌‌‌ऐसी घटना एक बार मेरे जीवन में भी हुई थी । मैं जीस स्थान पर रहता था वही पर एक अन्य व्यक्ति भी था । जिसका नाम किसन था । और किसन ने मुझसे 3000 रूपय उधार लिए थे । और समय बितने पर मैंने जब पैसे वापस मागे तो वह तुरन्त कहने लगा की मैं पैसे नही दुगा । तो इस तरह से वह मुझे कोरा जबाब दे रहा था । ‌‌‌

मगर मैंने उससे कहा की मुझे पैसे लेन आते है । और इसी तरह से मैंने योजना के साथ काम किया और किसी अन्य कार्य को करवा कर सारे पैसे निकलवा लिए । मगर इस तरह से पहले वह पैस देने से साफ साफ इनकार कर चुका था । और यही कोरा जबाब देना है ।

‌‌‌इस तरह से मैं आसा करता हूं की आप इस मुहावरे को भली प्रकार से समझ गए होगे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।